<p style=”text-align: justify;”><strong>Haridwar News:</strong> देव भूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय में होने के मौके पर ‘होलीकोत्सव यज्ञ एवं फूलों की होली’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योग गुरु बाबा रामदेव और कुलपति आचार्य बालकृष्ण मौजूद रहे. इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने सभी देशवासियों को वासंती नवसस्येष्टि की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि योग और यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>होलीकोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा, ”होली न केवल रंगों का उल्लास का पर्व है, बल्कि सामाजिक समरसता, प्रेम, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है.” उन्होंने कहा, ”हम होली पर प्रण लें कि हमारे भीतर आत्मग्लानि, आत्मविस्मृति, आत्मसम्मोहन आदि न आए. हम सदा सत्य में आरूढ़ रहते हुए अपने सत्य पथ पर, सनातन पथ पर, वेद पथ पर, ऋषि पथ पर, सात्विकता के पथ पर आगे बढ़ते रहें, नूतन सोपान चढ़ते रहें, आरोहण पाते रहें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/03/15/35d6d16e4075f3dc6ef016fa818b7ae11742024834194940_original.png” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नशे में न बिगड़ने दें सौहार्द- बाबा रामदेव</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाबा रामदेव ने आगे कहा, ” सनातन संस्कृति के प्रत्येक पर्व को हम योग और यज्ञ के साथ मनाते हैं. योग और यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं, आत्म तत्व हैं. रामदेव ने सभी देशवासियों से आह्वान किया कि इस सौहार्द को भांग और शराब के नशे में बिगड़ने न दें. यह समाज के लिए हानिकारक हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>होली अहंकार के त्याग का पर्व – आचार्य बालकृष्ण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण कहा, ”होली अहंकार के त्याग का पर्व है. अपने अंदर के विकारी भावों रूपी हिरण्यकश्यप को होलिका में दहन करने का पर्व है. होली पर सभी आपसी मतभेदों को भूल कर भाईचारे के रंग में रंगकर इस पावन पर्व को सार्थक बनाएं.” उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि होली पर्व पूर्ण सात्विकता के साथ मनाएं. होली पर गोबर, कीचड़ और कैमिकल युक्त रंगों का प्रयोग न करें. फूलों और हर्बल गुलाल से ही होली खेलें. कैमिकल्स युक्त रंगों से आंख और त्वचा रोग होने की प्रबल सम्भावना रहती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान आचार्य बालकृष्ण ने होली खेलने से पूर्व कुछ सावधानी बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि होली खेलने से पहले अपने शरीर के खुले हिस्सों पर सरसों या नारियल का तेल या कोल्ड क्रीम लगाएं, इससे रसायनयुक्त हानिकारक रंगों से त्वचा खराब होने की संभावना कम हो जाती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ पतंजलि संस्थान से सम्बद्ध सभी ईकाइयों के ईकाई प्रमुख, विभागाध्यक्ष, कर्मचारीगण, शैक्षणिक संस्थानों के प्राचार्यगण, शिक्षकगण, विद्यार्थीगण, कर्मचारीगण, संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें-</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/mahaba-bjp-mla-brijbhushan-rajput-said-muslim-should-not-avoid-colors-on-holi-ann-2904177″><strong>108 कृष्ण मंदिर वाले चरखारी में मनाई गई ब्रज की होली, BJP विधायक बोले- मुसलमानों को रंग से परहेज…</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Haridwar News:</strong> देव भूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय में होने के मौके पर ‘होलीकोत्सव यज्ञ एवं फूलों की होली’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योग गुरु बाबा रामदेव और कुलपति आचार्य बालकृष्ण मौजूद रहे. इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने सभी देशवासियों को वासंती नवसस्येष्टि की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि योग और यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>होलीकोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा, ”होली न केवल रंगों का उल्लास का पर्व है, बल्कि सामाजिक समरसता, प्रेम, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है.” उन्होंने कहा, ”हम होली पर प्रण लें कि हमारे भीतर आत्मग्लानि, आत्मविस्मृति, आत्मसम्मोहन आदि न आए. हम सदा सत्य में आरूढ़ रहते हुए अपने सत्य पथ पर, सनातन पथ पर, वेद पथ पर, ऋषि पथ पर, सात्विकता के पथ पर आगे बढ़ते रहें, नूतन सोपान चढ़ते रहें, आरोहण पाते रहें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/03/15/35d6d16e4075f3dc6ef016fa818b7ae11742024834194940_original.png” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नशे में न बिगड़ने दें सौहार्द- बाबा रामदेव</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाबा रामदेव ने आगे कहा, ” सनातन संस्कृति के प्रत्येक पर्व को हम योग और यज्ञ के साथ मनाते हैं. योग और यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं, आत्म तत्व हैं. रामदेव ने सभी देशवासियों से आह्वान किया कि इस सौहार्द को भांग और शराब के नशे में बिगड़ने न दें. यह समाज के लिए हानिकारक हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>होली अहंकार के त्याग का पर्व – आचार्य बालकृष्ण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण कहा, ”होली अहंकार के त्याग का पर्व है. अपने अंदर के विकारी भावों रूपी हिरण्यकश्यप को होलिका में दहन करने का पर्व है. होली पर सभी आपसी मतभेदों को भूल कर भाईचारे के रंग में रंगकर इस पावन पर्व को सार्थक बनाएं.” उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि होली पर्व पूर्ण सात्विकता के साथ मनाएं. होली पर गोबर, कीचड़ और कैमिकल युक्त रंगों का प्रयोग न करें. फूलों और हर्बल गुलाल से ही होली खेलें. कैमिकल्स युक्त रंगों से आंख और त्वचा रोग होने की प्रबल सम्भावना रहती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान आचार्य बालकृष्ण ने होली खेलने से पूर्व कुछ सावधानी बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि होली खेलने से पहले अपने शरीर के खुले हिस्सों पर सरसों या नारियल का तेल या कोल्ड क्रीम लगाएं, इससे रसायनयुक्त हानिकारक रंगों से त्वचा खराब होने की संभावना कम हो जाती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ पतंजलि संस्थान से सम्बद्ध सभी ईकाइयों के ईकाई प्रमुख, विभागाध्यक्ष, कर्मचारीगण, शैक्षणिक संस्थानों के प्राचार्यगण, शिक्षकगण, विद्यार्थीगण, कर्मचारीगण, संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें-</strong></p>
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पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘होलीकोत्सव’ का आयोजन, रामदेव बोले- संस्कृति के प्राण तत्व हैं योग और यज्ञ
