देश के सभी सरकारी, निजी और विदेशी बैंकों में 23 मार्च की मध्यरात्रि से 48 घंटे की हड़ताल होगी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के नेतृत्व में 9 बैंक यूनियनें हड़ताल में हिस्सा लेंगी। बैंक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है। सोमवार को शिमला में बैंक कर्मचारियों ने इसको लेकर प्रेसवार्ता की। जिसमें यूनियन ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। बैंकों में पर्याप्त भर्तियों की मांग यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता में कहा कि कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि बैंकों में पर्याप्त भर्तियां की जाएं। अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। RBI और बीमा कंपनियों की तरह बैंकों में भी 5 दिन कार्य सप्ताह लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों में कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। 2013 में कुल कर्मचारियों की संख्या 8.86 लाख थी, यह 2024 में घटकर 7.46 लाख रह गई है। लाभों पर आयकर वसूली पर लगाएं रोक वहीं क्लर्कों की संख्या 3.98 लाख से घटकर 2.46 लाख हो गई है। सब-स्टाफ की संख्या 1.53 लाख से कम होकर 94 हजार रह गई है। इसके अलावा यूनियनें कर्मचारियों की सुरक्षा और श्रमिक निदेशक पदों पर नियुक्तियों की मांग कर रही हैं। ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपए करने की मांग है। कल्याणकारी लाभों पर आयकर वसूली रोकने की भी मांग है। यूनियनों ने आईडीबीआई बैंक में सरकार की 51% हिस्सेदारी बनाए रखने की मांग की है। बैंकों में स्थायी नौकरियों की आउटसोर्सिंग रोकने और सरकारी हस्तक्षेप कम करने की मांग भी प्रमुख है। देश के सभी सरकारी, निजी और विदेशी बैंकों में 23 मार्च की मध्यरात्रि से 48 घंटे की हड़ताल होगी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के नेतृत्व में 9 बैंक यूनियनें हड़ताल में हिस्सा लेंगी। बैंक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है। सोमवार को शिमला में बैंक कर्मचारियों ने इसको लेकर प्रेसवार्ता की। जिसमें यूनियन ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। बैंकों में पर्याप्त भर्तियों की मांग यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता में कहा कि कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि बैंकों में पर्याप्त भर्तियां की जाएं। अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। RBI और बीमा कंपनियों की तरह बैंकों में भी 5 दिन कार्य सप्ताह लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों में कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। 2013 में कुल कर्मचारियों की संख्या 8.86 लाख थी, यह 2024 में घटकर 7.46 लाख रह गई है। लाभों पर आयकर वसूली पर लगाएं रोक वहीं क्लर्कों की संख्या 3.98 लाख से घटकर 2.46 लाख हो गई है। सब-स्टाफ की संख्या 1.53 लाख से कम होकर 94 हजार रह गई है। इसके अलावा यूनियनें कर्मचारियों की सुरक्षा और श्रमिक निदेशक पदों पर नियुक्तियों की मांग कर रही हैं। ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपए करने की मांग है। कल्याणकारी लाभों पर आयकर वसूली रोकने की भी मांग है। यूनियनों ने आईडीबीआई बैंक में सरकार की 51% हिस्सेदारी बनाए रखने की मांग की है। बैंकों में स्थायी नौकरियों की आउटसोर्सिंग रोकने और सरकारी हस्तक्षेप कम करने की मांग भी प्रमुख है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
