दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, अधिकारियों को क्यों दी चेतावनी?

दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, अधिकारियों को क्यों दी चेतावनी?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi High Court News:</strong> राजधानी दिल्ली में जजों और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय फ्लैटों के निर्माण के लंबित परियोजना के लिए फण्ड जारी करने में हो रही देरी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई. दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि न्यायिक अधिकारियों को पर्याप्त सरकारी आवास उपलब्ध कराना सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछले साल 9 दिसंबर को दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि 10 दिसंबर 2024 को एक बैठक निर्धारित है, जिसमें लंबित परियोजनाओं के लिए फंड सुनिश्चित करने और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय परिसरों के निर्माण के लिए फंड आवंटित करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जताई नारजगी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उस दिन कोई बैठक नहीं हुई. उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के कारण बैठक नहीं हो सकी. इस पर कोर्ट ने कहा एक बार जब अदालत को यह जानकारी दी गई थी कि 10 दिसंबर 2024 को बैठक होगी, फिर भी बैठक न होना स्वीकार्य नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने &nbsp;मौखिक रूप से कहा यह प्राथमिकता क्यों नहीं है? चुनाव को हुए एक महीना बीत चुका है. हम केवल औपचारिकता नहीं चाहते. हमें अपनी बातों में मत घुमाइए. अपने अधिकारियों को यह बात समझाइए. हम आपसे क्या मांग रहे हैं? हम केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों को लागू करने को कह रहे हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली में चुनाव खत्म हुए कम से कम एक महीना हो चुका है. फिर भी लंबित परियोजनाओं के लिए दिल्ली सरकार द्वारा फंड सुनिश्चित करने के कोई प्रयास नहीं दिखाई दे रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाईकोर्ट ने दी अधिकारियों को चेतावनी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों या किसी भी प्राधिकरण की कोई भी लापरवाही या शिथिलता, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने में, स्वीकार्य नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्य के कार्यों में न्यायिक सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए दिए हैं जो कानून के शासन को बनाए रखने में योगदान करती है. दिल्ली सरकार की ओर से आश्वासन दिए जाने के बाद, कोर्ट ने उसे लंबित आवासीय परियोजनाओं, जिनमें द्वारका और सीबीडी प्लॉट शाहदरा की जमीन शामिल है, के लिए धनराशि स्वीकृत करने और जारी करने पर सकारात्मक फैसला लेने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली HC ने याचिकाकर्ता से पूछे सवाल&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के वकील को भी निर्देश दिया कि वह यह बताएं कि क्या कोई ऐसी जमीन उपलब्ध है, जिसका उपयोग न्यायिक अधिकारियों के सरकारी आवास के निर्माण में किया जा सकता है. इससे पहले कोर्ट को बताया गया था कि 897 न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत कुल संख्या के मुकाबले, केवल 348 फ्लैट उपलब्ध हैं, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं. इस प्रकार, 549 फ्लैटों की कमी है. दिल्ली हाईकोर्ट में यह जनहित याचिकाएं साहिल ए गर्ग नरवाना और ज्यूडिशियल सर्विस एसोसिएशन, दिल्ली द्वारा दाखिल की गई हैं. दिल्ली हाईकोर्ट &nbsp;3 अप्रैल को &nbsp;मामले की सुनवाई करेगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/hearing-in-delhi-high-court-on-cbi-inquiry-demand-in-electoral-bonds-by-political-party-ann-2907584″>चुनावी बांड के रूप दान से भ्रष्टाचार की CBI से जांच मामले में हुई सुनवाई, दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi High Court News:</strong> राजधानी दिल्ली में जजों और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय फ्लैटों के निर्माण के लंबित परियोजना के लिए फण्ड जारी करने में हो रही देरी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई. दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि न्यायिक अधिकारियों को पर्याप्त सरकारी आवास उपलब्ध कराना सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछले साल 9 दिसंबर को दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि 10 दिसंबर 2024 को एक बैठक निर्धारित है, जिसमें लंबित परियोजनाओं के लिए फंड सुनिश्चित करने और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय परिसरों के निर्माण के लिए फंड आवंटित करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जताई नारजगी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उस दिन कोई बैठक नहीं हुई. उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के कारण बैठक नहीं हो सकी. इस पर कोर्ट ने कहा एक बार जब अदालत को यह जानकारी दी गई थी कि 10 दिसंबर 2024 को बैठक होगी, फिर भी बैठक न होना स्वीकार्य नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने &nbsp;मौखिक रूप से कहा यह प्राथमिकता क्यों नहीं है? चुनाव को हुए एक महीना बीत चुका है. हम केवल औपचारिकता नहीं चाहते. हमें अपनी बातों में मत घुमाइए. अपने अधिकारियों को यह बात समझाइए. हम आपसे क्या मांग रहे हैं? हम केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों को लागू करने को कह रहे हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली में चुनाव खत्म हुए कम से कम एक महीना हो चुका है. फिर भी लंबित परियोजनाओं के लिए दिल्ली सरकार द्वारा फंड सुनिश्चित करने के कोई प्रयास नहीं दिखाई दे रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाईकोर्ट ने दी अधिकारियों को चेतावनी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों या किसी भी प्राधिकरण की कोई भी लापरवाही या शिथिलता, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने में, स्वीकार्य नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्य के कार्यों में न्यायिक सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए दिए हैं जो कानून के शासन को बनाए रखने में योगदान करती है. दिल्ली सरकार की ओर से आश्वासन दिए जाने के बाद, कोर्ट ने उसे लंबित आवासीय परियोजनाओं, जिनमें द्वारका और सीबीडी प्लॉट शाहदरा की जमीन शामिल है, के लिए धनराशि स्वीकृत करने और जारी करने पर सकारात्मक फैसला लेने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली HC ने याचिकाकर्ता से पूछे सवाल&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के वकील को भी निर्देश दिया कि वह यह बताएं कि क्या कोई ऐसी जमीन उपलब्ध है, जिसका उपयोग न्यायिक अधिकारियों के सरकारी आवास के निर्माण में किया जा सकता है. इससे पहले कोर्ट को बताया गया था कि 897 न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत कुल संख्या के मुकाबले, केवल 348 फ्लैट उपलब्ध हैं, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं. इस प्रकार, 549 फ्लैटों की कमी है. दिल्ली हाईकोर्ट में यह जनहित याचिकाएं साहिल ए गर्ग नरवाना और ज्यूडिशियल सर्विस एसोसिएशन, दिल्ली द्वारा दाखिल की गई हैं. दिल्ली हाईकोर्ट &nbsp;3 अप्रैल को &nbsp;मामले की सुनवाई करेगा.&nbsp;</p>
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