शंभू बार्डर की आंखों देखी:किसानों को नहीं थी पुलिस कार्रवाई की भनक, टेंटों में लाइटें और किचन में बन रहा था खाना

शंभू बार्डर की आंखों देखी:किसानों को नहीं थी पुलिस कार्रवाई की भनक, टेंटों में लाइटें और किचन में बन रहा था खाना

20 मार्च को हरियाणा का शंभू बॉर्डर पूरी तरह अस्त-व्यस्त था। एक दिन पहले केंद्र सरकार से वार्ता के बाद पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया था और धरना खत्म कराने की तैयारी कर ली थी। किसानों को इस अचानक कार्रवाई की भनक तक नहीं थी। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर राम सारस्वत जब मौके पर पहुंचे, तो वहां अफरा-तफरी मची हुई थी। धरना स्थल पर खाना बन रहा था, चारों तरफ बर्तन बिखरे पड़े थे। कच्ची सब्जियां और पका हुआ खाना भी फैला पड़ा था। कई ट्रॉलियों में खाद्य सामग्री मौजूद थी, और बड़े भगोनों में बची हुई दाल बिखरी हुई थी। करीब 100 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां बॉर्डर पर खड़ी थीं। रिपोर्टर ने आगे बढ़कर देखा कि कई टेंटों में डी-फ्रीजर और इंडक्शन चूल्हे चालू थे। डी-फ्रीजर में पनीर और लस्सी रखी हुई थी, और टेंटों में लाइटें जल रही थीं। कुछ ट्रॉलियों में बेडरूम बने हुए थे, जहां एसी भी चालू था। पुलिस की कार्रवाई और धरना समाप्त कुछ देर बाद पुलिस टेंट और ट्रॉलियों तक पहुंच गई। पिछले 13 महीनों से धरना दे रहे किसानों को बलपूर्वक हटाया जाने लगा। हाईवे से धरना स्थल का मलबा हटाया गया। पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए कई किसान वहां से हट गए। इस पूरी घटना पर पंजाब सरकार का कहना है कि बॉर्डर बंद होने से पंजाब को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हो रहा था। इसलिए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। 19 मार्च को हुए दो बड़े एक्शन केंद्र सरकार के साथ सातवीं वार्ता के बाद किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के सरवण सिंह पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में लिया गया। पंजाब पुलिस ने देर शाम शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटा दिया। करीब 200 किसानों को हिरासत में लिया गया और बुलडोजर से उनके शेड तोड़े गए। 20 मार्च को शंभू बॉर्डर खुला किसान आंदोलन की वजह से पिछले 13 महीने से बंद हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर 20 मार्च को पूरी तरह खोल दिया गया। अंबाला से पटियाला के बीच दोनों लेन पर ट्रैफिक शुरू हो गया, जिससे पंजाब से हरियाणा और दिल्ली आने-जाने वालों को राहत मिली। इसी तरह, दिल्ली-पटियाला हाईवे पर स्थित खनौरी बॉर्डर पर भी हरियाणा पुलिस ने अपने क्षेत्र की दोनों लेन खोल दी। वहां से सीमेंट बैरिकेड्स हटा दिए गए हैं, लेकिन पंजाब की तरफ अभी किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी हैं, जिससे सिर्फ टू-व्हीलर की आवाजाही ही हो पा रही है। पंजाब में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी पुलिस की कार्रवाई के विरोध में पंजाब के कई जिलों में किसानों ने प्रदर्शन किया। हाईवे जाम करने की कोशिश के दौरान बठिंडा, मुक्तसर, मोगा, फरीदकोट और होशियारपुर में किसानों की पुलिस से झड़प भी हुई। हरियाणा के किसानों का सरकार को अल्टीमेटम हरियाणा के किसानों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को अपनी मांगें मानने के लिए एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। 21 मार्च को किसान कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री का घर घेरने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। 20 मार्च को हरियाणा का शंभू बॉर्डर पूरी तरह अस्त-व्यस्त था। एक दिन पहले केंद्र सरकार से वार्ता के बाद पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया था और धरना खत्म कराने की तैयारी कर ली थी। किसानों को इस अचानक कार्रवाई की भनक तक नहीं थी। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर राम सारस्वत जब मौके पर पहुंचे, तो वहां अफरा-तफरी मची हुई थी। धरना स्थल पर खाना बन रहा था, चारों तरफ बर्तन बिखरे पड़े थे। कच्ची सब्जियां और पका हुआ खाना भी फैला पड़ा था। कई ट्रॉलियों में खाद्य सामग्री मौजूद थी, और बड़े भगोनों में बची हुई दाल बिखरी हुई थी। करीब 100 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां बॉर्डर पर खड़ी थीं। रिपोर्टर ने आगे बढ़कर देखा कि कई टेंटों में डी-फ्रीजर और इंडक्शन चूल्हे चालू थे। डी-फ्रीजर में पनीर और लस्सी रखी हुई थी, और टेंटों में लाइटें जल रही थीं। कुछ ट्रॉलियों में बेडरूम बने हुए थे, जहां एसी भी चालू था। पुलिस की कार्रवाई और धरना समाप्त कुछ देर बाद पुलिस टेंट और ट्रॉलियों तक पहुंच गई। पिछले 13 महीनों से धरना दे रहे किसानों को बलपूर्वक हटाया जाने लगा। हाईवे से धरना स्थल का मलबा हटाया गया। पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए कई किसान वहां से हट गए। इस पूरी घटना पर पंजाब सरकार का कहना है कि बॉर्डर बंद होने से पंजाब को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हो रहा था। इसलिए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। 19 मार्च को हुए दो बड़े एक्शन केंद्र सरकार के साथ सातवीं वार्ता के बाद किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के सरवण सिंह पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में लिया गया। पंजाब पुलिस ने देर शाम शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटा दिया। करीब 200 किसानों को हिरासत में लिया गया और बुलडोजर से उनके शेड तोड़े गए। 20 मार्च को शंभू बॉर्डर खुला किसान आंदोलन की वजह से पिछले 13 महीने से बंद हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर 20 मार्च को पूरी तरह खोल दिया गया। अंबाला से पटियाला के बीच दोनों लेन पर ट्रैफिक शुरू हो गया, जिससे पंजाब से हरियाणा और दिल्ली आने-जाने वालों को राहत मिली। इसी तरह, दिल्ली-पटियाला हाईवे पर स्थित खनौरी बॉर्डर पर भी हरियाणा पुलिस ने अपने क्षेत्र की दोनों लेन खोल दी। वहां से सीमेंट बैरिकेड्स हटा दिए गए हैं, लेकिन पंजाब की तरफ अभी किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी हैं, जिससे सिर्फ टू-व्हीलर की आवाजाही ही हो पा रही है। पंजाब में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी पुलिस की कार्रवाई के विरोध में पंजाब के कई जिलों में किसानों ने प्रदर्शन किया। हाईवे जाम करने की कोशिश के दौरान बठिंडा, मुक्तसर, मोगा, फरीदकोट और होशियारपुर में किसानों की पुलिस से झड़प भी हुई। हरियाणा के किसानों का सरकार को अल्टीमेटम हरियाणा के किसानों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को अपनी मांगें मानने के लिए एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। 21 मार्च को किसान कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री का घर घेरने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।   हरियाणा | दैनिक भास्कर