कुमारी ​​​​​​सैलजा बोलीं- दोनों हाथों से लूट रहे निजी स्कूल:सरकार देख रही तमाशा, कमीशन खेल में पिस रहा बच्चों का भविष्य

कुमारी ​​​​​​सैलजा बोलीं- दोनों हाथों से लूट रहे निजी स्कूल:सरकार देख रही तमाशा, कमीशन खेल में पिस रहा बच्चों का भविष्य

प्रदेश के सरकारी एवं निजी स्कूलों में दाखिले चल रहे हैं। निजी स्कूलों में फीस के साथ किताबों के नाम पर बच्चों और अभिभावकों से मोटी रकम वसूली जा रही है। इस पर सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा की बीजेपी सरकार को संज्ञान लेने और निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए है। सैलजा ने कहा कि निजी स्कूल संचालक दोनों हाथों से अभिभावकों को सरेआम लूट रहे हैं। उलटा सरकार है कि हाथ पर हाथ रखकर तमाशा देख रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार ने निजी स्कूलों को लूटने का ठेका दिया हुआ है। अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य की खातिर चुप्पी साध जाते हैं। अगर सरकार ने सरकारी स्कूलों के हालात सुधारने पर ध्यान दिया होता तो अभिभावक लुटने को मजबूर न होते। कमीशन के खेल में आम आदमी बुरी तरह से पिस रहा है। सरकार है कि शिक्षा को व्यवसाय बनाने पर तुली हुई है। स्कूल की कॉपी-किताबें और यूनिफॉर्म महंगी
सैलजा ने कहा कि निजी स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू होते ही अभिभावकों की जेब ढीली होनी शुरू हो गई है। अभिभावक निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा बताई गई दुकानों से महंगे दाम में कॉपी-किताबें और स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने पर मजबूर हैं। नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक करीब तीन से सात हजार रुपए कॉपी-किताबें खरीद रहे है। पहले जहां पर्ची पर बुकसेलर का पता भी लिखकर दिया जाता है। अब पता मौखिक बताया जाता है। शिक्षा विभाग शिक्षा विभाग खानापूर्ति के लिए ही निजी स्कूल संचालकों को पत्र जारी कर निर्देश देता है, जबकि सब मिले हुए है। अभिभावक शिकायत भी करता है तो आज तक किसी भी स्कूल संचालक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अभिभावक महंगी कॉपी-किताबें खरीदने को बेबस है। अभिभावक दुकानदार को मात्र कक्षा एवं स्कूल का नाम बताने पर बुक स्टोर संचालक द्वारा कॉपी-किताबों का पूरा सेट निकाल दिया जाता है। शिक्षा विभाग के नियमानुसार एनसीईआरटी की पुस्तकें चलाना अनिवार्य है, लेकिन प्राइवेट स्कूल वालों द्वारा मोटी कमाई करने के चक्कर में अपनी किताबों का निजी प्रकाशन करवाते हैं या निजी प्रकाशन करने वालों की ही किताबें स्कूल में पढ़ाते हैं। सैलजा ने सरकार ने मांग की है कि इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए अभिभावकों को लुटने से बचाया जाए और सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार किया जाए तो अभिभावक निजी स्कूल संचालकों के हाथों से लुटने से बच जाएगा। पब्लिशर से मिलकर 100 रुपए वाली किताब का मूल्य 500 लिखवाया
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि पब्लिशर से मिलकर 100 रुपए वाली किताब का मूल्य 500 लिखवाया जाता है। स्कूल संचालक एक काम और करते हैं कि हर साल पब्लिशर से मिलकर किताब का एक या दो चेप्टर बदलवा देते हैं, ताकि विद्यार्थी पुरानी किताब न खरीद सके। एनसीईआरटी की पुस्तकों में कमीशन का कोई खेल नहीं होता है। अगर उस पर 100 रुपए मूल्य अंकित है तो वह 100 रुपए में बिकेगी। एक ओर जहां नर्सरी कक्षा का सेट (किताब और कापी) 3400 रुपए में पड़ता है, वहां कक्षा आठ कर सेट 7800 रुपए में पड़ता है। इसमें साफ है कक्षा जितनी छोटी होगी, उसकी पुस्तकों की कीमत उतनी ही ज्यादा होगी यानी अभिभावकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जाता है। अंबाला छावनी-पटियाला पैसेंजर का नरवाना तक विस्तार के लिए रेल मंत्री को लिखा पत्र
सांसद कुमारी सैलजा ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि गाड़ी संख्या -54557/54558 अंबाला छावनी-पटियाला पैसेंजर जो पटियाला में 10.30 घंटे खड़ी रहती है। फास्ट पैसेंजर के रूप में इस गाड़ी का विस्तार नरवाना तक वाया धूरी, जाखल, टोहाना किया जा सकता है। आजादी के बाद भी नरवाना का जुड़ाव पटियाला से नहीं हो सका है। वर्तमान में नरवाना, संगरूर से एक भी गाड़ी पटियाला के लिए उपलब्ध नहीं है, जबकि नरवाना से हजारों की संख्या में लोग पटियाला आते जाते हैं। सीधी रेल सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को अधिक किराया के साथ बसों में सफर करना पड़ता है। पटियाला के बाद इस गाड़ी के ठहराव नाबा, धुरी, संगरूर, सुनाम उधम सिंह वाला, लेहरागागा, जाखल, टोहाना, नरवाना रखें जाए। पटियाला नगरी आध्यात्मिक और धर्म का केंद्र भी है। पटियाला स्थित खेल अकादमी में नरवाना से खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए आते हैं। नरवाना से हजारों श्रद्धालु पटियाला स्थित ऐतिहासिक काली माता मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि उन्हें विश्वास कि रेल मंत्री इस मांग के संबंध में उचित कार्रवाई करके पंजाब व हरियाणा क्षेत्र की जनता को 54557/54558 अंबाला-पटियाला रेल गाड़ी का नरवाना तक विस्तार की सौगात अवश्य देंगे। प्रदेश के सरकारी एवं निजी स्कूलों में दाखिले चल रहे हैं। निजी स्कूलों में फीस के साथ किताबों के नाम पर बच्चों और अभिभावकों से मोटी रकम वसूली जा रही है। इस पर सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा की बीजेपी सरकार को संज्ञान लेने और निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए है। सैलजा ने कहा कि निजी स्कूल संचालक दोनों हाथों से अभिभावकों को सरेआम लूट रहे हैं। उलटा सरकार है कि हाथ पर हाथ रखकर तमाशा देख रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार ने निजी स्कूलों को लूटने का ठेका दिया हुआ है। अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य की खातिर चुप्पी साध जाते हैं। अगर सरकार ने सरकारी स्कूलों के हालात सुधारने पर ध्यान दिया होता तो अभिभावक लुटने को मजबूर न होते। कमीशन के खेल में आम आदमी बुरी तरह से पिस रहा है। सरकार है कि शिक्षा को व्यवसाय बनाने पर तुली हुई है। स्कूल की कॉपी-किताबें और यूनिफॉर्म महंगी
सैलजा ने कहा कि निजी स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू होते ही अभिभावकों की जेब ढीली होनी शुरू हो गई है। अभिभावक निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा बताई गई दुकानों से महंगे दाम में कॉपी-किताबें और स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने पर मजबूर हैं। नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक करीब तीन से सात हजार रुपए कॉपी-किताबें खरीद रहे है। पहले जहां पर्ची पर बुकसेलर का पता भी लिखकर दिया जाता है। अब पता मौखिक बताया जाता है। शिक्षा विभाग शिक्षा विभाग खानापूर्ति के लिए ही निजी स्कूल संचालकों को पत्र जारी कर निर्देश देता है, जबकि सब मिले हुए है। अभिभावक शिकायत भी करता है तो आज तक किसी भी स्कूल संचालक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अभिभावक महंगी कॉपी-किताबें खरीदने को बेबस है। अभिभावक दुकानदार को मात्र कक्षा एवं स्कूल का नाम बताने पर बुक स्टोर संचालक द्वारा कॉपी-किताबों का पूरा सेट निकाल दिया जाता है। शिक्षा विभाग के नियमानुसार एनसीईआरटी की पुस्तकें चलाना अनिवार्य है, लेकिन प्राइवेट स्कूल वालों द्वारा मोटी कमाई करने के चक्कर में अपनी किताबों का निजी प्रकाशन करवाते हैं या निजी प्रकाशन करने वालों की ही किताबें स्कूल में पढ़ाते हैं। सैलजा ने सरकार ने मांग की है कि इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए अभिभावकों को लुटने से बचाया जाए और सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार किया जाए तो अभिभावक निजी स्कूल संचालकों के हाथों से लुटने से बच जाएगा। पब्लिशर से मिलकर 100 रुपए वाली किताब का मूल्य 500 लिखवाया
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि पब्लिशर से मिलकर 100 रुपए वाली किताब का मूल्य 500 लिखवाया जाता है। स्कूल संचालक एक काम और करते हैं कि हर साल पब्लिशर से मिलकर किताब का एक या दो चेप्टर बदलवा देते हैं, ताकि विद्यार्थी पुरानी किताब न खरीद सके। एनसीईआरटी की पुस्तकों में कमीशन का कोई खेल नहीं होता है। अगर उस पर 100 रुपए मूल्य अंकित है तो वह 100 रुपए में बिकेगी। एक ओर जहां नर्सरी कक्षा का सेट (किताब और कापी) 3400 रुपए में पड़ता है, वहां कक्षा आठ कर सेट 7800 रुपए में पड़ता है। इसमें साफ है कक्षा जितनी छोटी होगी, उसकी पुस्तकों की कीमत उतनी ही ज्यादा होगी यानी अभिभावकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जाता है। अंबाला छावनी-पटियाला पैसेंजर का नरवाना तक विस्तार के लिए रेल मंत्री को लिखा पत्र
सांसद कुमारी सैलजा ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि गाड़ी संख्या -54557/54558 अंबाला छावनी-पटियाला पैसेंजर जो पटियाला में 10.30 घंटे खड़ी रहती है। फास्ट पैसेंजर के रूप में इस गाड़ी का विस्तार नरवाना तक वाया धूरी, जाखल, टोहाना किया जा सकता है। आजादी के बाद भी नरवाना का जुड़ाव पटियाला से नहीं हो सका है। वर्तमान में नरवाना, संगरूर से एक भी गाड़ी पटियाला के लिए उपलब्ध नहीं है, जबकि नरवाना से हजारों की संख्या में लोग पटियाला आते जाते हैं। सीधी रेल सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को अधिक किराया के साथ बसों में सफर करना पड़ता है। पटियाला के बाद इस गाड़ी के ठहराव नाबा, धुरी, संगरूर, सुनाम उधम सिंह वाला, लेहरागागा, जाखल, टोहाना, नरवाना रखें जाए। पटियाला नगरी आध्यात्मिक और धर्म का केंद्र भी है। पटियाला स्थित खेल अकादमी में नरवाना से खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए आते हैं। नरवाना से हजारों श्रद्धालु पटियाला स्थित ऐतिहासिक काली माता मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि उन्हें विश्वास कि रेल मंत्री इस मांग के संबंध में उचित कार्रवाई करके पंजाब व हरियाणा क्षेत्र की जनता को 54557/54558 अंबाला-पटियाला रेल गाड़ी का नरवाना तक विस्तार की सौगात अवश्य देंगे।   हरियाणा | दैनिक भास्कर