हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा चुनाव में हार का जिम्मेदार ठहराया है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में बीरेंद्र सिंह ने कहा, ”जब मैं भाजपा में था तो मुझे पता था कि वह आसानी से नहीं जाएगी। भूपेंद्र हुड्डा मेरे रिश्तेदार हैं। मैं जब भी उनसे मिलता था तो कहता था कि हरियाणा में कांग्रेस को हराना और जिताना एक ही आदमी के हाथ में है और वो हो तुम। अगर तुम ये सोचकर टिकट दिलवाते हो कि ये मेरा कार्यकर्ता है और दूसरा टिकटार्थी हैवीवेट है तो इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। कैंडिडेट सही नहीं चुनना और जातीय गणित को नहीं समझ पाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण बना। अगर हुड्डा अपने कैंडिडेट के बजाय हैवीवेट कैंडिडेट को टिकट दिलवाते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते।” बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस की हार के 4 कारण बताए… 1. 10-12 साल से संगठन नहीं, नेता बागी हुए
बीरेंद्र सिंह ने कहा- “हार का सबसे पहला और बड़ा कारण ये है कि 10-12 साल से कोई संगठन नहीं है। कांग्रेस अपने वर्कर्स रूपी मशीन का सही प्रयोग नहीं कर पाई। यूं तो ढाई हजार आवेदन करने वाले थे, लेकिन जिस दिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस के विरोध में खड़े हो गए। संगठन होता तो उन्हें बागी नहीं होने देते। 2. हुड्डा के अलावा कोई लीडर नहीं था
दूसरा बड़ा कारण ये रहा कि संगठन नहीं होने के कारण लीडरशिप एक व्यक्ति विशेष पर आकर खड़ी हो गई। भूपेंद्र हुड्डा के अलावा कोई लीडर नहीं था। कांग्रेस पार्टी कांग्रेसियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए थी, कांग्रेस को जनता की पार्टी बनना चाहिए था। 3. हरियाणा में जाट बंटे
तीसरा बड़ा कारण ये रहा कि भाजपा का जातीय आधार पर बांटने का गणित ठीक रहा, लेकिन कांग्रेस इसे समझ नहीं पाई। किसान आंदोलन के बाद जीटी रोड पर पंजाबी मतदाता, ज्यादा जमीन वाले सीख भाजपा विरोधी हो गए थे। इसके बावजूद भी कांग्रेस समझ नहीं पाई और परिणाम उलटे आए। कास्ट लाइन की राजनीति को भाजपा ने समाप्त कर दिया। अल्पसंख्यक समुदाय को इस तरह से दर्शाया गया जिस तरह से गुजरात में दर्शाते रहे हैं कि अगर इनके हाथ में सत्ता आ गई तो ये जीने नहीं देंगे। हरियाणा में जाटों को बांटने का काम किया। 42 सीटें ऐसी हैं, जिनका फैसला जाट मतदाता करता था, लेकिन वहां जाति के आधार पर बांट दिया गया। 4. हैवीवेट कैंडिडेट के बजाय चहेतों को टिकट
चौथा कारण ये रहा कि पार्टी एक व्यक्ति विशेष की होकर रह गई। टिकट वितरण में कैंडिडेट का अच्छा होना मायने नहीं रख पाया। जिसकी टिकट वितरण में मुख्य भूमिका होगी, उसी के चहेतों को टिकट मिली तो इससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि कई सीटों पर हैवी वेट कैंडिडेट की बजाय चहेतों को टिकट मिली।” ================ ये खबर भी पढ़ें :- बीरेंद्र सिंह बोले-हरियाणा कांग्रेस हुड्डा की पार्टी बनकर रह गई:सवाल EVM पर नहीं, उसे बनाने-चलाने वालों पर; JJP-इनेलो कांग्रेस से जुड़े हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कहा था कि हरियाणा कांग्रेस व्यक्ति विशेष की पार्टी बन गई है। कांग्रेस को अगर प्रदेश में जिंदा होना है तो इससे आगे बढ़ना होगा। व्यक्ति विशेष उन्होंने पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए कहा। पढ़ें पूरी खबर हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा चुनाव में हार का जिम्मेदार ठहराया है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में बीरेंद्र सिंह ने कहा, ”जब मैं भाजपा में था तो मुझे पता था कि वह आसानी से नहीं जाएगी। भूपेंद्र हुड्डा मेरे रिश्तेदार हैं। मैं जब भी उनसे मिलता था तो कहता था कि हरियाणा में कांग्रेस को हराना और जिताना एक ही आदमी के हाथ में है और वो हो तुम। अगर तुम ये सोचकर टिकट दिलवाते हो कि ये मेरा कार्यकर्ता है और दूसरा टिकटार्थी हैवीवेट है तो इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। कैंडिडेट सही नहीं चुनना और जातीय गणित को नहीं समझ पाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण बना। अगर हुड्डा अपने कैंडिडेट के बजाय हैवीवेट कैंडिडेट को टिकट दिलवाते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते।” बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस की हार के 4 कारण बताए… 1. 10-12 साल से संगठन नहीं, नेता बागी हुए
बीरेंद्र सिंह ने कहा- “हार का सबसे पहला और बड़ा कारण ये है कि 10-12 साल से कोई संगठन नहीं है। कांग्रेस अपने वर्कर्स रूपी मशीन का सही प्रयोग नहीं कर पाई। यूं तो ढाई हजार आवेदन करने वाले थे, लेकिन जिस दिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस के विरोध में खड़े हो गए। संगठन होता तो उन्हें बागी नहीं होने देते। 2. हुड्डा के अलावा कोई लीडर नहीं था
दूसरा बड़ा कारण ये रहा कि संगठन नहीं होने के कारण लीडरशिप एक व्यक्ति विशेष पर आकर खड़ी हो गई। भूपेंद्र हुड्डा के अलावा कोई लीडर नहीं था। कांग्रेस पार्टी कांग्रेसियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए थी, कांग्रेस को जनता की पार्टी बनना चाहिए था। 3. हरियाणा में जाट बंटे
तीसरा बड़ा कारण ये रहा कि भाजपा का जातीय आधार पर बांटने का गणित ठीक रहा, लेकिन कांग्रेस इसे समझ नहीं पाई। किसान आंदोलन के बाद जीटी रोड पर पंजाबी मतदाता, ज्यादा जमीन वाले सीख भाजपा विरोधी हो गए थे। इसके बावजूद भी कांग्रेस समझ नहीं पाई और परिणाम उलटे आए। कास्ट लाइन की राजनीति को भाजपा ने समाप्त कर दिया। अल्पसंख्यक समुदाय को इस तरह से दर्शाया गया जिस तरह से गुजरात में दर्शाते रहे हैं कि अगर इनके हाथ में सत्ता आ गई तो ये जीने नहीं देंगे। हरियाणा में जाटों को बांटने का काम किया। 42 सीटें ऐसी हैं, जिनका फैसला जाट मतदाता करता था, लेकिन वहां जाति के आधार पर बांट दिया गया। 4. हैवीवेट कैंडिडेट के बजाय चहेतों को टिकट
चौथा कारण ये रहा कि पार्टी एक व्यक्ति विशेष की होकर रह गई। टिकट वितरण में कैंडिडेट का अच्छा होना मायने नहीं रख पाया। जिसकी टिकट वितरण में मुख्य भूमिका होगी, उसी के चहेतों को टिकट मिली तो इससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि कई सीटों पर हैवी वेट कैंडिडेट की बजाय चहेतों को टिकट मिली।” ================ ये खबर भी पढ़ें :- बीरेंद्र सिंह बोले-हरियाणा कांग्रेस हुड्डा की पार्टी बनकर रह गई:सवाल EVM पर नहीं, उसे बनाने-चलाने वालों पर; JJP-इनेलो कांग्रेस से जुड़े हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कहा था कि हरियाणा कांग्रेस व्यक्ति विशेष की पार्टी बन गई है। कांग्रेस को अगर प्रदेश में जिंदा होना है तो इससे आगे बढ़ना होगा। व्यक्ति विशेष उन्होंने पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए कहा। पढ़ें पूरी खबर हरियाणा | दैनिक भास्कर
