MP News: थम गई राई की ताल! नहीं रहे पद्मश्री रामसहाय पांडे, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलाई लोक नृत्य को पहचान

MP News: थम गई राई की ताल! नहीं रहे पद्मश्री रामसहाय पांडे, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलाई लोक नृत्य को पहचान

<p style=”text-align: justify;”><strong>Ram Sahay Panday Dies:</strong> बुंदेलखंड की लोक कला &lsquo;राई&rsquo; को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले प्रसिद्ध नर्तक और पद्मश्री सम्मानित राम सहाय पांडे का मंगलवार, 7 अप्रैल की सुबह निधन हो गया. 93 वर्षीय पांडे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था. उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर सागर जिले के कनेरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. वे अपने पीछे भरा-पुरा परिवार छोड़ गए. उनके निधन पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सहित अनेक नागरिकों, जनप्रतिनिधियों ने शोक व्यक्त किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राई नर्तक के रूप में मशहूर हुए राम सहाय</strong><br />राम सहाय पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को हुआ था. उन्होंने राई नृत्य को सिर्फ मंच पर नहीं जिया, बल्कि इसे समाज की स्वीकार्यता दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. जिस नृत्य को कभी देह व्यापार से जुड़े समुदाय से जोड़ा जाता था, उसे उन्होंने देश-दुनिया में प्रतिष्ठा दिलाई. उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2022 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनको यह सम्मान दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मध्यप्रदेश सरकार ने कई अवार्ड से नवाजा</strong><br />पांडे को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी कई सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें 1980 में &lsquo;नृत्य शिरोमणि&rsquo;, &lsquo;लोक कला परिषद सदस्य&rsquo; और 1984 में &lsquo;शिखर सम्मान&rsquo; प्रमुख हैं. उन्होंने बुंदेली लोक नृत्य व नाट्य कला परिषद नाम से एक संस्था भी स्थापित की, जहां नई पीढ़ी को लोक नृत्य की विधाएं सिखाई जाती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, &ldquo;श्री पांडे जी ने विपरीत परिस्थितियों में भी कला को अपनाया और राई नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. उनका जीवन कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा है.&rdquo; उनके योगदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार द्वारा श्री पांडे को पद्मश्री से अलंकृत किया गया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वर्गीय पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल पांडे परिवार को यह दुख सहने करने की सामर्थ्य देने की ईश्वर से प्रार्थना की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने भी गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, &ldquo;उनकी विदाई से लोक कला को अपूरणीय क्षति हुई है.&rdquo; वहीं मंत्री गोविंद राजपूत, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, सांसद डॉ. लता वानखेड़े, विधायक शैलेंद्र जैन, मेयर संगीता सुशील तिवारी सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन पर शोक जताया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(विनोद आर्य की रिपोर्ट)</strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ram Sahay Panday Dies:</strong> बुंदेलखंड की लोक कला &lsquo;राई&rsquo; को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले प्रसिद्ध नर्तक और पद्मश्री सम्मानित राम सहाय पांडे का मंगलवार, 7 अप्रैल की सुबह निधन हो गया. 93 वर्षीय पांडे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था. उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर सागर जिले के कनेरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. वे अपने पीछे भरा-पुरा परिवार छोड़ गए. उनके निधन पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सहित अनेक नागरिकों, जनप्रतिनिधियों ने शोक व्यक्त किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राई नर्तक के रूप में मशहूर हुए राम सहाय</strong><br />राम सहाय पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को हुआ था. उन्होंने राई नृत्य को सिर्फ मंच पर नहीं जिया, बल्कि इसे समाज की स्वीकार्यता दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. जिस नृत्य को कभी देह व्यापार से जुड़े समुदाय से जोड़ा जाता था, उसे उन्होंने देश-दुनिया में प्रतिष्ठा दिलाई. उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2022 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनको यह सम्मान दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मध्यप्रदेश सरकार ने कई अवार्ड से नवाजा</strong><br />पांडे को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी कई सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें 1980 में &lsquo;नृत्य शिरोमणि&rsquo;, &lsquo;लोक कला परिषद सदस्य&rsquo; और 1984 में &lsquo;शिखर सम्मान&rsquo; प्रमुख हैं. उन्होंने बुंदेली लोक नृत्य व नाट्य कला परिषद नाम से एक संस्था भी स्थापित की, जहां नई पीढ़ी को लोक नृत्य की विधाएं सिखाई जाती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, &ldquo;श्री पांडे जी ने विपरीत परिस्थितियों में भी कला को अपनाया और राई नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. उनका जीवन कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा है.&rdquo; उनके योगदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार द्वारा श्री पांडे को पद्मश्री से अलंकृत किया गया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वर्गीय पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल पांडे परिवार को यह दुख सहने करने की सामर्थ्य देने की ईश्वर से प्रार्थना की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने भी गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, &ldquo;उनकी विदाई से लोक कला को अपूरणीय क्षति हुई है.&rdquo; वहीं मंत्री गोविंद राजपूत, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, सांसद डॉ. लता वानखेड़े, विधायक शैलेंद्र जैन, मेयर संगीता सुशील तिवारी सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन पर शोक जताया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(विनोद आर्य की रिपोर्ट)</strong></p>  मध्य प्रदेश महोबा में Mahakoushal Express ट्रेन से गिरकर युवक की मौत, TTE और जीआरपी पर धक्का देने का आरोप