धर्मशाला के भराड़ी माता मंदिर परिसर में धुम्मुशाह मेले का भव्य शुभारंभ हुआ। उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने धूम्मू शाह शिव मंदिर में कन्या पूजन और झंडा रस्म से मेले की शुरुआत की। डीसी बैरवा ने कहा कि धुम्मुशाह मेला स्थानीय जनता की आस्था से जुड़ा पारंपरिक पर्व है। उन्होंने मेले को और भव्य बनाने का आश्वासन दिया। स्थानीय दुकानदारों और जनता के विरोध के बाद प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया। एसडीएम धर्मशाला संजीव भोट ने सड़क किनारे दुकान लगाने पर लगाई गई पाबंदी वापस ले ली। अब नगर निगम धर्मशाला से पर्ची लेकर सड़क के दोनों तरफ दुकानें लगाई जा सकेंगी। लोकनृत्य और भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां मेले में स्थानीय कलाकारों ने लोकनृत्य और भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां दीं। मंदिर परिसर में हर उम्र के लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात की विशेष व्यवस्था की। स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक उपचार की सुविधा दी और पुलिस बल की तैनाती की गई। कार्यक्रम में पूर्व मेला कमेटी प्रधान एवं पार्षद सविता कार्की, तहसीलदार धर्मशाला और धूम्मू शाह के वंशज विधि चंद विशेष रूप से मौजूद रहे। स्थानीय लोगों की सहभागिता स्थानीय लोगों ने भी मेले के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। मंदिर समिति, सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवकों ने मिलकर मेले की व्यवस्थाओं को सुचारू बनाने में सहयोग किया। डीसी कांगड़ा ने कहा कि धुम्मुशाह मेले को भविष्य में राज्य स्तरीय मेला बनाने की दिशा में विचार किया जाएगा, ताकि न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिले, बल्कि पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिले। धर्म, संस्कृति और जनसहभागिता का अनूठा संगम बन चुका धुम्मुशाह मेला अब लोगों की आस्था और उत्सवधर्मिता का प्रतीक बन गया है, जिसकी गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रशासन और जनता मिलकर प्रयास कर रहे हैं। धर्मशाला के भराड़ी माता मंदिर परिसर में धुम्मुशाह मेले का भव्य शुभारंभ हुआ। उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने धूम्मू शाह शिव मंदिर में कन्या पूजन और झंडा रस्म से मेले की शुरुआत की। डीसी बैरवा ने कहा कि धुम्मुशाह मेला स्थानीय जनता की आस्था से जुड़ा पारंपरिक पर्व है। उन्होंने मेले को और भव्य बनाने का आश्वासन दिया। स्थानीय दुकानदारों और जनता के विरोध के बाद प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया। एसडीएम धर्मशाला संजीव भोट ने सड़क किनारे दुकान लगाने पर लगाई गई पाबंदी वापस ले ली। अब नगर निगम धर्मशाला से पर्ची लेकर सड़क के दोनों तरफ दुकानें लगाई जा सकेंगी। लोकनृत्य और भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां मेले में स्थानीय कलाकारों ने लोकनृत्य और भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां दीं। मंदिर परिसर में हर उम्र के लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात की विशेष व्यवस्था की। स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक उपचार की सुविधा दी और पुलिस बल की तैनाती की गई। कार्यक्रम में पूर्व मेला कमेटी प्रधान एवं पार्षद सविता कार्की, तहसीलदार धर्मशाला और धूम्मू शाह के वंशज विधि चंद विशेष रूप से मौजूद रहे। स्थानीय लोगों की सहभागिता स्थानीय लोगों ने भी मेले के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। मंदिर समिति, सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवकों ने मिलकर मेले की व्यवस्थाओं को सुचारू बनाने में सहयोग किया। डीसी कांगड़ा ने कहा कि धुम्मुशाह मेले को भविष्य में राज्य स्तरीय मेला बनाने की दिशा में विचार किया जाएगा, ताकि न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिले, बल्कि पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिले। धर्म, संस्कृति और जनसहभागिता का अनूठा संगम बन चुका धुम्मुशाह मेला अब लोगों की आस्था और उत्सवधर्मिता का प्रतीक बन गया है, जिसकी गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रशासन और जनता मिलकर प्रयास कर रहे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
