मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव, अब आगे क्या:बड़ा सवाल- बच्चा किसका, किसके साथ रहेगा; प्रेग्नेंसी के बाद कैदियों को मिलते हैं अधिकार

मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव, अब आगे क्या:बड़ा सवाल- बच्चा किसका, किसके साथ रहेगा; प्रेग्नेंसी के बाद कैदियों को मिलते हैं अधिकार

मेरठ में पति सौरभ के टुकड़े करके ड्रम में सीमेंट से जमाने की आरोपी मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव है। कानून के जानकारों का कहना है कि अगर मुस्कान प्रेग्नेंट है, तो उसे प्रेग्नेंट महिला कैदियों को मिलने वाले सारे लाभ मिलेंगे। लेकिन जहां तक जमानत की बात है, उसके लिए आसान नहीं होगी। महिला कैदियों को जमानत देने के नियम क्या हैं? बच्चे का क्या होगा? क्या सौरभ के माता-पिता के पास रहेगा? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- सवाल 1- मुस्कान की प्रेग्नेंसी का पता कैसे चला? जवाब- 19 मार्च को मुस्कान और साहिल को पुलिस ने सौरभ की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जेल भेजने से पहले प्राइमरी मेडिकल चेकअप में मुस्कान की सभी टेस्ट रिपोर्ट नॉर्मल थी। तब जांच में प्रेग्नेंसी नहीं निकली थी। तब से साहिल और मुस्कान मेरठ जेल में बंद हैं। 5 अप्रैल से मुस्कान की तबीयत बिगड़ने लगी। तब जेल में ही मुस्कान के चेकअप के लिए जेल डॉक्टर बुलाया गया। 7 अप्रैल को महिला डॉक्टर ने जिला जेल आकर मुस्कान का टेस्ट किया। इसमें मुस्कान की प्रेग्नेंसी की जांच पॉजिटिव आई। जेल के नियमों के मुताबिक, महिला जिला अस्पताल की महिला डॉक्टर हर महीने की 15 तारीख को जेल में रूटीन विजिट करती हैं। बस विशेष परिस्थितियों में ही डॉक्टर को बीच में बुलाया जाता है। दो महिला बंदियों संगीता और मुस्कान की तबीयत खराब होने के बाद जेल प्रशासन ने जिला महिला अस्पताल को लेटर भेजकर डॉक्टर को भेजने की मांग की थी। जेल सूत्रों की मानें, तो मुस्कान का बार-बार जी मिचला रहा था और उल्टी हो रही थी। सवाल 2- जेल प्रशासन प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए और कितने टेस्ट कराएगा? जवाब- जेल प्रशासन प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए अब डॉक्टर की सलाह पर मुस्कान का अल्ट्रासाउंड कराएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर पता चलेगा कि प्रेग्नेंसी कितने समय की है? संतान पैदा होने की संभावित तारीख क्या होगी? मेरठ की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता त्यागी के मुताबिक, कई बार शुरुआत में या पहले महीने में प्रेग्नेंसी का पता नहीं चलता। दूसरे या तीसरे महीने प्रेग्नेंसी कंफर्म होती है। ये किसी भी महिला के साथ हो सकता है। मुस्कान कितने महीने की प्रेग्नेंट है, यह जांच के बाद पता चल सकेगा। वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि 7 अप्रैल को जिला अस्पताल से डॉ. कोमल जिला जेल में पहुंची। मुस्कान सहित 4 और महिला बंदियों की जांच की। उनको कुछ टेस्ट भी लिखे हैं। मुस्कान के लिए भी कुछ टेस्ट लिखे हैं, जिनको उन्होंने बाहर से कराने को कहा है। जेल में बंदी की निजी जानकारी को हम शेयर नहीं कर सकते। इसलिए वो टेस्ट क्या हैं ये नहीं बता सकते। सवाल 3- महिला कैदी के प्रेग्नेंट होने पर जेल में क्या सुविधाएं मिलती हैं? जवाब- डीआईजी जेल मुख्यालय रामधनी बताते हैं- किसी महिला की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो डॉक्टर की देख-रेख में उसकी प्रॉपर जांच, समय-समय पर अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। इसके अलावा महिला का टीकाकरण होता है। हेल्दी फूड की व्यवस्था होती है, जिसमें दूध, केले और अन्य पौष्टिक आहार को शामिल किया जाता है। डॉक्टर की सलाह पर जो भी जरूरी कदम महिला और उसके बच्चे के हित में होते हैं, वो उठाए जाते हैं। डिलीवरी जिला जेल में कराई जाती है। डॉक्टर की सलाह पर उसे अस्पताल में रुकने की इजाजत दी जाती है। जेल मैनुअल में गर्भवती महिला कैदियों को खास सुविधाएं देने का जिक्र है… सवाल 4- क्या प्रेग्नेंसी के आधार पर मुस्कान को जमानत मिल सकती है? जवाब- हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और उत्तर प्रदेश सरकार में एडिशनल एडवोकेट जनरल की जिम्मेदारी संभाल चुके राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि गंभीर अपराध में प्रेग्नेंसी जमानत का आधार नहीं हो सकती। पुलिस ने चार्जशीट में क्या लिखा है? किन साक्ष्यों को पेश किया है? जमानत इस आधार पर होती है। मेरठ में सीनियर एडवोकेट अनिल बख्शी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला दिया था कि जेल में बुजुर्ग, बीमार और अपाहिज लोगों को विशेष तौर पर मजिस्ट्रेट भी जमानत दे सकता है। लेकिन, जघन्यतम अपराधों में ये लागू नहीं होता। यह जरूर है कि जेल मैनुअल में जिन सुविधाओं का जिक्र है, उस आधार पर उसे सहूलियत मिलेंगी। उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाएगा। नियमित जांच कराई जाएगी। पोषण वाला खाना दिया जाएगा। सवाल 5- जेल में महिला कैदियों के बच्चों के पालन-पोषण को लेकर क्या नियम हैं? जवाब- जेल मॉडल मैन्युअल 2003 और 2016 में महिला कैदियों के बच्चे के जन्म के बाद दी जानी सुविधाओं का जिक्र है। इसके मुताबिक… सवाल 6- बच्चे पर किसका दावा ज्यादा मजबूत होगा, सौरभ के परिवार का या मुस्कान का? जवाब- हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील राघवेंद्र सिंह के मुताबिक, जहां तक बच्चे पर किसका हक ज्यादा होने का सवाल है, तो शुरुआत में तो वह मां के ही पास रहेगा। बाद में वेलफेयर ऑफ द चाइल्ड के आधार पर निर्णय लिया जाता है। अगर मां को उम्रकैद हो गई, तो हमेशा के लिए बच्चे को मुस्कान के पास नहीं छोड़ा जा सकता। महिला कैदियों को अपने बच्चों के साथ जितना मुमकिन हो, उतना ज्यादा समय बिताने के लिए दिया जाना चाहिए। मां के साथ जेल में बच्चे को सिर्फ 6 साल तक की उम्र तक रहने की इजाजत है। इसके बाद बच्चे को या तो उसके किसी रिश्तेदार, चाइल्ड केयर सेंटर या अनाथालय में भेज दिया जाता है। मुस्कान के मामले में उसके भाई राहुल ने कहा है कि अगर यह बच्चा सौरभ का है तो हम उसे स्वीकार करेंगे। उसका पालन-पोषण करेंगे। अगर यह सौरभ का नहीं हुआ, तब हमें इस बच्चे से कोई मतलब नहीं होगा। इसके लिए पुलिस कानूनी रूप से DNA टेस्ट करवाए। सवाल 7- जेल में बच्चों के पालन-पोषण की असल स्थिति क्या है? जवाब- साल 2002 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस ने भारतीय जेलों में रह रही महिलाओं के बच्चों को लेकर एक स्टडी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य रूप से यह देखने में आया कि इन जेलों में ज्यादातर बच्चे कठिन परिस्थितियों में रह रहे थे। खाना, हेल्थकेयर, रहने की जगह, शिक्षा और मनोरंजन जैसी मौलिक सुविधाओं की कमी से जूझ रहे थे। साल 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ऐसी ही एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्थिति जेल में बंद महिला कैदियों के बच्चों के लिए बिल्कुल भी सामान्य नहीं होती है। वह जैसे-जैसे बड़े होते हैं, तमाम सवाल उनके जेहन में उठने लगते हैं। जब ऐसे बच्चों को 6 साल के बाद रिश्तेदारों या चाइल्ड केयर सेंटर भेजा जाता है, तब वह एक बार फिर नए माहौल में खुद को ढालने में उन्हें मुश्किल होती है। कई बार ऐसे बच्चों को अपनी मां से मिलने के लिए प्रशासनिक लापरवाही की वजह से महीनों से लेकर साल भर तक इंतजार करना पड़ता है। ————————- यह खबर भी पढ़ें संभल हिंसा- बर्क से थाने में 3 घंटे पूछताछ, 12 वकील लेकर पहुंचे सांसद, बोले- मैंने SIT को सारे जवाब दे दिए संभल हिंसा मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क से SIT ने नखासा थाने में 3 घंटे पूछताछ की। थाने से बाहर निकलकर बर्क ने कहा- SIT ने मुझसे जो सवाल किए हैं, उनके जवाब मैंने दे दिए हैं। अभी जांच चल रही है। यहां पढ़ें पूरी खबर मेरठ में पति सौरभ के टुकड़े करके ड्रम में सीमेंट से जमाने की आरोपी मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव है। कानून के जानकारों का कहना है कि अगर मुस्कान प्रेग्नेंट है, तो उसे प्रेग्नेंट महिला कैदियों को मिलने वाले सारे लाभ मिलेंगे। लेकिन जहां तक जमानत की बात है, उसके लिए आसान नहीं होगी। महिला कैदियों को जमानत देने के नियम क्या हैं? बच्चे का क्या होगा? क्या सौरभ के माता-पिता के पास रहेगा? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- सवाल 1- मुस्कान की प्रेग्नेंसी का पता कैसे चला? जवाब- 19 मार्च को मुस्कान और साहिल को पुलिस ने सौरभ की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जेल भेजने से पहले प्राइमरी मेडिकल चेकअप में मुस्कान की सभी टेस्ट रिपोर्ट नॉर्मल थी। तब जांच में प्रेग्नेंसी नहीं निकली थी। तब से साहिल और मुस्कान मेरठ जेल में बंद हैं। 5 अप्रैल से मुस्कान की तबीयत बिगड़ने लगी। तब जेल में ही मुस्कान के चेकअप के लिए जेल डॉक्टर बुलाया गया। 7 अप्रैल को महिला डॉक्टर ने जिला जेल आकर मुस्कान का टेस्ट किया। इसमें मुस्कान की प्रेग्नेंसी की जांच पॉजिटिव आई। जेल के नियमों के मुताबिक, महिला जिला अस्पताल की महिला डॉक्टर हर महीने की 15 तारीख को जेल में रूटीन विजिट करती हैं। बस विशेष परिस्थितियों में ही डॉक्टर को बीच में बुलाया जाता है। दो महिला बंदियों संगीता और मुस्कान की तबीयत खराब होने के बाद जेल प्रशासन ने जिला महिला अस्पताल को लेटर भेजकर डॉक्टर को भेजने की मांग की थी। जेल सूत्रों की मानें, तो मुस्कान का बार-बार जी मिचला रहा था और उल्टी हो रही थी। सवाल 2- जेल प्रशासन प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए और कितने टेस्ट कराएगा? जवाब- जेल प्रशासन प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए अब डॉक्टर की सलाह पर मुस्कान का अल्ट्रासाउंड कराएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर पता चलेगा कि प्रेग्नेंसी कितने समय की है? संतान पैदा होने की संभावित तारीख क्या होगी? मेरठ की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता त्यागी के मुताबिक, कई बार शुरुआत में या पहले महीने में प्रेग्नेंसी का पता नहीं चलता। दूसरे या तीसरे महीने प्रेग्नेंसी कंफर्म होती है। ये किसी भी महिला के साथ हो सकता है। मुस्कान कितने महीने की प्रेग्नेंट है, यह जांच के बाद पता चल सकेगा। वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि 7 अप्रैल को जिला अस्पताल से डॉ. कोमल जिला जेल में पहुंची। मुस्कान सहित 4 और महिला बंदियों की जांच की। उनको कुछ टेस्ट भी लिखे हैं। मुस्कान के लिए भी कुछ टेस्ट लिखे हैं, जिनको उन्होंने बाहर से कराने को कहा है। जेल में बंदी की निजी जानकारी को हम शेयर नहीं कर सकते। इसलिए वो टेस्ट क्या हैं ये नहीं बता सकते। सवाल 3- महिला कैदी के प्रेग्नेंट होने पर जेल में क्या सुविधाएं मिलती हैं? जवाब- डीआईजी जेल मुख्यालय रामधनी बताते हैं- किसी महिला की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो डॉक्टर की देख-रेख में उसकी प्रॉपर जांच, समय-समय पर अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। इसके अलावा महिला का टीकाकरण होता है। हेल्दी फूड की व्यवस्था होती है, जिसमें दूध, केले और अन्य पौष्टिक आहार को शामिल किया जाता है। डॉक्टर की सलाह पर जो भी जरूरी कदम महिला और उसके बच्चे के हित में होते हैं, वो उठाए जाते हैं। डिलीवरी जिला जेल में कराई जाती है। डॉक्टर की सलाह पर उसे अस्पताल में रुकने की इजाजत दी जाती है। जेल मैनुअल में गर्भवती महिला कैदियों को खास सुविधाएं देने का जिक्र है… सवाल 4- क्या प्रेग्नेंसी के आधार पर मुस्कान को जमानत मिल सकती है? जवाब- हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और उत्तर प्रदेश सरकार में एडिशनल एडवोकेट जनरल की जिम्मेदारी संभाल चुके राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि गंभीर अपराध में प्रेग्नेंसी जमानत का आधार नहीं हो सकती। पुलिस ने चार्जशीट में क्या लिखा है? किन साक्ष्यों को पेश किया है? जमानत इस आधार पर होती है। मेरठ में सीनियर एडवोकेट अनिल बख्शी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला दिया था कि जेल में बुजुर्ग, बीमार और अपाहिज लोगों को विशेष तौर पर मजिस्ट्रेट भी जमानत दे सकता है। लेकिन, जघन्यतम अपराधों में ये लागू नहीं होता। यह जरूर है कि जेल मैनुअल में जिन सुविधाओं का जिक्र है, उस आधार पर उसे सहूलियत मिलेंगी। उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाएगा। नियमित जांच कराई जाएगी। पोषण वाला खाना दिया जाएगा। सवाल 5- जेल में महिला कैदियों के बच्चों के पालन-पोषण को लेकर क्या नियम हैं? जवाब- जेल मॉडल मैन्युअल 2003 और 2016 में महिला कैदियों के बच्चे के जन्म के बाद दी जानी सुविधाओं का जिक्र है। इसके मुताबिक… सवाल 6- बच्चे पर किसका दावा ज्यादा मजबूत होगा, सौरभ के परिवार का या मुस्कान का? जवाब- हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील राघवेंद्र सिंह के मुताबिक, जहां तक बच्चे पर किसका हक ज्यादा होने का सवाल है, तो शुरुआत में तो वह मां के ही पास रहेगा। बाद में वेलफेयर ऑफ द चाइल्ड के आधार पर निर्णय लिया जाता है। अगर मां को उम्रकैद हो गई, तो हमेशा के लिए बच्चे को मुस्कान के पास नहीं छोड़ा जा सकता। महिला कैदियों को अपने बच्चों के साथ जितना मुमकिन हो, उतना ज्यादा समय बिताने के लिए दिया जाना चाहिए। मां के साथ जेल में बच्चे को सिर्फ 6 साल तक की उम्र तक रहने की इजाजत है। इसके बाद बच्चे को या तो उसके किसी रिश्तेदार, चाइल्ड केयर सेंटर या अनाथालय में भेज दिया जाता है। मुस्कान के मामले में उसके भाई राहुल ने कहा है कि अगर यह बच्चा सौरभ का है तो हम उसे स्वीकार करेंगे। उसका पालन-पोषण करेंगे। अगर यह सौरभ का नहीं हुआ, तब हमें इस बच्चे से कोई मतलब नहीं होगा। इसके लिए पुलिस कानूनी रूप से DNA टेस्ट करवाए। सवाल 7- जेल में बच्चों के पालन-पोषण की असल स्थिति क्या है? जवाब- साल 2002 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस ने भारतीय जेलों में रह रही महिलाओं के बच्चों को लेकर एक स्टडी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य रूप से यह देखने में आया कि इन जेलों में ज्यादातर बच्चे कठिन परिस्थितियों में रह रहे थे। खाना, हेल्थकेयर, रहने की जगह, शिक्षा और मनोरंजन जैसी मौलिक सुविधाओं की कमी से जूझ रहे थे। साल 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ऐसी ही एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्थिति जेल में बंद महिला कैदियों के बच्चों के लिए बिल्कुल भी सामान्य नहीं होती है। वह जैसे-जैसे बड़े होते हैं, तमाम सवाल उनके जेहन में उठने लगते हैं। जब ऐसे बच्चों को 6 साल के बाद रिश्तेदारों या चाइल्ड केयर सेंटर भेजा जाता है, तब वह एक बार फिर नए माहौल में खुद को ढालने में उन्हें मुश्किल होती है। कई बार ऐसे बच्चों को अपनी मां से मिलने के लिए प्रशासनिक लापरवाही की वजह से महीनों से लेकर साल भर तक इंतजार करना पड़ता है। ————————- यह खबर भी पढ़ें संभल हिंसा- बर्क से थाने में 3 घंटे पूछताछ, 12 वकील लेकर पहुंचे सांसद, बोले- मैंने SIT को सारे जवाब दे दिए संभल हिंसा मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क से SIT ने नखासा थाने में 3 घंटे पूछताछ की। थाने से बाहर निकलकर बर्क ने कहा- SIT ने मुझसे जो सवाल किए हैं, उनके जवाब मैंने दे दिए हैं। अभी जांच चल रही है। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर