<p style=”text-align: justify;”><strong>Hemkund Sahib Yatra: </strong>पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होने से पहले ही एक बड़ा हादसा सामने आया है. गोविंदघाट में अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन बेली ब्रिज का एक हिस्सा हवा के तेज झोंके के कारण क्षतिग्रस्त होकर नदी में जा गिरा. यह पुल हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था. हादसे के समय पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूर कार्यस्थल पर नहीं थे, जिससे एक बड़ी जनहानि टल गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि गोविंदघाट में अलकनंदा नदी पर बना पुराना बेली संस्पेंशन ब्रिज पांच मार्च को हुए भूस्खलन के मलबे में दबकर क्षतिग्रस्त हो गया था. तकनीकी सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि उसी स्थान पर पुनः पुल बनाना सुरक्षित नहीं है, जिस कारण 75 मीटर नीचे एक नया बेली मोटर ब्रिज तैयार किया जा रहा था. यह पुल श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही के लिए मुख्य मार्ग बनने वाला था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पुल निर्माण का कार्य अंतिम चरण में था. जानकारी के अनुसार, 45 मीटर लंबे पुल में से 30 मीटर हिस्सा जोड़ दिया गया था, जबकि शेष 15 मीटर में से 12 मीटर के एंगलों को जोड़ने का कार्य चल रहा था. इसी दौरान मौसम खराब हुआ और तेज हवाएं चलने लगीं. हवा के वेग से झूल रहा पुल का ओवर हेंग हिस्सा अचानक झुक गया और नदी में गिर गया. लोनिवि के अधिशासी अभियंता नवीन ध्यानी ने बताया कि यह तकनीकी गड़बड़ी ‘ओवर हेंग फॉल्ट’ के अंतर्गत आती है, जिसमें पुल का संतुलन बिगड़ने से उसका हिस्सा गिर सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गनीमत रही कि हादसे के समय मौसम खराब होने के चलते कार्यस्थल पर कोई मजदूर मौजूद नहीं था, जिससे जान-माल का नुकसान नहीं हुआ. जिला प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी है. जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने कहा कि पुल को हुए नुकसान का आकलन कर लिया गया है और तकनीकी सर्वेक्षण के आधार पर निर्माण कार्य को फिर से शुरू कर दिया गया है. कोशिश की जा रही है कि यात्रा शुरू होने से पहले पुल को पूरी तरह तैयार कर लिया जाए, ताकि वाहनों की आवाजाही में कोई बाधा न हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/chardham-yatra-2025-more-than-14-54-lakh-devotees-have-registered-ann-2922083″><strong>चारधाम यात्रा 2025 के लिए अब तक 14.54 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कराया पंजीकरण, महाराष्ट्र सबसे आगे</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस हादसे के बाद पुल की गुणवत्ता और निर्माण प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. स्थानीय लोगों और यात्रा से जुड़े संगठनों ने निर्माण एजेंसी की कार्यप्रणाली पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि इस पुल पर हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर जैसी महत्वपूर्ण यात्राओं का दारोमदार है, ऐसे में निर्माण में किसी भी प्रकार की लापरवाही भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उल्लेखनीय है कि हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट 25 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे, जबकि फूलों की घाटी एक जून से पर्यटकों के लिए खुलने जा रही है. ऐसे में पुल का समय से निर्माण होना यात्रा की सफलता के लिए बेहद जरूरी है. प्रशासन और निर्माण एजेंसी पर अब समय से पुल निर्माण पूरा करने की जिम्मेदारी आ गई है वहीं प्रशासन ने भी साफ किया है कि जल्द ही इस पुल का निर्माण कर दिया जाएगा ताकि चार धाम यात्रा में किसी प्रकार की कोई बाधा ना आए.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Hemkund Sahib Yatra: </strong>पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होने से पहले ही एक बड़ा हादसा सामने आया है. गोविंदघाट में अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन बेली ब्रिज का एक हिस्सा हवा के तेज झोंके के कारण क्षतिग्रस्त होकर नदी में जा गिरा. यह पुल हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था. हादसे के समय पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूर कार्यस्थल पर नहीं थे, जिससे एक बड़ी जनहानि टल गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि गोविंदघाट में अलकनंदा नदी पर बना पुराना बेली संस्पेंशन ब्रिज पांच मार्च को हुए भूस्खलन के मलबे में दबकर क्षतिग्रस्त हो गया था. तकनीकी सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि उसी स्थान पर पुनः पुल बनाना सुरक्षित नहीं है, जिस कारण 75 मीटर नीचे एक नया बेली मोटर ब्रिज तैयार किया जा रहा था. यह पुल श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही के लिए मुख्य मार्ग बनने वाला था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पुल निर्माण का कार्य अंतिम चरण में था. जानकारी के अनुसार, 45 मीटर लंबे पुल में से 30 मीटर हिस्सा जोड़ दिया गया था, जबकि शेष 15 मीटर में से 12 मीटर के एंगलों को जोड़ने का कार्य चल रहा था. इसी दौरान मौसम खराब हुआ और तेज हवाएं चलने लगीं. हवा के वेग से झूल रहा पुल का ओवर हेंग हिस्सा अचानक झुक गया और नदी में गिर गया. लोनिवि के अधिशासी अभियंता नवीन ध्यानी ने बताया कि यह तकनीकी गड़बड़ी ‘ओवर हेंग फॉल्ट’ के अंतर्गत आती है, जिसमें पुल का संतुलन बिगड़ने से उसका हिस्सा गिर सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गनीमत रही कि हादसे के समय मौसम खराब होने के चलते कार्यस्थल पर कोई मजदूर मौजूद नहीं था, जिससे जान-माल का नुकसान नहीं हुआ. जिला प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी है. जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने कहा कि पुल को हुए नुकसान का आकलन कर लिया गया है और तकनीकी सर्वेक्षण के आधार पर निर्माण कार्य को फिर से शुरू कर दिया गया है. कोशिश की जा रही है कि यात्रा शुरू होने से पहले पुल को पूरी तरह तैयार कर लिया जाए, ताकि वाहनों की आवाजाही में कोई बाधा न हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/chardham-yatra-2025-more-than-14-54-lakh-devotees-have-registered-ann-2922083″><strong>चारधाम यात्रा 2025 के लिए अब तक 14.54 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कराया पंजीकरण, महाराष्ट्र सबसे आगे</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस हादसे के बाद पुल की गुणवत्ता और निर्माण प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. स्थानीय लोगों और यात्रा से जुड़े संगठनों ने निर्माण एजेंसी की कार्यप्रणाली पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि इस पुल पर हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर जैसी महत्वपूर्ण यात्राओं का दारोमदार है, ऐसे में निर्माण में किसी भी प्रकार की लापरवाही भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उल्लेखनीय है कि हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट 25 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे, जबकि फूलों की घाटी एक जून से पर्यटकों के लिए खुलने जा रही है. ऐसे में पुल का समय से निर्माण होना यात्रा की सफलता के लिए बेहद जरूरी है. प्रशासन और निर्माण एजेंसी पर अब समय से पुल निर्माण पूरा करने की जिम्मेदारी आ गई है वहीं प्रशासन ने भी साफ किया है कि जल्द ही इस पुल का निर्माण कर दिया जाएगा ताकि चार धाम यात्रा में किसी प्रकार की कोई बाधा ना आए.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड नीतीश कुमार की पार्टी क्यों कर रही अलीगढ़ के ताले की बात? सुनकर तमतमा जाएंगे लालू-तेजस्वी
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