अमृतसर | एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बॉर्डर रेंज ने 18 किलो 227 ग्राम हेरोइन सहित एक तस्कर को काबू किया है। उसका एक साथी कुलविंदर सिंह (34) निवासी दाउके फरार है। पकड़े गए आरोपी की पहचान घरिंडा स्थित गांव खैहरा के रहने वाले हीरा सिंह (35) के रूप में हुई है। पुलिस ने उसका 5 दिन का रिमांड लिया है। एएनटीएफ बार्डर रेंज के एआईजी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वीरवार को गुप्त सूचना पर घरिंडा के होशियार नगर में बाइक सवार एक युवक को काबू किया। उसके पास से एक बैग बरामद हुआ, जिसकी तलाशी लेने पर 12 पैकेट हेरोइन के बरामद किए। आरोपी हीरा सिंह को काबू कर जब पूछताछ की तो उसने एक और साथी कुलविंदर सिंह का नाम लिया। स्मगलर निकला पाठी, तस्करी के लिए मिलता था वेतन… तस्कर हीरा ने पुलिस पूछताछ में बड़े खुलासे किए। हीरा बतौर पाठी है और गांव खैहरा में लोगों के घरों में जाकर पाठ करता था। इस आड़ में यह पाक से भेजी बड़ी खेपों को ठिकाने लगाने का धंधा करते थे। दोनों को खेप सप्लाई करने के लिए महीना वार वेतन मिलता था। हीरा के पास मुहावा बार्डर इलाके के करीब 2 एकड़ जमीन है। उसी जमीन पर वह हेरोइन की खेप को मंगवाता था। अमृतसर | एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बॉर्डर रेंज ने 18 किलो 227 ग्राम हेरोइन सहित एक तस्कर को काबू किया है। उसका एक साथी कुलविंदर सिंह (34) निवासी दाउके फरार है। पकड़े गए आरोपी की पहचान घरिंडा स्थित गांव खैहरा के रहने वाले हीरा सिंह (35) के रूप में हुई है। पुलिस ने उसका 5 दिन का रिमांड लिया है। एएनटीएफ बार्डर रेंज के एआईजी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वीरवार को गुप्त सूचना पर घरिंडा के होशियार नगर में बाइक सवार एक युवक को काबू किया। उसके पास से एक बैग बरामद हुआ, जिसकी तलाशी लेने पर 12 पैकेट हेरोइन के बरामद किए। आरोपी हीरा सिंह को काबू कर जब पूछताछ की तो उसने एक और साथी कुलविंदर सिंह का नाम लिया। स्मगलर निकला पाठी, तस्करी के लिए मिलता था वेतन… तस्कर हीरा ने पुलिस पूछताछ में बड़े खुलासे किए। हीरा बतौर पाठी है और गांव खैहरा में लोगों के घरों में जाकर पाठ करता था। इस आड़ में यह पाक से भेजी बड़ी खेपों को ठिकाने लगाने का धंधा करते थे। दोनों को खेप सप्लाई करने के लिए महीना वार वेतन मिलता था। हीरा के पास मुहावा बार्डर इलाके के करीब 2 एकड़ जमीन है। उसी जमीन पर वह हेरोइन की खेप को मंगवाता था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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35 साल से कृषि क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए मिल रहा सम्मान, अब तक कई पौधों की नई किस्में विकसित कर चुके
35 साल से कृषि क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए मिल रहा सम्मान, अब तक कई पौधों की नई किस्में विकसित कर चुके डॉ. वासल को इससे पहले कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इनमें प्रमुख हैं : प्रेमियो सेसर गरजा (1993), इंटरनेशनल सर्विस इन क्रॉप साइंस अवार्ड (1996), इंटरनेशनल एग्रोनॉमी अवार्ड (1999), विश्व खाद्य पुरस्कार (2000) और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन पुरस्कार। डॉ. वासल अमेरिकन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी और क्रॉप साइंस सोसाइटी ऑफ अमेरिका के फेलो हैं। अमृतसर के रणजीत एवेन्यू इलाके में रहने वाले डॉ. वासल के भतीजे सुबोध कुमार वासल ने बताया कि डॉ. सुरिंदर का जन्म 12 अप्रैल 1938 में चरणदास वासल के घर हुआ था। उनका बचपन इस्लामाबाद फाटक के पास स्थित उनके पुश्तैनी मकान में गुजरा। सुबोध ने बताया कि उनके चाचा ने 1957 में खालसा कॉलेज से बीएससी की। फिर 1959 में कानपुर कृषि कॉलेज से एमएससी की। 1966 में आईएआरआई से पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1959-66 में अनुसंधान सहायक के रूप में काम किया। वह 1966 से 67 तक कृषि विभाग, 1967 में रॉकफेलर फाउंडेशन, थाईलैंड में रिसर्च एसोसिएट रहे। उन्होंने 1970 में इंटरनेशनल मेज (मक्का) एंड व्हीट (गेहूं) इम्प्रूवमेंट सेंटर- सिमिट(सीआईएमएमटी), मैक्सिको से पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप पूरी की। फिर वहीं मक्की की बेहतरीन किस्म विकसित करने के लिए काम करने लगे। “चमत्कारिक मक्का” की खोज कृषि के क्षेत्र में उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। डॉ. वासल प्रसिद्ध बायोकैमिस्ट डॉ. इवेंजेलिना विलेगास के साथ 35 वर्षों कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर चुके हैं। 1971-84 में सिमिट में अंतरराष्ट्रीय स्टाफ और 1985-90 में जर्मप्लाज्म को-आर्डिनेडर के रूप में काम किया। 1991-98 में सिमिट, मैक्सिको में मक्का कार्यक्रम में समन्वयक रहे। इस वक्त गुरुग्राम में रह रहे डॉ. सुरिंदर पूजा दिल्ली, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और हैदराबाद यूनिवर्सटिी में ऑनरेरी प्रोफेसर के रूप में सेवा दे रहे हैं। उनकी शादी भी अमृतसर में ही हुई थी। उनके दोनों बेटे सुमंत और सधीर इस वक्त यूएस के डैलेस शहर में रहते हैं। वहीं उनकी बेटी सुकृति ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में सेटल हैं। वहीं उनके पिता के परिवार से जुड़े कई लोग आज भी अमृतसर में रहकर गुरुनगरी की तरक्की के लिए काम रहे हैं। डॉ. सुरिंदर वासल को भारत सरकार के होम सेक्रेटरी ने पत्र भेजकर मार्च में पद्मश्री सम्मान पाने के लिए राष्ट्रपति भवन आने का आग्रह किया है। सम्मान समारोह की तारीख अभी तय होनी है। भास्कर न्यूज | अमृतसर अमृतसर के इस्लामाबाद इलाके में पले-पढ़े 83 वर्षीय जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडर डॉ. सुरिंदर कुमार वासल को मार्च में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पद्मश्री से सम्मानित करेंगी। यह सम्मान उन्हें कृषि के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए दिया जाएगा। वह कई पौधों की नई किस्में विकसित कर चुके हैं। डॉ. वासल ने ही 1970 के दशक में प्रोटीन से भरपूर ‘चमत्कारी मक्की’ की किस्म को विकसित किया था। जो कुपोषण में कम करने में सहायक है।

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