अमृतसर में रविवार को खालसा साजना दिवस और बैसाखी पर्व को मनाने के लिए लाखों लोग स्वर्ण मंदिर में एकत्र हुए, जहां उन्होंने अमृत सरोवर (पवित्र तालाब) में डुबकी लगाई और सिख नव वर्ष और खालसा पंथ की स्थापना के उपलक्ष्य में प्रार्थना की। बैसाखी का सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि यह 1699 में उस दिन की याद दिलाता है जब दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। रविवार की सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं का सैलाब गोल्डन टेंपल में उमड़ा है। लोग माथा टेकने के लिए लाइनों में लगे हैं और वाहेगुरु का नाम जप रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए लगातार जल सेवा की जा रही है। लोग छोटे बच्चों के साथ माथा टेकने पहुंचे है और एक दूसरे को बधाई दे रहे है। तस्वीरों में देखिए कि किस तरह बैसाखी पर गोल्डन टेंपल में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है… अमृतसर में रविवार को खालसा साजना दिवस और बैसाखी पर्व को मनाने के लिए लाखों लोग स्वर्ण मंदिर में एकत्र हुए, जहां उन्होंने अमृत सरोवर (पवित्र तालाब) में डुबकी लगाई और सिख नव वर्ष और खालसा पंथ की स्थापना के उपलक्ष्य में प्रार्थना की। बैसाखी का सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि यह 1699 में उस दिन की याद दिलाता है जब दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। रविवार की सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं का सैलाब गोल्डन टेंपल में उमड़ा है। लोग माथा टेकने के लिए लाइनों में लगे हैं और वाहेगुरु का नाम जप रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए लगातार जल सेवा की जा रही है। लोग छोटे बच्चों के साथ माथा टेकने पहुंचे है और एक दूसरे को बधाई दे रहे है। तस्वीरों में देखिए कि किस तरह बैसाखी पर गोल्डन टेंपल में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है… पंजाब | दैनिक भास्कर
