<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> जब दिल्ली की गलियों में मोबाइल नेटवर्क बार-बार फेल हो रहा था, तो लोग सोच रहे थे कि ये सिर्फ कोई तकनीकी खराबी है. लेकिन असली कहानी कुछ और थी. इस कहानी ने पुलिस के भी होश उड़ा दिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, एक संगठित गिरोह जो मोबाइल टावर से आरआरयू जैसे करोड़ों रुपये के हाईटेक उपकरण चोरी कर रहा था और फिर उन्हें कबाड़ी बाजार में बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहा था. देशभर की टेलीकॉम सेवाएं गिर रही थीं और मास्टरमाइंड दिल्ली में बैठा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसीपी पंकज अरोड़ा के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे की टीम ने एक असली जासूसी ऑपरेशन शुरू किया. बिना वर्दी के, रातों को घुलते हुए, सीलमपुर, वेलकम, और गोंडा की गलियों में अफसरों ने ऐसा खुफिया जाल बिछाया कि आरोपी खुद भी नहीं समझ पाए कि वो चारों तरफ़ से घिर चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>7 दिन में 16 रेड से मची खलबली</strong><br />पुलिस टीम ने 7 दिन तक लगातार इलाके की रैकी की, 16 जगहों पर दबिश दी और आखिरकार चार शातिरों को धर दबोचा. वारदात में समीरुद्दीन जो टैक्सी ड्राइवर था, इसका काम चोरी का माल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना था. वहीं जैम जो पहले से अपराधी था एसी मैकेनिक के वेश में गोरखधंधा करता था. जैद जींस फैक्ट्री में काम करने वाला था लेकि मोबाइल टावर लूट का अभ्यस्त था. शोबी चूड़ी बनाने वाले परिवार का लड़का था लेकिन लेकिन गिरोह के लिए नए ठिकाने खोजने में उस्ताद था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोबाइल टावर को कैसे बनाते थे निशाना?</strong><br />गिरोह रात के अंधेरे में सुनसान टावरों को चिन्हित करता. आरआरयू को स्पेशल टूल्स से निकालता, वायरिंग को काटता और फिर स्क्रैप की तरह कार में छुपाकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में भेज देता. बाद में उन्हें कबाड़ी बाजार और डिजिटल मार्केट में ऊंचे दामों पर बेचा जाता. जैम के खिलाफ आर्म्स एक्ट और धमकी देने का केस दर्ज है. दिल्ली पुलिस की पहले की कार्रवाई में 52 आरोपी और 10 करोड़ से ज्यादा का टेलीकॉम सामान बरामद हो चुका है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फॉरेंसिक जांच जारी</strong><br />दिल्ली पुलिस अब बरामद डिवाइस की फॉरेंसिक जांच कर रही है. टेलीकॉम कंपनियों से मिलकर यह पता लगाया जा रहा है कि चोरी कहां-कहां से हुई. साथ ही डिजिटल डेटा खंगाला जा रहा है जिससे अन्य सदस्यों और नेटवर्क तक पहुंचा जा सके.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> जब दिल्ली की गलियों में मोबाइल नेटवर्क बार-बार फेल हो रहा था, तो लोग सोच रहे थे कि ये सिर्फ कोई तकनीकी खराबी है. लेकिन असली कहानी कुछ और थी. इस कहानी ने पुलिस के भी होश उड़ा दिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, एक संगठित गिरोह जो मोबाइल टावर से आरआरयू जैसे करोड़ों रुपये के हाईटेक उपकरण चोरी कर रहा था और फिर उन्हें कबाड़ी बाजार में बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहा था. देशभर की टेलीकॉम सेवाएं गिर रही थीं और मास्टरमाइंड दिल्ली में बैठा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसीपी पंकज अरोड़ा के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे की टीम ने एक असली जासूसी ऑपरेशन शुरू किया. बिना वर्दी के, रातों को घुलते हुए, सीलमपुर, वेलकम, और गोंडा की गलियों में अफसरों ने ऐसा खुफिया जाल बिछाया कि आरोपी खुद भी नहीं समझ पाए कि वो चारों तरफ़ से घिर चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>7 दिन में 16 रेड से मची खलबली</strong><br />पुलिस टीम ने 7 दिन तक लगातार इलाके की रैकी की, 16 जगहों पर दबिश दी और आखिरकार चार शातिरों को धर दबोचा. वारदात में समीरुद्दीन जो टैक्सी ड्राइवर था, इसका काम चोरी का माल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना था. वहीं जैम जो पहले से अपराधी था एसी मैकेनिक के वेश में गोरखधंधा करता था. जैद जींस फैक्ट्री में काम करने वाला था लेकि मोबाइल टावर लूट का अभ्यस्त था. शोबी चूड़ी बनाने वाले परिवार का लड़का था लेकिन लेकिन गिरोह के लिए नए ठिकाने खोजने में उस्ताद था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोबाइल टावर को कैसे बनाते थे निशाना?</strong><br />गिरोह रात के अंधेरे में सुनसान टावरों को चिन्हित करता. आरआरयू को स्पेशल टूल्स से निकालता, वायरिंग को काटता और फिर स्क्रैप की तरह कार में छुपाकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में भेज देता. बाद में उन्हें कबाड़ी बाजार और डिजिटल मार्केट में ऊंचे दामों पर बेचा जाता. जैम के खिलाफ आर्म्स एक्ट और धमकी देने का केस दर्ज है. दिल्ली पुलिस की पहले की कार्रवाई में 52 आरोपी और 10 करोड़ से ज्यादा का टेलीकॉम सामान बरामद हो चुका है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फॉरेंसिक जांच जारी</strong><br />दिल्ली पुलिस अब बरामद डिवाइस की फॉरेंसिक जांच कर रही है. टेलीकॉम कंपनियों से मिलकर यह पता लगाया जा रहा है कि चोरी कहां-कहां से हुई. साथ ही डिजिटल डेटा खंगाला जा रहा है जिससे अन्य सदस्यों और नेटवर्क तक पहुंचा जा सके.</p> दिल्ली NCR वक्फ पर PM मोदी के बयान पर AMU छात्र यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष ने दी प्रतिक्रिया, बोले- ये बयान नौटंकी है
मोबाइल टावर से डिवाइस चुराकर करोड़ों में करते थे सौदा, शातिर गिरोह का दिल्ली पुलिस ने किया पर्दाफाश
