हिमाचल हाईकोर्ट में आज (सोमवार को) मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मामले में सुनवाई होगी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की बैंच में इस केस की सुनवाई करेगी। आज याचिकाकर्ता एवं बीजेपी विधायक सतपाल सत्ती के एडवोकेट अदालत में बहस करेंगे। बहस पूरी होने के बाद इस मामले में जल्द फैसला संभावित है। बता दें कि, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बना रखा है। कल्पना नाम की एक महिला के अलावा राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। इनकी याचिका पर हाईकोर्ट बीते जनवरी महीने में CPS द्वारा मंत्रियों जैसी शक्तियों का उपयोग न करने के अंतरिम आदेश सुना चुका है। इसी मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट (SC) का भी दरवाजा खटखटा चुकी है और दूसरे राज्यों के SC में चल रहे CPS केस के साथ क्लब करने का आग्रह कर चुकी है। मगर, SC ने राज्य सरकार के आग्रह को ठुकराते हुए हाईकोर्ट में ही केस सुनने के आदेश दिए हैं। ये कांग्रेसी विधायक बनाए गए CPS CM सुक्खू ने कांग्रेस पार्टी के जिन 6 विधायकों को CPS बना रखा है, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। सरकार इन्हें गाड़ी, दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन दे रही है। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों की एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक, किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकती। हिमाचल विधानसभा में 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गैर कानूनी ठहरा चुका SC याचिका में कहा गया कि हिमाचल और असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट एक जैसे हैं। सुप्रीम कोर्ट, असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को गैरकानूनी ठहरा चुका है। इस बात की जानकारी होने के बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों की नियुक्ति बतौर CPS की। इसकी वजह से राज्य में मंत्रियों और CPS की कुल संख्या 15% से ज्यादा हो गई। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर CPS बने सभी कांग्रेसी विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिवादी बना रखा है। हर महीने सवा 2 लाख रुपए वेतन- भत्ता हाईकोर्ट में दाखिल पिटीशन में आरोप लगाया गया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। यानी ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। याचिका में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को भी रद्द करने की मांग की गई। राज्य सरकार ने इसी एक्ट के तहत छह CPS तैनात कर रखे हैं। हिमाचल हाईकोर्ट में आज (सोमवार को) मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मामले में सुनवाई होगी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की बैंच में इस केस की सुनवाई करेगी। आज याचिकाकर्ता एवं बीजेपी विधायक सतपाल सत्ती के एडवोकेट अदालत में बहस करेंगे। बहस पूरी होने के बाद इस मामले में जल्द फैसला संभावित है। बता दें कि, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बना रखा है। कल्पना नाम की एक महिला के अलावा राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। इनकी याचिका पर हाईकोर्ट बीते जनवरी महीने में CPS द्वारा मंत्रियों जैसी शक्तियों का उपयोग न करने के अंतरिम आदेश सुना चुका है। इसी मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट (SC) का भी दरवाजा खटखटा चुकी है और दूसरे राज्यों के SC में चल रहे CPS केस के साथ क्लब करने का आग्रह कर चुकी है। मगर, SC ने राज्य सरकार के आग्रह को ठुकराते हुए हाईकोर्ट में ही केस सुनने के आदेश दिए हैं। ये कांग्रेसी विधायक बनाए गए CPS CM सुक्खू ने कांग्रेस पार्टी के जिन 6 विधायकों को CPS बना रखा है, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। सरकार इन्हें गाड़ी, दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन दे रही है। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों की एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक, किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकती। हिमाचल विधानसभा में 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गैर कानूनी ठहरा चुका SC याचिका में कहा गया कि हिमाचल और असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट एक जैसे हैं। सुप्रीम कोर्ट, असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को गैरकानूनी ठहरा चुका है। इस बात की जानकारी होने के बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों की नियुक्ति बतौर CPS की। इसकी वजह से राज्य में मंत्रियों और CPS की कुल संख्या 15% से ज्यादा हो गई। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर CPS बने सभी कांग्रेसी विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिवादी बना रखा है। हर महीने सवा 2 लाख रुपए वेतन- भत्ता हाईकोर्ट में दाखिल पिटीशन में आरोप लगाया गया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। यानी ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। याचिका में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को भी रद्द करने की मांग की गई। राज्य सरकार ने इसी एक्ट के तहत छह CPS तैनात कर रखे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में 6 इको टूरिज्म साइट का आवंटन आज:EC की मीटिंग में होगा फैसला; प्रकृति की गोद में बैठकर खूबसूरती निहार सकेंगे पर्यटक
हिमाचल में 6 इको टूरिज्म साइट का आवंटन आज:EC की मीटिंग में होगा फैसला; प्रकृति की गोद में बैठकर खूबसूरती निहार सकेंगे पर्यटक हिमाचल सरकार आज 6 इको टूरिज्म साइट आवंटित कर सकती है। वन विभाग के इसके लिए एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) की मीटिंग बुलाई है। इसमें साइट के आवंटन का फैसला होगा। EC में सहमति के बाद इन साइट को इको टूरिज्म के लिए तैयार करने के निर्देश दे दिए जाएंगे। इसके बाद देश-दुनिया से हिमाचल प्रदेश पहुंचने वाले पर्यटक नजदीक से प्रकृति की खूबसूरती को निहार सकेंगे। इसका ज्यादा आनंद पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली का पर्यटक उठाएंगे, क्योंकि इन्हीं राज्यों से ज्यादातर सैलानी पहाड़ों पर पहुंचता है। दरअसल, वन विभाग ने इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर कुल्लू की केसधार, कसौल, खीरगंगा, सुमारोपा, बिंद्रवणी और कांगड़ा जिले में बीड़ बिलिंग साइट के लिए एप्लीकेशन इनवाइट की हैं। इन 6 जगहों पर 16 बिडर ने इको-टूरिज्म यूनिट खोलने में दिलचस्पी दिखाई है। इनमें से किसे कौन की साइट दी जाए, यह फैसला आज की मीटिंग में होगा। इको टूरिज्म स्थलों पर होटलों की तर्ज पर खाने-पीने और रहने की सुविधा होगी। इन स्थलों पर इको फ्रेंडली संरचनाएं और टेंट हाउस बनाए जाएंगे। जंगलों में पक्का स्ट्रक्चर बनाने की इजाजत नहीं होगी इन साइट का एरिया एक हैक्टेयर या इससे कम होगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की शर्त के अनुसार, प्रकृति से छेड़छाड़ की किसी को भी इजाजत नहीं दी जाएगी। जंगलों में पक्के स्ट्रक्चर नहीं बनाए जा सकेंगे। स्थानीय लोगों को इन साइट पर अनिवार्य रूप से रोजगार देना होगा। इन साइट को 10 साल के लिए दिया जा रहा है। शहरों की चकाचौंध से दूर भाग रहे पर्यटक पिछले एक दशक के दौरान पर्यटक सुकून की तलाश में शहरों की चकाचौंध से दूर भागने लगा है। वह प्रकृति की खूबसूरती निहारना चाहता है। इसी उम्मीद के साथ पर्यटक पहाड़ों पर पहुंच रहे हैं। प्रकृति की गोद में इन साइट के बनने के बाद पर्यटक सीधे हरे भरे जंगलों, झर-झर बहते झरनों, ऊंचे पहाड़ों और बहती नदियों के किनारे पहुंच सकेंगे। इको-टूरिज्म को बढ़ावा दे रही सरकार इसे देखते हुए राज्य सरकार पर्यटन के नए कॉन्सेप्ट इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने जा रही है। प्रकृति की गोद में बनी प्रस्तावित साइटों पर टूरिस्ट ट्रैकिंग का भी आनंद उठा सकेंगे। इन साइटों के लिए बीते फरवरी माह में भी टेंडर निकाले गए थे, लेकिन तब इन साइटों के लिए आवेदन नहीं मिल पाए। हालांकि, शिमला की पोटरहिल और शोघी साइट मार्च में ही अलॉट कर दी गई थी। फर्म को खुद तैयार करना होगा इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधित फर्म को साइट पर इन्फ्रास्ट्रक्चर खुद फॉरेस्ट-लॉ का पालन करते हुए तैयार करना होगा। वन और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने की किसी को भी इजाजत नहीं होगी, क्योंकि हिमाचल में 2020-21 में वन संपदा को नुकसान पहुंचाने और बिना FCA के आरोपों की वजह से पूर्व में चल रही 11 इको-टूरिज्म साइट का ऑपरेशन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय बंद कर चुका है। FCA में मिली छूट राहत की बात यह है कि केंद्रीय वन मंत्रालय ने FCA के बगैर इको-टूरिज्म एक्टिविटी शुरू करने की मंजूरी दे दी है, लेकिन वन संपदा को नुकसान पहुंचाने की किसी को इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके बाद फॉरेस्ट डिवीजन धर्मशाला के अंतर्गत सवार, सौरव वन विहार, न्यूगल पार्क, बंजार फॉरेस्ट डिवीजन के शौजा, शिमला जिले के कोटगढ़ फॉरेस्ट डिवीजन में नारकंडा और मंडी फॉरेस्ट डिवीजन में गंगा नाल इको-टूरिज्म साइट के लिए भी जल्द एप्लिकेशन इनवाइट की जाएंगी। युवाओं को मिलेगा रोजगार प्रदेश में इससे युवाओं को रोजगार के अवसर और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पर्यटक जिस शांति की तलाश में पहाड़ों पर पहुंचते हैं, वह उन्हें प्रकृति की गोद में आसानी से मिलेगी। क्या है इको-टूरिज्म पर्यटन इको-टूरिज्म आज की नई अवधारणा है। प्रदेश के खूबसूरत स्थलों को सैर-सपाटे के लिए इस तरह तैयार किया जाता है कि वनों को भी नुकसान न हो और सैलानी भी पर्वतीय सैरगाहों, बर्फीले पहाड़, झरनों, नदियों व हरे-भरे वनों का लुत्फ ले सकें। इको-टूरिज्म का मकसद राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देना तथा गांव-गांव तक पर्यटन को पहुंचाना है।
मंडी की चौहार घाटी में बरसात का कहर:दो रिहायशी मकान, तीन फुटब्रिज, दो कार बही, आलू की फसल तबाह, सड़क क्षतिग्रस्त
मंडी की चौहार घाटी में बरसात का कहर:दो रिहायशी मकान, तीन फुटब्रिज, दो कार बही, आलू की फसल तबाह, सड़क क्षतिग्रस्त हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की चौहार घाटी में मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। चौहार घाटी में राजबन के साथ साथ ग्राम पंचायत तरसवाण में भी बादल फटने से करोड़ों का नुकसान हुआ है। बादल फटने बाद गढ़गांव खड्ड और रुलंग नाले ने खासा कहर बरपाया। दो रिहायशी मकान, एक पुल, तीन फुटब्रिज, एक आरा मशीन, एक घराट और दो गौशालाएं और दो कार पानी के तेज बहाव में बह गए, जबकि करीब दो किलोमीटर तक सड़क का नामोनिशान मिट गया है। करीब दो बीघा आलू की फसल भी तबाह हुई है। राजबन में हुए जानमाल के नुकसान के चलते उप मंडल प्रशासन अभी तक तरसवाण पंचायत नहीं पहुंच पाया है। ग्रामीण राजस्व अधिकारी संजय कुमार ने पंचायत समिति की अध्यक्ष शीला ठाकुर, पंचायत प्रधान जय सिंह ठाकुर और उप प्रधान पारेश्वर ठाकुर के साथ प्रभावित समालंग, द्रगड़ और गढ़गांव तीनों गांव का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया।यहां गनीमत रही कि जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। हल्कू राम ने भागो भागो की आवाज लगा सुरक्षित बचाए 2 परिवार देर रात को पहाड़ी से गड़गड़ाहट की आवाज सुनते ही गढ़गांव निवासी 35 वर्षीय युवक हल्कू राम घर से बाहर निकला। समय की नजाकत को भांपते हुए युवक ने शोर मचा दिया। उसने शोर मचाते हुए गांव के 2 परिवारों को घर से बाहर निकाला। पांच मिनट में ही रिहायशी मकान नाले के तेज पानी के बहाव में बह गया। हल्कू राम समय रहते यह कदम नहीं उठाता तो यहां भारी जान माल का नुकसान हो सकता था। राजबन में शुरू हुआ रेस्क्यू, 3 शवों का किया संस्कार राजबन में मलबे में दबे लोगों की तलाश को लेकर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जवानों ने रेस्क्यू फिर से शुरू कर दिया है। लापता दस लोगों में से अभी तक 3 शव ही बरामद हुए हैं। तीनों शवों का मौके पर पोस्टमार्टम करने उपरांत ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार किया। पंचायत प्रधान जय सिंह ने बताया कि घटना में द्रगड़ गांव निवासी लाल चंद पुत्र टुलकू राम, रमेश और राकेश पुत्र मंगलू राम के रिहायशी मकानों को नुकसान पहुंचा। वहीं मंघरु राम का घराट और सोहन सिंह की ऑल्टो कार भी तेज पानी के बहाव में बह गई। जबकि लोक निर्माण विभाग की तरसवाण-गढ़गांव-द्रगड़ सड़क का दो किलोमीटर हिस्सा नाले का पानी आने से तबाह हो गया है। 40 घंटों से पूरी तरह ब्लैक आउट उधर, चौहारघाटी की आधा दर्जन ग्राम पंचायतों में बीते 40 घंटों से पूरी तरह ब्लैक आउट है। जगह जगह पर बिजली के पोल और तारें टूटने से पूरी तरह अंधेरा पसरा हुआ है। जिस कारण ग्रामीणों के मोबाइल और अन्य विद्युत उपकरण ठप होकर रह गए हैं। मोबाइल बंद होने से घटना की सूचना का का आदान प्रदान भी नहीं हो पा रहा है। वहीं, गढ़गांव में सिरशु राम पुत्र भांड्डू राम का दो मंजिला रिहायशी मकान, सुनील पुत्र गुरुदेव की गौशाला, रामलाल पुत्र बीरबल का घराट, और रेवत राम पुत्र जेठू राम की आरा मशीन बह गई। समालंग गांव में ग्रामीणों की दो बीघा से ज्यादा आलू की खड़ी फसल से भरी उपजाऊ जमीन नाले की भेंट चढ़ गई। ग्रामीण राजस्व अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि घटना के बारे में उप मंडल प्रशासन को सूचना दे दी गई है। वहीं नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट प्रेषित की है। पंचायत प्रधान जय सिंह ठाकुर ने प्रभावित ग्रामीणों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग प्रदेश सरकार और प्रशासन से की है।
हिमाचल में 700 सेब के पौधे जलकर राख:पाइप वेल्डिंग करते समय लगी आग; जल शक्ति विभाग और ठेकेदार के खिलाफ FIR
हिमाचल में 700 सेब के पौधे जलकर राख:पाइप वेल्डिंग करते समय लगी आग; जल शक्ति विभाग और ठेकेदार के खिलाफ FIR हिमाचल के शिमला जिला के कोटखाई में सेब के करीब 700 पौधे आग से जलकर राख हो गए। इससे बखोल तहसील के जारू गांव में चार बागवानों को लाख रुपए का नुकसान हुआ है। सेब बगीचों में आग की इस घटना के लिए जल शक्ति विभाग और ठेकेदार पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। पुलिस ने प्रभावित बागवानों की शिकायत पर FIR कर जांच तेज कर दी है। पुलिस के अनुसार, कोटखाई में हुल्ली-कुफर पेयजल स्कीम का काम चल रहा है। इसके लिए ठेकेदार की लैबर पाइप में वैल्डिंग का काम कर रही थी और बेल्डिंग करते वक्त चिनगारी भड़कने के बाद 15 जून को आग साथ लगते बगीचे में फैल गई। इससे जारू गांव निवासी बिशन सिंह के करीब 500 सेब के पौधे जलकर राख हो गए। इन बागवानों के सेब के पौधे जलकर राख बिशन सिंह के बगीचे से आग आसपास के दूसरे बागवानों के बगीचे तक फेल गई। शिकायकर्ता के अनुसार, कनालोग निवासी सुनील चौहान के 25 सेब के पौधे और 3 एंटी हेल नेट, जारू निवासी मोहन लाल सुमन के 80 पौधे, उमेश सुमन के भी 50 सेब के पौधे जल गए। फसल के साथ साथ पौधे भी राख पुलिस ने प्रभावितों की शिकायत पर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल अभी जल शक्ति विभाग और पेयजल स्कीम बना रहे ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि सेब के पौधे इन दिनों फसल से लकदक है। ऐसे में आग से न केवल फसल तबाह हुई है बल्कि अधिकांश पौधे भी जल कर राख हुए हैं। आग की संभावना देखते हुए दो दिन पहले रोका था काम प्रभावित बागवान बिशन सिंह ने बताया कि उन्होंने आग लगने से दो दिन पहले भी बेल्डिंग का काम यह कहकर रुकवा दिया था अभी सूखे की वजह से घास व पत्तियों में आग फैल जाएगी। इसलिए काम बंद किया जाए। मगर आईपीएच की लेबर ने उनकी नहीं सुनी। इससे उनके 500 पौधे जल गए है।