चरखी दादरी में कष्ट निवारण समिति की बैठक में ओवरलोडिंग मामले के शिकायतकर्ता वकील संजीव तक्षक को बैठक से बाहर निकाले जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बैठक से बाहर निकाले जाने और तू गुंडा है क्या शब्द कहे जाने से वकील आहत है और उसने दूसरे वकील के जरिए एक करोड़ का मानहानि का लीगल नोटिस भेजा है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर मंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और निष्पक्ष जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में वकील ने लिखा है कि सविनय निवेदन है कि मैं, संजीव तक्षक वकील,चैम्बर नं. 81, कोर्ट कॉम्प्लेक्स, चरखी दादरी, विगत 15 वर्षों से न केवल वकालत से जुड़ा हूं। बल्कि सामाजिक सरोकारों को लेकर भी निरंतर सक्रिय हू। मैंने अपने साथियों के साथ मिलकर समाजहित में कानून साक्षरता, भ्रष्टाचार, ओवरलोडिंग, अवैध खनन, शिक्षा और गोचर भूमि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कई बार धरना-प्रदर्शन एवं जन जागरूकता अभियान चलाए हैं। मंत्री की शिकायत की
वकील ने कृषि मंत्री की शिकायत करते हुए आगे लिखा है कि महोदय, इसी कड़ी में मेरी एक शिकायत ओवरलोडिंग और अवैद्य खनन से संबंधित जिला कष्ट निवारण समिति, चरखी दादरी में लम्बित थी। जिस पर दिनांक 15 अप्रैल 2025 को कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। उक्त बैठक में मेरी शिकायत एजेंडा में दूसरे नंबर पर शामिल थी। इससे पूर्व की बैठकों में मुझे यह आश्वासन दिया गया था कि इस विषय पर संबंधित अधिकारियों से जवाब लिया जाएगा और समाधान किया जाएगा। लेकिन उक्त बैठक में मेरी शिकायत पर कोई विचार न करते हुए, मंत्री द्वारा मेरे प्रति अपमानजनक (बदतमीज और गुंडा) जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए मुझे बैठक से बाहर निकाल दिया गया। यह आचरण न केवल मेरे मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है। बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली व जनभागीदारी के मूल्यों के भी प्रतिकूल है। साथ ही यह ओवरलोडिंग एवं अवैद्य खनन में लिप्त अधिकारियों और माफियाओं का मनोबल बढ़ाने का कार्य किया गया है। लंबे समय से है समस्या
वकील ने पत्र में के माध्यम से अवगत करवाया है कि चरखी दादरी जिले में ओवरलोडिंग और अवैद्य खनन कोई नई समस्या नहीं है। पूर्व में भी तत्कालीन उपायुक्त अजय तोमर के पीए सुरेश को 60 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इस विषय को लेकर विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है। इसके बावजूद आज भी इन गतिविधियों पर प्रभावी रोक नहीं लग पाई है। डीसी पर भी जताया संदेश
पीएमओ को भेज पत्र में वकील ने आगे लिखा है कि पूर्व उपायुक्तों मुकेश आहुजा और मंदीप कौर के कार्यकाल में इस दिशा में सकारात्मक पहल हुई थी। लेकिन वर्तमान उपायुक्त का रुख न केवल उदासीन है बल्कि यह संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं न कहीं भ्रष्ट तंत्र को संरक्षण दिया जा रहा है। मंत्री और उपायुक्त का उक्त बैठक में व्यवहार इस बात की पुष्टि करता है कि वे जनहित की शिकायतों को निपटाने की बजाय,उन्हें दबाने का प्रयास कर रहे हैं। कार्रवाई की मांग की
शिकायतकर्ता वकील ने कार्रवाई की मांग करते हुए लिखा है कि यदि कष्ट निवारण समिति जैसी महत्त्वपूर्ण मंच पर शिकायतकर्ताओं के साथ इस प्रकार का व्यवहार होता है, तो आमजन का सरकार में विश्वास कमजोर होना स्वाभाविक है। अतः आपसे निवेदन है कि कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा द्वारा बैठक में किए गए अपमानजनक व्यवहार की निष्पक्ष जांच कर उनके विरुद्ध आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। डीसी की कार्यप्रणाली की जांच की मांग उठाई
वकील ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि उपायुक्त चरखी दादरी की कार्यप्रणाली की भी गहन जांच कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वे ओवरलोडिंग एवं अवैद्य खनन के मामलों में निष्पक्ष रूप से कार्य कर रहे हैं या नहीं। मेरी मूल शिकायत का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाए। मंत्री की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग
वकील ने मांग की है कि भविष्य में शिकायतकर्ताओं की गरिमा एवं अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जिला प्रशासन को जारी किए जाएं। साथ ही इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द की जाए और कष्ट निवारण समिति का अध्यक्ष भी बदला जाए। ये था मामला..
बता दें कि 15 अप्रैल को दादरी में जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसके अध्यक्षता करने और परिवादों की सुनवाई करने के लिए हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा पहुंचे थे। उनके समक्ष पूर्व निर्धारित 15 परिवाद रखे गए जिनमें से 6 का समाधान किया गया। 4 का शीघ्र समाधान करने के लिए समय दिया गया, जबकि 5 मामले अगली बैठक के लिए पेंडिंग रखे गए। इन पूर्व निर्धारित 15 मामलों में से परिवाद नंबर 1 और परिवाद नंबर 2 मे शिकायतकर्ता वकील शीतल साहू और संजीव तक्षक थे। दोनों मामले व्यक्तिगत ना होकर जिले की टूटी सड़कें, खस्ताहाल पुल, नेशनल हाईवे टूटने, ओवरलोडिंग आदि से जुड़े हुए थे और इन पर काफी बहस भी हुई। परिवाद नंबर दो में शिकायतकर्ता बार-बार यह कहता रहा कि वह लंबे समय से और हर बैठक में ओवरलोडिंग और अवैध खनन का मुद्दा उठाता रहा है। लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। मंत्री ने जब संबंधित अधिकारियों से इसका जवाब मांगा तो बैठक मे मौजूद अधिकारी ने कहा कि जिले में नाके लगाए गए है, लगातार वाहनों की चेकिंग हो रही है और कार्रवाई की जा रही है। वीडियो दिखाने पर गरमाया माहौल जिसके बाद वकील ने कहा कि यदि नाके लगाकर कार्रवाई की जा रही है तो मैं बीती रात के ही वीडियो दिखा देता हूं जिसमें अनेक ओवरलोडिंग ट्रक जा रहे हैं। वकील ने कहा कि कोई कार्रवाई नहीं की जा रही केवल खानापूर्ति की जा रही है। इस दौरान काफी सवाल जवाब हुए और माहौल गरमा गया। वकील ने कहा कि ऊपर तक पूरा सिस्टम सेट है। या तो आपको मेरी बात समझ नहीं आ रही, या आपके बस की बात नहीं या फिर आप करना नहीं चाहते। जिसके बात मंत्री ने कहा कि जो आपकी मर्जी। मंत्री ने बोला- बाहर करो इसे, तू गुंडा है क्या इस बीच डीसी और एसपी ने वकील को मर्यादा में रहकर बात करने की नसीहत दी और कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखे। इस बीच मंत्री ने कहा कि बाहर करो इसे, तू गुंडा है क्या। वकील कहता रहा कि ये तरीका सही नहीं है सुरक्षाकर्मियों ने बैठक से बाहर कर दिया। जिससे आहत वकील ने मंत्री को मानहानि का नोटिस भिजवाया है और प्रधानमंत्री कार्यालय पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। चरखी दादरी में कष्ट निवारण समिति की बैठक में ओवरलोडिंग मामले के शिकायतकर्ता वकील संजीव तक्षक को बैठक से बाहर निकाले जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बैठक से बाहर निकाले जाने और तू गुंडा है क्या शब्द कहे जाने से वकील आहत है और उसने दूसरे वकील के जरिए एक करोड़ का मानहानि का लीगल नोटिस भेजा है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर मंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और निष्पक्ष जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में वकील ने लिखा है कि सविनय निवेदन है कि मैं, संजीव तक्षक वकील,चैम्बर नं. 81, कोर्ट कॉम्प्लेक्स, चरखी दादरी, विगत 15 वर्षों से न केवल वकालत से जुड़ा हूं। बल्कि सामाजिक सरोकारों को लेकर भी निरंतर सक्रिय हू। मैंने अपने साथियों के साथ मिलकर समाजहित में कानून साक्षरता, भ्रष्टाचार, ओवरलोडिंग, अवैध खनन, शिक्षा और गोचर भूमि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कई बार धरना-प्रदर्शन एवं जन जागरूकता अभियान चलाए हैं। मंत्री की शिकायत की
वकील ने कृषि मंत्री की शिकायत करते हुए आगे लिखा है कि महोदय, इसी कड़ी में मेरी एक शिकायत ओवरलोडिंग और अवैद्य खनन से संबंधित जिला कष्ट निवारण समिति, चरखी दादरी में लम्बित थी। जिस पर दिनांक 15 अप्रैल 2025 को कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। उक्त बैठक में मेरी शिकायत एजेंडा में दूसरे नंबर पर शामिल थी। इससे पूर्व की बैठकों में मुझे यह आश्वासन दिया गया था कि इस विषय पर संबंधित अधिकारियों से जवाब लिया जाएगा और समाधान किया जाएगा। लेकिन उक्त बैठक में मेरी शिकायत पर कोई विचार न करते हुए, मंत्री द्वारा मेरे प्रति अपमानजनक (बदतमीज और गुंडा) जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए मुझे बैठक से बाहर निकाल दिया गया। यह आचरण न केवल मेरे मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है। बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली व जनभागीदारी के मूल्यों के भी प्रतिकूल है। साथ ही यह ओवरलोडिंग एवं अवैद्य खनन में लिप्त अधिकारियों और माफियाओं का मनोबल बढ़ाने का कार्य किया गया है। लंबे समय से है समस्या
वकील ने पत्र में के माध्यम से अवगत करवाया है कि चरखी दादरी जिले में ओवरलोडिंग और अवैद्य खनन कोई नई समस्या नहीं है। पूर्व में भी तत्कालीन उपायुक्त अजय तोमर के पीए सुरेश को 60 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इस विषय को लेकर विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है। इसके बावजूद आज भी इन गतिविधियों पर प्रभावी रोक नहीं लग पाई है। डीसी पर भी जताया संदेश
पीएमओ को भेज पत्र में वकील ने आगे लिखा है कि पूर्व उपायुक्तों मुकेश आहुजा और मंदीप कौर के कार्यकाल में इस दिशा में सकारात्मक पहल हुई थी। लेकिन वर्तमान उपायुक्त का रुख न केवल उदासीन है बल्कि यह संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं न कहीं भ्रष्ट तंत्र को संरक्षण दिया जा रहा है। मंत्री और उपायुक्त का उक्त बैठक में व्यवहार इस बात की पुष्टि करता है कि वे जनहित की शिकायतों को निपटाने की बजाय,उन्हें दबाने का प्रयास कर रहे हैं। कार्रवाई की मांग की
शिकायतकर्ता वकील ने कार्रवाई की मांग करते हुए लिखा है कि यदि कष्ट निवारण समिति जैसी महत्त्वपूर्ण मंच पर शिकायतकर्ताओं के साथ इस प्रकार का व्यवहार होता है, तो आमजन का सरकार में विश्वास कमजोर होना स्वाभाविक है। अतः आपसे निवेदन है कि कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा द्वारा बैठक में किए गए अपमानजनक व्यवहार की निष्पक्ष जांच कर उनके विरुद्ध आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। डीसी की कार्यप्रणाली की जांच की मांग उठाई
वकील ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि उपायुक्त चरखी दादरी की कार्यप्रणाली की भी गहन जांच कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वे ओवरलोडिंग एवं अवैद्य खनन के मामलों में निष्पक्ष रूप से कार्य कर रहे हैं या नहीं। मेरी मूल शिकायत का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाए। मंत्री की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग
वकील ने मांग की है कि भविष्य में शिकायतकर्ताओं की गरिमा एवं अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जिला प्रशासन को जारी किए जाएं। साथ ही इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द की जाए और कष्ट निवारण समिति का अध्यक्ष भी बदला जाए। ये था मामला..
बता दें कि 15 अप्रैल को दादरी में जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसके अध्यक्षता करने और परिवादों की सुनवाई करने के लिए हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा पहुंचे थे। उनके समक्ष पूर्व निर्धारित 15 परिवाद रखे गए जिनमें से 6 का समाधान किया गया। 4 का शीघ्र समाधान करने के लिए समय दिया गया, जबकि 5 मामले अगली बैठक के लिए पेंडिंग रखे गए। इन पूर्व निर्धारित 15 मामलों में से परिवाद नंबर 1 और परिवाद नंबर 2 मे शिकायतकर्ता वकील शीतल साहू और संजीव तक्षक थे। दोनों मामले व्यक्तिगत ना होकर जिले की टूटी सड़कें, खस्ताहाल पुल, नेशनल हाईवे टूटने, ओवरलोडिंग आदि से जुड़े हुए थे और इन पर काफी बहस भी हुई। परिवाद नंबर दो में शिकायतकर्ता बार-बार यह कहता रहा कि वह लंबे समय से और हर बैठक में ओवरलोडिंग और अवैध खनन का मुद्दा उठाता रहा है। लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। मंत्री ने जब संबंधित अधिकारियों से इसका जवाब मांगा तो बैठक मे मौजूद अधिकारी ने कहा कि जिले में नाके लगाए गए है, लगातार वाहनों की चेकिंग हो रही है और कार्रवाई की जा रही है। वीडियो दिखाने पर गरमाया माहौल जिसके बाद वकील ने कहा कि यदि नाके लगाकर कार्रवाई की जा रही है तो मैं बीती रात के ही वीडियो दिखा देता हूं जिसमें अनेक ओवरलोडिंग ट्रक जा रहे हैं। वकील ने कहा कि कोई कार्रवाई नहीं की जा रही केवल खानापूर्ति की जा रही है। इस दौरान काफी सवाल जवाब हुए और माहौल गरमा गया। वकील ने कहा कि ऊपर तक पूरा सिस्टम सेट है। या तो आपको मेरी बात समझ नहीं आ रही, या आपके बस की बात नहीं या फिर आप करना नहीं चाहते। जिसके बात मंत्री ने कहा कि जो आपकी मर्जी। मंत्री ने बोला- बाहर करो इसे, तू गुंडा है क्या इस बीच डीसी और एसपी ने वकील को मर्यादा में रहकर बात करने की नसीहत दी और कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखे। इस बीच मंत्री ने कहा कि बाहर करो इसे, तू गुंडा है क्या। वकील कहता रहा कि ये तरीका सही नहीं है सुरक्षाकर्मियों ने बैठक से बाहर कर दिया। जिससे आहत वकील ने मंत्री को मानहानि का नोटिस भिजवाया है और प्रधानमंत्री कार्यालय पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
