हरियाणा ‌BJP का धन्ना भगत के सहारे मिशन जाट:दो साल से चल रही प्लानिंग; सांसद बराला को जिम्मेदारी, नए जाट चेहरे की तलाश

हरियाणा ‌BJP का धन्ना भगत के सहारे मिशन जाट:दो साल से चल रही प्लानिंग; सांसद बराला को जिम्मेदारी, नए जाट चेहरे की तलाश

राजस्थान के धन्ना भगत जाट के जरिए हरियाणा में बीजेपी मिशन जाट चला रही है। पार्टी इसकी दो साल से गुपचुप तरीके से प्लानिंग कर रही है। इस बार प्लानिंग में पार्टी के नेता राजनीतिक नहीं धर्म के जरिए घुसपैठ कर रहे हैं। यही वजह है कि राजस्थान से लगते इलाकों में पिछले दो साल से धन्ना भगत की जयंती पर भव्य आयोजन कर रही है। इस साल भी पार्टी के नेता 20 अप्रैल को हरियाणा के उचाना में भव्य आयोजन करने जा रही है। हरियाणा के राजनीतिक मामलों के जानकार इस मिशन के पीछे बीजेपी की कई वजह बता रहे हैं। इस मिशन के जरिए सूबे में पार्टी नए जाट नेताओं की तलाश भी पूरी करेगी। इसके साथ ही प्रदेश के बहुसंख्यक जाट वोटरों में पार्टी के कैडर को भी बचाने का काम करेगी। राज्यसभा सांसद बराला को मिशन की जिम्मेदारी हरियाणा बीजेपी ने अपने इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद सुभाष बराला को दी है। बराला जाट समुदाय से ही आते हैं। वह इससे पहले हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बराला पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर के काफी करीबी माने जाते हैं। मिशन जाट का नेतृत्व करने के लिए पूर्व सीएम खट्‌टर के जरिए ही बराला की पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने जिम्मेदारी दी है। हरियाणा के जींद जिले के उचाना में 20 अप्रैल को धन्ना भगत जयंती पर प्रदेशस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शामिल होंगे। अब यहां पढ़िए क्यों बीजेपी ने शुरू किया मिशन जाट… 1. हरियाणा में 22% जाट वोटर में कैडर बनाने की चुनौती हरियाणा में जाट का हमेशा से ही वर्चस्व रहा है। वोट प्रतिशत में भी दूसरी जातियों से हरियाणा में जाट सबसे अधिक 22% के करीब है। हालांकि जाट का झुकाव हमेशा से ही कांग्रेस सहित दूसरे दलों की तरफ रहा है। हालांकि जाटों का एक ऐसा वर्ग भी है, जो हमेशा से ही बीजेपी के पक्ष में वोट करता रहा है। पार्टी इसे अपना कैडर मानती है, इसको बचाने के लिए और बढ़ाने के लिए पार्टी ने प्लानिंग की है, जिस पर वह गुपचुप तरीके से काम कर रही है। 2. पार्टी में नए जाट चेहरे की तलाश जरूरी हरियाणा बीजेपी में अभी कई बड़े जाट चेहरे हैं, लेकिन इस बार के हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के ये सभी बड़े चेहरे चुनाव हार गए। इसमें पार्टी के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, एक पूर्व मंत्री का नाम भी शामिल है। ओपी धनखड़ और सुभाष बराला प्रदेश में पार्टी की कमान संभाल चुके हैं, लेकिन दोनों चुनाव हार चुके हैं। इनके अलावा कैप्टन अभिमन्यु जो मनोहर लाल खट्टर की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। सबसे हैरानी की बात यह है कि बीजेपी की टिकट से जजपा छोड़कर आए देवेंद्र बबली भी चुनाव हार गए। इन नेताओं की हार के बाद पार्टी सूबे में बड़े जाट चेहरों की तलाश कर रही है। 3. धर्म के जरिए आसानी से हो सकेगी घुसपैठ हरियाणा बीजेपी के नेता ये जानते हैं कि जाट के बीच दूसरों मुद्दों को लेकर घुसना आसान नहीं है। इसकी वजह हरियाणा में हुए किसान आंदोलन और जाट आरक्षण जैसे मुद्दे हैं। इसको देखते हुए अब बीजेपी ने धर्म के जरिए जाटों में घुसने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि बीजेपी राजस्थान के कभी धन्ना सेठ कहे जाने वाले जाट भगत धन्ना का सहारा ले रही है। जाटों में धन्ना भगत को मानने वालों की अच्छी खासी तादाद है, इसको देखते हुए धन्ना भगत की याद में पिछले दो सालों से पार्टी राजस्थान की लगती बेल्ट में बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रही है। 4. विधानसभा चुनाव में जाटों के गढ़ में 7 सीटें जीतीं हरियाणा में BJP लगातार तीसरी बार ‘जाट वर्सेज नॉन-जाट’ के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ी। हालांकि चुनावी मैनेजमेंट की बदौलत BJP ने जाटों के गढ़ में भी घुसपैठ की है। BJP ने 22 नई सीटें जीतीं, इनमें 7 सीटें जाट बहुल बागड़ और देशवाल बेल्ट में जीती हैं। इसके अलावा पंजाबी और शहरी बहुल जीटी रोड बेल्ट को एक्सपर्ट्स BJP की कमजोर कड़ी मान रहे थे, लेकिन BJP ने वहां भी 7 नई सीटें जीती हैं। जाटों के गुरु हैं भगत धन्ना जाटों के गुरु के रूप में गुरु नानक देव जी और भगत धन्ना का नाम लिया जाता है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक थे। दूसरे गुरु के रूप में धन्ना का नाम लिया जाता है। भगत धन्ना ने ‘गंगेश्वर मंदिर’ का निर्माण कराया था। उनके मंदिर के पास अरावली की पहाड़ियों में स्थित गुफा में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को धुंधलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। सिख धर्म के ग्रंथों में भी भगत धन्ना का उल्लेख है। भगत धन्ना की जाति से ही कई लोग उनके अनुयायी बने जो आगे चलकर धनावंशी स्वामी कहलाए। भगत धन्ना, एक प्रसिद्ध वैष्णव भक्त थे, जिनका जन्म राजस्थान में हुआ था, लेकिन हरियाणा में भी उनके अनुयायी और भक्त हैं। उनकी भक्ति और शिक्षाएं हरियाणा के कई क्षेत्रों में लोकप्रिय है। हरियाणा में भगत धन्ना के हिसार, रोहतक और कैथल के अलावा, अन्य जिलों और गांवों में भी भगत धन्ना के अनुयायी और भक्त हैं। राजस्थान के धन्ना भगत जाट के जरिए हरियाणा में बीजेपी मिशन जाट चला रही है। पार्टी इसकी दो साल से गुपचुप तरीके से प्लानिंग कर रही है। इस बार प्लानिंग में पार्टी के नेता राजनीतिक नहीं धर्म के जरिए घुसपैठ कर रहे हैं। यही वजह है कि राजस्थान से लगते इलाकों में पिछले दो साल से धन्ना भगत की जयंती पर भव्य आयोजन कर रही है। इस साल भी पार्टी के नेता 20 अप्रैल को हरियाणा के उचाना में भव्य आयोजन करने जा रही है। हरियाणा के राजनीतिक मामलों के जानकार इस मिशन के पीछे बीजेपी की कई वजह बता रहे हैं। इस मिशन के जरिए सूबे में पार्टी नए जाट नेताओं की तलाश भी पूरी करेगी। इसके साथ ही प्रदेश के बहुसंख्यक जाट वोटरों में पार्टी के कैडर को भी बचाने का काम करेगी। राज्यसभा सांसद बराला को मिशन की जिम्मेदारी हरियाणा बीजेपी ने अपने इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद सुभाष बराला को दी है। बराला जाट समुदाय से ही आते हैं। वह इससे पहले हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बराला पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर के काफी करीबी माने जाते हैं। मिशन जाट का नेतृत्व करने के लिए पूर्व सीएम खट्‌टर के जरिए ही बराला की पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने जिम्मेदारी दी है। हरियाणा के जींद जिले के उचाना में 20 अप्रैल को धन्ना भगत जयंती पर प्रदेशस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शामिल होंगे। अब यहां पढ़िए क्यों बीजेपी ने शुरू किया मिशन जाट… 1. हरियाणा में 22% जाट वोटर में कैडर बनाने की चुनौती हरियाणा में जाट का हमेशा से ही वर्चस्व रहा है। वोट प्रतिशत में भी दूसरी जातियों से हरियाणा में जाट सबसे अधिक 22% के करीब है। हालांकि जाट का झुकाव हमेशा से ही कांग्रेस सहित दूसरे दलों की तरफ रहा है। हालांकि जाटों का एक ऐसा वर्ग भी है, जो हमेशा से ही बीजेपी के पक्ष में वोट करता रहा है। पार्टी इसे अपना कैडर मानती है, इसको बचाने के लिए और बढ़ाने के लिए पार्टी ने प्लानिंग की है, जिस पर वह गुपचुप तरीके से काम कर रही है। 2. पार्टी में नए जाट चेहरे की तलाश जरूरी हरियाणा बीजेपी में अभी कई बड़े जाट चेहरे हैं, लेकिन इस बार के हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के ये सभी बड़े चेहरे चुनाव हार गए। इसमें पार्टी के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, एक पूर्व मंत्री का नाम भी शामिल है। ओपी धनखड़ और सुभाष बराला प्रदेश में पार्टी की कमान संभाल चुके हैं, लेकिन दोनों चुनाव हार चुके हैं। इनके अलावा कैप्टन अभिमन्यु जो मनोहर लाल खट्टर की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। सबसे हैरानी की बात यह है कि बीजेपी की टिकट से जजपा छोड़कर आए देवेंद्र बबली भी चुनाव हार गए। इन नेताओं की हार के बाद पार्टी सूबे में बड़े जाट चेहरों की तलाश कर रही है। 3. धर्म के जरिए आसानी से हो सकेगी घुसपैठ हरियाणा बीजेपी के नेता ये जानते हैं कि जाट के बीच दूसरों मुद्दों को लेकर घुसना आसान नहीं है। इसकी वजह हरियाणा में हुए किसान आंदोलन और जाट आरक्षण जैसे मुद्दे हैं। इसको देखते हुए अब बीजेपी ने धर्म के जरिए जाटों में घुसने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि बीजेपी राजस्थान के कभी धन्ना सेठ कहे जाने वाले जाट भगत धन्ना का सहारा ले रही है। जाटों में धन्ना भगत को मानने वालों की अच्छी खासी तादाद है, इसको देखते हुए धन्ना भगत की याद में पिछले दो सालों से पार्टी राजस्थान की लगती बेल्ट में बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रही है। 4. विधानसभा चुनाव में जाटों के गढ़ में 7 सीटें जीतीं हरियाणा में BJP लगातार तीसरी बार ‘जाट वर्सेज नॉन-जाट’ के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ी। हालांकि चुनावी मैनेजमेंट की बदौलत BJP ने जाटों के गढ़ में भी घुसपैठ की है। BJP ने 22 नई सीटें जीतीं, इनमें 7 सीटें जाट बहुल बागड़ और देशवाल बेल्ट में जीती हैं। इसके अलावा पंजाबी और शहरी बहुल जीटी रोड बेल्ट को एक्सपर्ट्स BJP की कमजोर कड़ी मान रहे थे, लेकिन BJP ने वहां भी 7 नई सीटें जीती हैं। जाटों के गुरु हैं भगत धन्ना जाटों के गुरु के रूप में गुरु नानक देव जी और भगत धन्ना का नाम लिया जाता है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक थे। दूसरे गुरु के रूप में धन्ना का नाम लिया जाता है। भगत धन्ना ने ‘गंगेश्वर मंदिर’ का निर्माण कराया था। उनके मंदिर के पास अरावली की पहाड़ियों में स्थित गुफा में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को धुंधलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। सिख धर्म के ग्रंथों में भी भगत धन्ना का उल्लेख है। भगत धन्ना की जाति से ही कई लोग उनके अनुयायी बने जो आगे चलकर धनावंशी स्वामी कहलाए। भगत धन्ना, एक प्रसिद्ध वैष्णव भक्त थे, जिनका जन्म राजस्थान में हुआ था, लेकिन हरियाणा में भी उनके अनुयायी और भक्त हैं। उनकी भक्ति और शिक्षाएं हरियाणा के कई क्षेत्रों में लोकप्रिय है। हरियाणा में भगत धन्ना के हिसार, रोहतक और कैथल के अलावा, अन्य जिलों और गांवों में भी भगत धन्ना के अनुयायी और भक्त हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर