फतेहगढ़ साहिब के बस्सी पठाना में एक परिवार ने मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। बीसीए की छात्रा हरप्रीत कौर की छत से गिरने के बाद मौत हो गई। परिवार ने उसके अंगों को दान करने का निर्णय लिया। हरप्रीत कौर अपने परिवार की सबसे बड़ी संतान थी। उनके पिता सुरिंदर सिंह मोटर मैकेनिक हैं। कुछ दिन पहले छत पर कपड़े उतारते समय हरप्रीत की दुर्घटनावश गिरने से हालत गंभीर हो गई। पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया, जहां उनका ब्रेन डेड हो गया। पहले ही तय किया, बेटी नहीं बची तो अंगों का दान करेंगे चिकित्सकों के प्रयासों के बावजूद हरप्रीत को बचाया नहीं जा सका। परिवार ने पहले ही तय कर लिया था कि अगर बेटी नहीं बची तो उसके अंगों का दान करेंगे। इस निर्णय के बाद हरप्रीत की दो किडनी और लिवर का दान किया गया। इन अंगों से तीन लोगों को नई जीवन मिला है। सुरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी के इस महादान पर गर्व है। उन्होंने खुद भी अपनी मृत्यु के बाद अंगदान करने का संकल्प लिया है। इस पहल की समाज में चारों ओर सराहना हो रही है। फतेहगढ़ साहिब के बस्सी पठाना में एक परिवार ने मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। बीसीए की छात्रा हरप्रीत कौर की छत से गिरने के बाद मौत हो गई। परिवार ने उसके अंगों को दान करने का निर्णय लिया। हरप्रीत कौर अपने परिवार की सबसे बड़ी संतान थी। उनके पिता सुरिंदर सिंह मोटर मैकेनिक हैं। कुछ दिन पहले छत पर कपड़े उतारते समय हरप्रीत की दुर्घटनावश गिरने से हालत गंभीर हो गई। पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया, जहां उनका ब्रेन डेड हो गया। पहले ही तय किया, बेटी नहीं बची तो अंगों का दान करेंगे चिकित्सकों के प्रयासों के बावजूद हरप्रीत को बचाया नहीं जा सका। परिवार ने पहले ही तय कर लिया था कि अगर बेटी नहीं बची तो उसके अंगों का दान करेंगे। इस निर्णय के बाद हरप्रीत की दो किडनी और लिवर का दान किया गया। इन अंगों से तीन लोगों को नई जीवन मिला है। सुरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी के इस महादान पर गर्व है। उन्होंने खुद भी अपनी मृत्यु के बाद अंगदान करने का संकल्प लिया है। इस पहल की समाज में चारों ओर सराहना हो रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
