‘जेल में बंद अपराधी कोई गुलाम नहीं’, दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप-हत्या के दोषी को दी पैरोल

‘जेल में बंद अपराधी कोई गुलाम नहीं’, दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप-हत्या के दोषी को दी पैरोल

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi High Court:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप और हत्या से जुड़े एक मामले में सजायाफ्ता एक व्यक्ति की पैरोल अर्जी यह कहते हुए स्वीकार कर ली कि सिर्फ इसलिए कि कोई अपराधी 20 साल से ज्यादा समय से जेल में है, उसके साथ &lsquo;गुलाम&rsquo; जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता ने अपने अपराध के लिए दो दशक से ज्यादा समय जेल में बिताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता- जज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस कृष्णा ने 16 अप्रैल के अपने फैसले में कहा, &lsquo;&lsquo;उसे जीवन के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. सिर्फ इसलिए कि वह जेल में कैद है, उसके साथ &lsquo;गुलाम&rsquo; जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता, जिसे कोई बुनियादी मौलिक मानवाधिकार हासिल नहीं है. अब समय आ गया है कि जेल अधिकारी ऐसे मामलों से निपटने में थोड़ी ज्यादा संवेदनशीलता दिखाएं.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैदी ने मांगी थी चार हफ्ते की पैरोल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>रेप और हत्या के मामले में सजायाफ्ता व्यक्ति ने पैरोल पर चार हफ्ते के लिए रिहा किए जाने के अनुरोध को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि याचिकाकर्ता ने 2022 में आत्महत्या का प्रयास किया था और जेल अधिकारियों से &lsquo;थोड़ी ज्यादा&nbsp;संवेदनशीलता&rsquo; दिखाने को कहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वांछित अवधि के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया. अदालत ने कहा कि उसे जेल अधिकारियों से उम्मीद थी कि वे याचिकाकर्ता की पैरोल अर्जी को सामान्य बताने के बजाय उसमें दिए गए आधार को सत्यापित करने के लिए &lsquo;थोड़ा और प्रयास&rsquo; करते. हाई कोर्ट ने कहा कि उम्रकैद की सजा भुगत रहा यह व्यक्ति गरीब है और वह अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पैरोल चाहता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें -</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/pahalgam-attack-delhi-man-called-police-said-he-was-aware-of-kashmir-terrorist-attack-ann-2931143″>’मुझे पहले से थी पहलगाम आतंकी हमले की जानकारी’, शख्स ने दिल्ली पुलिस को किया कॉल, फिर…</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi High Court:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप और हत्या से जुड़े एक मामले में सजायाफ्ता एक व्यक्ति की पैरोल अर्जी यह कहते हुए स्वीकार कर ली कि सिर्फ इसलिए कि कोई अपराधी 20 साल से ज्यादा समय से जेल में है, उसके साथ &lsquo;गुलाम&rsquo; जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता ने अपने अपराध के लिए दो दशक से ज्यादा समय जेल में बिताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता- जज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस कृष्णा ने 16 अप्रैल के अपने फैसले में कहा, &lsquo;&lsquo;उसे जीवन के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. सिर्फ इसलिए कि वह जेल में कैद है, उसके साथ &lsquo;गुलाम&rsquo; जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता, जिसे कोई बुनियादी मौलिक मानवाधिकार हासिल नहीं है. अब समय आ गया है कि जेल अधिकारी ऐसे मामलों से निपटने में थोड़ी ज्यादा संवेदनशीलता दिखाएं.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैदी ने मांगी थी चार हफ्ते की पैरोल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>रेप और हत्या के मामले में सजायाफ्ता व्यक्ति ने पैरोल पर चार हफ्ते के लिए रिहा किए जाने के अनुरोध को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि याचिकाकर्ता ने 2022 में आत्महत्या का प्रयास किया था और जेल अधिकारियों से &lsquo;थोड़ी ज्यादा&nbsp;संवेदनशीलता&rsquo; दिखाने को कहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वांछित अवधि के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया. अदालत ने कहा कि उसे जेल अधिकारियों से उम्मीद थी कि वे याचिकाकर्ता की पैरोल अर्जी को सामान्य बताने के बजाय उसमें दिए गए आधार को सत्यापित करने के लिए &lsquo;थोड़ा और प्रयास&rsquo; करते. हाई कोर्ट ने कहा कि उम्रकैद की सजा भुगत रहा यह व्यक्ति गरीब है और वह अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पैरोल चाहता है.</p>
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