<p style=”text-align: justify;”>मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के पिपरिया स्थित शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से एक अजीब गरीब मामला सामने आया है. दरअसल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की बीमार होने पर चपरासी ने ही उत्तर पुस्तिका जांच दी. चपरासी ने बीए हिंदी की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर दिया जिसकी एबज में उसे 5000 रुपये दिए गए थे. चपरासी से उत्तर पुस्तिका जंचवाने के मामले में दो महीने चली जांच के बाद विभागीय कार्रवाई‌ हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रिंसिपल और नोडल अधिकारी सस्पेंड- मंत्री</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरे मामले पर मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आया है, निश्चित रूप से यह अक्षम्य अपराध है. मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल और नोडल अधिकारी को सस्पेंड किया गया है. मामले में शामिल प्रोफेसर और चपरासी पर भी कार्रवाई की गई है. इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो इसके भी निर्देश दिये गए हैं. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिये हम निरन्तर कार्य कर रहे हैं, एक प्रकरण सामने आया है जो कि दुर्भाग्य और अक्षम्य है, इसे सहन नहीं किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या था पूरा मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल 31 जनवरी को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इस वीडियो में यह दावा किया गया था कि कॉलेज में पदस्थ चपरासी पन्नालाल पठारिया कापियां जांच रहा है. इस मामले में कॉलेज के विद्यार्थियों ने आपत्ति जताई थी. वायरल वीडियो पर कार्रवाई की मांग को लेकर छात्र प्राचार्य राकेश वर्मा के पास पहुंचे थे. प्राचार्य वर्मा ने इस मामले में कुछ भी स्पष्ट नहीं होने और शिकायत करने पर कार्रवाई की बात कही, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था. छात्रों ने स्थानीय विधायक ठाकुरदास नागवंशी को ज्ञापन सौंपा, बाद में मामले की जांच उच्च शिक्षा विभाग ने की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच के बाद प्रोफेसर पर गिरी गाज </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जांच समिति ने 3 अप्रैल को प्रस्तुत रिपोर्ट में मूल्यांकन कार्य में हुई गंभीर लापरवाही और अनियमितता के लिए प्रभारी प्राचार्य डॉ. वर्मा और प्रोफेसर डॉ. पटेल को जिम्मेदार ठहराया, दोनों अधिकारियों को मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>निलंबन अवधि में दोनों का मुख्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल नर्मदापुरम संभाग कार्यालय निर्धारित किया गया है. आरोप ये भी लग रहे हैं कि उच्च शिक्षा विभाग ने भले ही प्राचार्य डॉ. राकेश वर्मा और राजनीति शास्त्र प्राध्यापक डॉ. रामगुलाम पटेल को निलंबित कर दिया हो, लेकिन मामले की अन्य कड़ियों में अतिथि विद्वान खुशबू पगारे, चपरासी पन्नालाल पठारिया और बिचौलिया की भूमिका निभाने वाले बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. उच्च शिक्षा विभाग की जांच में चपरासी को कापी जांचने का दोषी पाया गया. निलंबित होने के बाद आरोपी शिक्षकों ने हाईकोर्ट जाने की दी चेतावनी है. </p> <p style=”text-align: justify;”>मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के पिपरिया स्थित शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से एक अजीब गरीब मामला सामने आया है. दरअसल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की बीमार होने पर चपरासी ने ही उत्तर पुस्तिका जांच दी. चपरासी ने बीए हिंदी की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर दिया जिसकी एबज में उसे 5000 रुपये दिए गए थे. चपरासी से उत्तर पुस्तिका जंचवाने के मामले में दो महीने चली जांच के बाद विभागीय कार्रवाई‌ हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रिंसिपल और नोडल अधिकारी सस्पेंड- मंत्री</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरे मामले पर मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आया है, निश्चित रूप से यह अक्षम्य अपराध है. मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल और नोडल अधिकारी को सस्पेंड किया गया है. मामले में शामिल प्रोफेसर और चपरासी पर भी कार्रवाई की गई है. इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो इसके भी निर्देश दिये गए हैं. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिये हम निरन्तर कार्य कर रहे हैं, एक प्रकरण सामने आया है जो कि दुर्भाग्य और अक्षम्य है, इसे सहन नहीं किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या था पूरा मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल 31 जनवरी को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इस वीडियो में यह दावा किया गया था कि कॉलेज में पदस्थ चपरासी पन्नालाल पठारिया कापियां जांच रहा है. इस मामले में कॉलेज के विद्यार्थियों ने आपत्ति जताई थी. वायरल वीडियो पर कार्रवाई की मांग को लेकर छात्र प्राचार्य राकेश वर्मा के पास पहुंचे थे. प्राचार्य वर्मा ने इस मामले में कुछ भी स्पष्ट नहीं होने और शिकायत करने पर कार्रवाई की बात कही, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था. छात्रों ने स्थानीय विधायक ठाकुरदास नागवंशी को ज्ञापन सौंपा, बाद में मामले की जांच उच्च शिक्षा विभाग ने की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच के बाद प्रोफेसर पर गिरी गाज </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जांच समिति ने 3 अप्रैल को प्रस्तुत रिपोर्ट में मूल्यांकन कार्य में हुई गंभीर लापरवाही और अनियमितता के लिए प्रभारी प्राचार्य डॉ. वर्मा और प्रोफेसर डॉ. पटेल को जिम्मेदार ठहराया, दोनों अधिकारियों को मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>निलंबन अवधि में दोनों का मुख्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल नर्मदापुरम संभाग कार्यालय निर्धारित किया गया है. आरोप ये भी लग रहे हैं कि उच्च शिक्षा विभाग ने भले ही प्राचार्य डॉ. राकेश वर्मा और राजनीति शास्त्र प्राध्यापक डॉ. रामगुलाम पटेल को निलंबित कर दिया हो, लेकिन मामले की अन्य कड़ियों में अतिथि विद्वान खुशबू पगारे, चपरासी पन्नालाल पठारिया और बिचौलिया की भूमिका निभाने वाले बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. उच्च शिक्षा विभाग की जांच में चपरासी को कापी जांचने का दोषी पाया गया. निलंबित होने के बाद आरोपी शिक्षकों ने हाईकोर्ट जाने की दी चेतावनी है. </p> मध्य प्रदेश सीवान में डीएम और सांसद के काफिले पर हमला, घायल हुए जनार्दन सिंह सिग्रीवाल
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