बदलापुर फर्जी मुठभेड़ मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट नाराज, FIR में देरी को लेकर पुलिस से पूछा सवाल

बदलापुर फर्जी मुठभेड़ मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट नाराज, FIR में देरी को लेकर पुलिस से पूछा सवाल

<p style=”text-align: justify;”><strong>Badlapur Encounter:</strong> बदलापुर में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को सख्त निर्देश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए और संबंधित पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर जांच शुरू की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सरकार ने उक्त निर्णय को चुनौती देने के उद्देश्य से भारत के सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए आवश्यक कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने हेतु राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>FIR में देरी पर अदालत की फटकार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई और यह सवाल उठाया कि 7 अप्रैल को स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक इस मामले में FIR क्यों नहीं दर्ज की है. अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस प्रकार आदेश की अनदेखी करना न्यायालय की अवमानना के दायरे में आता है और यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने मुंबई क्राइम ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर लखमी गौतम को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की दो सदस्यीय पीठ ने यह निर्देश दिया और कहा कि अब तक आरोपी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई, यह कोर्ट की अवमानना है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें की यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अक्षय शिंदे का कथित मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 7 अप्रैल को तुरंत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन दो सप्ताह बाद भी न तो एसआईटी का गठन किया गया है और न ही एफआईआर दर्ज की गई है.&nbsp;</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/9Bro6DAHcIY?si=H_cG-tnsp0dWwkBt&amp;start=119″ width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जॉइंट कमिश्नर को कोर्ट में तलब</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अक्षय शिंदे फर्जी मुठभेड़ मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई, कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी जांच एसआईटी को हस्तांतरित नहीं किए जाने से कोर्ट नाराज है. कोर्ट के आदेश के बाद भी जांच हस्तांतरित नहीं करना आपराधिक कोर्ट की अवमानना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>18 दिन बाद भी एफआईआर क्यों नहीं? यह सवाल पूछते हुए लखमी गौतम को जांच दस्तावेजों के साथ पेश होने का निर्देश दिया. अदालत आज दोपहर तत्काल सुनवाई करेगी. वहीं राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है. विशेष लोक अभियोजक अमित देसाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट से इस याचिका के लिए आवश्यक कुछ दस्तावेज मांगे हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/abu-azmi-says-shoot-the-pahalgam-terror-attack-accused-2932068″>पहलगाम आतंकी हमले पर अबू आजमी बोले, ‘गोली मार दो, मुसलमान ने…'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Badlapur Encounter:</strong> बदलापुर में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को सख्त निर्देश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए और संबंधित पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर जांच शुरू की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सरकार ने उक्त निर्णय को चुनौती देने के उद्देश्य से भारत के सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए आवश्यक कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने हेतु राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>FIR में देरी पर अदालत की फटकार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई और यह सवाल उठाया कि 7 अप्रैल को स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक इस मामले में FIR क्यों नहीं दर्ज की है. अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस प्रकार आदेश की अनदेखी करना न्यायालय की अवमानना के दायरे में आता है और यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने मुंबई क्राइम ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर लखमी गौतम को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की दो सदस्यीय पीठ ने यह निर्देश दिया और कहा कि अब तक आरोपी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई, यह कोर्ट की अवमानना है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें की यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अक्षय शिंदे का कथित मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 7 अप्रैल को तुरंत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन दो सप्ताह बाद भी न तो एसआईटी का गठन किया गया है और न ही एफआईआर दर्ज की गई है.&nbsp;</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/9Bro6DAHcIY?si=H_cG-tnsp0dWwkBt&amp;start=119″ width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जॉइंट कमिश्नर को कोर्ट में तलब</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अक्षय शिंदे फर्जी मुठभेड़ मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई, कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी जांच एसआईटी को हस्तांतरित नहीं किए जाने से कोर्ट नाराज है. कोर्ट के आदेश के बाद भी जांच हस्तांतरित नहीं करना आपराधिक कोर्ट की अवमानना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>18 दिन बाद भी एफआईआर क्यों नहीं? यह सवाल पूछते हुए लखमी गौतम को जांच दस्तावेजों के साथ पेश होने का निर्देश दिया. अदालत आज दोपहर तत्काल सुनवाई करेगी. वहीं राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है. विशेष लोक अभियोजक अमित देसाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट से इस याचिका के लिए आवश्यक कुछ दस्तावेज मांगे हैं.&nbsp;</p>
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