हरियाणा मुख्य सचिव की ओर से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को लेटर भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकार के सूचना आयुक्त कार्यालय में मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के 8 पद खाली हैं, जिन पर नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण नियुक्ति लटकी हैं। इन नियुक्तियों के लिए सदन में नेता प्रतिपक्ष का होना आवश्यक है। मुख्य सचिव की ओर से लेटर में यह नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कांग्रेस पार्टी के 37 विधायकों में से एक प्रतिनिधि के रूप में नामित कर सरकार को सूचित करने का आग्रह किया है। सीएम ऑफिस से मेल के जरिए और व्यक्तिगत रूप से भी ये सूचना कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को दी गई है। दरअसल, हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष (CLP) न बनाने से BJP सरकार संकट में फंसी हुई है। बिना नेता प्रतिपक्ष के सरकार संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं कर पा रही है। इसे देखते हुए सरकार एडवोकेट जनरल के पास राय लेकर कांग्रेस अध्यक्ष को ये लेटर जारी किया गया है। एक पोस्ट के लिए तीन गुना नाम हुए शॉर्टलिस्ट राज्य सूचना आयोग में नियुक्तियों को लेकर हाल ही में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में नामों को स्कैन करके एक पोस्ट के लिए तीन गुना नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। इन नामों को सीलबंद लिफाफे में रख दिया गया है। अब कांग्रेस की ओर से जब प्रतिनिधि का नाम दे दिया जाएगा तब सर्च कमेटी की मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें सभी नियुक्तियों को लेकर नामों पर चर्चा के बाद मुहर लगा दी जाएगी। 345 आवेदन आए थे हरियाणा सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित 8 राज्य सूचना आयुक्त पदों के लिए कुल 345 आवेदन सरकार के पास आए थे। आवेदन करने वाले में सेवानिवृत्त आईएएस-आईपीएस व एचसीएस ही नहीं बल्कि सेवारत अधिकारी भी शामिल हैं। मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए रहेगा। बाद में इसे तीन और वर्षों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। यूपीए सरकार जब सूचना का अधिकार अधिनियम लेकर आई थी तो यह कार्यकाल पांच वर्षों के लिए होता था। 14 अधिकारियों ने भी किया आवेदन सूत्रों का कहना है कि मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त पद के लिए 14 सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने आवेदन किया है। मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए डॉ़ टीवीएसएन प्रसाद ने मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन किया है। वहीं आयोग में बतौर सूचना आयुक्त कार्यरत प्रदीप शेखावत ने भी मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन किया है। प्रदीप शेखावत का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। अब यहां पढ़िए नियुक्तियों रुकने को लेकर 4 सवाल-जवाब… 1. सवाल: सरकार के सामने संकट क्या है? जवाब: प्रदेश सरकार में कुछ पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार के साथ नेता प्रतिपक्ष की भी जरूरत होती है। चयन समिति में कोरम पूरा होने के बाद ही यह नियुक्तियां की जा सकती हैं। खास तौर पर संवैधानिक पदों के लिए यह अहम हो जाता है। 2.सवाल: सरकार के किन पदों पर नियुक्ति रुक गई है? जवाब: प्रदेश में अभी जगबीर सिंह, प्रदीप कुमार शेखावत 2 ही सूचना आयुक्त हैं। सरकार को 7 सूचना आयुक्त और एक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति करनी है। इनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही। 3. सवाल: इससे क्या नुकसान हो रहा है? जवाब: सूचना आयुक्त न होने से सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI एक्ट) के तहत अपील और शिकायतें लंबित हो रही हैं। इनकी गिनती 7200 से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में RTI के जरिए सूचना मांगने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है। 4. सवाल: सरकार अपने स्तर पर इनकी नियुक्ति क्यों नहीं करती? जवाब: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार बताते हैं कि RTI एक्ट- 2005 की धारा 15 (3) में यह व्यवस्था की गई है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी तीन मेंबरी कमेटी ही करेगी। इस कमेटी में CM और एक मंत्री के अलावा नेता प्रतिपक्ष होना जरूरी है। यह व्यवस्था इसलिए की गई ताकि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में विश्वसनीयता बनी रहे। हरियाणा मुख्य सचिव की ओर से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को लेटर भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकार के सूचना आयुक्त कार्यालय में मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के 8 पद खाली हैं, जिन पर नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण नियुक्ति लटकी हैं। इन नियुक्तियों के लिए सदन में नेता प्रतिपक्ष का होना आवश्यक है। मुख्य सचिव की ओर से लेटर में यह नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कांग्रेस पार्टी के 37 विधायकों में से एक प्रतिनिधि के रूप में नामित कर सरकार को सूचित करने का आग्रह किया है। सीएम ऑफिस से मेल के जरिए और व्यक्तिगत रूप से भी ये सूचना कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को दी गई है। दरअसल, हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष (CLP) न बनाने से BJP सरकार संकट में फंसी हुई है। बिना नेता प्रतिपक्ष के सरकार संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं कर पा रही है। इसे देखते हुए सरकार एडवोकेट जनरल के पास राय लेकर कांग्रेस अध्यक्ष को ये लेटर जारी किया गया है। एक पोस्ट के लिए तीन गुना नाम हुए शॉर्टलिस्ट राज्य सूचना आयोग में नियुक्तियों को लेकर हाल ही में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में नामों को स्कैन करके एक पोस्ट के लिए तीन गुना नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। इन नामों को सीलबंद लिफाफे में रख दिया गया है। अब कांग्रेस की ओर से जब प्रतिनिधि का नाम दे दिया जाएगा तब सर्च कमेटी की मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें सभी नियुक्तियों को लेकर नामों पर चर्चा के बाद मुहर लगा दी जाएगी। 345 आवेदन आए थे हरियाणा सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित 8 राज्य सूचना आयुक्त पदों के लिए कुल 345 आवेदन सरकार के पास आए थे। आवेदन करने वाले में सेवानिवृत्त आईएएस-आईपीएस व एचसीएस ही नहीं बल्कि सेवारत अधिकारी भी शामिल हैं। मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए रहेगा। बाद में इसे तीन और वर्षों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। यूपीए सरकार जब सूचना का अधिकार अधिनियम लेकर आई थी तो यह कार्यकाल पांच वर्षों के लिए होता था। 14 अधिकारियों ने भी किया आवेदन सूत्रों का कहना है कि मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त पद के लिए 14 सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने आवेदन किया है। मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए डॉ़ टीवीएसएन प्रसाद ने मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन किया है। वहीं आयोग में बतौर सूचना आयुक्त कार्यरत प्रदीप शेखावत ने भी मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन किया है। प्रदीप शेखावत का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। अब यहां पढ़िए नियुक्तियों रुकने को लेकर 4 सवाल-जवाब… 1. सवाल: सरकार के सामने संकट क्या है? जवाब: प्रदेश सरकार में कुछ पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार के साथ नेता प्रतिपक्ष की भी जरूरत होती है। चयन समिति में कोरम पूरा होने के बाद ही यह नियुक्तियां की जा सकती हैं। खास तौर पर संवैधानिक पदों के लिए यह अहम हो जाता है। 2.सवाल: सरकार के किन पदों पर नियुक्ति रुक गई है? जवाब: प्रदेश में अभी जगबीर सिंह, प्रदीप कुमार शेखावत 2 ही सूचना आयुक्त हैं। सरकार को 7 सूचना आयुक्त और एक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति करनी है। इनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही। 3. सवाल: इससे क्या नुकसान हो रहा है? जवाब: सूचना आयुक्त न होने से सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI एक्ट) के तहत अपील और शिकायतें लंबित हो रही हैं। इनकी गिनती 7200 से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में RTI के जरिए सूचना मांगने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है। 4. सवाल: सरकार अपने स्तर पर इनकी नियुक्ति क्यों नहीं करती? जवाब: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार बताते हैं कि RTI एक्ट- 2005 की धारा 15 (3) में यह व्यवस्था की गई है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी तीन मेंबरी कमेटी ही करेगी। इस कमेटी में CM और एक मंत्री के अलावा नेता प्रतिपक्ष होना जरूरी है। यह व्यवस्था इसलिए की गई ताकि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में विश्वसनीयता बनी रहे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
