काशी की 6 मस्जिदें, जो टूटेंगी:इनमें औरंगजेब के जमाने में बनी रंगीले शाह मस्जिद भी; मुतवल्ली बोले- पहले सड़कें चौड़ी करें

काशी की 6 मस्जिदें, जो टूटेंगी:इनमें औरंगजेब के जमाने में बनी रंगीले शाह मस्जिद भी; मुतवल्ली बोले- पहले सड़कें चौड़ी करें

काशी की 6 मस्जिदें टूटने वाली हैं। इनमें औरंगजेब के जमाने की रंगीले शाह शाही मस्जिद भी शामिल है। इसके अलावा दावा है कि अन्य सभी मस्जिदें भी 100 से 200 साल तक पुरानी हैं। ये सभी मस्जिद दालमंडी की सड़क पर हैं। अब रास्ते को चौड़ा करने के प्रोजेक्ट की जद में ये मस्जिद भी आ रही हैं। कितना हिस्सा टूटेगा, इसकी नपाई PWD कर चुका है। दैनिक भास्कर ऐप टीम दालमंडी वाली गली में पहुंची। हमें इसका नाम एक स्ट्रीट बोर्ड पर लिखा दिखा- हकीम मोहम्मद जाफर मार्ग। यहां की करीब 200 साल पुरानी इमारतों में रंगरोगन होकर कॉस्मेटिक्स, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानें सजी थीं। दुकानों के साथ टूटने वाली मस्जिदों के इतिहास और टूटने से होने वाले असर पर हमने 6 मस्जिदों के मुतवल्लियों से बात की। उन्होंने कहा- हम सिर्फ मस्जिदों की बात क्यों कर रहे? जिन लोगों का रोजी-रोजगार छिन रहा है, उनकी बात क्यों नहीं कर रहे? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… एक बार में 5 हजार से ज्यादा नमाजी करते हैं इबादत
नई सड़क के कपड़ा मार्केट में लंगड़े हाफिज मस्जिद बनी है। इसमें चांद कमेटी का कार्यालय भी है। मस्जिद की देखभाल ज्ञानवापी मस्जिद की देख-रेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ही करती है। कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन ने बताया- यह मस्जिद आजादी के पहले की है। इसमें जुमे, ईद और बकरीद की नमाज सबसे आखिर में होती है। एक बार में 5 से साढ़े 5 हजार लोग इबादत करते हैं। हमारी खरीदी हुई जमीन पर है मस्जिद
एसएम यासीन ने बताया- यह मस्जिद हमारी खरीदी हुई जमीन पर है। किसी सरकारी जमीन पर नहीं है। जिस जगह यह मस्जिद है, वहां चौड़ीकरण के लिए पर्याप्त सड़क है। कुछ हिस्सा ही जद में आएगा। लेकिन हमें अभी शासन की तरफ से कोई सूचना नहीं है। यह मस्जिद खुदा बक्श जायसी ने बनवाई थी, जो पैर से दिव्यांग थे। अभी तक कोई नक्शा नहीं आया सामने
यासीन ने कहा- दालमंडी के चौड़ीकरण को लेकर अभी तक कोई नक्शा नहीं आया है। क्या अचानक बुलडोजर लेकर आएंगे? बिना मुआवजे के ऐसा करेंगे? मेरा यही मनाना है कि सरकार इस बाजार को छोड़ दे। इस तरह का एक फैशन सा चल गया है। यह उजड़ेगा, तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। यह बेरोजगार करने का एक उपाय है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। मैं यही कहूंगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। 1885 में बनी मस्जिद, पुरखों ने बनवाया
लंगड़े हाफिज की मस्जिद से 100 मीटर दूर निसारन की मस्जिद है। मस्जिद के मुतवल्ली मोहम्मद आजम हमें मस्जिद में ऊपर ले गए, क्योंकि नीचे दुकानें बनी हैं। उन्होंने बताया- यह मस्जिद 1826 में हमारे पुरखों ने तामीर (बनवाई) कराई थी। साल 1929 में इसे सरकारी अभिलेख में दर्ज करवा दिया गया। इसमें एक बार में 250 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। छोटी मस्जिद है, लेकिन तोड़ने की क्या जरूरत
मोहम्मद आजम ने कहा- हमारी मस्जिद बहुत छोटी है। इसे तोड़ने की क्या जरूरत है? सच पूछिए तो दालमंडी गली को ही क्यों तोड़ना? ये सड़क तो नहीं है। पहले सड़कें तो चौड़ी करिए, फिर दालमंडी की बात करिए। अगर सेंटर से 17.5 मीटर यह सड़क चौड़ी होगी, तो 2 से 3 फीट ही मस्जिद का हिस्सा बचेगा। हमें नहीं मिला सरकारी नोटिस, हम कैसे मान लें कि मस्जिद टूटेगी
चौड़ीकरण के जद में आने वाली तीसरी मस्जिद नई सड़क से तकरीबन 150 मीटर दूर बंशीधर कटरे के ठीक सामने मस्जिद रंगीले शाह है। यह शाही मस्जिद है। इसके मुतवल्ली बेलाल अहमद बड़ी मुश्किल से बात करने को तैयार हुए। उन्होंने कहा- हम कैसे मान लें कि मस्जिद टूटेगी? अभी हमें सरकार की तरफ से नोटिस नहीं मिला है। बेलाल अहमद ने बताया- मस्जिद सड़क पर 60 से 65 फिट चौड़ी है। वहीं गहराई करीब 70 फिट है। इसमें एक वक्त में 500 नमाजी नमाज पढ़ते हैं। यह जुमा मस्जिद है। यहां ईद और बकरीद की नमाज भी होती है। औरंगजेब के जमाने में हुई थी तामीर
इस मस्जिद में पिछले 35 साल से नमाज पढ़ रहे मोहम्मद आजम ने बताया- इस मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के समय में हैदराबाद के रहने वाले रंगीले शाह ने करवाया था। ये मस्जिद 400 से 500 साल पुरानी है। इस मस्जिद को तोड़ा जाएगा या सड़क चौड़ी होगी, इसका पता सिर्फ खबरों से चल रहा है। हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया। अगर 17.5 मीटर सड़क चौड़ी हुई, तो मस्जिद का 30% हिस्सा टूट जाएगा। हम चाहते हैं कि सिर्फ मस्जिदें ही नहीं, ये मार्केट भी न तोड़ा जाए। हमारी आस्था को न तोड़ा जाए
नई सड़क पर स्थित दालमंडी गली के मोड़ से 200 मीटर की दूरी पर मस्जिद अली रजा मौजूद है। यह 200 साल पुरानी है। मस्जिद के मुतवल्लियों की कमेटी के सदस्य और मुतवल्ली सेराज अहमद ने बताया- कोई भी अपनी आस्था की चीज नहीं देना चाहता। हम यहां इबादत करते हैं। यह काम हम कई साल से करते चले आ रहे हैं। ऐसे में इसे न तोड़ा जाए। अगर कहीं कोई मंदिर होगा, तो उसे आस्था के नाम पर नहीं तोड़ा जाएगा। ऐसे ही हमारी भी इसमें आस्था है। मस्जिद का सिर्फ 3 फिट हिस्सा बचेगा
सेराज अहमद ने बताया- सड़क पर मस्जिद की लंबाई 60 फीट है। गहराई करीब 26 फीट है। यदि दोनों तरफ मिलाकर सड़क चौड़ीकरण में 17.5 मीटर लिया गया, तो इस मस्जिद का सिर्फ 3 फीट का हिस्सा बचेगा। पूरी मस्जिद खत्म हो जाएगी। ऐसे में सरकार से यही मांग है कि इसे न तोड़ें। गैर मजहब के लोग भी करते हैं इस्तेमाल
सेराज ने बताया- मस्जिद में सभी धर्म के लोग पानी लेने के साथ ही साथ वाशरूम का इस्तेमाल करते हैं। हमने कभी किसी को मना नहीं किया। यह सभी धर्मों के इस्तेमाल की चीज है। उन्होंने बताया मस्जिद में एक वक्त में 550 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। जुमे की नमाज में यह आंकड़ा पूरा रहता है। ऐसे में सरकार दालमंडी का चौड़ीकरण न करें। हमारे पुरखों ने कराई तामीर, 20 साल पुरानी
दालमंडी गली के मोड़ से करीब 350 मीटर दूर घुघरानी गली के पहले संगमरमर वाली मस्जिद है। मस्जिद के मुतवल्ली मोहम्मद साजिद ने बताया- हमारे पास नोटिस नहीं है कि क्या और कितना टूटना है? बस सुन रहे हैं कि कोई नया प्रोजेक्ट आया है। जहां तक मस्जिद की बात है, ये 200 साल पुरानी है। इसका आगे का हिस्सा जर्जर था, जिसे 1935 में दोबारा निर्माण कराया गया है। नहीं है जामा मस्जिद, पढ़ते हैं 100 आदमी नमाज
मुतवल्ली मोहम्मद साजिद ने बताया- यह जामा मस्जिद नहीं है। इसमें एक बार में 100 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। नमाजियों के साथ ही साथ मार्केट के लोग भी इस मस्जिद का पानी पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। जिसमें हिंदू-मुस्लिम सभी हैं। इसकी लंबाई सड़क पर 70 फीट और गहराई 60 फीट है, जो पीछे जाकर पतली हो गई है। कोई जरूरत नहीं चौड़ीकरण की
मोहम्मद साजिद ने बताया- दालमंडी गली और मार्केट है। ऐसे में यहां सड़क काफी चौड़ी है। लोग पैदल मार्केट करने आते-जाते हैं। यही इस मार्केट की खासियत है कि लोग पैदल आते हैं। ऐसे में यहां के चौड़ीकरण की कोई जरूरत नहीं है। यह मस्जिद वक्फ में दर्ज है
मस्जिद करीमुल्लाह बेग की देखभाल करने वाले मिर्जा सैफ बेग ने बताया- मस्जिद हमारी खानदानी है और वक्फ में दर्ज है। इसमें एक मजार भी है। चौड़ीकरण की जद में इसका ज्यादातर हिस्सा चला जाएगा। इतनी पुरानी मस्जिद न टूटे, हम तो यही चाहते हैं। यह मस्जिद दालमंडी के दूसरे छोर चौक पर स्थित है। इसी मस्जिद से गली शुरू होती है। उन्होंने कहा- यह मस्जिद 1811 में बनवाई गई थी। मस्जिद में स्थित मजार का उर्स पर जायरीनों की भीड़ उमड़ती है। एक वक्त में 250 लोग नमाज पढ़ते हैं
यहां के लोग और मस्जिद में ही दुकान चलाने वाले हफीजुर्रहमान उर्फ बाबू ने बताया कि इस मस्जिद में जुमा नहीं होता । एक वक्त में 250-300 लोग नमाज पढ़ते हैं। रमजान में तराबीह की नमाज होती है। इसकी सड़क पर चौड़ाई 60 फिट और गहराई 40 फिट है। हफीजुर्रहमान ने कहा कि इसके टूटने से इबादत की जगह टूटेगी, साथ ही हमारी दुकान भी टूट जाएगी। ————————- यह खबर भी पढ़ें… वाराणसी में 128 साल के शिवानंद बाबा का निधन, 3 दिन से BHU में एडमिट थे; पद्मश्री के समय PM ने भी झुककर प्रणाम किया वाराणसी के 128 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का 3 मई की देर रात निधन हो गया। वह पिछले तीन दिनों से BHU के जेट्रिक वार्ड में एडमिट थे। शनिवार रात 8.45 बजे अंतिम सांस ली। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वहीं शिवानंद बाबा के निधन पर PM मोदी और CM योगी ने दुख जताया। पढ़िए पूरी खबर… काशी की 6 मस्जिदें टूटने वाली हैं। इनमें औरंगजेब के जमाने की रंगीले शाह शाही मस्जिद भी शामिल है। इसके अलावा दावा है कि अन्य सभी मस्जिदें भी 100 से 200 साल तक पुरानी हैं। ये सभी मस्जिद दालमंडी की सड़क पर हैं। अब रास्ते को चौड़ा करने के प्रोजेक्ट की जद में ये मस्जिद भी आ रही हैं। कितना हिस्सा टूटेगा, इसकी नपाई PWD कर चुका है। दैनिक भास्कर ऐप टीम दालमंडी वाली गली में पहुंची। हमें इसका नाम एक स्ट्रीट बोर्ड पर लिखा दिखा- हकीम मोहम्मद जाफर मार्ग। यहां की करीब 200 साल पुरानी इमारतों में रंगरोगन होकर कॉस्मेटिक्स, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानें सजी थीं। दुकानों के साथ टूटने वाली मस्जिदों के इतिहास और टूटने से होने वाले असर पर हमने 6 मस्जिदों के मुतवल्लियों से बात की। उन्होंने कहा- हम सिर्फ मस्जिदों की बात क्यों कर रहे? जिन लोगों का रोजी-रोजगार छिन रहा है, उनकी बात क्यों नहीं कर रहे? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… एक बार में 5 हजार से ज्यादा नमाजी करते हैं इबादत
नई सड़क के कपड़ा मार्केट में लंगड़े हाफिज मस्जिद बनी है। इसमें चांद कमेटी का कार्यालय भी है। मस्जिद की देखभाल ज्ञानवापी मस्जिद की देख-रेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ही करती है। कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन ने बताया- यह मस्जिद आजादी के पहले की है। इसमें जुमे, ईद और बकरीद की नमाज सबसे आखिर में होती है। एक बार में 5 से साढ़े 5 हजार लोग इबादत करते हैं। हमारी खरीदी हुई जमीन पर है मस्जिद
एसएम यासीन ने बताया- यह मस्जिद हमारी खरीदी हुई जमीन पर है। किसी सरकारी जमीन पर नहीं है। जिस जगह यह मस्जिद है, वहां चौड़ीकरण के लिए पर्याप्त सड़क है। कुछ हिस्सा ही जद में आएगा। लेकिन हमें अभी शासन की तरफ से कोई सूचना नहीं है। यह मस्जिद खुदा बक्श जायसी ने बनवाई थी, जो पैर से दिव्यांग थे। अभी तक कोई नक्शा नहीं आया सामने
यासीन ने कहा- दालमंडी के चौड़ीकरण को लेकर अभी तक कोई नक्शा नहीं आया है। क्या अचानक बुलडोजर लेकर आएंगे? बिना मुआवजे के ऐसा करेंगे? मेरा यही मनाना है कि सरकार इस बाजार को छोड़ दे। इस तरह का एक फैशन सा चल गया है। यह उजड़ेगा, तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। यह बेरोजगार करने का एक उपाय है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। मैं यही कहूंगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। 1885 में बनी मस्जिद, पुरखों ने बनवाया
लंगड़े हाफिज की मस्जिद से 100 मीटर दूर निसारन की मस्जिद है। मस्जिद के मुतवल्ली मोहम्मद आजम हमें मस्जिद में ऊपर ले गए, क्योंकि नीचे दुकानें बनी हैं। उन्होंने बताया- यह मस्जिद 1826 में हमारे पुरखों ने तामीर (बनवाई) कराई थी। साल 1929 में इसे सरकारी अभिलेख में दर्ज करवा दिया गया। इसमें एक बार में 250 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। छोटी मस्जिद है, लेकिन तोड़ने की क्या जरूरत
मोहम्मद आजम ने कहा- हमारी मस्जिद बहुत छोटी है। इसे तोड़ने की क्या जरूरत है? सच पूछिए तो दालमंडी गली को ही क्यों तोड़ना? ये सड़क तो नहीं है। पहले सड़कें तो चौड़ी करिए, फिर दालमंडी की बात करिए। अगर सेंटर से 17.5 मीटर यह सड़क चौड़ी होगी, तो 2 से 3 फीट ही मस्जिद का हिस्सा बचेगा। हमें नहीं मिला सरकारी नोटिस, हम कैसे मान लें कि मस्जिद टूटेगी
चौड़ीकरण के जद में आने वाली तीसरी मस्जिद नई सड़क से तकरीबन 150 मीटर दूर बंशीधर कटरे के ठीक सामने मस्जिद रंगीले शाह है। यह शाही मस्जिद है। इसके मुतवल्ली बेलाल अहमद बड़ी मुश्किल से बात करने को तैयार हुए। उन्होंने कहा- हम कैसे मान लें कि मस्जिद टूटेगी? अभी हमें सरकार की तरफ से नोटिस नहीं मिला है। बेलाल अहमद ने बताया- मस्जिद सड़क पर 60 से 65 फिट चौड़ी है। वहीं गहराई करीब 70 फिट है। इसमें एक वक्त में 500 नमाजी नमाज पढ़ते हैं। यह जुमा मस्जिद है। यहां ईद और बकरीद की नमाज भी होती है। औरंगजेब के जमाने में हुई थी तामीर
इस मस्जिद में पिछले 35 साल से नमाज पढ़ रहे मोहम्मद आजम ने बताया- इस मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के समय में हैदराबाद के रहने वाले रंगीले शाह ने करवाया था। ये मस्जिद 400 से 500 साल पुरानी है। इस मस्जिद को तोड़ा जाएगा या सड़क चौड़ी होगी, इसका पता सिर्फ खबरों से चल रहा है। हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया। अगर 17.5 मीटर सड़क चौड़ी हुई, तो मस्जिद का 30% हिस्सा टूट जाएगा। हम चाहते हैं कि सिर्फ मस्जिदें ही नहीं, ये मार्केट भी न तोड़ा जाए। हमारी आस्था को न तोड़ा जाए
नई सड़क पर स्थित दालमंडी गली के मोड़ से 200 मीटर की दूरी पर मस्जिद अली रजा मौजूद है। यह 200 साल पुरानी है। मस्जिद के मुतवल्लियों की कमेटी के सदस्य और मुतवल्ली सेराज अहमद ने बताया- कोई भी अपनी आस्था की चीज नहीं देना चाहता। हम यहां इबादत करते हैं। यह काम हम कई साल से करते चले आ रहे हैं। ऐसे में इसे न तोड़ा जाए। अगर कहीं कोई मंदिर होगा, तो उसे आस्था के नाम पर नहीं तोड़ा जाएगा। ऐसे ही हमारी भी इसमें आस्था है। मस्जिद का सिर्फ 3 फिट हिस्सा बचेगा
सेराज अहमद ने बताया- सड़क पर मस्जिद की लंबाई 60 फीट है। गहराई करीब 26 फीट है। यदि दोनों तरफ मिलाकर सड़क चौड़ीकरण में 17.5 मीटर लिया गया, तो इस मस्जिद का सिर्फ 3 फीट का हिस्सा बचेगा। पूरी मस्जिद खत्म हो जाएगी। ऐसे में सरकार से यही मांग है कि इसे न तोड़ें। गैर मजहब के लोग भी करते हैं इस्तेमाल
सेराज ने बताया- मस्जिद में सभी धर्म के लोग पानी लेने के साथ ही साथ वाशरूम का इस्तेमाल करते हैं। हमने कभी किसी को मना नहीं किया। यह सभी धर्मों के इस्तेमाल की चीज है। उन्होंने बताया मस्जिद में एक वक्त में 550 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। जुमे की नमाज में यह आंकड़ा पूरा रहता है। ऐसे में सरकार दालमंडी का चौड़ीकरण न करें। हमारे पुरखों ने कराई तामीर, 20 साल पुरानी
दालमंडी गली के मोड़ से करीब 350 मीटर दूर घुघरानी गली के पहले संगमरमर वाली मस्जिद है। मस्जिद के मुतवल्ली मोहम्मद साजिद ने बताया- हमारे पास नोटिस नहीं है कि क्या और कितना टूटना है? बस सुन रहे हैं कि कोई नया प्रोजेक्ट आया है। जहां तक मस्जिद की बात है, ये 200 साल पुरानी है। इसका आगे का हिस्सा जर्जर था, जिसे 1935 में दोबारा निर्माण कराया गया है। नहीं है जामा मस्जिद, पढ़ते हैं 100 आदमी नमाज
मुतवल्ली मोहम्मद साजिद ने बताया- यह जामा मस्जिद नहीं है। इसमें एक बार में 100 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। नमाजियों के साथ ही साथ मार्केट के लोग भी इस मस्जिद का पानी पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। जिसमें हिंदू-मुस्लिम सभी हैं। इसकी लंबाई सड़क पर 70 फीट और गहराई 60 फीट है, जो पीछे जाकर पतली हो गई है। कोई जरूरत नहीं चौड़ीकरण की
मोहम्मद साजिद ने बताया- दालमंडी गली और मार्केट है। ऐसे में यहां सड़क काफी चौड़ी है। लोग पैदल मार्केट करने आते-जाते हैं। यही इस मार्केट की खासियत है कि लोग पैदल आते हैं। ऐसे में यहां के चौड़ीकरण की कोई जरूरत नहीं है। यह मस्जिद वक्फ में दर्ज है
मस्जिद करीमुल्लाह बेग की देखभाल करने वाले मिर्जा सैफ बेग ने बताया- मस्जिद हमारी खानदानी है और वक्फ में दर्ज है। इसमें एक मजार भी है। चौड़ीकरण की जद में इसका ज्यादातर हिस्सा चला जाएगा। इतनी पुरानी मस्जिद न टूटे, हम तो यही चाहते हैं। यह मस्जिद दालमंडी के दूसरे छोर चौक पर स्थित है। इसी मस्जिद से गली शुरू होती है। उन्होंने कहा- यह मस्जिद 1811 में बनवाई गई थी। मस्जिद में स्थित मजार का उर्स पर जायरीनों की भीड़ उमड़ती है। एक वक्त में 250 लोग नमाज पढ़ते हैं
यहां के लोग और मस्जिद में ही दुकान चलाने वाले हफीजुर्रहमान उर्फ बाबू ने बताया कि इस मस्जिद में जुमा नहीं होता । एक वक्त में 250-300 लोग नमाज पढ़ते हैं। रमजान में तराबीह की नमाज होती है। इसकी सड़क पर चौड़ाई 60 फिट और गहराई 40 फिट है। हफीजुर्रहमान ने कहा कि इसके टूटने से इबादत की जगह टूटेगी, साथ ही हमारी दुकान भी टूट जाएगी। ————————- यह खबर भी पढ़ें… वाराणसी में 128 साल के शिवानंद बाबा का निधन, 3 दिन से BHU में एडमिट थे; पद्मश्री के समय PM ने भी झुककर प्रणाम किया वाराणसी के 128 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का 3 मई की देर रात निधन हो गया। वह पिछले तीन दिनों से BHU के जेट्रिक वार्ड में एडमिट थे। शनिवार रात 8.45 बजे अंतिम सांस ली। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वहीं शिवानंद बाबा के निधन पर PM मोदी और CM योगी ने दुख जताया। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर