कानपुर में आग से क्यों नहीं बचीं 5 जिंदगियां:फायर ब्रिगेड 50 मिनट लेट बुलाई, 3 मंजिल में गोदाम, सीढ़ियों पर सामान, 4 बड़ी लापरवाही

कानपुर में आग से क्यों नहीं बचीं 5 जिंदगियां:फायर ब्रिगेड 50 मिनट लेट बुलाई, 3 मंजिल में गोदाम, सीढ़ियों पर सामान, 4 बड़ी लापरवाही

कानपुर अग्निकांड में 5 लोगों का परिवार जिंदा जल गया। 8 घंटे में आग पर काबू पाया जा सका। फायरकर्मियों ने जान पर खेलकर अंदर फंसे लोगों को बचाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। जूता कारोबारी दानिश, पत्नी नाजली सबा और 3 बेटियों की जली हुई लाशें तीसरी मंजिल की सीढ़ियों पर मिलीं। सोमवार देर शाम इन्हें ईदगाह कब्रिस्तान में दफना दिया गया। आग पूरी तरह से बुझने के बाद दैनिक भास्कर ऐप टीम एक बार फिर बिल्डिंग में पहुंची। 5 जिंदगियां कैसे आग में जल गईं? फायरकर्मी लेट क्यों पहुंचे? बिल्डिंग के ऊपरी हिस्से में पानी प्रॉपर क्यों नहीं पहुंचा? जान बचाने में कहां क्या खामियां रहीं? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कानपुर का चमनगंज बहुत व्यस्त और संकरी गलियों वाला इलाका है। यहीं पर प्रेमनगर इलाके में जूता कारोबारी दानिश का 4 मंजिला घर है। वह अपने पिता अकील अहमद और भाई कासिब के परिवार के साथ यहीं रहते थे। रविवार रात करीब 8.30 बजे इस इमारत की पहली मंजिल में शॉर्ट सर्किट से आग लगी। फिर धुआं उठते और लपटें बाहर दिखने में ज्यादा समय नहीं लगा। लोग जुटे और आग पर काबू पाने की कोशिश करने लगे। करीब 50 मिनट बाद सभी को समझ में आ गया कि ये आग उनके पानी डालने से नहीं बुझेगी। फायर डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड के मुताबिक, रात में 9.20 बजे पहला कॉल आया। इसके बाद 2 Km दूर लाटूश रोड फायर डिपार्टमेंट से पहली गाड़ी मौके पर पहुंची। अगले 15 मिनट में 3 और गाड़ियां आ गईं। 20 फायर टेंडर आग बुझाने का प्रयास करने लगे। आग बुझाने में 4 बड़ी खामियां दिखाई दीं घर के अंदर फायर फाइटिंग सिस्टम, जो चला ही नहीं
दानिश के दोस्त आसिफ के परिवार वालों से बात करके समझ में आया कि घर में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा हुआ था। लेकिन, आग लगने के वक्त एक्टिव नहीं हुआ। इसकी 2 वजह समझ में आ रही हैं। पहली- ऐसा माना जा रहा है कि आग लगने के बाद दानिश पहले तेजी से बाहर आ गए थे। फिर पत्नी और बेटियों को बचाने के लिए दोबारा अंदर गए। ऐसे में फायर फाइटिंग सिस्टम एक्टिव करने वाले स्विच को दबा ही नहीं पाए। दूसरी- उन्होंने फायर फाइटिंग सिस्टम को एक्टिव करना चाहा, मगर ऐन मौके पर वह धोखा दे गया। इस सिस्टम के लिए अलग से वाटर सप्लाई लाइन थी, जो छत पर बने टैंक से जुड़ी थी। रूट क्लियर करने में ही समय बर्बाद हो गया
दानिश के घर की इमारत में आने-जाने का एक ही रास्ता था। फायर विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची, तब उसे यह पता चला। इधर, आग नीचे से ऊपर की तरफ तेजी से बढ़ चुकी थी। रास्ता बनाने का और कोई जरिया नहीं था। इसके बाद बगल की इमारत से छत पर जाने का रास्ता बनाकर फायर फाइटर्स ऊपर पहुंचे और वहां से दीवार तोड़ी। समस्या एक यह भी थी कि आसपास की दो-दो इमारतों से ऊंची दानिश की इमारत थी। इस कारण पानी नीचे से ऊपर की तरफ चलाया जा रहा था। लेकिन, वह उचित स्थान तक पहुंच ही नहीं पा रहा था। बगल की इमारत से जब दानिश के घर की दीवार तोड़ी गई। तब जाकर फायर फाइटर्स सही स्थान पर केमिकल सॉल्यूशन युक्त पानी डाल सके। इसमें ढाई घंटे का समय बीत चुका था और बहुत देर हो चुकी थी। स्ट्रैटजी बदलने का फैसला देर से लिया गया
जूता कारखाना 6 महीने से बंद था, मगर जूते के अपर, सोल और उन्हें चिपकाने वाले डेंड्राइट केमिकल मौजूद था। आग इनकी वजह से तेजी से भड़कती चली गई। फायर टेंडर अंदर पानी डालते थे, मगर केमिकल की वजह से बार-बार आग भड़क जाती थी। इसलिए रात करीब 1 बजे फायर टेंडर ने स्ट्रैटजी बदली। आग पर केमिकल सॉल्यूशन (फोम) डाला गया। तब आग बुझाई जा सकी। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। DCP सेंट्रल दिनेश त्रिपाठी ने कहा- वहां जिस तरह की स्थिति थी, यह पता लग पाना बहुत मुश्किल था कि आखिर केमिकल किस नेचर के हैं? दानिश, नाजली और 3 बेटियों की लाशें सीढ़ियों पर मिली
फायर टेंडर आग बुझने के बाद अंदर पहुंचे। पहली दो लाशें दानिश और नाजली की तीसरी मंजिल की सीढ़ियों पर मिलीं। परिस्थितियां देखकर समझ आया कि अपने पिता अकील को सुरक्षित बाहर पहुंचाने के बाद दानिश जब अंदर गए, तब वह कमरे के अंदर से नाजली को तो बाहर तो निकाल लाए। लेकिन, तब तक सीढ़ियों पर रखे सामान तक आग पहुंच चुकी थी। उसी वक्त तीसरा ब्लास्ट हुआ और वे दोनों फंस गए। वहीं तीनों बेटियां बचने के लिए ऊपर की तरफ भागी होंगी। प्लान रहा हाेगा कि छत तक पहुंच जाएं। लेकिन, सीढ़ियों में ऊपर लॉक लगा था। इसलिए छत पर नहीं पहुंच सकी। फायर टेंडर को 3 बेटियों की लाशें चौथी मंजिल की सीढ़ियों पर मिलीं। तीनों आपस में चिपकी हुई थीं। दैनिक भास्कर ने कानपुर CFO दीपक शर्मा से बात की। वह पूरी रात रेस्क्यू टीम के साथ मौजूद रहे। पढ़िए उन्होंने क्या-कुछ कहा… सवाल : दमकल की गाड़ियां पहुंचने में देरी क्यों हुई?
जवाब : कंट्रोल रूम में रात 9.20 बजे आग लगने की सूचना मिली। तकरीबन 9.35 पर लाटूश रोड और कर्नलगंज फायर स्टेशन से दमकल की गाड़ियां घटनास्थल पहुंच गईं। जबकि, आग रात में 8:30 बजे लगी थी। हमें सूचना ही लेट दी गई। ये सब हमारे रिकॉर्ड में दर्ज है। सवाल : आग पर काबू पाने में 8 घंटे का वक्त क्यों लगा?
जवाब : पूरी बिल्डिंग आग की चपेट में आ चुकी थी। इस तरह की आग को काबू करने में 24 घंटे भी लग सकते थे। लेकिन, फायर टेंडर ने 8 घंटे में आग पर काबू पा लिया। यह जूता बनाने का कारखाना था। कई केमिकल भी मौजूद थे। कई बार आग बुझाने के दौरान अंदर ब्लास्ट भी हुआ। सवाल : हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म मशीन लाने में 4 घंटे क्यों लगे?
जवाब : हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन तकरीबन रात 12 बजे मंगाई गई थी। इस मशीन को मूव करने के लिए 360 डिग्री घूमना पड़ता है। इसके लिए बिल्डिंग के सामने पर्याप्त जगह नहीं थी। फिर भी रेस्क्यू के लिए बुलाया गया था। सवाल : अंदर ऐसे कौन से केमिकल थे, जिनसे रेस्क्यू में दिक्कत हुई?
जवाब : यह बिल्कुल सही बात है कि बिल्डिंग की पहली और दूसरी मंजिल पर जूते के कारखाने में केमिकल थे। जहां-जहां भी सॉल्यूशन बहकर जा रहा था, आग वहां-वहां फैलती जा रही थी। इसलिए बार-बार आग धधकती हुई दिखाई दे रही थी। सवाल : आग में पूरा परिवार खत्म हो गया। अपने ऑपरेशन को सक्सेस मानेंगे या फेल्योर?
जवाब : हमारे टारगेट में लोगों को सुरक्षित बचाना ही था, लेकिन बिल्डिंग के भीतर घुस पाना मुश्किल था। इसीलिए गाड़ियों से पानी डाला गया। बगल की छत से और सामने की दीवार तोड़ने का काम हथौड़े से किया गया। KDA ने कहा- मैप पास था या नहीं, ये देख रहे
KDA सचिव अभय कुमार पांडेय ने कहा- जिस घर में अग्निकांड हुआ, वहां टीम भेजी गई थी। रिकॉर्ड देखे जा रहे हैं। यह आवासीय भवन था, लेकिन गतिविधि कॉमर्शियल हो रही थी। मैप पास था या नहीं, ये भी हम देख रहे हैं। इसके अलावा इस इलाके में लोगों ने 200-200 वर्गगज में अपार्टमेंट बना लिए हैं। सेटबैक एरिया भी नहीं छोड़ा है। हम पूरे इलाके का सर्वे करके ऐसी इमारतों के खिलाफ अभियान चलाएंगे। ———————— यह खबर भी पढ़ें : कानपुर अग्निकांड- साथ दफनाए गए 5 जनाजे, 4 मंजिला बिल्डिंग में आग लगने से जिंदा जल गए थे पति-पत्नी और 3 बेटियां कानपुर में रविवार रात 8 बजे एक 4 मंजिला बिल्डिंग में आग लग गई। हादसे में एक परिवार के 5 लोग जिंदा जल गए थे। मरने वालों में पति-पत्नी और उनकी 3 बेटियां थे। सोमवार शाम एक साथ 5 जनाजे प्रेमनगर से ईदगाह के कब्रिस्तान ले जाए गए। यहां परिवार वालों की मौजूदगी में पांचों शवों को सुपुर्द-ए-खाक (दफन) किया गया। पढ़िए पूरी खबर.. कानपुर अग्निकांड में 5 लोगों का परिवार जिंदा जल गया। 8 घंटे में आग पर काबू पाया जा सका। फायरकर्मियों ने जान पर खेलकर अंदर फंसे लोगों को बचाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। जूता कारोबारी दानिश, पत्नी नाजली सबा और 3 बेटियों की जली हुई लाशें तीसरी मंजिल की सीढ़ियों पर मिलीं। सोमवार देर शाम इन्हें ईदगाह कब्रिस्तान में दफना दिया गया। आग पूरी तरह से बुझने के बाद दैनिक भास्कर ऐप टीम एक बार फिर बिल्डिंग में पहुंची। 5 जिंदगियां कैसे आग में जल गईं? फायरकर्मी लेट क्यों पहुंचे? बिल्डिंग के ऊपरी हिस्से में पानी प्रॉपर क्यों नहीं पहुंचा? जान बचाने में कहां क्या खामियां रहीं? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कानपुर का चमनगंज बहुत व्यस्त और संकरी गलियों वाला इलाका है। यहीं पर प्रेमनगर इलाके में जूता कारोबारी दानिश का 4 मंजिला घर है। वह अपने पिता अकील अहमद और भाई कासिब के परिवार के साथ यहीं रहते थे। रविवार रात करीब 8.30 बजे इस इमारत की पहली मंजिल में शॉर्ट सर्किट से आग लगी। फिर धुआं उठते और लपटें बाहर दिखने में ज्यादा समय नहीं लगा। लोग जुटे और आग पर काबू पाने की कोशिश करने लगे। करीब 50 मिनट बाद सभी को समझ में आ गया कि ये आग उनके पानी डालने से नहीं बुझेगी। फायर डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड के मुताबिक, रात में 9.20 बजे पहला कॉल आया। इसके बाद 2 Km दूर लाटूश रोड फायर डिपार्टमेंट से पहली गाड़ी मौके पर पहुंची। अगले 15 मिनट में 3 और गाड़ियां आ गईं। 20 फायर टेंडर आग बुझाने का प्रयास करने लगे। आग बुझाने में 4 बड़ी खामियां दिखाई दीं घर के अंदर फायर फाइटिंग सिस्टम, जो चला ही नहीं
दानिश के दोस्त आसिफ के परिवार वालों से बात करके समझ में आया कि घर में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा हुआ था। लेकिन, आग लगने के वक्त एक्टिव नहीं हुआ। इसकी 2 वजह समझ में आ रही हैं। पहली- ऐसा माना जा रहा है कि आग लगने के बाद दानिश पहले तेजी से बाहर आ गए थे। फिर पत्नी और बेटियों को बचाने के लिए दोबारा अंदर गए। ऐसे में फायर फाइटिंग सिस्टम एक्टिव करने वाले स्विच को दबा ही नहीं पाए। दूसरी- उन्होंने फायर फाइटिंग सिस्टम को एक्टिव करना चाहा, मगर ऐन मौके पर वह धोखा दे गया। इस सिस्टम के लिए अलग से वाटर सप्लाई लाइन थी, जो छत पर बने टैंक से जुड़ी थी। रूट क्लियर करने में ही समय बर्बाद हो गया
दानिश के घर की इमारत में आने-जाने का एक ही रास्ता था। फायर विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची, तब उसे यह पता चला। इधर, आग नीचे से ऊपर की तरफ तेजी से बढ़ चुकी थी। रास्ता बनाने का और कोई जरिया नहीं था। इसके बाद बगल की इमारत से छत पर जाने का रास्ता बनाकर फायर फाइटर्स ऊपर पहुंचे और वहां से दीवार तोड़ी। समस्या एक यह भी थी कि आसपास की दो-दो इमारतों से ऊंची दानिश की इमारत थी। इस कारण पानी नीचे से ऊपर की तरफ चलाया जा रहा था। लेकिन, वह उचित स्थान तक पहुंच ही नहीं पा रहा था। बगल की इमारत से जब दानिश के घर की दीवार तोड़ी गई। तब जाकर फायर फाइटर्स सही स्थान पर केमिकल सॉल्यूशन युक्त पानी डाल सके। इसमें ढाई घंटे का समय बीत चुका था और बहुत देर हो चुकी थी। स्ट्रैटजी बदलने का फैसला देर से लिया गया
जूता कारखाना 6 महीने से बंद था, मगर जूते के अपर, सोल और उन्हें चिपकाने वाले डेंड्राइट केमिकल मौजूद था। आग इनकी वजह से तेजी से भड़कती चली गई। फायर टेंडर अंदर पानी डालते थे, मगर केमिकल की वजह से बार-बार आग भड़क जाती थी। इसलिए रात करीब 1 बजे फायर टेंडर ने स्ट्रैटजी बदली। आग पर केमिकल सॉल्यूशन (फोम) डाला गया। तब आग बुझाई जा सकी। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। DCP सेंट्रल दिनेश त्रिपाठी ने कहा- वहां जिस तरह की स्थिति थी, यह पता लग पाना बहुत मुश्किल था कि आखिर केमिकल किस नेचर के हैं? दानिश, नाजली और 3 बेटियों की लाशें सीढ़ियों पर मिली
फायर टेंडर आग बुझने के बाद अंदर पहुंचे। पहली दो लाशें दानिश और नाजली की तीसरी मंजिल की सीढ़ियों पर मिलीं। परिस्थितियां देखकर समझ आया कि अपने पिता अकील को सुरक्षित बाहर पहुंचाने के बाद दानिश जब अंदर गए, तब वह कमरे के अंदर से नाजली को तो बाहर तो निकाल लाए। लेकिन, तब तक सीढ़ियों पर रखे सामान तक आग पहुंच चुकी थी। उसी वक्त तीसरा ब्लास्ट हुआ और वे दोनों फंस गए। वहीं तीनों बेटियां बचने के लिए ऊपर की तरफ भागी होंगी। प्लान रहा हाेगा कि छत तक पहुंच जाएं। लेकिन, सीढ़ियों में ऊपर लॉक लगा था। इसलिए छत पर नहीं पहुंच सकी। फायर टेंडर को 3 बेटियों की लाशें चौथी मंजिल की सीढ़ियों पर मिलीं। तीनों आपस में चिपकी हुई थीं। दैनिक भास्कर ने कानपुर CFO दीपक शर्मा से बात की। वह पूरी रात रेस्क्यू टीम के साथ मौजूद रहे। पढ़िए उन्होंने क्या-कुछ कहा… सवाल : दमकल की गाड़ियां पहुंचने में देरी क्यों हुई?
जवाब : कंट्रोल रूम में रात 9.20 बजे आग लगने की सूचना मिली। तकरीबन 9.35 पर लाटूश रोड और कर्नलगंज फायर स्टेशन से दमकल की गाड़ियां घटनास्थल पहुंच गईं। जबकि, आग रात में 8:30 बजे लगी थी। हमें सूचना ही लेट दी गई। ये सब हमारे रिकॉर्ड में दर्ज है। सवाल : आग पर काबू पाने में 8 घंटे का वक्त क्यों लगा?
जवाब : पूरी बिल्डिंग आग की चपेट में आ चुकी थी। इस तरह की आग को काबू करने में 24 घंटे भी लग सकते थे। लेकिन, फायर टेंडर ने 8 घंटे में आग पर काबू पा लिया। यह जूता बनाने का कारखाना था। कई केमिकल भी मौजूद थे। कई बार आग बुझाने के दौरान अंदर ब्लास्ट भी हुआ। सवाल : हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म मशीन लाने में 4 घंटे क्यों लगे?
जवाब : हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन तकरीबन रात 12 बजे मंगाई गई थी। इस मशीन को मूव करने के लिए 360 डिग्री घूमना पड़ता है। इसके लिए बिल्डिंग के सामने पर्याप्त जगह नहीं थी। फिर भी रेस्क्यू के लिए बुलाया गया था। सवाल : अंदर ऐसे कौन से केमिकल थे, जिनसे रेस्क्यू में दिक्कत हुई?
जवाब : यह बिल्कुल सही बात है कि बिल्डिंग की पहली और दूसरी मंजिल पर जूते के कारखाने में केमिकल थे। जहां-जहां भी सॉल्यूशन बहकर जा रहा था, आग वहां-वहां फैलती जा रही थी। इसलिए बार-बार आग धधकती हुई दिखाई दे रही थी। सवाल : आग में पूरा परिवार खत्म हो गया। अपने ऑपरेशन को सक्सेस मानेंगे या फेल्योर?
जवाब : हमारे टारगेट में लोगों को सुरक्षित बचाना ही था, लेकिन बिल्डिंग के भीतर घुस पाना मुश्किल था। इसीलिए गाड़ियों से पानी डाला गया। बगल की छत से और सामने की दीवार तोड़ने का काम हथौड़े से किया गया। KDA ने कहा- मैप पास था या नहीं, ये देख रहे
KDA सचिव अभय कुमार पांडेय ने कहा- जिस घर में अग्निकांड हुआ, वहां टीम भेजी गई थी। रिकॉर्ड देखे जा रहे हैं। यह आवासीय भवन था, लेकिन गतिविधि कॉमर्शियल हो रही थी। मैप पास था या नहीं, ये भी हम देख रहे हैं। इसके अलावा इस इलाके में लोगों ने 200-200 वर्गगज में अपार्टमेंट बना लिए हैं। सेटबैक एरिया भी नहीं छोड़ा है। हम पूरे इलाके का सर्वे करके ऐसी इमारतों के खिलाफ अभियान चलाएंगे। ———————— यह खबर भी पढ़ें : कानपुर अग्निकांड- साथ दफनाए गए 5 जनाजे, 4 मंजिला बिल्डिंग में आग लगने से जिंदा जल गए थे पति-पत्नी और 3 बेटियां कानपुर में रविवार रात 8 बजे एक 4 मंजिला बिल्डिंग में आग लग गई। हादसे में एक परिवार के 5 लोग जिंदा जल गए थे। मरने वालों में पति-पत्नी और उनकी 3 बेटियां थे। सोमवार शाम एक साथ 5 जनाजे प्रेमनगर से ईदगाह के कब्रिस्तान ले जाए गए। यहां परिवार वालों की मौजूदगी में पांचों शवों को सुपुर्द-ए-खाक (दफन) किया गया। पढ़िए पूरी खबर..   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर