<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश सरकार ने आज कैबिनेट की बैठक में ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में 1600 मेगावाट की नई तापीय बिजली परियोजना की मंजूरी दी है. इस परियोजना के जरिए प्रदेश को 1500 मेगावाट बिजली मिलने जा रही है. खास बात यह है कि इस बिजली की दर न केवल अन्य निजी व सार्वजनिक परियोजनाओं से सस्ती है, बल्कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों की तुलना में भी कम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह परियोजना DBFOO (डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ओन एंड ऑपरेट) मॉडल पर आधारित होगी, जिसके तहत परियोजना विकसित करने वाली कंपनी खुद इसके लिए ज़मीन, पानी और पर्यावरणीय मंजूरी की व्यवस्था करेगी. सरकार की ओर से सिर्फ कोयले की आपूर्ति तय की जाएगी. इस मॉडल से राज्य पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा और बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अडानी पावर लिमिटेड को मिला सबसे कम दर पर बिजली देने का मौका</strong><br />सरकार द्वारा बुलाई गई बोली प्रक्रिया में अडानी पावर लिमिटेड ने सबसे कम टैरिफ-5.383 रुपये प्रति यूनिट-प्रस्तावित किया. इसके बाद हुई बातचीत में कंपनी ने अपनी दरों को और घटा दिया, जिससे प्रदेश सरकार को अगले 25 वर्षों में करीब 2958 करोड़ रुपये की बचत होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नई परियोजना के तहत अडानी पावर 3.727 रुपये प्रति यूनिट फिक्स्ड चार्ज और 1.656 रुपये प्रति यूनिट फ्यूल चार्ज पर बिजली देगी. यह दरें प्रदेश की मौजूदा कई परियोजनाओं से काफी कम हैं. उदाहरण के लिए, ललितपुर परियोजना की दरें वर्तमान में 5.503 रुपये और 2030-31 में 6.831 रुपये प्रति यूनिट होंगी. सार्वजनिक क्षेत्र की जवाहरपुर, ओबरा, घाटमपुर और पनकी जैसी परियोजनाओं की दरें भी 6 से 9 रुपये प्रति यूनिट के बीच हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2030-31 में होगी बिजली की भारी मांग, तैयारी में जुटी योगी सरकार<br /></strong>केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2033-34 तक उत्तर प्रदेश को 10,795 मेगावाट अतिरिक्त तापीय ऊर्जा की जरूरत होगी. साथ ही, अक्षय ऊर्जा के तहत 23,500 मेगावाट का रोडमैप भी तैयार किया गया है, जिसमें सौर, पवन और हाइड्रो पावर शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि 2029-30 से प्रदेश में चौबीसों घंटे बिजली की जरूरत को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा. इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना लाई गई है, जिससे भविष्य में बिजली की किल्लत से बचा जा सके.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश सरकार ने आज कैबिनेट की बैठक में ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में 1600 मेगावाट की नई तापीय बिजली परियोजना की मंजूरी दी है. इस परियोजना के जरिए प्रदेश को 1500 मेगावाट बिजली मिलने जा रही है. खास बात यह है कि इस बिजली की दर न केवल अन्य निजी व सार्वजनिक परियोजनाओं से सस्ती है, बल्कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों की तुलना में भी कम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह परियोजना DBFOO (डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ओन एंड ऑपरेट) मॉडल पर आधारित होगी, जिसके तहत परियोजना विकसित करने वाली कंपनी खुद इसके लिए ज़मीन, पानी और पर्यावरणीय मंजूरी की व्यवस्था करेगी. सरकार की ओर से सिर्फ कोयले की आपूर्ति तय की जाएगी. इस मॉडल से राज्य पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा और बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अडानी पावर लिमिटेड को मिला सबसे कम दर पर बिजली देने का मौका</strong><br />सरकार द्वारा बुलाई गई बोली प्रक्रिया में अडानी पावर लिमिटेड ने सबसे कम टैरिफ-5.383 रुपये प्रति यूनिट-प्रस्तावित किया. इसके बाद हुई बातचीत में कंपनी ने अपनी दरों को और घटा दिया, जिससे प्रदेश सरकार को अगले 25 वर्षों में करीब 2958 करोड़ रुपये की बचत होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नई परियोजना के तहत अडानी पावर 3.727 रुपये प्रति यूनिट फिक्स्ड चार्ज और 1.656 रुपये प्रति यूनिट फ्यूल चार्ज पर बिजली देगी. यह दरें प्रदेश की मौजूदा कई परियोजनाओं से काफी कम हैं. उदाहरण के लिए, ललितपुर परियोजना की दरें वर्तमान में 5.503 रुपये और 2030-31 में 6.831 रुपये प्रति यूनिट होंगी. सार्वजनिक क्षेत्र की जवाहरपुर, ओबरा, घाटमपुर और पनकी जैसी परियोजनाओं की दरें भी 6 से 9 रुपये प्रति यूनिट के बीच हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2030-31 में होगी बिजली की भारी मांग, तैयारी में जुटी योगी सरकार<br /></strong>केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2033-34 तक उत्तर प्रदेश को 10,795 मेगावाट अतिरिक्त तापीय ऊर्जा की जरूरत होगी. साथ ही, अक्षय ऊर्जा के तहत 23,500 मेगावाट का रोडमैप भी तैयार किया गया है, जिसमें सौर, पवन और हाइड्रो पावर शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि 2029-30 से प्रदेश में चौबीसों घंटे बिजली की जरूरत को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा. इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना लाई गई है, जिससे भविष्य में बिजली की किल्लत से बचा जा सके.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Rohini Acharya: ‘जंग’ वाले सायरन पर भड़कीं रोहिणी आचार्य! किसे कहा ‘शोले के वीरू’?
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा यूपी, 1600 मेगावाट की नई तापीय परियोजना से मिलेगी सस्ती बिजली
