नेपाल बॉर्डर पर है यूपी का जिला सिद्धार्थनगर। यहां 31 साल में मदरसों की संख्या 37 गुना से ज्यादा हो गई है। कुछ ऐसा ही हाल नेपाल बॉर्डर से लगे यूपी के 6 और जिलों का भी है। मदरसे बनाने के लिए विदेश से भी फंडिंग हुई। मदरसे में नकली नोट छापने के सबूत भी मिले हैं। अवैध तरीके से खड़े हो रहे मदरसों को रोकने लिए प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए आगे आना पड़ा। दैनिक भास्कर की टीम इस वक्त भारत-नेपाल सीमा पर ही मौजूद है। हमने यहां पिछले एक दशक में तेजी से तैयार हुए मदरसों और मस्जिद के निर्माण की वजह को समझा। प्रशासन की कार्रवाई का कारण जाना। उनके सामने आ रही चुनौती और चिंता को समझा। पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए सिद्धार्थनगर की स्थिति
सिद्धार्थनगर में 1990 में सिर्फ 16 मान्यता प्राप्त मदरसे थे। साल 2000 में मदरसों की संख्या 147 पहुंच गई। इसमें मान्यता प्राप्त सिर्फ 45 ही थे। 2021 में जिले के अंदर मदरसों की 597 पहुंच गई। इनमें 145 ऐसे मदरसे हैं, जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं। सबसे ज्यादा 152 मदरसे डुमरियागंज तहसील में हैं। इसके अलावा इटवा में 134, नौगढ़ में 119, शोहरतगढ़ में 102 और बांसी तहसील में 90 मदरसे चल रहे हैं। श्रावस्ती के मदरसे में छापे जा रहे थे नकली नोट
हम श्रावस्ती जिले पहुंचे, जहां सबसे ज्यादा कार्रवाई हो रही है। भारत-नेपाल सीमा की तरफ आगे बढ़ने पर जगह-जगह सड़क के किनारे मजार नजर आती हैं। फतेहपुर बनगई गांव में सड़क के एकदम किनारे एक कर्बला था। हम यहां रुके और उसके बारे में जानने की कोशिश की। यहां हमें रामकरन गुप्ता मिले। वह कहते हैं- पहले यह नहीं था। अब यहां मुस्लिम लोग मुहर्रम पर ताजिया लेकर आते हैं। हमने पूछा कि आपके गांव में कोई नई मस्जिद-मदरसा भी बना क्या? रामकरन कहते हैं- हमारे गांव में एक तो बहुत पुरानी मस्जिद है। दो मदरसे भी हैं। एक तो पहले बना था, दूसरा कुछ साल पहले ही बना है। इस गांव में जो मदरसा तैयार हुआ, वह गांव के ही लोगों ने चंदा मिलाकर तैयार करवाया है। गांव में प्राइमरी स्कूल भी है, लेकिन उसमें मुस्लिम बच्चों की संख्या हिंदू बच्चों के मुकाबले कम है। इसी गांव के पास गंगापुर है। यहां 3 महीने पहले पुलिस ने फैजुरनबी मदरसे में छापा मारकर नकली नोट छापने के गैंग का खुलासा किया था। पुलिस ने मदरसा संचालक मुबारक अली उर्फ नूरी को भी गिरफ्तार किया था। साथ ही 34 हजार 500 रुपए के नकली नोट जब्त किए थे। पूछताछ में पता चला कि मुबारक की पांच बीवियां हैं। एक इस मदरसे में बच्चों को पढ़ाती थी। पुलिस ने फिलहाल मदरसा सील कर दिया गया है। मदरसे ने सरकारी शौचालय पर किया कब्जा
इसके बाद हम जमुनहा पहुंचे। यह श्रावस्ती की एक तहसील है। कस्बे में ही एक नया ईदगाह बना है। बगल वाले गांव सागर में भी एक नई मस्जिद बनी है। हमें गांव के ही वकील संतोष कुमार पाठक मिले। वह कहते हैं- एक साल पहले गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करके इसे बनवाया है। जमुनहा के पास ही जामियातुल हुदा मदरसे को प्रशासन ने सील किया है। इसे लेकर हम मौजूदा जिला पंचायत सदस्य हरीश गांधी से मिले। वह कहते हैं- 2 साल पहले मदरसे के पास ही सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया गया था। कुछ वक्त के बाद मदरसे वालों ने अगल-बगल दीवार उठाकर शौचालय को मदरसे की बाउंड्री के अंदर कर लिया। लोगों ने शिकायत की तो हम पहुंचे। वह कहते हैं कि आज दीवार हटा देंगे, कल हटा देंगे लेकिन हटाया नहीं। हरीश गांधी आगे कहते हैं- एक दिन हमारे यहां RSS के जिला प्रचारक आए, हमने उन्हें यह बात बताई। वहां पहुंचे और दीवार को गिरवा दिया। इसके बाद बहुत हंगामा हो गया। भीड़ लग गई। अफवाह फैली कि हरीश गांधी ने मस्जिद तुड़वा दी। पूरे जिले का प्रशासन यहां पहुंच गया। पिछले 10 साल में तेजी से बढ़ी मदरसों की संख्या, 4 साल में 300 मस्जिदें बढ़ीं
यूपी सरकार भारत-नेपाल सीमा पर बीच-बीच में सर्वे करवाती है। इसमें अवैध निर्माण के साथ मदरसे और मस्जिदों की संख्या के बारे में भी जानकारी होती है। 2014 में जब सर्वे करवाया गया था। तब सर्वे के लिए सीमा से 10 किलोमीटर के अंदर का एरिया लिया गया था। उस वक्त सिद्धार्थनगर में 222 मस्जिद और 181 मदरसा थे। इसी तरह महाराजगंज में 135 मस्जिद और 143 मदरसा, बलरामपुर में 35 मस्जिद और 46 मदरसा, बहराइच में 38 मस्जिद और 79 मदरसा, लखीमपुर खीरी में 10 मस्जिद और 10 मदरसा, पीलीभीत में सिर्फ एक मस्जिद इस एरिया में थी। 2018 में यूपी सरकार ने फिर से सर्वे किया। इस बार सर्वे का एरिया सीमा से 15 किलोमीटर लिया। 7 जिलों में तय क्षेत्रफल में 768 मस्जिद मिलीं। मदरसों की संख्या 581 हो गई। 2017 से यूपी के अंदर किसी नए मदरसे को मान्यता नहीं मिली थी। इसलिए नए मदरसों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी। 2022 में एक बार फिर यूपी सरकार ने सर्वे करवाया। सर्वे का एरिया 15 किलोमीटर रखा गया। इस बार आंकड़े में करीब 25% का इजाफा हुआ। मस्जिदों की संख्या 1 हजार पहुंच गईं और मदरसों की संख्या 645 तक पहुंच गई। यानी 4 साल पहले मस्जिद-मदरसे की जो संख्या 1349 थी, वह बढ़कर 1688 पहुंच गई। 500 से ज्यादा अवैध मदरसे मिले
2022 में यूपी सरकार ने पूरे यूपी में मदरसों की मान्यता को चेक करने का अभियान चलाया। नेपाल सीमा से जुड़े इन 7 जिलों में 1350 मदरसे ऐसे मिले जिनके पास मान्यता ही नहीं थी। इन सबको नोटिस दिया गया, कई मदरसों को सील किया गया। लेकिन, कुछ वक्त बंद रहने के बाद यह फिर से शुरू हो गए। इस साल 25 अप्रैल से एक बार फिर से सर्वे का काम शुरू हो गया है। अब तक इन 7 जिलों में 100 से अधिक मदरसों को सील किया जा चुका है। मस्जिद-मदरसों के लिए विदेशी फंडिंग भी मिली
2023 के आखिर में यूपी पुलिस को इनपुट मिला कि सीमा से जुड़े इन जिलों में मस्जिद और मदरसों के लिए खाड़ी देशों से फंडिंग आ रही है। यह मामला बेहद संवेदनशील था। इसलिए तुरंत ही 3 सदस्यीय SIT बना दी गई। इसका नेतृत्व एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल को मिला। उस वक्त जांच हुई, तो 108 मदरसों को फंडिंग मिलने का प्रमाण मिला। प्रशासन ने इन सभी मदरसों से बैंक डिटेल मांग ली। जांच में पता चला कि 2 साल के अंदर करीब 150 करोड़ रुपए खाड़ी देशों से यहां आए। SIT का अब पूरा फोकस इस बात पर हो गया था कि ये पैसे किन चीजों पर खर्च किए गए? उनकी जांच का एक विषय यह भी था कि कहीं यह देशविरोधी गतिविधियों में तो नहीं खर्च हो रहा? इसके अलावा मदरसे कहीं घुसपैठियों के रुकने का अड्डा तो नहीं बन गए? जांच में दिल्ली का एक एनजीओ भी निशाने पर आया था। उसने करीब 20 करोड़ रुपए इन मदरसों को दिए थे। बिना फंडिंग इतनी मस्जिद-मदरसे नहीं बन सकते
हमारी मुलाकात श्रावस्ती के मल्हीपुर में प्रहलाद सिंह से हुई। प्रहलाद बॉर्डर इलाके में जिला पंचायत सदस्य रह चुके है। वह कहते हैं- पिछले 10-12 साल में मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बहुत सारे मदरसे इल्लीगल (अवैध) चल रहे हैं। बिना फंडिंग नहीं चल पाएंगे। हालांकि कई लोग कह रहे कि उनके पास पूरे कागज हैं फिर भी सील किया गया है। वह तो जांच में ही पता चल पाएगा। कल पढ़ें…हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी ———————— ये खबर भी पढ़ें… भारत-नेपाल सीमा पर 100 अवैध मदरसे सील, श्रावस्ती में सबसे ज्यादा 75, पढ़ाई की जगह झाड़-फूंक करते थे यूपी में नेपाल सीमा से सटे कुल 7 जिले हैं। इनमें बहराइच, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, पीलीभीत और बलरामपुर शामिल हैं। यूपी सरकार को लगातार इनपुट मिल रहे थे कि इन जिलों की सीमा से जुड़े गांव में अवैध तरीके से मदरसे खुल रहे हैं। सरकारी जमीनों पर कब्जा हो रहा है। पढ़ें पूरी खबर नेपाल बॉर्डर पर है यूपी का जिला सिद्धार्थनगर। यहां 31 साल में मदरसों की संख्या 37 गुना से ज्यादा हो गई है। कुछ ऐसा ही हाल नेपाल बॉर्डर से लगे यूपी के 6 और जिलों का भी है। मदरसे बनाने के लिए विदेश से भी फंडिंग हुई। मदरसे में नकली नोट छापने के सबूत भी मिले हैं। अवैध तरीके से खड़े हो रहे मदरसों को रोकने लिए प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए आगे आना पड़ा। दैनिक भास्कर की टीम इस वक्त भारत-नेपाल सीमा पर ही मौजूद है। हमने यहां पिछले एक दशक में तेजी से तैयार हुए मदरसों और मस्जिद के निर्माण की वजह को समझा। प्रशासन की कार्रवाई का कारण जाना। उनके सामने आ रही चुनौती और चिंता को समझा। पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए सिद्धार्थनगर की स्थिति
सिद्धार्थनगर में 1990 में सिर्फ 16 मान्यता प्राप्त मदरसे थे। साल 2000 में मदरसों की संख्या 147 पहुंच गई। इसमें मान्यता प्राप्त सिर्फ 45 ही थे। 2021 में जिले के अंदर मदरसों की 597 पहुंच गई। इनमें 145 ऐसे मदरसे हैं, जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं। सबसे ज्यादा 152 मदरसे डुमरियागंज तहसील में हैं। इसके अलावा इटवा में 134, नौगढ़ में 119, शोहरतगढ़ में 102 और बांसी तहसील में 90 मदरसे चल रहे हैं। श्रावस्ती के मदरसे में छापे जा रहे थे नकली नोट
हम श्रावस्ती जिले पहुंचे, जहां सबसे ज्यादा कार्रवाई हो रही है। भारत-नेपाल सीमा की तरफ आगे बढ़ने पर जगह-जगह सड़क के किनारे मजार नजर आती हैं। फतेहपुर बनगई गांव में सड़क के एकदम किनारे एक कर्बला था। हम यहां रुके और उसके बारे में जानने की कोशिश की। यहां हमें रामकरन गुप्ता मिले। वह कहते हैं- पहले यह नहीं था। अब यहां मुस्लिम लोग मुहर्रम पर ताजिया लेकर आते हैं। हमने पूछा कि आपके गांव में कोई नई मस्जिद-मदरसा भी बना क्या? रामकरन कहते हैं- हमारे गांव में एक तो बहुत पुरानी मस्जिद है। दो मदरसे भी हैं। एक तो पहले बना था, दूसरा कुछ साल पहले ही बना है। इस गांव में जो मदरसा तैयार हुआ, वह गांव के ही लोगों ने चंदा मिलाकर तैयार करवाया है। गांव में प्राइमरी स्कूल भी है, लेकिन उसमें मुस्लिम बच्चों की संख्या हिंदू बच्चों के मुकाबले कम है। इसी गांव के पास गंगापुर है। यहां 3 महीने पहले पुलिस ने फैजुरनबी मदरसे में छापा मारकर नकली नोट छापने के गैंग का खुलासा किया था। पुलिस ने मदरसा संचालक मुबारक अली उर्फ नूरी को भी गिरफ्तार किया था। साथ ही 34 हजार 500 रुपए के नकली नोट जब्त किए थे। पूछताछ में पता चला कि मुबारक की पांच बीवियां हैं। एक इस मदरसे में बच्चों को पढ़ाती थी। पुलिस ने फिलहाल मदरसा सील कर दिया गया है। मदरसे ने सरकारी शौचालय पर किया कब्जा
इसके बाद हम जमुनहा पहुंचे। यह श्रावस्ती की एक तहसील है। कस्बे में ही एक नया ईदगाह बना है। बगल वाले गांव सागर में भी एक नई मस्जिद बनी है। हमें गांव के ही वकील संतोष कुमार पाठक मिले। वह कहते हैं- एक साल पहले गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करके इसे बनवाया है। जमुनहा के पास ही जामियातुल हुदा मदरसे को प्रशासन ने सील किया है। इसे लेकर हम मौजूदा जिला पंचायत सदस्य हरीश गांधी से मिले। वह कहते हैं- 2 साल पहले मदरसे के पास ही सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया गया था। कुछ वक्त के बाद मदरसे वालों ने अगल-बगल दीवार उठाकर शौचालय को मदरसे की बाउंड्री के अंदर कर लिया। लोगों ने शिकायत की तो हम पहुंचे। वह कहते हैं कि आज दीवार हटा देंगे, कल हटा देंगे लेकिन हटाया नहीं। हरीश गांधी आगे कहते हैं- एक दिन हमारे यहां RSS के जिला प्रचारक आए, हमने उन्हें यह बात बताई। वहां पहुंचे और दीवार को गिरवा दिया। इसके बाद बहुत हंगामा हो गया। भीड़ लग गई। अफवाह फैली कि हरीश गांधी ने मस्जिद तुड़वा दी। पूरे जिले का प्रशासन यहां पहुंच गया। पिछले 10 साल में तेजी से बढ़ी मदरसों की संख्या, 4 साल में 300 मस्जिदें बढ़ीं
यूपी सरकार भारत-नेपाल सीमा पर बीच-बीच में सर्वे करवाती है। इसमें अवैध निर्माण के साथ मदरसे और मस्जिदों की संख्या के बारे में भी जानकारी होती है। 2014 में जब सर्वे करवाया गया था। तब सर्वे के लिए सीमा से 10 किलोमीटर के अंदर का एरिया लिया गया था। उस वक्त सिद्धार्थनगर में 222 मस्जिद और 181 मदरसा थे। इसी तरह महाराजगंज में 135 मस्जिद और 143 मदरसा, बलरामपुर में 35 मस्जिद और 46 मदरसा, बहराइच में 38 मस्जिद और 79 मदरसा, लखीमपुर खीरी में 10 मस्जिद और 10 मदरसा, पीलीभीत में सिर्फ एक मस्जिद इस एरिया में थी। 2018 में यूपी सरकार ने फिर से सर्वे किया। इस बार सर्वे का एरिया सीमा से 15 किलोमीटर लिया। 7 जिलों में तय क्षेत्रफल में 768 मस्जिद मिलीं। मदरसों की संख्या 581 हो गई। 2017 से यूपी के अंदर किसी नए मदरसे को मान्यता नहीं मिली थी। इसलिए नए मदरसों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी। 2022 में एक बार फिर यूपी सरकार ने सर्वे करवाया। सर्वे का एरिया 15 किलोमीटर रखा गया। इस बार आंकड़े में करीब 25% का इजाफा हुआ। मस्जिदों की संख्या 1 हजार पहुंच गईं और मदरसों की संख्या 645 तक पहुंच गई। यानी 4 साल पहले मस्जिद-मदरसे की जो संख्या 1349 थी, वह बढ़कर 1688 पहुंच गई। 500 से ज्यादा अवैध मदरसे मिले
2022 में यूपी सरकार ने पूरे यूपी में मदरसों की मान्यता को चेक करने का अभियान चलाया। नेपाल सीमा से जुड़े इन 7 जिलों में 1350 मदरसे ऐसे मिले जिनके पास मान्यता ही नहीं थी। इन सबको नोटिस दिया गया, कई मदरसों को सील किया गया। लेकिन, कुछ वक्त बंद रहने के बाद यह फिर से शुरू हो गए। इस साल 25 अप्रैल से एक बार फिर से सर्वे का काम शुरू हो गया है। अब तक इन 7 जिलों में 100 से अधिक मदरसों को सील किया जा चुका है। मस्जिद-मदरसों के लिए विदेशी फंडिंग भी मिली
2023 के आखिर में यूपी पुलिस को इनपुट मिला कि सीमा से जुड़े इन जिलों में मस्जिद और मदरसों के लिए खाड़ी देशों से फंडिंग आ रही है। यह मामला बेहद संवेदनशील था। इसलिए तुरंत ही 3 सदस्यीय SIT बना दी गई। इसका नेतृत्व एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल को मिला। उस वक्त जांच हुई, तो 108 मदरसों को फंडिंग मिलने का प्रमाण मिला। प्रशासन ने इन सभी मदरसों से बैंक डिटेल मांग ली। जांच में पता चला कि 2 साल के अंदर करीब 150 करोड़ रुपए खाड़ी देशों से यहां आए। SIT का अब पूरा फोकस इस बात पर हो गया था कि ये पैसे किन चीजों पर खर्च किए गए? उनकी जांच का एक विषय यह भी था कि कहीं यह देशविरोधी गतिविधियों में तो नहीं खर्च हो रहा? इसके अलावा मदरसे कहीं घुसपैठियों के रुकने का अड्डा तो नहीं बन गए? जांच में दिल्ली का एक एनजीओ भी निशाने पर आया था। उसने करीब 20 करोड़ रुपए इन मदरसों को दिए थे। बिना फंडिंग इतनी मस्जिद-मदरसे नहीं बन सकते
हमारी मुलाकात श्रावस्ती के मल्हीपुर में प्रहलाद सिंह से हुई। प्रहलाद बॉर्डर इलाके में जिला पंचायत सदस्य रह चुके है। वह कहते हैं- पिछले 10-12 साल में मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बहुत सारे मदरसे इल्लीगल (अवैध) चल रहे हैं। बिना फंडिंग नहीं चल पाएंगे। हालांकि कई लोग कह रहे कि उनके पास पूरे कागज हैं फिर भी सील किया गया है। वह तो जांच में ही पता चल पाएगा। कल पढ़ें…हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी ———————— ये खबर भी पढ़ें… भारत-नेपाल सीमा पर 100 अवैध मदरसे सील, श्रावस्ती में सबसे ज्यादा 75, पढ़ाई की जगह झाड़-फूंक करते थे यूपी में नेपाल सीमा से सटे कुल 7 जिले हैं। इनमें बहराइच, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, पीलीभीत और बलरामपुर शामिल हैं। यूपी सरकार को लगातार इनपुट मिल रहे थे कि इन जिलों की सीमा से जुड़े गांव में अवैध तरीके से मदरसे खुल रहे हैं। सरकारी जमीनों पर कब्जा हो रहा है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
भारत-नेपाल सीमा पर 31 साल में 37 गुना मदरसे बढ़े:2 साल में खाड़ी देशों ने 150 करोड़ की फंडिंग की; नकली नोट भी छापे
