भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने एक सराहनीय और मानवीय पहल की है। समिति ने सीमा क्षेत्र से विस्थापित हो रहे लोगों के लिए गुरुद्वारों में शरण और लंगर की व्यवस्था करने की घोषणा की है। SGPC अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है, जिसके तहत ऐतिहासिक गुरुद्वारों की सरायों (धर्मशालाओं) में ठहरने की व्यवस्था की जाएगी और लंगर भी चलाया जाएगा। SGPC के सचिव प्रताप सिंह ने बताया कि मौजूदा हालात के चलते बॉर्डर एरिया के निवासियों की सुरक्षा और राहत के लिए SGPC के अंतर्गत आने वाले विभिन्न गुरुद्वारों में विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि SGPC अध्यक्ष के निर्देश पर संबंधित गुरुद्वारों के प्रबंधकों को पत्र जारी किए गए हैं, जिनमें उन्हें तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। जरूरत पड़ने पर अन्य गुरुद्वारे भी होंगे शामिल SGPC ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति जो सीमा क्षेत्र से विस्थापित हुआ है, इन गुरुद्वारों में शरण ले सकता है। उन्हें न सिर्फ सुरक्षित आश्रय मिलेगा बल्कि तीन वक्त का लंगर भी पूरी सेवा-भावना से दिया जाएगा। यह कदम न सिर्फ सिख परंपरा की ‘सेवा और सरबत दा भला’ की भावना को सजीव करता है, बल्कि संकट की घड़ी में एक अनुकरणीय उदाहरण भी पेश करता है। SGPC ने यह भी कहा है कि जरूरत पड़ी तो अन्य गुरुद्वारों को भी इस पहल में शामिल किया जाएगा। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने एक सराहनीय और मानवीय पहल की है। समिति ने सीमा क्षेत्र से विस्थापित हो रहे लोगों के लिए गुरुद्वारों में शरण और लंगर की व्यवस्था करने की घोषणा की है। SGPC अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है, जिसके तहत ऐतिहासिक गुरुद्वारों की सरायों (धर्मशालाओं) में ठहरने की व्यवस्था की जाएगी और लंगर भी चलाया जाएगा। SGPC के सचिव प्रताप सिंह ने बताया कि मौजूदा हालात के चलते बॉर्डर एरिया के निवासियों की सुरक्षा और राहत के लिए SGPC के अंतर्गत आने वाले विभिन्न गुरुद्वारों में विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि SGPC अध्यक्ष के निर्देश पर संबंधित गुरुद्वारों के प्रबंधकों को पत्र जारी किए गए हैं, जिनमें उन्हें तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। जरूरत पड़ने पर अन्य गुरुद्वारे भी होंगे शामिल SGPC ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति जो सीमा क्षेत्र से विस्थापित हुआ है, इन गुरुद्वारों में शरण ले सकता है। उन्हें न सिर्फ सुरक्षित आश्रय मिलेगा बल्कि तीन वक्त का लंगर भी पूरी सेवा-भावना से दिया जाएगा। यह कदम न सिर्फ सिख परंपरा की ‘सेवा और सरबत दा भला’ की भावना को सजीव करता है, बल्कि संकट की घड़ी में एक अनुकरणीय उदाहरण भी पेश करता है। SGPC ने यह भी कहा है कि जरूरत पड़ी तो अन्य गुरुद्वारों को भी इस पहल में शामिल किया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
