जींद में ओवरस्पीड ट्रक ने पिकअप को टक्कर मार दी। हादसे में दो लोग घायल हो गए। इस दौरान पास से गुजर रहे डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने अपनी गाड़ी रोकी और घायलों की मदद करते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया। डिप्टी स्पीकर खुद घायलों के साथ अस्पताल गए और वहां उनका इलाज किया। इसके बाद डिप्टी स्पीकर अपने घर की तरफ रवाना हो गए। हुआ यूं कि बुधवार की रात 8 बजे के करीब जींद के नरवाना में हरियल चौक के पास ट्रक और पिकअप गाड़ी की भिड़ंत हो गई। इसमें दो लोग घायल हो गए। डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा चंडीगढ़ से वाया नरवाना होकर जींद की तरफ आ रहे थे। हादसे को देख डिप्टी स्पीकर ने तुरंत गाड़ी रोकी जैसे ही उन्होंने हादसे को देखा तो तुरंत गाड़ी रोक ली और स्पॉट पर पहुंच गए। डिप्टी स्पीकर की सिक्योरिटी में मौजूद पुलिस कर्मियों ने घायलों को पिकअप गाड़ी से बाहर निकाला और पायलट गाड़ी में बैठाकर अस्पताल के लिए रवाना कर दिया। साथ ही पीछे-पीछे डिप्टी स्पीकर भी नरवाना के सिविल अस्पताल पहुंच गए। यहां घायलों का इलाज किया गया। डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा खुद घायल की नब्ज चेक करते नजर आ आए। हालांकि अस्पताल का स्टाफ मौजूद था। लेकिन डिप्टी स्पीकर ने खुद स्ट्रेचर के पास खड़े होकर जब तक मरीज को पट्टी करने समेत प्राथमिक इलाज नहीं दिया गया, तब तक वह देखते रहे। मरीज का हाल जानने के बाद रवाना हुए घर जब उन्हें कन्फर्म हो गया कि मरीज अब पहले से बेहतर है, तो वह अपने घर के लिए रवाना हो गए। घायल को पेट, बाजू, कोहनी, टांग पर चोटें आई थी। डिप्टी स्पीकर ने कहा कि उन्होंने अपना डॉक्टरी धर्म निभाते हुए घायलों का इलाज किया है। बता दें कि डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पिता पूर्व विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा भी डॉक्टर थे और डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पास भी बीएमएस की डिग्री है। जींद में उनका अपना अस्पताल है। यहां पहले उनके पिता मरीजों का इलाज करते थे। विधायक होते हुए भी वह हर रोज 150 से 200 मरीजों का खुद इलाज करते थे। पिता विधायक होते हुए भी करते थे मरीजों की जांच उस समय दूर-दराज से आने वाले गरीब मरीजों का वह न केवल मुफ्त में इलाज करते थे। बल्कि उन्हें किराए के रुपए तक दिया करते थे। यहां तक कि डॉ. हरिचंद मिड्ढा विधानसभा में भी अपनी किट लेकर जाते थे। उनके बाद डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने विधायक बनने के बाद भी मरीजों की सेवा की। अब डिप्टी स्पीकर बनने के बाद उन्हें अस्पताल में मरीजों को देखने का समय कम मिलता है। जींद में ओवरस्पीड ट्रक ने पिकअप को टक्कर मार दी। हादसे में दो लोग घायल हो गए। इस दौरान पास से गुजर रहे डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने अपनी गाड़ी रोकी और घायलों की मदद करते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया। डिप्टी स्पीकर खुद घायलों के साथ अस्पताल गए और वहां उनका इलाज किया। इसके बाद डिप्टी स्पीकर अपने घर की तरफ रवाना हो गए। हुआ यूं कि बुधवार की रात 8 बजे के करीब जींद के नरवाना में हरियल चौक के पास ट्रक और पिकअप गाड़ी की भिड़ंत हो गई। इसमें दो लोग घायल हो गए। डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा चंडीगढ़ से वाया नरवाना होकर जींद की तरफ आ रहे थे। हादसे को देख डिप्टी स्पीकर ने तुरंत गाड़ी रोकी जैसे ही उन्होंने हादसे को देखा तो तुरंत गाड़ी रोक ली और स्पॉट पर पहुंच गए। डिप्टी स्पीकर की सिक्योरिटी में मौजूद पुलिस कर्मियों ने घायलों को पिकअप गाड़ी से बाहर निकाला और पायलट गाड़ी में बैठाकर अस्पताल के लिए रवाना कर दिया। साथ ही पीछे-पीछे डिप्टी स्पीकर भी नरवाना के सिविल अस्पताल पहुंच गए। यहां घायलों का इलाज किया गया। डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा खुद घायल की नब्ज चेक करते नजर आ आए। हालांकि अस्पताल का स्टाफ मौजूद था। लेकिन डिप्टी स्पीकर ने खुद स्ट्रेचर के पास खड़े होकर जब तक मरीज को पट्टी करने समेत प्राथमिक इलाज नहीं दिया गया, तब तक वह देखते रहे। मरीज का हाल जानने के बाद रवाना हुए घर जब उन्हें कन्फर्म हो गया कि मरीज अब पहले से बेहतर है, तो वह अपने घर के लिए रवाना हो गए। घायल को पेट, बाजू, कोहनी, टांग पर चोटें आई थी। डिप्टी स्पीकर ने कहा कि उन्होंने अपना डॉक्टरी धर्म निभाते हुए घायलों का इलाज किया है। बता दें कि डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पिता पूर्व विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा भी डॉक्टर थे और डॉ. कृष्ण मिड्ढा के पास भी बीएमएस की डिग्री है। जींद में उनका अपना अस्पताल है। यहां पहले उनके पिता मरीजों का इलाज करते थे। विधायक होते हुए भी वह हर रोज 150 से 200 मरीजों का खुद इलाज करते थे। पिता विधायक होते हुए भी करते थे मरीजों की जांच उस समय दूर-दराज से आने वाले गरीब मरीजों का वह न केवल मुफ्त में इलाज करते थे। बल्कि उन्हें किराए के रुपए तक दिया करते थे। यहां तक कि डॉ. हरिचंद मिड्ढा विधानसभा में भी अपनी किट लेकर जाते थे। उनके बाद डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने विधायक बनने के बाद भी मरीजों की सेवा की। अब डिप्टी स्पीकर बनने के बाद उन्हें अस्पताल में मरीजों को देखने का समय कम मिलता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
