पाकिस्तान से युद्ध में गेमचेंजर बनेगा गंगा एक्सप्रेस-वे:राफेल से लेकर हरक्यूलिस तक उतरे; पाक बार्डर 800, चीन 200km दूर

पाकिस्तान से युद्ध में गेमचेंजर बनेगा गंगा एक्सप्रेस-वे:राफेल से लेकर हरक्यूलिस तक उतरे; पाक बार्डर 800, चीन 200km दूर

पहलगाम आतंकी हमले का ऑपरेशन सिंदूर से बदला लेने के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव और बढ़ गया है। दोनों देशों की तैयारियां तेज हो गई हैं। इस स्थिति में हाल ही में शाहजहांपुर के गंगा एक्सप्रेस-वे का महत्व और बढ़ गया है। यहां 2 मई को पहली बार नाइट लैंडिंग कर भारतीय वायुसेना ने रिकॉर्ड कायम किया था। यह नाइट लैंडिंग का सिर्फ एक अभ्यास नहीं था, बल्कि युद्ध के समय बड़ा गेमचेंजर साबित होगा। यह परीक्षण सैन्य तैयारियों, इमरजेंसी ऑपरेशन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम था। राफेल से लेकर C-130J सुपर हरक्यूलिस तक इस अभ्यास में शामिल रहे। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान से युद्ध के हालात में गंगा एक्सप्रेस-वे एयरफोर्स के लिए बड़ा उपयोगी होगा। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर की दूरी सिर्फ 800 किलोमीटर है। ऐसे में आपके भी जेहन में सवाल कौंध रहा होगा कि एयरफोर्स ने फाइटर प्लेन की नाइट लैंडिंग कर क्या हासिल किया? यह कैसे गेमचेंजर साबित हो सकता है? पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के बाद इस ट्रॉयल का कितना रणनीतिक महत्व माना जा रहा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… वायुसेना ने यूपी के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे पर दिन-रात दोनों समय फाइटर जेट की लैडिंग की प्रैक्टिस की। दिन में जहां एक हेलिकॉप्टर समेत 16 विमान शामिल हुए थे। वहीं रात में 9 से 10 बजे के बीच एक हेलिकॉप्टर समेत 15 विमान लैंडिंग में शामिल हुए थे। अभ्यास में लड़ाकू विमानों में राफेल, सुखोई, मिराज-2000, मिग-29, जगुआर और परिवहन विमान में C-130J सुपर हरक्यूलिस व AN-32 शामिल रहे। वहीं वायुसेना ने MI-17 V5 हेलिकॉप्टर का भी परीक्षण इस रनवे पर दिन-रात की लैंडिंग में किया था। यह भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है, जो एक्सप्रेस-वे पर नाइट लैंडिंग कर सकते हैं। 250 सीसीटीवी और कड़े सुरक्षा इंतजामों के साथ यह हवाई पट्टी युद्ध या आपदा में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी। वॉर टाइम रनवे के रूप में इस्तेमाल : गंगा एक्सप्रेस-वे को “वॉर टाइम रनवे” के रूप में तैयार किया गया है। नाइट लैंडिंग से यह साबित हो गया कि भारतीय वायुसेना अंधेरे में भी सटीक ऑपरेशन करने में सक्षम है। अगर किसी एयरबेस पर हमला होता है, तो गंगा एक्सप्रेस-वे जैसे ऑप्शनल रनवे तेजी से काम कर सकते हैं। रणनीतिक लोकेशन का फायदा : शाहजहांपुर जैसी मध्यवर्ती लोकेशन से पाकिस्तान और चीन की सीमाओं तक तुरंत एयर सपोर्ट भेजा जा सकता है। यूपी का यह एक्सप्रेस-वे उत्तर भारत की सुरक्षा चेन में एक मजबूत कड़ी बनकर उभरा है। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर की दूरी 800 Km और चीनी बॉर्डर की दूरी 250 Km है। आपदा प्रबंधन और राहत ऑपरेशन में उपयोगिता : प्राकृतिक आपदा या मानवीय संकट की स्थिति में एक्सप्रेस-वे पर एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर उतारे जा सकेंगे। राहत सामग्री, दवाइयां और जवान तेजी से भेजे जा सकेंगे। नाइट विजन और ग्राउंड कोआर्डिनेशन की परीक्षा : इस ऑपरेशन में नाइट विजन गॉगल्स (NVG), इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS), इंफ्रारेड कैमरे, रनवे फ्लड लाइटिंग और ग्राउंड कंट्रोल यूनिट का समन्वय जांचा गया। यह एक रियल टाइम युद्धाभ्यास था। भारतीय वायुसेना की तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन
यह अभ्यास भारतीय वायुसेना की तकनीकी उन्नति और रणनीतिक तैयारियों का प्रमाण है, जो इसे वैश्विक स्तर पर चुनिंदा वायुसेनाओं के समकक्ष रखता है। भारतीय वायुसेना (IAF) ने गंगा एक्सप्रेस-वे पर नाइट लैंडिंग रिहर्सल के दौरान उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन किया। खास बात ये रही कि वायुसेना का परीक्षण उसके मानकों पर खरा उतरा। एयरफोर्स इस परीक्षण से जो परखना चाहती थी, वो सारा डेटा उसे मिल गया। यही वजह है कि 2 दिन का ये अभ्यास सिर्फ एक दिन में समाप्त हो गया। गंगा एक्सप्रेस-वे पर रिहर्सल की तारीख पहलगाम हमले के काफी पहले से तय थी। लेकिन जिस माहौल में ये हुआ, वो कहीं न कहीं पाकिस्तान को भी एक संदेश दिया गया। यह संदेश था- हमारी वायुसेना किसी भी चुनौती और परिस्थिति से निपटने को तैयार है। गंगा एक्सप्रेस-वे ऑपरेशन में चौथी बार नाइट विजन तकनीक का इस्तेमाल
नाइट विजन तकनीक भारतीय वायुसेना को रात में संचालन करने की क्षमता देती है। यह दुश्मन के लिए अप्रत्याशित हो सकता है और रणनीतिक फायदा प्रदान करता है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर नाइट लैंडिंग रिहर्सल के दौरान वायुसेना ने चौथी बार नाइट विजन गॉगल्स (NVG) और इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) का उपयोग किया। इसी की मदद से पायलटों ने 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी पर सटीक लैंडिंग की, जो आपातकाल में ऑप्शनल रनवे के रूप में एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल करने की क्षमता दिखाता है। यह तकनीक आपदा राहत मिशन और युद्ध के दौरान रात में उड़ान भरने में मदद करती है, जैसे कि सीमा पर निगरानी और लक्ष्य अधिग्रहण। क्या है नाइट विजन तकनीक
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक नाइट विजन तकनीक (Night Vision Technology) कम रोशनी या अंधेरे में दृश्यता प्रदान करती है। इससे रात में सटीक और सुरक्षित मिशन संभव होते हैं। नाइट विजन डिवाइस (NVD) कम रोशनी (जैसे चांदनी या तारों की रोशनी) को इलेक्ट्रॉन में बदलकर उसे बढ़ाते हैं और दृश्यमान छवि बनाते हैं। नाइट विजन तकनीक मुख्य रूप से दो तरीकों इमेज इंटेंसिफिकेशन और थर्मल इमेजिंग से काम करती है। नाइट विजन तकनीक का पहले भी इस्तेमाल कर चुकी है वायुसेना
भारतीय वायुसेना ने 3 बार पहले भी रात में विमानों की लैंडिंग और बचाव मिशनों में नाइट विजन तकनीक का इस्तेमाल कर चुकी है। पहली बार 23 मई, 2024 को वायुसेना ने पूर्वी क्षेत्र में एक उन्नत लैंडिंग ग्राउंड पर सी-130जे विमान को NVG का उपयोग करके सफलतापूर्वक उतारा था। फिर अप्रैल, 2023 में सूडान की राजधानी खार्तूम से भारतीय नागरिकों की निकासी के दौरान NVG, थर्मल इमेजर्स, और लेजर रेंज फाइंडरों (लेजर से दूरी नापना) का उपयोग किया गया। इस ऑपरेशन में, C-130J सुपर हरक्यूलिस ने खार्तूम के पास एक अर्धनिर्मित रनवे पर, बिना अप्रोच लाइट्स के, रात में लैंडिंग की थी। तीसरी बार 2025 की शुरुआत में, वायुसेना ने लद्दाख क्षेत्र में कारगिल एयरस्ट्रिप पर इसी तकनीक की मदद से रात में लैंडिंग की थी। ————————— यह खबर भी पढ़ें… कर्नल सोफिया की भतीजी बोलीं- हर मुसलमान गलत नहीं, ऑपरेशन सिंदूर से चर्चा में आईं, झांसी में पढ़ीं, यहीं मेजर बनीं दैनिक भास्कर टीम झांसी के नौगांव में स्थित सोफिया के ताऊ के घर पहुंची। जोया के चचेरे भाई-बहन और चाचा से बात की। चचेरी बहन शबाना ने बताया- सोफिया जुड़वां बहनें हैं। उनकी बहन शाइना कुरैशी मिस इंडिया अर्थ-2017 रही हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहलगाम आतंकी हमले का ऑपरेशन सिंदूर से बदला लेने के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव और बढ़ गया है। दोनों देशों की तैयारियां तेज हो गई हैं। इस स्थिति में हाल ही में शाहजहांपुर के गंगा एक्सप्रेस-वे का महत्व और बढ़ गया है। यहां 2 मई को पहली बार नाइट लैंडिंग कर भारतीय वायुसेना ने रिकॉर्ड कायम किया था। यह नाइट लैंडिंग का सिर्फ एक अभ्यास नहीं था, बल्कि युद्ध के समय बड़ा गेमचेंजर साबित होगा। यह परीक्षण सैन्य तैयारियों, इमरजेंसी ऑपरेशन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम था। राफेल से लेकर C-130J सुपर हरक्यूलिस तक इस अभ्यास में शामिल रहे। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान से युद्ध के हालात में गंगा एक्सप्रेस-वे एयरफोर्स के लिए बड़ा उपयोगी होगा। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर की दूरी सिर्फ 800 किलोमीटर है। ऐसे में आपके भी जेहन में सवाल कौंध रहा होगा कि एयरफोर्स ने फाइटर प्लेन की नाइट लैंडिंग कर क्या हासिल किया? यह कैसे गेमचेंजर साबित हो सकता है? पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के बाद इस ट्रॉयल का कितना रणनीतिक महत्व माना जा रहा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… वायुसेना ने यूपी के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे पर दिन-रात दोनों समय फाइटर जेट की लैडिंग की प्रैक्टिस की। दिन में जहां एक हेलिकॉप्टर समेत 16 विमान शामिल हुए थे। वहीं रात में 9 से 10 बजे के बीच एक हेलिकॉप्टर समेत 15 विमान लैंडिंग में शामिल हुए थे। अभ्यास में लड़ाकू विमानों में राफेल, सुखोई, मिराज-2000, मिग-29, जगुआर और परिवहन विमान में C-130J सुपर हरक्यूलिस व AN-32 शामिल रहे। वहीं वायुसेना ने MI-17 V5 हेलिकॉप्टर का भी परीक्षण इस रनवे पर दिन-रात की लैंडिंग में किया था। यह भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है, जो एक्सप्रेस-वे पर नाइट लैंडिंग कर सकते हैं। 250 सीसीटीवी और कड़े सुरक्षा इंतजामों के साथ यह हवाई पट्टी युद्ध या आपदा में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी। वॉर टाइम रनवे के रूप में इस्तेमाल : गंगा एक्सप्रेस-वे को “वॉर टाइम रनवे” के रूप में तैयार किया गया है। नाइट लैंडिंग से यह साबित हो गया कि भारतीय वायुसेना अंधेरे में भी सटीक ऑपरेशन करने में सक्षम है। अगर किसी एयरबेस पर हमला होता है, तो गंगा एक्सप्रेस-वे जैसे ऑप्शनल रनवे तेजी से काम कर सकते हैं। रणनीतिक लोकेशन का फायदा : शाहजहांपुर जैसी मध्यवर्ती लोकेशन से पाकिस्तान और चीन की सीमाओं तक तुरंत एयर सपोर्ट भेजा जा सकता है। यूपी का यह एक्सप्रेस-वे उत्तर भारत की सुरक्षा चेन में एक मजबूत कड़ी बनकर उभरा है। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर की दूरी 800 Km और चीनी बॉर्डर की दूरी 250 Km है। आपदा प्रबंधन और राहत ऑपरेशन में उपयोगिता : प्राकृतिक आपदा या मानवीय संकट की स्थिति में एक्सप्रेस-वे पर एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर उतारे जा सकेंगे। राहत सामग्री, दवाइयां और जवान तेजी से भेजे जा सकेंगे। नाइट विजन और ग्राउंड कोआर्डिनेशन की परीक्षा : इस ऑपरेशन में नाइट विजन गॉगल्स (NVG), इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS), इंफ्रारेड कैमरे, रनवे फ्लड लाइटिंग और ग्राउंड कंट्रोल यूनिट का समन्वय जांचा गया। यह एक रियल टाइम युद्धाभ्यास था। भारतीय वायुसेना की तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन
यह अभ्यास भारतीय वायुसेना की तकनीकी उन्नति और रणनीतिक तैयारियों का प्रमाण है, जो इसे वैश्विक स्तर पर चुनिंदा वायुसेनाओं के समकक्ष रखता है। भारतीय वायुसेना (IAF) ने गंगा एक्सप्रेस-वे पर नाइट लैंडिंग रिहर्सल के दौरान उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन किया। खास बात ये रही कि वायुसेना का परीक्षण उसके मानकों पर खरा उतरा। एयरफोर्स इस परीक्षण से जो परखना चाहती थी, वो सारा डेटा उसे मिल गया। यही वजह है कि 2 दिन का ये अभ्यास सिर्फ एक दिन में समाप्त हो गया। गंगा एक्सप्रेस-वे पर रिहर्सल की तारीख पहलगाम हमले के काफी पहले से तय थी। लेकिन जिस माहौल में ये हुआ, वो कहीं न कहीं पाकिस्तान को भी एक संदेश दिया गया। यह संदेश था- हमारी वायुसेना किसी भी चुनौती और परिस्थिति से निपटने को तैयार है। गंगा एक्सप्रेस-वे ऑपरेशन में चौथी बार नाइट विजन तकनीक का इस्तेमाल
नाइट विजन तकनीक भारतीय वायुसेना को रात में संचालन करने की क्षमता देती है। यह दुश्मन के लिए अप्रत्याशित हो सकता है और रणनीतिक फायदा प्रदान करता है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर नाइट लैंडिंग रिहर्सल के दौरान वायुसेना ने चौथी बार नाइट विजन गॉगल्स (NVG) और इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) का उपयोग किया। इसी की मदद से पायलटों ने 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी पर सटीक लैंडिंग की, जो आपातकाल में ऑप्शनल रनवे के रूप में एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल करने की क्षमता दिखाता है। यह तकनीक आपदा राहत मिशन और युद्ध के दौरान रात में उड़ान भरने में मदद करती है, जैसे कि सीमा पर निगरानी और लक्ष्य अधिग्रहण। क्या है नाइट विजन तकनीक
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक नाइट विजन तकनीक (Night Vision Technology) कम रोशनी या अंधेरे में दृश्यता प्रदान करती है। इससे रात में सटीक और सुरक्षित मिशन संभव होते हैं। नाइट विजन डिवाइस (NVD) कम रोशनी (जैसे चांदनी या तारों की रोशनी) को इलेक्ट्रॉन में बदलकर उसे बढ़ाते हैं और दृश्यमान छवि बनाते हैं। नाइट विजन तकनीक मुख्य रूप से दो तरीकों इमेज इंटेंसिफिकेशन और थर्मल इमेजिंग से काम करती है। नाइट विजन तकनीक का पहले भी इस्तेमाल कर चुकी है वायुसेना
भारतीय वायुसेना ने 3 बार पहले भी रात में विमानों की लैंडिंग और बचाव मिशनों में नाइट विजन तकनीक का इस्तेमाल कर चुकी है। पहली बार 23 मई, 2024 को वायुसेना ने पूर्वी क्षेत्र में एक उन्नत लैंडिंग ग्राउंड पर सी-130जे विमान को NVG का उपयोग करके सफलतापूर्वक उतारा था। फिर अप्रैल, 2023 में सूडान की राजधानी खार्तूम से भारतीय नागरिकों की निकासी के दौरान NVG, थर्मल इमेजर्स, और लेजर रेंज फाइंडरों (लेजर से दूरी नापना) का उपयोग किया गया। इस ऑपरेशन में, C-130J सुपर हरक्यूलिस ने खार्तूम के पास एक अर्धनिर्मित रनवे पर, बिना अप्रोच लाइट्स के, रात में लैंडिंग की थी। तीसरी बार 2025 की शुरुआत में, वायुसेना ने लद्दाख क्षेत्र में कारगिल एयरस्ट्रिप पर इसी तकनीक की मदद से रात में लैंडिंग की थी। ————————— यह खबर भी पढ़ें… कर्नल सोफिया की भतीजी बोलीं- हर मुसलमान गलत नहीं, ऑपरेशन सिंदूर से चर्चा में आईं, झांसी में पढ़ीं, यहीं मेजर बनीं दैनिक भास्कर टीम झांसी के नौगांव में स्थित सोफिया के ताऊ के घर पहुंची। जोया के चचेरे भाई-बहन और चाचा से बात की। चचेरी बहन शबाना ने बताया- सोफिया जुड़वां बहनें हैं। उनकी बहन शाइना कुरैशी मिस इंडिया अर्थ-2017 रही हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर