KGMU में गर्भ संस्कार की पढ़ाई करेंगे मेडिकोज:इंग्लिश डॉक्टर भी प्राचीन आयुर्वेद में अवेयर होंगे, मां-बच्चे की सेहत पर करेंगे काम

KGMU में गर्भ संस्कार की पढ़ाई करेंगे मेडिकोज:इंग्लिश डॉक्टर भी प्राचीन आयुर्वेद में अवेयर होंगे, मां-बच्चे की सेहत पर करेंगे काम

यूपी की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में MBBS के स्टूडेंट्स अब गर्भ संस्कार की भी पढ़ाई करेंगे। वे प्रेग्नेंसी से पहले कपल्स को कंसीविंग के लिए हर तरह से प्रिपेयर करेंगे। उन्हें बताएंगे कि मेंटली, फिजिकली, इमोशनली, स्प्रिचुअली कैसे स्ट्रॉन्ग हुआ जाए। KGMU में मेडिकल स्टूडेंट्स ही नहीं, बल्कि पैरामेडिकल और नर्सिंग के स्टूडेंट्स को भी गर्भ संस्कार की ट्रेनिंग दी जाएगी। यूनिवर्सिटी ने इसे अपने करिकुलम में शामिल कर लिया है। अब यहां से पढ़े हर डॉक्टर बच्चे की प्लानिंग करने वाले कपल्स का गर्भ संस्कार कराएंगे। पहले जानिए क्या है गर्भ संस्कार.. गर्भ संस्कार हिंदू धर्म में एक जरूरी संस्कार है। इसके जरिए प्रेग्नेंसी से पहले और प्रेग्नेंसी के दौरान मां और उनके अजन्मे बच्चे को संस्कारित किया जाता है। उस दरम्यान मां को सबसे ज्यादा जरूरत होती है इमोशनल और मेंटल सपोर्ट की। गर्भ संस्कार से उन्हें इमोशनल-मेंटल सपोर्ट के साथ स्प्रिचुअली और फिजिकली भी मजबूत किया जाता है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बताया जाता है कि गर्भ में ही बच्चे का मस्तिष्क 60% तक विकसित हो जाता है। वह प्रेग्नेंसी के 26वें-27वें सप्ताह से आवाज, रोशनी, म्यूजिक, फीलिंग्स और बाहरी हलचल को महसूस करने लगता है। ऐसे समय में बच्चे को ज्यादा पॉजिटिविटी देने के लिए प्रेग्नेंट लेडी को गर्भ संस्कार दिया जाता है। गर्भस्थ बच्चे से मां बातचीत भी करती है गर्भ संस्कार में गर्भ संवाद नाम की एक प्रोसेस भी शामिल होती है। इसमें मां अक्सर अपने पेट को सहलाकर बच्चे के साथ संवाद करने की कोशिश करती है। यह प्रोसेस प्रेग्नेंसी के 27वें सप्ताह से शुरू करा दी जाती है। जन्म लेने के बाद बच्चा उन आवाजों को पहचानने की कोशिश करता है, जिन्हें उसने गर्भ में रहने के दौरान सुना था या महसूस किया था। अब गर्भ संस्कार की प्रोसेस समझिए.. गर्भ संस्कार के दौरान अध्यात्म से जुड़े कई श्लोक और मंत्रों का पाठ कराया जाता है। इसके साथ ही योग और मेडिटेशन की भी ट्रेनिंग दी जाती है। इस दौरान जो भी विशेष ध्यान-जप कराए जाते हैं, उन्हें जानिए… गर्भ संस्कार क्यों अहम है गर्भस्थ शिशु को संस्कार मिलते हैं : प्रो. सुधीर सिंह KGMU प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की पहल से चिकित्सा विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार की पढ़ाई शुरू की जा रही है। इसका मकसद न केवल मेडिकल स्टूडेंट्स बल्कि सभी पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टूडेंट्स को भी इसमें दक्ष बनाना है। डॉ. सिंह ने बताया- प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है। इनमें से एक संस्कार गर्भ संस्कार भी है। माना जाता है कि इससे गर्भस्थ शिशु को संस्कारित किया जा सकता है। साथ ही मां को शारीरिक-मानसिक सपोर्ट भी मिलता है। बीज मंत्र से शिशु का मानसिक विकास होता है : डॉ. सुनीत मिश्रा KGMU के आयुर्वेद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनीत कुमार मिश्रा कहते हैं कि गर्भ संस्कार का वर्णन कश्यप संहिता में है। व्यास स्मृति भी इसके बारे में विस्तार से बताती है। मनुष्य के जीवनकाल में 16 संस्कार बताए गए हैं। इनमें से 4 संस्कार जन्म लेने से पहले ही हो जाते हैं। गर्भाधान उनमें से सबसे पहला है। मेरी OPD में जो भी प्रेग्नेंट महिलाएं आती हैं, उन्हें गुरु बीज मंत्र भी दिया जाता है। हेल्दी इंडिया के लिए यह कोर्स मील का पत्थर बनेगा : रेजिडेंट डॉक्टर KGMU के रेजिडेंट डॉ. दिव्यांश सिंह कहते हैं कि गर्भ संस्कार के बेहद दूरगामी परिणाम होंगे। खास तौर पर उन इलाकों में जो शहरों से दूर हैं और वहां डॉक्टरों की संख्या सीमित है। उन इलाकों में प्राचीन आयुर्वेद से आज भी लोगों का जुड़ाव है। ऐसे में गर्भस्थ शिशु और मां की सेहत का सही तरीके से ध्यान रखा जा सकेगा। हेल्दी इंडिया की दिशा में ये पहल मील का पत्थर साबित होगा। गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत अच्छी होती है मेडिकल स्टूडेंट और रेजिडेंट डॉक्टर केके भारद्वाज कहते हैं कि आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में इस गर्भ संस्कार का उल्लेख है। इस संस्कार से गर्भ में पल रहे बच्चे को बेहतर सेहत और माइंड डेवलपमेंट मुहैया कराना है। बचपन से हम लोग गर्भ संस्कार के बारे में सुनते आए हैं। अब इसकी पढ़ाई कर लोगों को सिखाएंगे भी। भारद्वाज ने कहा- गर्भ संस्कार में शिशु और गर्भवती मां का सही तरीके से रूटीन चेकअप भी शामिल है। इसके अलावा किसी भी तरह की आशंका है या परेशानी होने पर भी इससे मदद मिलेगी। कहते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली दिक्कतों का समाधान गर्भ संस्कार से हो जाता है। यूपी की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में MBBS के स्टूडेंट्स अब गर्भ संस्कार की भी पढ़ाई करेंगे। वे प्रेग्नेंसी से पहले कपल्स को कंसीविंग के लिए हर तरह से प्रिपेयर करेंगे। उन्हें बताएंगे कि मेंटली, फिजिकली, इमोशनली, स्प्रिचुअली कैसे स्ट्रॉन्ग हुआ जाए। KGMU में मेडिकल स्टूडेंट्स ही नहीं, बल्कि पैरामेडिकल और नर्सिंग के स्टूडेंट्स को भी गर्भ संस्कार की ट्रेनिंग दी जाएगी। यूनिवर्सिटी ने इसे अपने करिकुलम में शामिल कर लिया है। अब यहां से पढ़े हर डॉक्टर बच्चे की प्लानिंग करने वाले कपल्स का गर्भ संस्कार कराएंगे। पहले जानिए क्या है गर्भ संस्कार.. गर्भ संस्कार हिंदू धर्म में एक जरूरी संस्कार है। इसके जरिए प्रेग्नेंसी से पहले और प्रेग्नेंसी के दौरान मां और उनके अजन्मे बच्चे को संस्कारित किया जाता है। उस दरम्यान मां को सबसे ज्यादा जरूरत होती है इमोशनल और मेंटल सपोर्ट की। गर्भ संस्कार से उन्हें इमोशनल-मेंटल सपोर्ट के साथ स्प्रिचुअली और फिजिकली भी मजबूत किया जाता है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बताया जाता है कि गर्भ में ही बच्चे का मस्तिष्क 60% तक विकसित हो जाता है। वह प्रेग्नेंसी के 26वें-27वें सप्ताह से आवाज, रोशनी, म्यूजिक, फीलिंग्स और बाहरी हलचल को महसूस करने लगता है। ऐसे समय में बच्चे को ज्यादा पॉजिटिविटी देने के लिए प्रेग्नेंट लेडी को गर्भ संस्कार दिया जाता है। गर्भस्थ बच्चे से मां बातचीत भी करती है गर्भ संस्कार में गर्भ संवाद नाम की एक प्रोसेस भी शामिल होती है। इसमें मां अक्सर अपने पेट को सहलाकर बच्चे के साथ संवाद करने की कोशिश करती है। यह प्रोसेस प्रेग्नेंसी के 27वें सप्ताह से शुरू करा दी जाती है। जन्म लेने के बाद बच्चा उन आवाजों को पहचानने की कोशिश करता है, जिन्हें उसने गर्भ में रहने के दौरान सुना था या महसूस किया था। अब गर्भ संस्कार की प्रोसेस समझिए.. गर्भ संस्कार के दौरान अध्यात्म से जुड़े कई श्लोक और मंत्रों का पाठ कराया जाता है। इसके साथ ही योग और मेडिटेशन की भी ट्रेनिंग दी जाती है। इस दौरान जो भी विशेष ध्यान-जप कराए जाते हैं, उन्हें जानिए… गर्भ संस्कार क्यों अहम है गर्भस्थ शिशु को संस्कार मिलते हैं : प्रो. सुधीर सिंह KGMU प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की पहल से चिकित्सा विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार की पढ़ाई शुरू की जा रही है। इसका मकसद न केवल मेडिकल स्टूडेंट्स बल्कि सभी पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टूडेंट्स को भी इसमें दक्ष बनाना है। डॉ. सिंह ने बताया- प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है। इनमें से एक संस्कार गर्भ संस्कार भी है। माना जाता है कि इससे गर्भस्थ शिशु को संस्कारित किया जा सकता है। साथ ही मां को शारीरिक-मानसिक सपोर्ट भी मिलता है। बीज मंत्र से शिशु का मानसिक विकास होता है : डॉ. सुनीत मिश्रा KGMU के आयुर्वेद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनीत कुमार मिश्रा कहते हैं कि गर्भ संस्कार का वर्णन कश्यप संहिता में है। व्यास स्मृति भी इसके बारे में विस्तार से बताती है। मनुष्य के जीवनकाल में 16 संस्कार बताए गए हैं। इनमें से 4 संस्कार जन्म लेने से पहले ही हो जाते हैं। गर्भाधान उनमें से सबसे पहला है। मेरी OPD में जो भी प्रेग्नेंट महिलाएं आती हैं, उन्हें गुरु बीज मंत्र भी दिया जाता है। हेल्दी इंडिया के लिए यह कोर्स मील का पत्थर बनेगा : रेजिडेंट डॉक्टर KGMU के रेजिडेंट डॉ. दिव्यांश सिंह कहते हैं कि गर्भ संस्कार के बेहद दूरगामी परिणाम होंगे। खास तौर पर उन इलाकों में जो शहरों से दूर हैं और वहां डॉक्टरों की संख्या सीमित है। उन इलाकों में प्राचीन आयुर्वेद से आज भी लोगों का जुड़ाव है। ऐसे में गर्भस्थ शिशु और मां की सेहत का सही तरीके से ध्यान रखा जा सकेगा। हेल्दी इंडिया की दिशा में ये पहल मील का पत्थर साबित होगा। गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत अच्छी होती है मेडिकल स्टूडेंट और रेजिडेंट डॉक्टर केके भारद्वाज कहते हैं कि आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में इस गर्भ संस्कार का उल्लेख है। इस संस्कार से गर्भ में पल रहे बच्चे को बेहतर सेहत और माइंड डेवलपमेंट मुहैया कराना है। बचपन से हम लोग गर्भ संस्कार के बारे में सुनते आए हैं। अब इसकी पढ़ाई कर लोगों को सिखाएंगे भी। भारद्वाज ने कहा- गर्भ संस्कार में शिशु और गर्भवती मां का सही तरीके से रूटीन चेकअप भी शामिल है। इसके अलावा किसी भी तरह की आशंका है या परेशानी होने पर भी इससे मदद मिलेगी। कहते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली दिक्कतों का समाधान गर्भ संस्कार से हो जाता है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर