मासूम को सुनसान जगह ले जाकर पिलाई शराब, ईंट से कुचला सिर, अब रोहिणी कोर्ट ने कहा- ‘बच्चे की गवाही ने…’

मासूम को सुनसान जगह ले जाकर पिलाई शराब, ईंट से कुचला सिर, अब रोहिणी कोर्ट ने कहा- ‘बच्चे की गवाही ने…’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong>&nbsp;राजधानी दिल्ली में एक रोंगटे खड़े कर देने वाले अपराध में अदालत ने मोहम्मद मोई उर्फ मोहित नाम के आरोपी को दोषी करार दिया है. आरोपी ने एक मासूम बच्चे का अपहरण कर न सिर्फ उसे जान से मारने की कोशिश की, बल्कि इस नृशंसता को अंजाम देने से पहले उसे जबरन शराब भी पिलाई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडिशनल सेशन जज अमित सहलावत ने अपने फैसले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा कि इस मामले में पीड़ित की गवाही &ldquo;स्टर्लिंग क्वालिटी&rdquo; की है यानी इतनी मजबूत, स्पष्ट और भरोसेमंद कि उसने पूरे केस की नींव बना दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या था पूरा मामला ?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी मोहम्मद मोई ने मासूम बच्चे को बहला-फुसलाकर अगवा किया और सुनसान जगह पर ले गया, शराब पिलाई और सुनसान जगह ले जाकर तेजधार हथियार व ईंट से हमला किया. लहूलुहान बच्चे को राहगीर ने देखा PCR कॉल कर पुलिस को सूचना दी. बच्चा होश में था, लेकिन बेहद डरा और गंभीर हालत में था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत के मुतबिक, बच्चे की कम उम्र के बावजूद बच्चे ने बिना डर के पूरी घटना स्पष्ट और क्रमवार तरीके से पूरी घटना बताई. उसकी गवाही तर्कसंगत और स्थिर थी, जिसे मेडिकल व फॉरेंसिक रिपोर्ट से भी समर्थन मिला, जिससे साफ हुआ कि वह सच बोल रहा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच में रही खामियां, पर नहीं डगमगाया केस</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस जांच में कुछ खामियां थीं. जैसे कि PCR कॉल करने वाले व्यक्ति से पूछताछ नहीं की गई और मालखाना रिकॉर्ड में आरोपी की शर्ट उसकी गिरफ्तारी से पहले ही जमा दिखा दी गई. फिर भी अदालत ने इन खामियों को तकनीकी बताते हुए कहा कि इन्हें इस मजबूत और सजीव गवाही के सामने तरजीह नहीं दी जा सकती.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट की सख्त टिप्पणी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जज अमित सहलावत ने कहा, बच्चे की आंखों ने जो देखा, उसका शब्दों में बयान न्याय के लिए पर्याप्त था. उसकी चोटें उसकी गवाही का दस्तावेज बन गईं. आरोपी की क्रूरता किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है. कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 364-A (अपहरण के बाद हत्या की कोशिश) और धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी पाया है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong>&nbsp;राजधानी दिल्ली में एक रोंगटे खड़े कर देने वाले अपराध में अदालत ने मोहम्मद मोई उर्फ मोहित नाम के आरोपी को दोषी करार दिया है. आरोपी ने एक मासूम बच्चे का अपहरण कर न सिर्फ उसे जान से मारने की कोशिश की, बल्कि इस नृशंसता को अंजाम देने से पहले उसे जबरन शराब भी पिलाई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडिशनल सेशन जज अमित सहलावत ने अपने फैसले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा कि इस मामले में पीड़ित की गवाही &ldquo;स्टर्लिंग क्वालिटी&rdquo; की है यानी इतनी मजबूत, स्पष्ट और भरोसेमंद कि उसने पूरे केस की नींव बना दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या था पूरा मामला ?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी मोहम्मद मोई ने मासूम बच्चे को बहला-फुसलाकर अगवा किया और सुनसान जगह पर ले गया, शराब पिलाई और सुनसान जगह ले जाकर तेजधार हथियार व ईंट से हमला किया. लहूलुहान बच्चे को राहगीर ने देखा PCR कॉल कर पुलिस को सूचना दी. बच्चा होश में था, लेकिन बेहद डरा और गंभीर हालत में था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत के मुतबिक, बच्चे की कम उम्र के बावजूद बच्चे ने बिना डर के पूरी घटना स्पष्ट और क्रमवार तरीके से पूरी घटना बताई. उसकी गवाही तर्कसंगत और स्थिर थी, जिसे मेडिकल व फॉरेंसिक रिपोर्ट से भी समर्थन मिला, जिससे साफ हुआ कि वह सच बोल रहा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच में रही खामियां, पर नहीं डगमगाया केस</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस जांच में कुछ खामियां थीं. जैसे कि PCR कॉल करने वाले व्यक्ति से पूछताछ नहीं की गई और मालखाना रिकॉर्ड में आरोपी की शर्ट उसकी गिरफ्तारी से पहले ही जमा दिखा दी गई. फिर भी अदालत ने इन खामियों को तकनीकी बताते हुए कहा कि इन्हें इस मजबूत और सजीव गवाही के सामने तरजीह नहीं दी जा सकती.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट की सख्त टिप्पणी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जज अमित सहलावत ने कहा, बच्चे की आंखों ने जो देखा, उसका शब्दों में बयान न्याय के लिए पर्याप्त था. उसकी चोटें उसकी गवाही का दस्तावेज बन गईं. आरोपी की क्रूरता किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है. कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 364-A (अपहरण के बाद हत्या की कोशिश) और धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी पाया है.</p>  दिल्ली NCR यूपी के गन्ना किसानों की आमदनी को दोगुना करने की तैयारी, जानें क्या है सीएम योगी की योजना