हरियाणा में सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को पुलिस ने रविवार 18 मई को अरेस्ट कर लिया। प्रोफेसर खान ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर एयर स्ट्राइक को लेकर सेना पर कमेंट किए थे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले अली खान के दादा विभाजन से पहले मुस्लिम लीग के कोषाध्यक्ष थे। उन्होंने मुस्लिम लीग की आर्थिक मदद भी की थी। अली खान ने उच्च शिक्षा विदेश में ली। लखनऊ से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से PHD की। फिर ईरान-इराक जैसे देशों में भी अध्ययन किया। दैनिक भास्कर ने यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर के करीबियों से बात कर उनकी पूरी कहानी पता की। लखनऊ में जन्मे, दादा रियासत के अंतिम शासक, मुस्लिम लीग में रहे
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान का जन्म 2 दिसंबर 1982 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद आमिर है। प्रोफेसर अली खान के दादा राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान महमूदाबाद रियासत के अंतिम शासक थे। उनके दादा भारत के विभाजन से पहले मुस्लिम लीग के कोषाध्यक्ष और आर्थिक सहयोगी रहे हैं। अली खान की मां रानी विजय हिंदू हैं। वह भारत के पूर्व विदेश सचिव जगत सिंह मेहता की बेटी और ऊर्जा नीति विशेषज्ञ विक्रम मेहता की बहन हैं। अली खान की शादी ओनैजा द्राबू से हुई है, जो अर्थशास्त्री हसीब द्राबू की बेटी हैं। शुरुआती शिक्षा लखनऊ से, इंग्लैंड से PHD और सीरिया में अरबी भाषा सीखी
अली खान का बचपन महमूदाबाद, उत्तर प्रदेश में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के ला-मार्टिनियर स्कूल से प्राप्त की। 1996 में वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां उन्होंने 2001 में विनचेस्टर कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास के अध्ययन में एमफिल की। फिर 2006 में पीएचडी की डिग्री हासिल की। उनका पीएचडी शोध प्रबंध ईरानी-इस्लामी न्यायशास्त्र के सिद्धांत ‘वेलायत-ए-फकीह’ पर केंद्रित था। अपनी पीएचडी के बाद अली खान ने सीरिया के दमिश्क विश्वविद्यालय में अरबी भाषा का गहन अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने सीरिया पर कई महत्वपूर्ण लेख भी लिखे। उत्तर भारत में मुस्लिमों को लेकर थी PHD थीसिस, ईराक-इरान भी गए
प्रोफेसर खान की PHD थीसिस ‘1850 से 1950 के बीच उत्तर भारतीय मुस्लिमों के बीच जुड़ाव की भाषा और स्थान’ विषय पर आधारित थी। इस शोध में उन्होंने मुस्लिम आत्म-पहचान, सार्वजनिक स्थानों में मुसलमानों की भागीदारी, वतन (होमलैंड) की अवधारणा, शायरी (मुशायरा), नागरिकता और मुस्लिम वैश्विक पहचान पर फोकस रखा है। कैम्ब्रिज में एमफिल के दौरान, अली खान ने 20वीं सदी की शुरुआत में दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के बीच ट्रांस नेशनल शिया मुस्लिम नेटवर्क्स पर शोध कार्य किया। उनका यह शोध ‘जर्नल ऑफ रॉयल एशियाटिक सोसाइटी’ में प्रकाशित हुआ, जो बाद में द शिया इन मॉडर्न साउथ एशिया नाम की किताब का हिस्सा बना। अपने रिसर्च के सिलसिले में प्रोफेसर ने ईरान, इराक और पश्चिम एशिया के कई देशों में गए। प्रोफेसर ने कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के लिए भी लेख लिखे हैं। अली खान महमूदाबाद बतौर लेखक और स्तंभकार भी कई मीडिया संस्थानों के लिए लेख लिखते रहे हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता रहे
शैक्षणिक और लेखन जगत के अलावा अली खान महमूदाबाद को राजनीति का भी शौक है। साल 2017 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसके बाद 2019 से 2022 तक, 3 साल समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में भी काम किया। 3 पॉइंट में प्रोफेसर की विवादित पोस्ट और गिरफ्तारी की कहानी… ॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढे़ं… सेना पर कमेंट करने वाला प्रोफेसर खान गिरफ्तार:हरियाणा महिला आयोग अध्यक्ष बोलीं- दादा मुस्लिम लीग को फंडिंग करते थे, यूनिवर्सिटी पद से हटाए हरियाणा में सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कमेंट करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सोनीपत पुलिस ने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से गिरफ्तार कर लिया है। अशोका यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले इस प्रोफेसर ने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर भी आपत्तिजनक पोस्ट की थी। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा में सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को पुलिस ने रविवार 18 मई को अरेस्ट कर लिया। प्रोफेसर खान ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर एयर स्ट्राइक को लेकर सेना पर कमेंट किए थे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले अली खान के दादा विभाजन से पहले मुस्लिम लीग के कोषाध्यक्ष थे। उन्होंने मुस्लिम लीग की आर्थिक मदद भी की थी। अली खान ने उच्च शिक्षा विदेश में ली। लखनऊ से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से PHD की। फिर ईरान-इराक जैसे देशों में भी अध्ययन किया। दैनिक भास्कर ने यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर के करीबियों से बात कर उनकी पूरी कहानी पता की। लखनऊ में जन्मे, दादा रियासत के अंतिम शासक, मुस्लिम लीग में रहे
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान का जन्म 2 दिसंबर 1982 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद आमिर है। प्रोफेसर अली खान के दादा राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान महमूदाबाद रियासत के अंतिम शासक थे। उनके दादा भारत के विभाजन से पहले मुस्लिम लीग के कोषाध्यक्ष और आर्थिक सहयोगी रहे हैं। अली खान की मां रानी विजय हिंदू हैं। वह भारत के पूर्व विदेश सचिव जगत सिंह मेहता की बेटी और ऊर्जा नीति विशेषज्ञ विक्रम मेहता की बहन हैं। अली खान की शादी ओनैजा द्राबू से हुई है, जो अर्थशास्त्री हसीब द्राबू की बेटी हैं। शुरुआती शिक्षा लखनऊ से, इंग्लैंड से PHD और सीरिया में अरबी भाषा सीखी
अली खान का बचपन महमूदाबाद, उत्तर प्रदेश में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के ला-मार्टिनियर स्कूल से प्राप्त की। 1996 में वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां उन्होंने 2001 में विनचेस्टर कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास के अध्ययन में एमफिल की। फिर 2006 में पीएचडी की डिग्री हासिल की। उनका पीएचडी शोध प्रबंध ईरानी-इस्लामी न्यायशास्त्र के सिद्धांत ‘वेलायत-ए-फकीह’ पर केंद्रित था। अपनी पीएचडी के बाद अली खान ने सीरिया के दमिश्क विश्वविद्यालय में अरबी भाषा का गहन अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने सीरिया पर कई महत्वपूर्ण लेख भी लिखे। उत्तर भारत में मुस्लिमों को लेकर थी PHD थीसिस, ईराक-इरान भी गए
प्रोफेसर खान की PHD थीसिस ‘1850 से 1950 के बीच उत्तर भारतीय मुस्लिमों के बीच जुड़ाव की भाषा और स्थान’ विषय पर आधारित थी। इस शोध में उन्होंने मुस्लिम आत्म-पहचान, सार्वजनिक स्थानों में मुसलमानों की भागीदारी, वतन (होमलैंड) की अवधारणा, शायरी (मुशायरा), नागरिकता और मुस्लिम वैश्विक पहचान पर फोकस रखा है। कैम्ब्रिज में एमफिल के दौरान, अली खान ने 20वीं सदी की शुरुआत में दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के बीच ट्रांस नेशनल शिया मुस्लिम नेटवर्क्स पर शोध कार्य किया। उनका यह शोध ‘जर्नल ऑफ रॉयल एशियाटिक सोसाइटी’ में प्रकाशित हुआ, जो बाद में द शिया इन मॉडर्न साउथ एशिया नाम की किताब का हिस्सा बना। अपने रिसर्च के सिलसिले में प्रोफेसर ने ईरान, इराक और पश्चिम एशिया के कई देशों में गए। प्रोफेसर ने कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के लिए भी लेख लिखे हैं। अली खान महमूदाबाद बतौर लेखक और स्तंभकार भी कई मीडिया संस्थानों के लिए लेख लिखते रहे हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता रहे
शैक्षणिक और लेखन जगत के अलावा अली खान महमूदाबाद को राजनीति का भी शौक है। साल 2017 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसके बाद 2019 से 2022 तक, 3 साल समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में भी काम किया। 3 पॉइंट में प्रोफेसर की विवादित पोस्ट और गिरफ्तारी की कहानी… ॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढे़ं… सेना पर कमेंट करने वाला प्रोफेसर खान गिरफ्तार:हरियाणा महिला आयोग अध्यक्ष बोलीं- दादा मुस्लिम लीग को फंडिंग करते थे, यूनिवर्सिटी पद से हटाए हरियाणा में सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कमेंट करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सोनीपत पुलिस ने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से गिरफ्तार कर लिया है। अशोका यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले इस प्रोफेसर ने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर भी आपत्तिजनक पोस्ट की थी। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा | दैनिक भास्कर
