किसी निर्माण कार्य में पेड़ बाधा बने तो उसे काटने में लोग एक क्षण के लिए नहीं सोचते, लेकिन हरियाणा के करनाल के एक व्यक्ति ने पेड़ की कीमत और अहमियत दोनों ही समझा दी। घर की छत डालने के लिए पेड़ बीच में बाधा बना तो परिवार ने पेड़ बचाने के लिए राजमिस्त्री से ही कोई तरकीब निकालने के लिए कह दिया और राजमिस्त्री ने भी कुछ ऐसा किया कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। परिवार ने पेड़ बचाने के लिए अपने घर की छत में ही सुराख करवा डाले। पर्यावरण संरक्षण का संदेश जो इस परिवार ने दिया है, उसके लिए वन विभाग ने भी परिवार को शाबाशी दी है। आइए अब समझते है इस पेड़ के पीछे की कहानी करनाल निवासी विशाल शर्मा ने अपने घर को दोबारा बनाने का प्लान किया, लेकिन उसके बीच में आम का पेड़ आ गया। अब विशाल के पास सिर्फ दो ऑप्शन थे, या तो वह पेड़ को कटवा दे या फिर पेड़ को बचाकर अपने घर के डिजाइन को खराब कर ले। विशाल के लिए यह पेड़ उसकी मां की याद दिलाता है। विशाल की मां ने अपने बच्चों के साथ मिलकर करीब 17 साल पहले यह पौधा लगाया था। 17 साल बाद यह पौधा एक बड़ा पेड़ बन चुका है और वह किसी भी कीमत पर इस पेड़ को कटवाना नहीं चाहता था। उसने दूसरा ऑप्शन चुना और राजमिस्त्री से कहकर पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए छत के रास्ते ही पेड़ निकलवा दिया। घर की छत के बीच में से निकला आम का यह पेड़ बरबस ही सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करता है। खुले आसमान में बिना बाधा के फल फूल रहा पेड़ विशाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने राज मिस्त्री से घर की छत में इस तरह से सुराख करने को कहा कि पेड़ उसके अंदर से निकलकर खुले आसमान में बिना बाधा के फल फूल सके। घर के मालिक की भावनाओं को देखते हुए राजमिस्त्री ने आखिरकार घर के लेटर में सुराख करके पेड़ को उसके बीच से निकाल दिया जिससे एक हरा भरा पेड़ कटने से बच गया। विशाल ने बताया कि हमारी गली में एक भी पेड़ नहीं था जिससे गली बेजान सी लगती थी, ऐसे में हमने अपने पेड़ को बचाने का निर्णय लिया ताकि हमारे गली का पर्यावरण साफ और शुद्ध रह सके। सबने कहा कि मकान का डिजाईन खराब हो जाएगा विशाल की पत्नी मोनिका शर्मा ने बताती है कि जब मकान बनाया तो सब ने कहा-ये क्या कर रहे हो, पेड़ को कटवा दीजिए, नहीं तो पूरे मकान का डिजाइन ही खराब हो जाएगा। लेकिन हम इसे नहीं काटना चाहते थे, इस पेड़ से भावनाएं जुड़ी हुई है और दूसरा हमारे आसपास कोई पेड़ भी नहीं है। यह पेड़ छाया तो देता ही है, साथ ही फल भी देता है और हम इन फलों को काटते है। उन्होंने कहा कि आम का पेड़ भगवान विष्णु का प्रतीक है जो शुभ माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस पेड़ से उनके घर का तापमान 2 से 3 डिग्री कम रहता है और घर हमेशा ठंडा रहता है। उन्होंने कहा की पेड़ हमें जीवन देते हैं प्राण वायु देते हैं। कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी ने हमें पेड़ों का महत्व बता दिया है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सब लोग पेड़ लगाएं तो न केवल ग्लोबल वार्मिंग से बचा जा सकता है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होगा। शबाशी वाला काम किया जिला वन अधिकारी जय कुमार ने विशाल शर्मा की इस अनोखी पहल की सराहना करते हुए कहा कि अन्य लोगों को भी इससे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़ हमारे जीवन दाता है हमें इन्हें काटने की बजाय इनका संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश में प्राण वायु देवता के नाम से योजना चलाई है जिसके तहत पेड़ों पुराने पेड़ों को पेंशन दी जाती है। इसके तहत करनाल में 112 पेड़ों को पेंशन दी जा रही है। इसके पीछे सरकार की मंशा पेड़ों को बचाने और संरक्षित करने की है।जिस तरह से विशाल ने एक मिशाल पेश की है, वह सराहनीय है, क्योंकि जिस तरह से आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, उसका कारण यही है कि हमारे पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है और जब तक पेड़ नहीं होंगे तो हमें भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। हम निर्माण के लिए पेड़ काटते देखते है लेकिन निर्माण के लिए पेड़ बचाते हुए बहुत ही कम देखते है। इसलिए पेड़ों का संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए। किसी निर्माण कार्य में पेड़ बाधा बने तो उसे काटने में लोग एक क्षण के लिए नहीं सोचते, लेकिन हरियाणा के करनाल के एक व्यक्ति ने पेड़ की कीमत और अहमियत दोनों ही समझा दी। घर की छत डालने के लिए पेड़ बीच में बाधा बना तो परिवार ने पेड़ बचाने के लिए राजमिस्त्री से ही कोई तरकीब निकालने के लिए कह दिया और राजमिस्त्री ने भी कुछ ऐसा किया कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। परिवार ने पेड़ बचाने के लिए अपने घर की छत में ही सुराख करवा डाले। पर्यावरण संरक्षण का संदेश जो इस परिवार ने दिया है, उसके लिए वन विभाग ने भी परिवार को शाबाशी दी है। आइए अब समझते है इस पेड़ के पीछे की कहानी करनाल निवासी विशाल शर्मा ने अपने घर को दोबारा बनाने का प्लान किया, लेकिन उसके बीच में आम का पेड़ आ गया। अब विशाल के पास सिर्फ दो ऑप्शन थे, या तो वह पेड़ को कटवा दे या फिर पेड़ को बचाकर अपने घर के डिजाइन को खराब कर ले। विशाल के लिए यह पेड़ उसकी मां की याद दिलाता है। विशाल की मां ने अपने बच्चों के साथ मिलकर करीब 17 साल पहले यह पौधा लगाया था। 17 साल बाद यह पौधा एक बड़ा पेड़ बन चुका है और वह किसी भी कीमत पर इस पेड़ को कटवाना नहीं चाहता था। उसने दूसरा ऑप्शन चुना और राजमिस्त्री से कहकर पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए छत के रास्ते ही पेड़ निकलवा दिया। घर की छत के बीच में से निकला आम का यह पेड़ बरबस ही सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करता है। खुले आसमान में बिना बाधा के फल फूल रहा पेड़ विशाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने राज मिस्त्री से घर की छत में इस तरह से सुराख करने को कहा कि पेड़ उसके अंदर से निकलकर खुले आसमान में बिना बाधा के फल फूल सके। घर के मालिक की भावनाओं को देखते हुए राजमिस्त्री ने आखिरकार घर के लेटर में सुराख करके पेड़ को उसके बीच से निकाल दिया जिससे एक हरा भरा पेड़ कटने से बच गया। विशाल ने बताया कि हमारी गली में एक भी पेड़ नहीं था जिससे गली बेजान सी लगती थी, ऐसे में हमने अपने पेड़ को बचाने का निर्णय लिया ताकि हमारे गली का पर्यावरण साफ और शुद्ध रह सके। सबने कहा कि मकान का डिजाईन खराब हो जाएगा विशाल की पत्नी मोनिका शर्मा ने बताती है कि जब मकान बनाया तो सब ने कहा-ये क्या कर रहे हो, पेड़ को कटवा दीजिए, नहीं तो पूरे मकान का डिजाइन ही खराब हो जाएगा। लेकिन हम इसे नहीं काटना चाहते थे, इस पेड़ से भावनाएं जुड़ी हुई है और दूसरा हमारे आसपास कोई पेड़ भी नहीं है। यह पेड़ छाया तो देता ही है, साथ ही फल भी देता है और हम इन फलों को काटते है। उन्होंने कहा कि आम का पेड़ भगवान विष्णु का प्रतीक है जो शुभ माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस पेड़ से उनके घर का तापमान 2 से 3 डिग्री कम रहता है और घर हमेशा ठंडा रहता है। उन्होंने कहा की पेड़ हमें जीवन देते हैं प्राण वायु देते हैं। कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी ने हमें पेड़ों का महत्व बता दिया है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सब लोग पेड़ लगाएं तो न केवल ग्लोबल वार्मिंग से बचा जा सकता है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होगा। शबाशी वाला काम किया जिला वन अधिकारी जय कुमार ने विशाल शर्मा की इस अनोखी पहल की सराहना करते हुए कहा कि अन्य लोगों को भी इससे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़ हमारे जीवन दाता है हमें इन्हें काटने की बजाय इनका संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश में प्राण वायु देवता के नाम से योजना चलाई है जिसके तहत पेड़ों पुराने पेड़ों को पेंशन दी जाती है। इसके तहत करनाल में 112 पेड़ों को पेंशन दी जा रही है। इसके पीछे सरकार की मंशा पेड़ों को बचाने और संरक्षित करने की है।जिस तरह से विशाल ने एक मिशाल पेश की है, वह सराहनीय है, क्योंकि जिस तरह से आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, उसका कारण यही है कि हमारे पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है और जब तक पेड़ नहीं होंगे तो हमें भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। हम निर्माण के लिए पेड़ काटते देखते है लेकिन निर्माण के लिए पेड़ बचाते हुए बहुत ही कम देखते है। इसलिए पेड़ों का संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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अहीरवाल की बादशाहपुर सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले राव नरबीर सिंह का नाम नए मंत्रिमंडल को लेकर सुर्खियों में है। नरबीर सिंह इस बार अपने खुद के दम पर टिकट लेकर आए और चुनाव भी जीत गए। उन्हें राव इंद्रजीत सिंह का धुर विरोधी माना जाता है। राव इंद्रजीत सिंह नहीं चाहते कि राव नरबीर सिंह सरकार में मंत्री बने। राव इंद्रजीत सिंह खुद गुरुग्राम से सांसद है। अगर राव नरबीर मंत्री बनते है तो राव इंद्रजीत सिंह का वह इलाके में दूसरा बड़ा विकल्प बन सकते है। नरबीर 2014 में भी चुनाव जीतने के बाद मनोहर लाल की कैबिनेट में पावरफुल मंत्री बने थे। हालांकि 2019 के चुनाव में उनकी टिकट कट गई थी। 4. CM पद पर दावा बरकरार रखना
अहीरवाल से मुख्यमंत्री पद की मांग भी लगातार उठ रही है। रेवाड़ी यादव सभा इसकी मांग पहले ही कर चुकी है। हालांकि भाजपा पहले ही नायब सैनी को सीएम चेहरा घोषित कर चुकी है। फिर भी राव भविष्य के लिए दावा मजबूत रखना चाहते हैं। यही वजह है कि राव इंद्रजीत सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार सीएम पद पर दावा ठोका। रिजल्ट आने के बाद भी राव इंद्रजीत सिंह ने कहा- हमने 10 सीटें जिताकर अपना काम कर दिया। अब हाईकमान को इलाके की संज्ञान लेना चाहिए। 5. केंद्र में राज्यमंत्री की जगह कैबिनेट मंत्री की प्रमोशन
राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा में रहते हुए गुरुग्राम सीट से लगातार तीसरी लोकसभा चुनाव जीता। दोनों बार वह मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे। इस बार जीत के बाद उनके कैबिनेट मंत्री बनने की संभावनाएं थी। लेकिन उन्हें राज्यमंत्री का पद मिला। जिसका दर्द राव इंद्रजीत सिंह खुद बयां कर चुके हैं। वह कह चुके है कि उनसे छोटे नेता को कैबिनेट मंत्री बना दिया और वह आज तक राज्यमंत्री ही रहे, जिससे अहीरवाल इलाके में भी मायूसी हुई। अब विधानसभा चुनाव में इस इलाके से मिली बड़ी जीत के बाद राव इंद्रजीत सिंह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की प्रमोशन चाहते हैं। दो सीटों पर प्रचार करने नहीं गए राव इंद्रजीत
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अहीरवाल इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार रामपुरा हाउस की पकड़ दशकों से रही है। पहले उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह का इलाके में दबदबा रहा। इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पिता के रुतबे को इस इलाके में बनाए रखा। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह एक तरह से अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपनी बेटी आरती राव को पूरी तरह एडजस्ट कर चुके है। राव इंद्रजीत सिंह 6 बार सांसद और 4 बाद विधायक बने है। अब उनकी उत्तराधिकारी के रूप में आरती राव इस पूरे इलाके में एक्टिव है।
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चरखी दादरी में हादसे में 2 युवकों की मौत:NH-334B पर बाइक को कार ने मारी टक्कर; बाढ़ड़ा जा रहे थे दोनों हरियाणा के चरखी दादरी में नेशनल हाईवे 334 बी पर जिले के गांव हड़ौदा के समीप एक कार ने बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सवार 2 युवकों की माैत हाे गई। दोनों मृतकों के शवों काे चरखीदादरी के सामान्य अस्पताल के शवगृह में रखवाया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। आज शवों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। जानकारी अनुसार बुधवार देर शाम चरखी दादरी की तरफ से बाइक पर सवार होकर दाे युवक बाढड़ा की तरफ आ रहे थे। जब वे हड़ौदा के एक निजी स्कूल के समीप पहुंचे ताे कार ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर के कारण बाइक सवार दोनों युवक सड़क पर गिर गए। एक मृतक काकड़ौली हट्ठी गांव का और दूसरा मृतक युवक गांव गोपी का बताया जा रहा है। हादसे में दोनों को गंभीर चोटें लगी। कार को लेकर ड्राइवर मौके से फरार हो गया। दोनों युवकों को चरखी दादरी के नागरिक अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद दोनों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों के शव चरखी दादरी सामान्य अस्पताल में रखवाये गए हैं। पुलिस ने सूचना मिलते ही माैके पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी है।