हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल विवाद के बीच पंजाब सरकार की ओर से दायर समीक्षा याचिका की आज (20 मई को) पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और बीबीएमबी की तरफ इस मामले में अपना जवाब दाखिल किया गया है, जबकि पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इस पर कोर्ट सहमति दे दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 मई तय की गई है। दूसरी तरफ, नंगल में प्रदर्शन गत 20 दिनों से चल रहा है। वहीं, हलका श्री आनंदपुर के विधायक व शिक्षामंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पिछले 20 दिनों से हम सीएम भगवंत मान की अगुवाई पंजाब के पानी को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। जो हमने जीत जीत ली। सीएम खुद तीन बार यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि, इलाके के गांवों के लोग और वालंटियरों ने इसमें अहम योगदान दिया है। आज 20 मई हो गई। केंद्र सरकार और BBMB: पंजाब के साथ बार-बार धक्का देने की कोशिश की गई, जबरदस्ती पानी छोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन हम डटे रहे और उनकी नापाक कोशिशों को सफल नहीं होने दिया। गुरु साहिब की अपार कृपा से, हमने इस लड़ाई में फतह हासिल कर ली है। मुख्यमंत्री कल सुबह 11 बजे नंगल डेम पर पहुंच रहे हैं। वहीं, हरियाणा की जननायक जनता पार्टी (JJP) पार्टी के नेताओं ने आज पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की है। साथ ही पानी के संकट के मुद्दों को गंभीरता से उठाया। बीबीएमबी चेयरमैन ने दिया हलफनामा बीबीएमबी चेयरमैन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। दरअसल, पंजाब और हरियाणा में कई दिनों से जल विवाद चल रहा था। इसी बीच, 8 मई को बीबीएमबी चेयरमैन पानी छोड़ने के लिए भाखड़ा पहुंच गए थे। वहां पर लोगों और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने पानी छोड़ने से रोक दिया और उन्हें बंधक बना लिया। इसके बाद सीएम भगवंत मान खुद भाखड़ा पहुंच गए थे। उन्होंने कहा था कि जब तक दो मई को केंद्रीय गृह सचिव की अगुआई में हुई मीटिंग के आदेश उन्हें नहीं दिए जाते, तब तक वे पानी नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान बीबीएमबी ने इस मामले में एक याचिका दायर की थी। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने हलफनामे में बताया कि पंजाब पुलिस ने उन्हें और उनके अधिकारियों को डैम संचालन में बाधित किया। कोर्ट ने पंजाब सरकार से उन पुलिसकर्मियों की पहचान करने को कहा है जिन्होंने कार्य में अड़चन डाली। इसके बाद पंजाब सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की थी। सरकार ने दिया था यह तर्क
सरकार ने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 8 मई, 2025 को लाइव अदालती कार्यवाही के दौरान बीबीएमबी चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने माना कि वे सिर्फ स्थानीय नागरिकों से घिरे हुए थे और पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने में सहायता की थी। हालांकि, 9 मई, 2025 को दिए गए एक हलफनामे में त्रिपाठी ने विपरीत आरोप लगाया कि उन्हें गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया था, जो कि उनके पिछले अदालती बयान के बिल्कुल विपरीत है। जिसके परिणामस्वरूप, पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा-379 का इस्तेमाल किया। इसमें हाइकोर्ट से बीएनएसएस की धारा-215 के तहत अपराध की जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया, जो जानबूझकर झूठा हलफनामा जमा करने से संबंधित है। इसके अलावा, राज्य ने 6 मई, 2025 के उच्च न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए त्रिपाठी और संजीव कुमार, निदेशक (जल विनियमन) दोनों के विरुद्ध अदालत की अवमानना संबंधी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है। हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल विवाद के बीच पंजाब सरकार की ओर से दायर समीक्षा याचिका की आज (20 मई को) पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और बीबीएमबी की तरफ इस मामले में अपना जवाब दाखिल किया गया है, जबकि पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इस पर कोर्ट सहमति दे दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 मई तय की गई है। दूसरी तरफ, नंगल में प्रदर्शन गत 20 दिनों से चल रहा है। वहीं, हलका श्री आनंदपुर के विधायक व शिक्षामंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पिछले 20 दिनों से हम सीएम भगवंत मान की अगुवाई पंजाब के पानी को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। जो हमने जीत जीत ली। सीएम खुद तीन बार यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि, इलाके के गांवों के लोग और वालंटियरों ने इसमें अहम योगदान दिया है। आज 20 मई हो गई। केंद्र सरकार और BBMB: पंजाब के साथ बार-बार धक्का देने की कोशिश की गई, जबरदस्ती पानी छोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन हम डटे रहे और उनकी नापाक कोशिशों को सफल नहीं होने दिया। गुरु साहिब की अपार कृपा से, हमने इस लड़ाई में फतह हासिल कर ली है। मुख्यमंत्री कल सुबह 11 बजे नंगल डेम पर पहुंच रहे हैं। वहीं, हरियाणा की जननायक जनता पार्टी (JJP) पार्टी के नेताओं ने आज पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की है। साथ ही पानी के संकट के मुद्दों को गंभीरता से उठाया। बीबीएमबी चेयरमैन ने दिया हलफनामा बीबीएमबी चेयरमैन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। दरअसल, पंजाब और हरियाणा में कई दिनों से जल विवाद चल रहा था। इसी बीच, 8 मई को बीबीएमबी चेयरमैन पानी छोड़ने के लिए भाखड़ा पहुंच गए थे। वहां पर लोगों और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने पानी छोड़ने से रोक दिया और उन्हें बंधक बना लिया। इसके बाद सीएम भगवंत मान खुद भाखड़ा पहुंच गए थे। उन्होंने कहा था कि जब तक दो मई को केंद्रीय गृह सचिव की अगुआई में हुई मीटिंग के आदेश उन्हें नहीं दिए जाते, तब तक वे पानी नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान बीबीएमबी ने इस मामले में एक याचिका दायर की थी। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने हलफनामे में बताया कि पंजाब पुलिस ने उन्हें और उनके अधिकारियों को डैम संचालन में बाधित किया। कोर्ट ने पंजाब सरकार से उन पुलिसकर्मियों की पहचान करने को कहा है जिन्होंने कार्य में अड़चन डाली। इसके बाद पंजाब सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की थी। सरकार ने दिया था यह तर्क
सरकार ने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 8 मई, 2025 को लाइव अदालती कार्यवाही के दौरान बीबीएमबी चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने माना कि वे सिर्फ स्थानीय नागरिकों से घिरे हुए थे और पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने में सहायता की थी। हालांकि, 9 मई, 2025 को दिए गए एक हलफनामे में त्रिपाठी ने विपरीत आरोप लगाया कि उन्हें गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया था, जो कि उनके पिछले अदालती बयान के बिल्कुल विपरीत है। जिसके परिणामस्वरूप, पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा-379 का इस्तेमाल किया। इसमें हाइकोर्ट से बीएनएसएस की धारा-215 के तहत अपराध की जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया, जो जानबूझकर झूठा हलफनामा जमा करने से संबंधित है। इसके अलावा, राज्य ने 6 मई, 2025 के उच्च न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए त्रिपाठी और संजीव कुमार, निदेशक (जल विनियमन) दोनों के विरुद्ध अदालत की अवमानना संबंधी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
