मंडी में 163 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने रोका काम:न्यूनतम वेतन और श्रम कानून लागू करने की मांग, बोले-नौकरी छोड़ने का दबाव बना रहे

मंडी में 163 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने रोका काम:न्यूनतम वेतन और श्रम कानून लागू करने की मांग, बोले-नौकरी छोड़ने का दबाव बना रहे

हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाओं के कर्मचारी 27 मई की मध्यरात्रि से हड़ताल पर हैं। मंडी जिले में 31 लोकेशन पर कार्यरत 163 कर्मचारियों ने काम रोक दिया है। इनमें 71 पायलट और 80 इमरजेंसी मेडिसिन तकनीशियन शामिल हैं। कर्मचारियों ने जिला मुख्यालय मंडी में विरोध रैली निकाली। रेहड़ी-फड़ी और फोरलेन वर्करज यूनियन ने भी प्रदर्शन में समर्थन दिया। सीटू के जिला प्रधान भुपेंद्र सिंह ने बताया कि एनएचएम के तहत मेडस्वेन फाउंडेशन में काम कर रहे कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों से 12 घंटे ड्यूटी करवाई जाती है, लेकिन ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया जाता। कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप कंपनी हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, सीजेएस कोर्ट और श्रम विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। यूनियन से जुड़े कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें नौकरी छोड़ने का दबाव बनाया जाता है। ग्रेच्युटी और नोटिस पे नहीं दिया पहले ये कर्मचारी जीवीके-इएमआरआई कंपनी में थे। कंपनी बदलने पर इन्हें निकाल दिया गया था। सीटू से जुड़ने और आंदोलन के बाद मेडस्वेन ने दोबारा नौकरी दी, लेकिन छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी और नोटिस पे नहीं दिया गया। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाओं के कर्मचारी 27 मई की मध्यरात्रि से हड़ताल पर हैं। मंडी जिले में 31 लोकेशन पर कार्यरत 163 कर्मचारियों ने काम रोक दिया है। इनमें 71 पायलट और 80 इमरजेंसी मेडिसिन तकनीशियन शामिल हैं। कर्मचारियों ने जिला मुख्यालय मंडी में विरोध रैली निकाली। रेहड़ी-फड़ी और फोरलेन वर्करज यूनियन ने भी प्रदर्शन में समर्थन दिया। सीटू के जिला प्रधान भुपेंद्र सिंह ने बताया कि एनएचएम के तहत मेडस्वेन फाउंडेशन में काम कर रहे कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों से 12 घंटे ड्यूटी करवाई जाती है, लेकिन ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया जाता। कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप कंपनी हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, सीजेएस कोर्ट और श्रम विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। यूनियन से जुड़े कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें नौकरी छोड़ने का दबाव बनाया जाता है। ग्रेच्युटी और नोटिस पे नहीं दिया पहले ये कर्मचारी जीवीके-इएमआरआई कंपनी में थे। कंपनी बदलने पर इन्हें निकाल दिया गया था। सीटू से जुड़ने और आंदोलन के बाद मेडस्वेन ने दोबारा नौकरी दी, लेकिन छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी और नोटिस पे नहीं दिया गया। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।   हिमाचल | दैनिक भास्कर