भिवानी के एक डेरा के दो साधुओं की राजस्थान के झुंझुनू में नारनौल-सिंघाना मार्ग पर बेरहमी से हत्या के मामले में दोनों मृतकों की रविवार को पहचान हो गई। दोनों मृतक साधु भिवानी के जाहरगिरी डेरा में रहने वाले विशिष्ठ गिरी और गौतम गिरी है। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जानकारी के अनुसार, शनिवार की रात राजस्थान के झुंझुनू में नारनौल-सिंघाना रोड पर हत्या कर दी गई। आज सुबह शव मिलने की सूचना के बाद भिवानी स्थित जाहरगिरी आश्रम के कुछ लोग अस्पताल पहुंचे और मृतकों की शिनाख्त की। बताया जाता है कि हत्यारों ने साधुओं की हत्या करने के बाद एक गड्ढे में फेंक दिया और फरार हो गए। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक साधु विशिष्ठ गिरी का सिंघाना थाना क्षेत्र के भोदन गांव में स्थित एक आश्रम में आना जाना रहता था। रात में भी कुछ लोग उनके पास आए थे और उन्हें आश्रम से बाहर ले जाकर मारपीट की। दूसरे साधु गौतम गिरी मारपीट करते हुए देख लिया तो आरोपियों ने गौतम के साथ भी मारपीट की। मारपीट में मौत होने के बाद वे लोग उन्हें गाड़ी में डालकर हरियाणा-राजस्थान सीमा के पास गड्ढों में डालकर फरार हो गए। विशिष्ट गिरी महाराज के पास 15 लाख रुपए व एक गाड़ी होने की बात सामने आई है, जो गायब है। पुलिस ने थाना क्षेत्र के अलावा हरियाणा के गोद बलाहा, भांखरी, में लगे सीसीटीवी कैमरों से जानकारी जुटाई गई। इस दौरान पुलिस को एक संदिग्ध गाड़ी भी नजर आई जो राजस्थान सीमा में घुसने के कुछ समय बाद ही वापस हरियाणा की ओर चली गई थी। पुलिस की ओर से संदिग्ध गाड़ी का पता लगाने व वारदात का खुलासा करने के लिए पांच टीमों का गठन कर रवाना किया गया है, जो मामले की जानकारी जुटा रही है। बुहाना के राजकीय अस्पताल में दोनों के शवों का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया। थानाधिकारी ने बताया कि आरोपियों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है तथा जल्द ही वारदात का खुलासा किया जाएगा। बाबा जाहरगिरी डेरा में रहते थे दोनों साधु मृतक साधु की पहचान गौतम गिरी व विशिष्ट गिरी के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि यह दोनों साधु भिवानी के बाबा जाहरगिरी डेरा में रहते थे और पिछले कुछ दिनों से राजस्थान गए हुए थे। इस संबंध में बाबा जाहर गिरी मंदिर डेरा के संचालक डॉ. अशोक गिरी से फोन पर बात करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। भिवानी के एक डेरा के दो साधुओं की राजस्थान के झुंझुनू में नारनौल-सिंघाना मार्ग पर बेरहमी से हत्या के मामले में दोनों मृतकों की रविवार को पहचान हो गई। दोनों मृतक साधु भिवानी के जाहरगिरी डेरा में रहने वाले विशिष्ठ गिरी और गौतम गिरी है। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जानकारी के अनुसार, शनिवार की रात राजस्थान के झुंझुनू में नारनौल-सिंघाना रोड पर हत्या कर दी गई। आज सुबह शव मिलने की सूचना के बाद भिवानी स्थित जाहरगिरी आश्रम के कुछ लोग अस्पताल पहुंचे और मृतकों की शिनाख्त की। बताया जाता है कि हत्यारों ने साधुओं की हत्या करने के बाद एक गड्ढे में फेंक दिया और फरार हो गए। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक साधु विशिष्ठ गिरी का सिंघाना थाना क्षेत्र के भोदन गांव में स्थित एक आश्रम में आना जाना रहता था। रात में भी कुछ लोग उनके पास आए थे और उन्हें आश्रम से बाहर ले जाकर मारपीट की। दूसरे साधु गौतम गिरी मारपीट करते हुए देख लिया तो आरोपियों ने गौतम के साथ भी मारपीट की। मारपीट में मौत होने के बाद वे लोग उन्हें गाड़ी में डालकर हरियाणा-राजस्थान सीमा के पास गड्ढों में डालकर फरार हो गए। विशिष्ट गिरी महाराज के पास 15 लाख रुपए व एक गाड़ी होने की बात सामने आई है, जो गायब है। पुलिस ने थाना क्षेत्र के अलावा हरियाणा के गोद बलाहा, भांखरी, में लगे सीसीटीवी कैमरों से जानकारी जुटाई गई। इस दौरान पुलिस को एक संदिग्ध गाड़ी भी नजर आई जो राजस्थान सीमा में घुसने के कुछ समय बाद ही वापस हरियाणा की ओर चली गई थी। पुलिस की ओर से संदिग्ध गाड़ी का पता लगाने व वारदात का खुलासा करने के लिए पांच टीमों का गठन कर रवाना किया गया है, जो मामले की जानकारी जुटा रही है। बुहाना के राजकीय अस्पताल में दोनों के शवों का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया। थानाधिकारी ने बताया कि आरोपियों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है तथा जल्द ही वारदात का खुलासा किया जाएगा। बाबा जाहरगिरी डेरा में रहते थे दोनों साधु मृतक साधु की पहचान गौतम गिरी व विशिष्ट गिरी के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि यह दोनों साधु भिवानी के बाबा जाहरगिरी डेरा में रहते थे और पिछले कुछ दिनों से राजस्थान गए हुए थे। इस संबंध में बाबा जाहर गिरी मंदिर डेरा के संचालक डॉ. अशोक गिरी से फोन पर बात करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रेवाड़ी का नई सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं:मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावनाएं भी कम, राव नरबीर और आरती राव बने कैबिनेट मंत्री
रेवाड़ी का नई सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं:मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावनाएं भी कम, राव नरबीर और आरती राव बने कैबिनेट मंत्री हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद गुरुवार को भाजपा सरकार ने शपथ ले ली। नई सरकार के गठन में जातिगत व क्षेत्रीय संतुलन तो कायम रखा गया, लेकिन अहीरवाल के अहम जिले रेवाड़ी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। हालांकि अहीरवाल बेल्ट से आने वाले से दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इनमें बादशाहपुर से राव नरबीर व अटेली से आरती राव को जगह दी गई है। क्षेत्र के कद्दावर नेता कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को मंत्री जरूर बनाया गया, लेकिन उनके धुर विरोधी राव नरबीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर सत्ता संतुलन बनाए रखा गया। जबकि पहले चर्चा थी कि नरबीर के अलावा राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से दो लोगों को मंत्री बनाया जाएगा। इनमें बिमला चौधरी व लक्ष्मण सिंह यादव का नाम चर्चा में था। बीजेपी ने 11 में से 10 सीटें जीती अहीरवाल इलाके में 11 सीटें हैं। इस बार बीजेपी ने नांगल चौधरी सीट को छोड़कर सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में अहीरवाल को खास प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद की जा रही थी। चुनाव से पहले और रिजल्ट आने के बाद इशारों में राव इंद्रजीत सिंह सीएम पद तक की दावेदारी ठोकते आ रहे थे। हालांकि सीएम पद तो दूर उनकी बेटी आरती को छोड़ किसी दूसरे समर्थित विधायक को मंत्री भी नहीं बनाया गया। जबकि उनके समर्थित 7 विधायक चुनाव जीते हैं। किसकी दावेदारी आई काम 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह इलाके के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध हैं। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी पहले ही मजबूत नजर आ रही थी। कैबिनेट मंत्री बनने की दूसरी वजह उनका राव इंदजीत सिंह का विरोधी होना रहा। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही हैं। भाजपा ने नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में पावर बैलेंस करने की कोशिश की है। 2. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश की। दूसरे और तीसरे टर्म में खास भागीदारी नहीं 2014 में बीजेपी ने अहीरवाल की सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस वक्त रामबिलास शर्मा और राव नरबीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। जबकि राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से विक्रम ठेकेदार को राज्यमंत्री बनाया गया था। 2019 में इलाके की 8 सीटें जीतने पर बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह समर्थित डॉ. बनवारी लाल को कैबिनेट और ओमप्रकाश यादव को राज्यमंत्री बनाया। गुरुग्राम जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। हालांकि मार्च में हुए बदलाव के बाद नायब सैनी की सरकार में सोहना से विधायक संजय सिंह को जरूर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। इस बार 10 सीटें जीतने पर उम्मीद ज्यादा थी। रेवाड़ी यादव सभा अहीरवाल से सीएम पद या डिप्टी सीएम पद की मांग कर चुकी थी। रेवाड़ी तीसरे टर्म में भी अछूता रेवाड़ी जिले की बात करें तो बीजेपी सरकार के पहले दोनों टर्म में यहां से मंत्री बनाए गए। इसमें दोनों बार बावल और कोसली को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, लेकिन रेवाड़ी सीट से जीत के बाद भी रणधीर सिंह कापड़ीवास को 2014 में मंत्री नहीं बनाया गया। हालांकि 2024 में लक्ष्मण यादव की जीत के बाद रेवाड़ी के लोगों को मंत्रीपद की उम्मीद काफी ज्यादा थी। लेकिन इस बार भी यहां के लोगों के हाथ मायूसी ही लगी।
हिसार की 7 सीटों में कांग्रेस-भाजपा ने 3-3 सीटें जीतीं:नारनौंद में 52 साल बाद जीती कांग्रेस, आदमपुर में 57 साल का गढ़ टूटा
हिसार की 7 सीटों में कांग्रेस-भाजपा ने 3-3 सीटें जीतीं:नारनौंद में 52 साल बाद जीती कांग्रेस, आदमपुर में 57 साल का गढ़ टूटा हरियाणा विधानसभा चुनाव में हिसार की 7 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा 3-3 सीटें जीतने में कामयाब रही। हिसार से पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल निर्दलीय चुनाव जीती हैं। वहीं बरवाला से भाजपा के रणबीर गंगवा, हांसी से विनोद भयाणा, नलवा से रणधीर पनिहार, आदमपुर से पूर्व आईएएस चंद्रप्रकाश, नारनौंद से जस्सी पेटवाड़ और उकलाना से नरेश सेलवाल चुनाव जीते। खास बात है कि 2019 में भाजपा ने हिसार, नलवा, हांसी सीट ही जीती थी इस बार भी भाजपा ने 3 सीटें जीती हैं, जिसमें नलवा, हांसी और बरवाला शामिल है। इसी तरह कांग्रेस ने 2019 में आदमपुर सीट जीती थी जो इस बार भी कांग्रेस के पास है साथ ही कांग्रेस ने उकलाना और नारनौंद सीट जजपा से छीनी है। इसी तरह भाजपा ने जजपा की बरवाला सीट पर कब्जा किया है। पिछले चुनाव में जजपा ने 3 सीटें हासिल की थी। मगर इस बार जजपा कहीं मुकाबले में भी नजर नहीं आई। अगर 2024 लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए तो कांग्रेस ने हिसार, हांसी और बरवाला सीट छोड़कर सभी 4 सीट जीती थी मगर इन सीटों में नलवा सीट पर भाजपा परचम लहराने में कामयाब रही। ऐसे बने नए रिकॉर्ड और ऐसे टूट गए
खास बात यह है कि इस बार कांग्रेस ने बरसों पुराने रिकॉर्ड को हिसार में तोड़ दिया। कांग्रेस ने जहां 57 साल पुराने आदमपुर के दुर्ग को भेदा तो वहीं नारनौंद में 52 साल के सूखे को भी खत्म किया। आदमपुर में बिश्नोई परिवार 1967 से चुनाव जीतता आ रहा था मगर अबकी बार कांग्रेस के पूर्व आइएएस चंद्रप्रकाश ने उनको हरा दिया। वहीं नारनौंद में अंतिम बार कांग्रेस 1972 में जीती थी। जब जोगेंद्र जोग यहां से विधायक चुने गए थे। अब कांग्रेस के जस्सी पेटवाड़ चुनाव जीते हैं। कांग्रेस ने इन दोनों के अलावा उकलाना सीट भी जीती है। उकलाना में कांग्रेस 15 साल बाद कोई विधानसभा चुनाव जीती है। खास बात है कि तब भी कांग्रेस के नरेश सेलवाल ने ही चुनाव जीता था और अब भी नरेश सेलवाल ने ही कांग्रेस से चुनाव जीता है। हिसार सीट भाजपा 10 साल बाद हारी
भाजपा अपने गढ़ हिसार में 10 साल बाद हार गई। भाजपा लगातार 10 साल से चुनाव जीत रही थी। इस बार BJP प्रत्याशी डॉ. कमल गुप्ता के खिलाफ लोगों में नाराजगी थी। जनता को उम्मीद थी कि भाजपा सावित्री जिंदल को टिकट देगी मगर कमल गुप्ता अपनी राजनीतिक पहुंच के कारण टिकट लेने में कामयाब रहे। इस चुनाव में कमल गुप्ता तीसरे नंबर पर रहे वह कांग्रेस के रामनिवास राड़ा से भी पीछे रहे। इस चुनाव में सावित्री जिंदल विजयी रही। सावित्री जिंदल को हिसार से 49231 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के रामनिवास राड़ा को 30290 वोट और कमल गुप्ता को 17385 वोट मिले। भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले पूर्व मेयर गौतम सरदाना महज 6831 वोट लेने में ही कामयाब हुए। भाजपा से बागी हुए तरूण जैन को सिर्फ 1135 वोट मिले। हांसी, बरवाला और हिसार में कांग्रेस का सूखा
कांग्रेस हांसी, हिसार और बरवाला में भी जीत को तरस रही है। यहां 2009 में कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। हांसी में 2009 में अंतिम बार कांग्रेस से विनोद भयाणा जीते थे। विनोद भयाणा अब भाजपा में हैं। 2014 में कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई चुनाव जीती थी जो अब भाजपा में हैं। इसी तरह हिसार से 2009 में सावित्री जिंदल कांग्रेस की टिकट पर जीती थी मगर वह अबकी बार निर्दलीय चुनाव लड़ी और जीत गई। बरवाला पहली बार खिला कमल
भाजपा की बात करें पार्टी ने बरवाला हलके में पहली बार कमल खिलाया है। 2019 में भाजपा के सुरेंद्र पूनिया महज कुछ मतों से बरवाला से हार गए थे और जजपा के जोगीराम सिहाग विधायक बने थे। इससे पहले कांग्रेस और इनेलो ही यहां से विधायक बनाती आई है। इस बार भाजपा ने नलवा से विधायक रहे रणबीर गंगवा का स्थान बदलकर बरवाला से टिकट दिया जिससे सबको हैरानी भी हुई मगर रणबीर गंगवा ने बरवाला में मेहनत कर चुनाव उठाया और जीता भी। बरवाला में लोकसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त मिली थी। यहां भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत दोबारा रंग लाई और विधानसभा चुनाव में पहली बार कमल खिला। नारनौंद हलके से 3 विधायक चुने गए
नारनौंद हलके से अबकी बार भी 3 विधायक चुने गए हैं। पेटवाड़ गांव से कांग्रेस के जस्सी पेटवाड़, नारनौंद के रामकुमार गौतम की भाजपा से सफीदों हल्के से चुने गए हैं। लोहारी राघो गांव के विनोद भ्याना हांसी से भाजपा के विधायक बने हैं। पिछली बार भी रामकुमार गौतम, विनोद भ्याना और जोगीराम सिहाग विधायक बने थे। जैसे ही नारनौंद की मतगणना शुरू हुई पहले राउंड से ही कांग्रेस के प्रत्याशी जस्सी पेटवाड़ ने बढ़त बनानी शुरू कर दी। एक से 6 राउंड में लगातार बढ़त बनाई। सातवें, आठवें ओर बाहर वें राउंड में ही कैप्टन को बढ़त मिली। उसके बाद जस्सी लगातार बढ़त बनाते रहे। जस्सी को बाहरा खाप ओर रोघी खाप में अच्छी बढ़त मिली। नारनौंद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के जस्सी पेटवाड़ को 84086 वोट मिले, जबकि भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु को 71836 वोट मिले। जस्सी पेटवाड़ 13086 मत से विजेता रहे।
नामांकन वापसी के आखिरी दिन बागियों को मनाने जुटीं पार्टियां:सैनी खट्टर के पूर्व मीडिया एडवाइजर के घर पहुंचे; दीपेंद्र पूर्व विधायक के पास जाएंगे
नामांकन वापसी के आखिरी दिन बागियों को मनाने जुटीं पार्टियां:सैनी खट्टर के पूर्व मीडिया एडवाइजर के घर पहुंचे; दीपेंद्र पूर्व विधायक के पास जाएंगे हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन वापसी का आज आखिरी दिन है। आखिरी समय में कांग्रेस और भाजपा ने अपने बागी नेताओं को मनाने के लिए जोर लगा रखा है। सोनीपत से टिकट कटने से नाराज पूर्व मंत्री कविता जैन और उनके पति मनोहर लाल खट्टर के पूर्व मीडिया एडवाइजर राजीव जैन को मनाने के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी सोनीपत पहुंचे हैं। सोनीपत में भाजपा ने कांग्रेस से आए निखिल मदान को टिकट दिया है। जिसके बाद राजीव जैन ने भाजपा से बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। राजीव जैन के सेक्टर-15 स्थित आवास पर बंद कमरे में नायब सैनी, कविता जैन और राजीव जैन की मीटिंग चल रही है। दीपेंद्र हुड्डा अंबाला में मलौर को मनाने जाएंगे वहीं अंबाला सिटी से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री निर्मल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यहां टिकट न मिलने पर पूर्व विधायक जसबीर सिंह मलौर बागी हैं। उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया हुआ है। आज रोहतक से लोकसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा मलौर का मनाने के लिए अंबाला जाएंगे। वहीं अंबाला कैंट विधानसभा सीट से निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा ने भी निर्दलीय नामांकन दाखिल किया हुआ है। अभी दीपेंद्र का चित्रा के पास जाने का कार्यक्रम नहीं है। एक दिन पहले रामबिलास शर्मा के घर पहुंचे नायब सैनी भाजपा की पहली 2 लिस्ट में नाम न आने पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामबिलास शर्मा बागी हो गए थे। उन्होंने लिस्ट में नाम आए बिना ही भाजपा उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। इतना ही नहीं, समर्थकों के सामने उनके आंसू तक निकल आए। बाद में भाजपा ने महेंद्रगढ़ सीट से कंवर सिंह को उम्मीदवार बना दिया। रविवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी रामबिलास शर्मा को मनाने के लिए महेंद्रगढ़ पहुंचे। यहां सैनी ने रामबिलास से नाराजगी भुलाने की प्रार्थना की और चुनाव में सहयोग करने के लिए कहा। नारनौल में भारती सैनी ने बैरंग लौटाया वहीं नारनौल से भारती सैनी भाजपा के टिकट की दावेदारी जता रही थीं। यहां पार्टी ने ओम प्रकाश यादव को उम्मीदवार बनाया। जिसके बाद वह भाजपा से बागी हो गईं और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। रविवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी, भारती सैनी के आवास पर भी उन्हें मनाने के लिए पहुंचे। कई देर चली मीटिंग के बाद भारती नहीं मानी और सैनी को बैरंग ही लौटना पड़ा।