हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आए परिवार पहचान पत्र (PPP), प्रॉपर्टी आईडी, एनडीसी, बीपीएल कार्ड की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अब इनकी समीक्षा करेगी। बकायदा इसके लिए ग्राउंड लेवल पर डिपार्टमेंट से फीडबैक लिया जा रहा हैं। बीजेपी सरकार को पोर्टल की वजह से प्रदेश में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। सीनियर लेवल के अधिकारी ऑल इज वेल कहते रहे और निचलने स्तर पर चुनाव में बड़ा नुकसान हो गया। इसलिए सरकार अब निचले स्तर पर कर्मचारियों से फीडबैक ले रही है। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को रेवाड़ी में बताया कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा को लेकर सीएम नायब सैनी ने सभी विधायकों की बैठक ली थी। विधायकों की मीटिंग ली थी। सभी विधायकों से बात की। सीएम ने पूछा कि चुनाव के समय में क्या-क्या समस्याएं आई, जिसकी वजह से हमारा ग्राफ गिरा। जिसमें विधायकों ने बताया कि शहर में प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, गांवों में लोगों के बीपीएल कार्ड कट गए जैसी समस्याएं थी। ये समस्याएं पोर्टल पर ठीक नहीं हो रही है, जिसकी वजह से लोगों में रोष है। हमने सीएम से कहा कि इसे ऑफलाइन किया जाए। इसके बाद सीएम ने समीक्षा कराने की बात कही हैं। चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जैसे ही आचार संहिता हटी। तुरंत प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई। क्योंकि बीजेपी को इस चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ हैं। जिन सीटों पर जीत मिली, वहां भी कांटे का ही मुकाबला रहा। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी का ही था। जिसकी लेकर बीजेपी सरकार को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा। सरकार को लोगों के रोष का पता नहीं चल पाया। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई इन योजनाओं की समीक्षा करा रहे हैं। दरअसल, प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी को लेकर गुस्सा का आकलन प्रदेश सरकार को पहले भी था, लेकिन लोगों में ये गुस्सा इतना हावी रहेगा ये सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अधिकारी सब कुछ ठीक होने का हवाला देते रहे पोर्टल से संबंधित चंडीगढ़ में बड़े लेवल पर अधिकारियों की बैठक होती रही। निचले लेवल पर बैठे अधिकारी सरकार को सब कुछ ठीक होने का फीडबैक देते रहे और सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर में लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विपक्ष भी पूर्व मुख्यमंत्री की पोर्टल योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करता रहा, लेकिन सरकार तक इसकी गूंज नहीं पहुंची। निचले लेवल पर कर्मचारियों से लिया जा रहा फीडबैक बता दें कि 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। इसके तुरंत बाद ही आचार संहित लग गई। जिसकी वजह से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन चुनाव में हुए नुकसान का आकलन लगाने के बाद सरकार ने पोर्टल की योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से निचले स्तर पर निकाय विभाग के कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है। उनसे दो ही सवाल किए जा रहे है। पहला प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र में किस तरह की समस्या है और दूसरा इन समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 4 माह का समय बचा है। ऐसे में कहीं से मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी बड़ा बनकर न रह जाए इसलिए सरकार इसके सुधार की तरफ कदम उठा रही है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आए परिवार पहचान पत्र (PPP), प्रॉपर्टी आईडी, एनडीसी, बीपीएल कार्ड की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अब इनकी समीक्षा करेगी। बकायदा इसके लिए ग्राउंड लेवल पर डिपार्टमेंट से फीडबैक लिया जा रहा हैं। बीजेपी सरकार को पोर्टल की वजह से प्रदेश में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। सीनियर लेवल के अधिकारी ऑल इज वेल कहते रहे और निचलने स्तर पर चुनाव में बड़ा नुकसान हो गया। इसलिए सरकार अब निचले स्तर पर कर्मचारियों से फीडबैक ले रही है। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को रेवाड़ी में बताया कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा को लेकर सीएम नायब सैनी ने सभी विधायकों की बैठक ली थी। विधायकों की मीटिंग ली थी। सभी विधायकों से बात की। सीएम ने पूछा कि चुनाव के समय में क्या-क्या समस्याएं आई, जिसकी वजह से हमारा ग्राफ गिरा। जिसमें विधायकों ने बताया कि शहर में प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, गांवों में लोगों के बीपीएल कार्ड कट गए जैसी समस्याएं थी। ये समस्याएं पोर्टल पर ठीक नहीं हो रही है, जिसकी वजह से लोगों में रोष है। हमने सीएम से कहा कि इसे ऑफलाइन किया जाए। इसके बाद सीएम ने समीक्षा कराने की बात कही हैं। चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जैसे ही आचार संहिता हटी। तुरंत प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई। क्योंकि बीजेपी को इस चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ हैं। जिन सीटों पर जीत मिली, वहां भी कांटे का ही मुकाबला रहा। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी का ही था। जिसकी लेकर बीजेपी सरकार को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा। सरकार को लोगों के रोष का पता नहीं चल पाया। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई इन योजनाओं की समीक्षा करा रहे हैं। दरअसल, प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी को लेकर गुस्सा का आकलन प्रदेश सरकार को पहले भी था, लेकिन लोगों में ये गुस्सा इतना हावी रहेगा ये सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अधिकारी सब कुछ ठीक होने का हवाला देते रहे पोर्टल से संबंधित चंडीगढ़ में बड़े लेवल पर अधिकारियों की बैठक होती रही। निचले लेवल पर बैठे अधिकारी सरकार को सब कुछ ठीक होने का फीडबैक देते रहे और सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर में लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विपक्ष भी पूर्व मुख्यमंत्री की पोर्टल योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करता रहा, लेकिन सरकार तक इसकी गूंज नहीं पहुंची। निचले लेवल पर कर्मचारियों से लिया जा रहा फीडबैक बता दें कि 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। इसके तुरंत बाद ही आचार संहित लग गई। जिसकी वजह से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन चुनाव में हुए नुकसान का आकलन लगाने के बाद सरकार ने पोर्टल की योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से निचले स्तर पर निकाय विभाग के कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है। उनसे दो ही सवाल किए जा रहे है। पहला प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र में किस तरह की समस्या है और दूसरा इन समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 4 माह का समय बचा है। ऐसे में कहीं से मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी बड़ा बनकर न रह जाए इसलिए सरकार इसके सुधार की तरफ कदम उठा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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