हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आए परिवार पहचान पत्र (PPP), प्रॉपर्टी आईडी, एनडीसी, बीपीएल कार्ड की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अब इनकी समीक्षा करेगी। बकायदा इसके लिए ग्राउंड लेवल पर डिपार्टमेंट से फीडबैक लिया जा रहा हैं। बीजेपी सरकार को पोर्टल की वजह से प्रदेश में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। सीनियर लेवल के अधिकारी ऑल इज वेल कहते रहे और निचलने स्तर पर चुनाव में बड़ा नुकसान हो गया। इसलिए सरकार अब निचले स्तर पर कर्मचारियों से फीडबैक ले रही है। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को रेवाड़ी में बताया कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा को लेकर सीएम नायब सैनी ने सभी विधायकों की बैठक ली थी। विधायकों की मीटिंग ली थी। सभी विधायकों से बात की। सीएम ने पूछा कि चुनाव के समय में क्या-क्या समस्याएं आई, जिसकी वजह से हमारा ग्राफ गिरा। जिसमें विधायकों ने बताया कि शहर में प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, गांवों में लोगों के बीपीएल कार्ड कट गए जैसी समस्याएं थी। ये समस्याएं पोर्टल पर ठीक नहीं हो रही है, जिसकी वजह से लोगों में रोष है। हमने सीएम से कहा कि इसे ऑफलाइन किया जाए। इसके बाद सीएम ने समीक्षा कराने की बात कही हैं। चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जैसे ही आचार संहिता हटी। तुरंत प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई। क्योंकि बीजेपी को इस चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ हैं। जिन सीटों पर जीत मिली, वहां भी कांटे का ही मुकाबला रहा। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी का ही था। जिसकी लेकर बीजेपी सरकार को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा। सरकार को लोगों के रोष का पता नहीं चल पाया। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई इन योजनाओं की समीक्षा करा रहे हैं। दरअसल, प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी को लेकर गुस्सा का आकलन प्रदेश सरकार को पहले भी था, लेकिन लोगों में ये गुस्सा इतना हावी रहेगा ये सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अधिकारी सब कुछ ठीक होने का हवाला देते रहे पोर्टल से संबंधित चंडीगढ़ में बड़े लेवल पर अधिकारियों की बैठक होती रही। निचले लेवल पर बैठे अधिकारी सरकार को सब कुछ ठीक होने का फीडबैक देते रहे और सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर में लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विपक्ष भी पूर्व मुख्यमंत्री की पोर्टल योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करता रहा, लेकिन सरकार तक इसकी गूंज नहीं पहुंची। निचले लेवल पर कर्मचारियों से लिया जा रहा फीडबैक बता दें कि 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। इसके तुरंत बाद ही आचार संहित लग गई। जिसकी वजह से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन चुनाव में हुए नुकसान का आकलन लगाने के बाद सरकार ने पोर्टल की योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से निचले स्तर पर निकाय विभाग के कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है। उनसे दो ही सवाल किए जा रहे है। पहला प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र में किस तरह की समस्या है और दूसरा इन समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 4 माह का समय बचा है। ऐसे में कहीं से मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी बड़ा बनकर न रह जाए इसलिए सरकार इसके सुधार की तरफ कदम उठा रही है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आए परिवार पहचान पत्र (PPP), प्रॉपर्टी आईडी, एनडीसी, बीपीएल कार्ड की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अब इनकी समीक्षा करेगी। बकायदा इसके लिए ग्राउंड लेवल पर डिपार्टमेंट से फीडबैक लिया जा रहा हैं। बीजेपी सरकार को पोर्टल की वजह से प्रदेश में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। सीनियर लेवल के अधिकारी ऑल इज वेल कहते रहे और निचलने स्तर पर चुनाव में बड़ा नुकसान हो गया। इसलिए सरकार अब निचले स्तर पर कर्मचारियों से फीडबैक ले रही है। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को रेवाड़ी में बताया कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा को लेकर सीएम नायब सैनी ने सभी विधायकों की बैठक ली थी। विधायकों की मीटिंग ली थी। सभी विधायकों से बात की। सीएम ने पूछा कि चुनाव के समय में क्या-क्या समस्याएं आई, जिसकी वजह से हमारा ग्राफ गिरा। जिसमें विधायकों ने बताया कि शहर में प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, गांवों में लोगों के बीपीएल कार्ड कट गए जैसी समस्याएं थी। ये समस्याएं पोर्टल पर ठीक नहीं हो रही है, जिसकी वजह से लोगों में रोष है। हमने सीएम से कहा कि इसे ऑफलाइन किया जाए। इसके बाद सीएम ने समीक्षा कराने की बात कही हैं। चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जैसे ही आचार संहिता हटी। तुरंत प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई। क्योंकि बीजेपी को इस चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ हैं। जिन सीटों पर जीत मिली, वहां भी कांटे का ही मुकाबला रहा। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी का ही था। जिसकी लेकर बीजेपी सरकार को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा। सरकार को लोगों के रोष का पता नहीं चल पाया। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई इन योजनाओं की समीक्षा करा रहे हैं। दरअसल, प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी को लेकर गुस्सा का आकलन प्रदेश सरकार को पहले भी था, लेकिन लोगों में ये गुस्सा इतना हावी रहेगा ये सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अधिकारी सब कुछ ठीक होने का हवाला देते रहे पोर्टल से संबंधित चंडीगढ़ में बड़े लेवल पर अधिकारियों की बैठक होती रही। निचले लेवल पर बैठे अधिकारी सरकार को सब कुछ ठीक होने का फीडबैक देते रहे और सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर में लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विपक्ष भी पूर्व मुख्यमंत्री की पोर्टल योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करता रहा, लेकिन सरकार तक इसकी गूंज नहीं पहुंची। निचले लेवल पर कर्मचारियों से लिया जा रहा फीडबैक बता दें कि 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। इसके तुरंत बाद ही आचार संहित लग गई। जिसकी वजह से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन चुनाव में हुए नुकसान का आकलन लगाने के बाद सरकार ने पोर्टल की योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से निचले स्तर पर निकाय विभाग के कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है। उनसे दो ही सवाल किए जा रहे है। पहला प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र में किस तरह की समस्या है और दूसरा इन समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 4 माह का समय बचा है। ऐसे में कहीं से मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी बड़ा बनकर न रह जाए इसलिए सरकार इसके सुधार की तरफ कदम उठा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
कांग्रेस के 71 कैंडिडेट फाइनल, लिस्ट थोड़ी देर में:सैलजा-सुरजेवाला चुनाव लड़े तो दीपेंद्र हुड्डा ने भी दावेदारी ठोकी; कांग्रेसियों ने बाबरिया की गाड़ी घेरी
कांग्रेस के 71 कैंडिडेट फाइनल, लिस्ट थोड़ी देर में:सैलजा-सुरजेवाला चुनाव लड़े तो दीपेंद्र हुड्डा ने भी दावेदारी ठोकी; कांग्रेसियों ने बाबरिया की गाड़ी घेरी हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट थोड़ी देर में आ सकती है। इसके लिए दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग हो रही है। जिसमें 71 नाम फाइनल हो चुके हैं। भाजपा की 67 उम्मीदवारों की पहली सूची की तरह कांग्रेस भी बड़ी लिस्ट जारी कर सकती है। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि विनेश फोगाट जुलाना से चुनाव लड़ेंगी। यहां उनकी ससुराल है। वहीं सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के विधानसभा चुनाव लड़ने की सूरत में रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी दावेदारी ठोक दी है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक मधुसूदन मिस्त्री की अगुआई में बनी दूसरी कमेटी में दीपेंद्र ने यह इच्छा जताई। दीपेंद्र हुड्डा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे हैं। कांग्रेस ने पेंडिंग 12 सीटों के लिए एक सब कमेटी बनाई थी। इसमें मधुसूदन मिस्त्री, अजय माकन और दीपक बावरिया को शामिल किया गया था। इसी में सैलजा-सुरजेवाला वाली सीट भी शामिल थी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि अभी तक सांसदों को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी गई है। वहीं, कांग्रेस की टिकट लिस्ट से पहले ही कांग्रेस में घमासान मच गया है। हिसार की बरवाला सीट पर विधायक रामनिवास घोड़ेला को टिकट देने का विरोध हो रहा है। इसके लिए भारी संख्या में कांग्रेस समर्थक दिल्ली पहुंच गए। वहां उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया की गाड़ी घेर ली। उन्होंने कहा कि जून महीने में हुए लोकसभा चुनाव में घोड़ेला ने कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी का विरोध किया था। घोड़ेला को टिकट का विरोध कर रहे कांग्रेसी
शुक्रवार को बरवाला हलके के किसान संगठनों के लोग बसों में सवार होकर कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय पहुंचे। किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने इस दौरान कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया की गाड़ी का घेराव किया। किसानों ने कहा कि चर्चा है कि पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला को कांग्रेस बरवाला से टिकट दे सकती है। किसान इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस हाईकमान से मिलेंगे और एक ही मांग रखेंगे कि रामनिवास घोड़ेला को टिकट न दे। अगर कांग्रेस ने रामनिवास घोड़ेला को अपना प्रत्याशी बनाकर बरवाला भेजा हैं तो वे एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे। किसान नेताओं का कहना था कि पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला पर सीडी कांड सहित अनेक आरोप लगे हुए हैं। 3 बार केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग हुई
हरियाणा में उम्मीदवारों के सिलेक्शन के लिए कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की 3 बार मीटिंग हो चुकी है। पहली मीटिंग 2 सितंबर को हुई थी। जिसमें 49 सीटों पर चर्चा हुई। जिसमें 34 उम्मीदवारों के नाम फाइनल हुए। 15 नाम स्क्रीनिंग कमेटी को लौटा दिए हैं। जो 34 नाम फाइनल हुए हैं, उनमें 22 विधायक शामिल थे। इसके बाद 3 सितंबर को दूसरी मीटिंग हुई। जिसमें 34 सीटों पर चर्चा हुई। जिनमें 32 सीटें फाइनल कर ली गई। इसके बाद 24 सीटें बची हुई थीं। जिन पर फाइनल चर्चा से पहले स्क्रीनिंग कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बाद आज यानी 6 सितंबर को तीसरी मीटिंग हुई। कांग्रेस को 90 सीटों पर मिले थे 2,556 आवेदन
कांग्रेस ने हरियाणा में 90 सीटों के लिए दावेदारों से आवेदन मांगे गए थे। जिसमें 2,556 नेताओं ने टिकट का आवेदन किया था। इसमें से कई सीटों पर 40 से ज्यादा नेताओं ने तक आवेदन कर रखे थे। हरियाणा कांग्रेस में चल रही CM चेहरे की लड़ाई
हरियाणा कांग्रेस में चुनाव से पहले सीएम के चेहरे को लेकर लड़ाई चल रही है। फिलहाल पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा इसके सबसे बड़े दावेदार हैं। हालांकि सिरसा सांसद कुमारी सैलजा भी कह चुकी हैं कि वह सीएम क्यों नहीं बन सकतीं। इसके लिए उन्होंने अनुसूचित जाति का सीएम बनाने की पैरवी की है। वहीं राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने भी शुक्रवार को बयान दिया कि मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं। ये भी पढ़ें… टिकट से पहले हरियाणा कांग्रेस में घमासान:बरवाला से रामनिवास को कांग्रेस प्रत्याशी न बनाने की मांग हरियाणा के हिसार में टिकट की घोषणा होने से पहले ही घमासान शुरू हो गया है। आज हिसार जिला के बरवाला हलके के विभिन्न किसान संगठनों के लोग सैकड़ों की संख्या में बसों में सवार होकर कांग्रेस पार्टी के दिल्ली मुख्यालय में पहुंचे। किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने इस दौरान कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया की गाड़ी का घेराव किया। पूरी खबर पढ़ें…
कैथल में करोड़ों के सफाई घोटाले में BJP नेता शामिल:प्रवीण सरदाना के खाते में हुआ लेनदेन; जिला-परिषद डिप्टी CEO समेत 8 फरार
कैथल में करोड़ों के सफाई घोटाले में BJP नेता शामिल:प्रवीण सरदाना के खाते में हुआ लेनदेन; जिला-परिषद डिप्टी CEO समेत 8 फरार हरियाणा के कैथल में जिला परिषद में हुए करोड़ों रुपए के सफाई घोटाले के मामले में अब एक भाजपा नेता का नाम भी सामने आया है। मामले में गिरफ्तार अधिकारियों-ठेकेदारों से हुई पूछताछ में सामने आया है कि भाजपा नेता की फर्म के खाते में भी भारी लेन-देन हुआ है। मामले में गिरफ्तार 7 आरोपियों को रिमांड पूरा होने के बाद शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से इनको न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। मिली जानकारी अनुसार एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की ओर से दर्ज की गई एफआईआर में भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश सचिव प्रवीण सरदाना का नाम शामिल किया गया है। एसीबी की टीमों ने भाजपा नेता से पूछताछ करने के लिए इसके घर में दबिश भी दी है, लेकिन नेता अभी फरार है। इसके साथ ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड जिला परिषद डिप्टी सीईओ जसविंद्र भी एसीबी के हाथ नहीं आया है। इस घोटाले में भाजपा नेता प्रवीण सरदाना समेत कुल 15 आरोपी शामिल हैं। एसीबी अभी तक केवल सात आरोपियों की ही गिरफ्तार कर पाई है। जबकि अन्य आठ आरोपी अभी एसीबी की गिरफ्तार से बाहर है। अभी तक एक्सईएन नवीन, जेई जसबीर सिंह, अकाउंटेंट कुलवंत, गांव फरियाबाद निवासी ठेकेदार दिलबाग सिंह, गांव फतेहपुर निवासी अभय संधू, ठेकेदार राजेश व पूंडरी निवासी अनिल को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनका रिमांड शुक्रवार को खत्म हो चुका है और न्यायालय ने इन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है एसीबी कैथल के प्रभारी महेंद्र सिंह ने बताया कि 7 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आ चुका है। सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों का दो दिन का रिमांड खत्म होने के बाद कोर्ट की ओर से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अन्य फरार चल रहे आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
बादशाहपुर सीट पर BJP में घमासान:राव-खट्टर फिर हो सकते हैं आमने-सामने, नरबीर के पाला बदलने के आसार, कमलबीर का नंबर मुश्किल
बादशाहपुर सीट पर BJP में घमासान:राव-खट्टर फिर हो सकते हैं आमने-सामने, नरबीर के पाला बदलने के आसार, कमलबीर का नंबर मुश्किल हरियाणा विधानसभा के तीन महीने बाद होने वाले चुनाव को लेकर सियासी पारा गरमाने लगा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा से 5 सीटें छीनकर कांग्रेस उत्साहित है। ऐसे में BJP अपनी रणनीति बदलने पर सोचने को मजबूर हो गई है। अगर ऐसा हुआ तो BJP में कई पूर्व विधायकों, मौजूदा मंत्रियों और 2019 में हार चुके नेताओं के अरमानों पर पानी फिर सकता है। दस साल से सत्ता में बैठी BJP में टिकट के लिए सबसे अधिक मारामारी दिख रही है। पार्टी के कई दिग्गज अपने ज्यादा से ज्यादा करीबियों को टिकट दिलाने के लिए अभी से एक्टिव हो गए हैं। ऐसे में गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर सीट पर एक बार फिर पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह आमने-सामने हो सकते हैं। बादशाहपुर विधानसभा हलके में भाजपा का टिकट चाहने वालों के बीच होर्डिंग्स वॉर दिख रही है। तमाम नेता अपने-अपने आकाओं की फोटो वाले पोस्टर-होर्डिंग्स लगाकर चुनावी दंगल में कूद चुके हैं। पार्टी ने भी मौजूदा विधायकों-मंत्रियों के अलावा 2019 का विधानसभा चुनाव हार चुके नेताओं की जगह नए चेहरों की तलाश शुरू कर दी है। इसकी वजह से कई नेताओं की नींद उड़ चुकी है। बेटी के लिए सेफ सीट चाह रहे राव BJP के कई बड़े नेताओं की नजरें बादशाहपुर विधानसभा सीट पर टिकी हैं। गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह खुले मंच से कह चुके हैं कि इस बार वह अपनी बेटी आरती राव को हर हाल में चुनाव लड़वाएंगे। राव ने फिलहाल क्लियर नहीं किया कि आरती किस सीट से चुनाव लड़ेगी लेकिन बताया जा रहा है कि बादशाहपुर उनके लिए सबसे सेफ सीट हो सकती है। हालांकि आरती खुद अटेली सीट से चुनाव लड़ने की बात भी कह चुकी है। इंद्रजीत गुट की प्रेशर पॉलिटिक्स आरती और उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह जिस तरह पूरी अहीरवाल बेल्ट में एक्टिव हैं, उसकी वजह से BJP संगठन प्रेशर में नजर आ रहा है। दरअसल इस बार राव इंद्रजीत भजपा संगठन से भी दो-दो हाथ करने के मूड में नजर आ रहे हैं। यूं तो BJP में टिकटों का फैसला केंद्रीय चुनाव समिति करती है लेकिन राव खेमे ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। दरअसल 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत के लाख प्रयासों के बावजूद BJP ने आरती राव को टिकट नहीं दिया क्योंकि तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर इसके पक्ष में नहीं थे। राव पहली बार सांसद बने खट्टर को केंद्रीय मंत्री और खुद को 5 बार का सांसद होने के बावजूद राज्यमंत्री बनाए जाने से भी नाराज हैं। इस बार वह हर हाल में अपनी बेटी के लिए टिकट चाहते हैं और इसी वजह से अभी से खुलकर सार्वजनिक सभाओं में बिना नाम लिए खट्टर पर निशाना साध रहे हैं। जवाहर की सारी उम्मीदें खट्टर पर हरियाणा के पूर्व सीएम और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के ओएसडी रह चुके जवाहर यादव पहले ही बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। जवाहर को लगता है कि खट्टर की पैरवी से उन्हें टिकट मिल ही जाएगा। BJP में जवाहर यादव और आरती राव के अलावा बादशाहपुर से टिकट के लगभग आधा दर्जन दावेदार और भी हैं। इनमें पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह, 2019 में चुनाव हार चुके मनीष यादव, पूर्व मेयर विमल यादव, बेगराज यादव भी शामिल हैं। मनीष साबित हो चुके फिसड्डी, नरबीर के चांस कम राव नरबीर सिंह 2014 में बादशाहपुर से चुनाव जीतकर मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री बने। 2019 में राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के चलते राव नरबीर का टिकट कट गया। तब BJP संगठन में अपनी पकड़ का फायदा उठाते हुए मनीष यादव टिकट पाने में कामयाब रहे लेकिन वह निर्दलीय कैंडिडेट राकेश दौलताबाद से मात खा गए। 2019 में मनीष यादव की पैरवी करने वाले आज की तारीख में हरियाणा से बाहर हो चुके हैं। दूसरी ओर राव नरबीर सिंह की बात करें तो 2019 में सीटिंग विधायक होते हुए उनका टिकट कट गया। उनके समधि और महेंद्रगढ़ से कांग्रेस विधायक राव दान सिंह पर ED का शिकंजा कसता दिख रहा है। ऐसे में चर्चा है कि राव नरबीर सिंह किसी भी समय भाजपा छोड़कर कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं। वैसे भी दल बदलना नरबीर सिंह के लिए नई बात नहीं है। कांग्रेस में भी आधा दर्जन दावेदार दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो यहां रोहताश खटाना, राव कमलबीर सिंह और राजेश यादव के नाम सामने आ रहे हैं। 2019 में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले स्व. राकेश दौलताबाद की जगह उनकी पत्नी भी सहानुभूति लहर के सहारे चुनावी रण पार करना चाहती हैं। उनके कांग्रेस में जाने की अटकलें हैं। कमलबीर सिंह भले ही राहुल कैंप से जुड़े हों लेकिन 2019 में 5% वोट भी नहीं ले पाने से उनका दावा कमजोर दिख रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता बीर सिंह उर्फ बीरू सरपंच भी क्षेत्र में लगातार एक्टिव हैं। बीर सिंह कह चुके हैं कि वह चुनाव हर हाल में लड़ेंगे। अब ये चुनाव AAP के टिकट पर होगा या फिर निर्दलीय? इसका फैसला उनके समर्थक करेंगे। यादव वोटर्स का दबदबा बादशाहपुर सीट पर यादव वोटर्स का दबदबा है। करीब सवा चार लाख मतदाताओं वाली इस सीट में 2019 में निर्दलीय कैंडिडेट राकेश दौलताबाद ने 47% वोट लेकर जीत दर्ज की थी। मोदी लहर के बावजूद उस समय BJP के टिकट पर चुनावी दंगल में उतरे मनीष यादव को महज 42.58% वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के महाबीर रहे और कांग्रेस के कमलबीर सिंह को मात्र 4.67% वोट मिले।