चंबा-बैरागढ़-साचपास-किलाड़ मार्ग शनिवार देर शाम बाद छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। हालांकि अभी भी यह मार्ग बड़े वाहनों के लिए बहाल नहीं हो पाया है। संभावना जताई जा रही है कि 20 जून के बाद ही यह मार्ग बड़ी गाड़ियों के लिए खोल दिया जाएगा। आपको बता दें कि, इस वर्ष भारी हिमपात होने के चलते इस सड़क को बहाल करने के लिए विभाग को अधिक समय लगा है। सड़क बहाल ना होने के चलते दुर्गम क्षेत्र पांगी के लोगों को आने-जाने के लिए जम्मू कश्मीर व मनाली के जरिए पहुंचना पड़ रहा है। पहले भी यह सड़क जून महीने तक बहाल हो जाती थी। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह मार्ग बंद होने के चलते पोलिंग पार्टियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। बर्फ हटाने में लगता है समय इस मार्ग की ऊंचाई 4414 फुट होने की वजह से यहां पर अत्यधिक बर्फबारी होती है। लिहाजा हर साल यहां से बर्फ को हटाने के लिए काफी समय लगता है। इस सड़क को बहाल करने के लिए विभाग को हर वर्ष की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस सड़क के बहाल हो जाने से जनजातीय क्षेत्र पांगी व चंबा की दूरी काफी हद तक काम हो जाती है। उम्मीद जताई जा रही है की 20 जून के बाद इस सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए विभाग युद्ध स्तर पर सड़क को बहाल करने के लिए जुट गया है। चंबा-बैरागढ़-साचपास-किलाड़ मार्ग शनिवार देर शाम बाद छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। हालांकि अभी भी यह मार्ग बड़े वाहनों के लिए बहाल नहीं हो पाया है। संभावना जताई जा रही है कि 20 जून के बाद ही यह मार्ग बड़ी गाड़ियों के लिए खोल दिया जाएगा। आपको बता दें कि, इस वर्ष भारी हिमपात होने के चलते इस सड़क को बहाल करने के लिए विभाग को अधिक समय लगा है। सड़क बहाल ना होने के चलते दुर्गम क्षेत्र पांगी के लोगों को आने-जाने के लिए जम्मू कश्मीर व मनाली के जरिए पहुंचना पड़ रहा है। पहले भी यह सड़क जून महीने तक बहाल हो जाती थी। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह मार्ग बंद होने के चलते पोलिंग पार्टियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। बर्फ हटाने में लगता है समय इस मार्ग की ऊंचाई 4414 फुट होने की वजह से यहां पर अत्यधिक बर्फबारी होती है। लिहाजा हर साल यहां से बर्फ को हटाने के लिए काफी समय लगता है। इस सड़क को बहाल करने के लिए विभाग को हर वर्ष की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस सड़क के बहाल हो जाने से जनजातीय क्षेत्र पांगी व चंबा की दूरी काफी हद तक काम हो जाती है। उम्मीद जताई जा रही है की 20 जून के बाद इस सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए विभाग युद्ध स्तर पर सड़क को बहाल करने के लिए जुट गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मणिमहेश में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई:11:47 बजे तक शाही स्नान का शुभ मुहूर्त; 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु डल झील में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर बीते 26 अगस्त से शुरू मणिमहेश यात्रा आज देर रात आधिकारिक तौर पर यात्रा संपन्न हो जाएगी। मणिमहेश यात्रा के शाही स्नान की शुभ मुहूर्त बीती रात 11 बजकर 13 मिनट से शुरू हुआ, जो कि बुधवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगा। बीते कल शिव चेलों ने शिव कुंड की परिक्रमा करने के बाद डल तोड़ने की परंपरा निभाई। एक लाख श्रद्धालु करेंगे शाही स्नान SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि इस बार एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु शाही स्नान करेंगे। उन्होंने बताया कि यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 6 लाख से ज्यादा लोग मणिमहेश पहुंच चुके हैं। आज शाम तक श्रद्धालुओं का यह आंकड़ा और बढ़ेगा। इस यात्रा के लिए पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शिव भक्त हर हर महादेव का जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। मान्यता के अनुसार मणिमहेश की इन पहाड़ियों पर शिव का वास है। नीचे डल झील जहां शाही स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे हैं। हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम से बाधा उत्पन्न मणिमहेश के लिए सरकार ने भरमौर से हेलिकॉप्टर सेवा बीते 24 अगस्त को ही शुरू कर दी थी, लेकिन इस बार खराब मौसम ने इसमें बाधा उत्पन्न की है। लिहाजा ज्यादातर श्रद्धालु इस बार पैदल चल कर मणिमहेश पहुंचे है। कुछ श्रद्धालु घोड़ों व खच्चरों पर भी इस पावन यात्रा के लिए आएं। यहां बनाए गए कैंप प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां से प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा गया, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।
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शिमला में सर्वानुबंध कर्मचारियों ने उठाई नियमितीकरण की मांग:दिवाली से पहले तोहफे की मांग, इस सिलसिले में CM से मिल चुके 12 बार हिमाचल प्रदेश सर्वानुबंध कर्मचारी महासंघ ने कैबिनेट से पहले सरकार से मांग की है कि दिवाली से पहले अन्य कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सरकार नियमितीकरण का तोहफा दें। महासंघ ने सितम्बर तक अनुबंध कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों को रेगुलर करने की मांग की है। अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने सरकार को चेताया है कि वह 12 बार सीएम सुक्खू से मिल चुके हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग को सरकार के समक्ष रखा है। मगर उनकी मांग नहीं सुनी जा रही है, ऐसे में सरकार जल्दी कोई निर्णय नही लेती तो उनके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं। कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा आर्थिक नुकसान
सर्वानुबंध कर्मचारी महासंघ जय प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हुए 12 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। इसके अलावा मंत्रियों और सीपीएस से मिले लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पहले राज्य सरकार द्वारा वर्ष में दो बार अनुबंध कर्मचारियों को नियमित किया जाता था लेकिन अब नए नियमों के अनुसार एक बार ही नियमित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये नियम पहले भर्ती हो चुके कर्मचारियों पर लागू नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है 22 अक्टूबर को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक होने जा रही है सरकार इस एजेंडे को कैबिनेट में ले जाकर उनके नियमितीकरण की अधिसूचना जारी करें। कोर्ट का दरवाजा आखरी रास्ता
अध्यक्ष ने कहा कि अनुबंध कर्मचारी सरकार के परिवार का हिस्सा है, मुख्यमंत्री परिवार के मुखिया हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार जब नियमित कर्मचारियों के लिए इतने बड़े फैसले ले सकती है, तो उनके पक्ष में भी जरूर कोई फैसला लेगी। वहीं उन्होंने कहा कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि बात मनवाने के लिए कई रास्ते है। कोर्ट और धरने प्रदर्शन आखिरी रास्ता है। परंतु उन्हें उम्मीद है कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी सरकार पहले ही उनकी मांग पूरी करेगी।