निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने कहा कि धनंजय सिंह और ब्रजेश सिंह किसी के लिए बाहुबली हो सकते हैं, लेकिन उनके लिए संरक्षक हैं। निषाद पार्टी को बड़ा और खड़ा करने में उनकी बड़ी भूमिका है, यदि कोई कानूनी अड़चन नहीं हुई तो वह उन्हें चुनाव लड़ने का मौका देंगे। निषाद का कहना है कि मछुआ समाज को अनुसूचित जाति में आरक्षण देने का भाजपा का पुराना वादा है, यदि वादा पूरा नहीं हुआ तो भाजपा को इसका जवाब देना होगा। संजय निषाद ने बिहार चुनाव सहित अन्य मुद्दों पर दैनिक भास्कर से विस्तार से बात की। संजय निषाद ने एक बार फिर दोहराया है कि सरकार में ऐसे अफसर बैठे हैं जो बाहर से खुद को कमल के साथ दिखाते हैं लेकिन अंदर से हाथी और साइकिल वाले हैं। ऐसे अफसरों को चिह्नित कर हटाना चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल : बिहार चुनाव का आगाज हो गया है, आपकी पार्टी की क्या भूमिका रहेगी? संजय निषाद: हम लोग केंद्रीय नेतृत्व से गवर्न होते हैं। जेपी नड्डा, अमित शाह, पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र के विकास के लिए काम करते हैं। हम 24 कैरेट के राष्ट्रवादी हैं, मुगलों को मौत के घाट उतारने वाले और भगवान राम को पार उतारने वाले लोग हैं। लोकतंत्र में जीत के माध्यम से ही समस्या का समाधान हो सकता है। निषाद समाज की समस्या तब ही दूर होगी जब लोकतंत्र में हमारी जीत होगी। बिहार में भी बहार आए, निषाद समाज को आरक्षण का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है। बिहार के 18 फीसदी निषाद एनडीए के साथ रहेंगे। सवाल: क्या अमित शाह, जेपी नड्डा आपका भी राष्ट्रीय नेतृत्व है? संजय निषाद: हमें जॉइन तो जेपी नड्डा साहब ने कराया था। हम लोग 2017, 2018 में भाजपा से अलग चुनाव लड़े थे, हम 2019 में भाजपा के साथ आए। हमें तो शीर्ष नेतृत्व जहां कहता है वहीं हम जाते हैं। जितनी भी संवैधानिक समस्याएं थीं चाहे वह राम मंदिर का मुद्दा हो या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति हो, यह मुद्दे भाजपा ने ही सुलझाए हैं जबकि अन्य दल इन मुद्दों को उलझा रहे थे। सवाल: पिछले दिनों एक आदेश के तहत जातियों का नाम लिखने पर रोक लगाई गई थी, आपने इसका विरोध भी किया था, अब क्या कर रहे हैं? संजय निषाद: निषाद, ठाकुर, ब्राह्मण यदि जाति नहीं लिखेगा तो क्या करेगा, इन्हें जाति मानें या धर्म। अभी क्षत्रिय महासभा का सम्मेलन हुआ था तो कौनसा उन पर मुकदमा हो गया। जाति के नाम पर एक होना चाहिए। जैसे सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण पर मिल्क मैन का कब्जा है, एससी के 22 फीसदी आरक्षण पर लैदर-मैन का कब्जा है। तो अदर मैन कहां जाएगा? यदि धोबी, पासी, वाल्मीकि एकत्रित नहीं हुआ तो क्या करेंगे? केवट, मल्लाह एकजुट नहीं होगा तो क्या करेगा। यदि हाथी और मिल्क-मैन को सभी का हिस्सा खिलाना हो तो इस तरह की रोक लगाएं। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि यादव और जाटव अपनी संख्या से सौ गुना से अधिक सरकारी नौकरियों पर कब्जा किए हैं। कब्जा वापस लेने के लिए समूह में एकत्रित होना होगा, यदि कब्जा कराना हो तो जाति लिखने पर रोक लगाएं। सरकार को इसके खिलाफ अपील में जाना चाहिए, विचार करना चाहिए। सरकार को इन जातियों के साथ खड़े रहना चाहिए। सवाल: पंचायत चुनाव में निषाद समाज की क्या भूमिका रहेगी? संजय निषाद: पंचायत चुनाव बिना सिंबल का होता है, जब सदस्य जीतकर आते हैं तो ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए गठबंधन करेंगे। सदस्य का चुनाव अलग लड़ेंगे, यदि भाजपा कहेगी तो तालमेल मिलाया जाएगा। सवाल: आप कहते हैं कि सरकार में सपा के अधिकारी बैठे हैं, तो क्या आपने उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार से बात की? संजय निषाद: अभी देखिए अधिकारियों ने जाति नहीं लिखने का आदेश जारी कर दिया, अभी क्षत्रिय महासभा की बैठक हुई है यदि उन पर मुकदमा दर्ज होता तो प्रदेश का क्षत्रिय तो नाराज हो जाता। अभी जिन जातियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा क्या वह भाजपा के साथ रहेंगी, यह आदेश वही अधिकारी जारी कर रहे हैं जो सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं? जापान में एक लड़की को स्कूल ले जाने और लाने के लिए ट्रेन चलती है लेकिन यहां स्कूल बंद करा दिए गए हैं। यदि कोई स्कूल चल रहा था तो उसे प्राइवेट को देते थे, अब बच्चे दस किलोमीटर स्कूल जाएंगे। यह छोटे-छोटे निर्णय काफी प्रभावित करते हैं, अधिकारी तो वोट मांगने जाते नहीं हैं, अधिकारी ऐसे निर्णय लेते हैं कि वोट खराब हो जाए। 2020 में चौरीचौरा में दो निषाद ब्लॉक का चुनाव जीते थे, दूसरे दिन प्रमाण पत्र लेने गए तो यादव अधिकारी ने उनका प्रमाण पत्र ही बदल दिया। जब जिले के निषादों ने आंदोलन किया तो वह एसडीएम जेल गया था, जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि सरकार आएगी तो वापस बहाल हो जाएंगे, हमारा काम ही यह है। सोचिए कि यदि इस सोच के लोग तहसील, कचहरी और थाना में रहेंगे तो क्या होगा? अंदर से हाथी-साइकिल है बाहर से कमल है, लेकिन जब वह नुकसान करते हैं तो पता चलता है। सीएम योगी समय-समय पर ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं। ऐसे अफसरों को चिह्नित कर हटाना जाहिए। सवाल: आप बीजेपी के नेताओं की बयानबाजी से नाराज थे, क्या कुछ सुधार आया है अब? संजय निषाद: अभी बहुत कुछ सुधार हुआ है। कुछ आयातित नेता हैं, उनका काम ही है कि सत्ता में साथ आना और मलाई खाना। जो नेता सपा के साथ रहा हो तब निषादों का आरक्षण छीन लिया, बहनजी ने जमीन छीन ली थी। अब वही लोग भाजपा को गुमराह कर रहे हैं कि झउआ भर वोट हैं, पौव्वा पीएगा और वोट दिलाएगा। 2019 और 2022 में निषाद ने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई है। निषाद नेता आरक्षण पर क्यों नहीं बोलते हैं। आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा 45 सीट हार गई, हम भाजपा के सहयोगी हैं इसलिए यह हमारी भी हार है। हमने निषाद का महत्व बढ़ाया है, निषाद पार्टी के कारण उनकी पूछ हो रही है। भाजपा को अपने कैडर लीडर को आगे बढ़ाना चाहिए जो संघ से आया हो। दूसरे दल से आए हैं उन्हें अवसर नहीं दें। सवाल: आपका 2019 से बीजेपी से गठबंधन है, आपकी मांगों को कितना पूरा किया गया जिनके लिए आपने निषाद समाज से बीजेपी को वोट देने की अपील की थी? संजय निषाद: यह भाजपा का खुद का मुद्दा है। मछुआ विजन 2014 में बनाया था। योगी जी खुद आवाज उठाते रहे हैं कि निषाद को एससी में आरक्षण मिलना चाहिए। आज जब भाजपा खुद सरकार में है, मैं तो वकील हूं अपनी मांग करूंगा। जवाब तो भाजपा को देना होगा। पहली बार है कि सीएम योगी ने आरजीआई को पत्र लिखा है। आरजीआई ने कह दिया है कि केवल, मल्लाह, माझी को एससी में आरक्षण दिया। सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय इसका नोडल विभाग है, भाजपा को इसे हल करना चाहिए। हमारा कहना है कि ओबीसी से हमारा नाम खारिज करो और अनुसूचित में जोड़ने का आदेश जारी करो। राज्यपाल और राष्ट्रपति ने भी आदेश दिया है, इसका पालन करना चाहिए। इससे 2027 की जीत आसान हो जाएगी। सवाल: बाहुबली धनंजय सिंह और ब्रजेश सिंह आपके संपर्क में हैं, क्या आपकी पार्टी उन्हें टिकट देगी? संजय निषाद: कांग्रेस, सपा का कितना आतंक था कि वह किसी दूसरे दल को खड़ा नहीं होने देते थे। हमारे लोगों पर मुकदमा दर्ज किया जाता था। यह लोग आपके लिए बाहुबली हो सकते हैं, लेकिन यह लोग उस समय हमारे संरक्षक रहे हैं, हमारी पार्टी को खड़ा-बड़ा करने में उनकी भूमिका है। हमारे समाज को संरक्षण दिया था। यदि उन लोगों ने साथ दिया है कि वह हमारे मित्र हैं। यदि न्यायालय रोकेगा तो रुक जाएंगे, लेकिन लोकतंत्र में मिलना-जुलना जारी रहना चाहिए। वह लोग सरकार के साथ हैं, हम भी सरकार के साथ हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… महिला बोली- कामदगिरि की परिक्रमा से दूर हुई गरीबी:जो मांगते हैं, मिलता है; दिवाली तक चित्रकूट 40 लाख श्रद्धालु आएंगे ‘हम पिछले 16 साल से रोज कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रहे हैं। यह हमारी आस्था का प्रतीक है। यहां आने के बाद हम एक विशेष ऊर्जा से भर जाते हैं। हम सामाजिक और जनहित में जो भी काम करते हैं। ऐसा लगता है कि उसमें हमें यहां की ईश्वरीय शक्ति सहयोग करती है। आगे हमेशा ऐसे ही करते रहेंगे।’ ये कहना है श्रद्धालु अक्षांश पंडित का। अक्षांश की ही तरह ही हजारों लोग चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रहे हैं। दीपावली तक इस परिक्रमा में शामिल होने वाले लोगों की संख्या 40 लाख तक पहुंच जाती है। पढ़ें पूरी खबर निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने कहा कि धनंजय सिंह और ब्रजेश सिंह किसी के लिए बाहुबली हो सकते हैं, लेकिन उनके लिए संरक्षक हैं। निषाद पार्टी को बड़ा और खड़ा करने में उनकी बड़ी भूमिका है, यदि कोई कानूनी अड़चन नहीं हुई तो वह उन्हें चुनाव लड़ने का मौका देंगे। निषाद का कहना है कि मछुआ समाज को अनुसूचित जाति में आरक्षण देने का भाजपा का पुराना वादा है, यदि वादा पूरा नहीं हुआ तो भाजपा को इसका जवाब देना होगा। संजय निषाद ने बिहार चुनाव सहित अन्य मुद्दों पर दैनिक भास्कर से विस्तार से बात की। संजय निषाद ने एक बार फिर दोहराया है कि सरकार में ऐसे अफसर बैठे हैं जो बाहर से खुद को कमल के साथ दिखाते हैं लेकिन अंदर से हाथी और साइकिल वाले हैं। ऐसे अफसरों को चिह्नित कर हटाना चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल : बिहार चुनाव का आगाज हो गया है, आपकी पार्टी की क्या भूमिका रहेगी? संजय निषाद: हम लोग केंद्रीय नेतृत्व से गवर्न होते हैं। जेपी नड्डा, अमित शाह, पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र के विकास के लिए काम करते हैं। हम 24 कैरेट के राष्ट्रवादी हैं, मुगलों को मौत के घाट उतारने वाले और भगवान राम को पार उतारने वाले लोग हैं। लोकतंत्र में जीत के माध्यम से ही समस्या का समाधान हो सकता है। निषाद समाज की समस्या तब ही दूर होगी जब लोकतंत्र में हमारी जीत होगी। बिहार में भी बहार आए, निषाद समाज को आरक्षण का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है। बिहार के 18 फीसदी निषाद एनडीए के साथ रहेंगे। सवाल: क्या अमित शाह, जेपी नड्डा आपका भी राष्ट्रीय नेतृत्व है? संजय निषाद: हमें जॉइन तो जेपी नड्डा साहब ने कराया था। हम लोग 2017, 2018 में भाजपा से अलग चुनाव लड़े थे, हम 2019 में भाजपा के साथ आए। हमें तो शीर्ष नेतृत्व जहां कहता है वहीं हम जाते हैं। जितनी भी संवैधानिक समस्याएं थीं चाहे वह राम मंदिर का मुद्दा हो या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति हो, यह मुद्दे भाजपा ने ही सुलझाए हैं जबकि अन्य दल इन मुद्दों को उलझा रहे थे। सवाल: पिछले दिनों एक आदेश के तहत जातियों का नाम लिखने पर रोक लगाई गई थी, आपने इसका विरोध भी किया था, अब क्या कर रहे हैं? संजय निषाद: निषाद, ठाकुर, ब्राह्मण यदि जाति नहीं लिखेगा तो क्या करेगा, इन्हें जाति मानें या धर्म। अभी क्षत्रिय महासभा का सम्मेलन हुआ था तो कौनसा उन पर मुकदमा हो गया। जाति के नाम पर एक होना चाहिए। जैसे सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण पर मिल्क मैन का कब्जा है, एससी के 22 फीसदी आरक्षण पर लैदर-मैन का कब्जा है। तो अदर मैन कहां जाएगा? यदि धोबी, पासी, वाल्मीकि एकत्रित नहीं हुआ तो क्या करेंगे? केवट, मल्लाह एकजुट नहीं होगा तो क्या करेगा। यदि हाथी और मिल्क-मैन को सभी का हिस्सा खिलाना हो तो इस तरह की रोक लगाएं। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि यादव और जाटव अपनी संख्या से सौ गुना से अधिक सरकारी नौकरियों पर कब्जा किए हैं। कब्जा वापस लेने के लिए समूह में एकत्रित होना होगा, यदि कब्जा कराना हो तो जाति लिखने पर रोक लगाएं। सरकार को इसके खिलाफ अपील में जाना चाहिए, विचार करना चाहिए। सरकार को इन जातियों के साथ खड़े रहना चाहिए। सवाल: पंचायत चुनाव में निषाद समाज की क्या भूमिका रहेगी? संजय निषाद: पंचायत चुनाव बिना सिंबल का होता है, जब सदस्य जीतकर आते हैं तो ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए गठबंधन करेंगे। सदस्य का चुनाव अलग लड़ेंगे, यदि भाजपा कहेगी तो तालमेल मिलाया जाएगा। सवाल: आप कहते हैं कि सरकार में सपा के अधिकारी बैठे हैं, तो क्या आपने उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार से बात की? संजय निषाद: अभी देखिए अधिकारियों ने जाति नहीं लिखने का आदेश जारी कर दिया, अभी क्षत्रिय महासभा की बैठक हुई है यदि उन पर मुकदमा दर्ज होता तो प्रदेश का क्षत्रिय तो नाराज हो जाता। अभी जिन जातियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा क्या वह भाजपा के साथ रहेंगी, यह आदेश वही अधिकारी जारी कर रहे हैं जो सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं? जापान में एक लड़की को स्कूल ले जाने और लाने के लिए ट्रेन चलती है लेकिन यहां स्कूल बंद करा दिए गए हैं। यदि कोई स्कूल चल रहा था तो उसे प्राइवेट को देते थे, अब बच्चे दस किलोमीटर स्कूल जाएंगे। यह छोटे-छोटे निर्णय काफी प्रभावित करते हैं, अधिकारी तो वोट मांगने जाते नहीं हैं, अधिकारी ऐसे निर्णय लेते हैं कि वोट खराब हो जाए। 2020 में चौरीचौरा में दो निषाद ब्लॉक का चुनाव जीते थे, दूसरे दिन प्रमाण पत्र लेने गए तो यादव अधिकारी ने उनका प्रमाण पत्र ही बदल दिया। जब जिले के निषादों ने आंदोलन किया तो वह एसडीएम जेल गया था, जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि सरकार आएगी तो वापस बहाल हो जाएंगे, हमारा काम ही यह है। सोचिए कि यदि इस सोच के लोग तहसील, कचहरी और थाना में रहेंगे तो क्या होगा? अंदर से हाथी-साइकिल है बाहर से कमल है, लेकिन जब वह नुकसान करते हैं तो पता चलता है। सीएम योगी समय-समय पर ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं। ऐसे अफसरों को चिह्नित कर हटाना जाहिए। सवाल: आप बीजेपी के नेताओं की बयानबाजी से नाराज थे, क्या कुछ सुधार आया है अब? संजय निषाद: अभी बहुत कुछ सुधार हुआ है। कुछ आयातित नेता हैं, उनका काम ही है कि सत्ता में साथ आना और मलाई खाना। जो नेता सपा के साथ रहा हो तब निषादों का आरक्षण छीन लिया, बहनजी ने जमीन छीन ली थी। अब वही लोग भाजपा को गुमराह कर रहे हैं कि झउआ भर वोट हैं, पौव्वा पीएगा और वोट दिलाएगा। 2019 और 2022 में निषाद ने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई है। निषाद नेता आरक्षण पर क्यों नहीं बोलते हैं। आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा 45 सीट हार गई, हम भाजपा के सहयोगी हैं इसलिए यह हमारी भी हार है। हमने निषाद का महत्व बढ़ाया है, निषाद पार्टी के कारण उनकी पूछ हो रही है। भाजपा को अपने कैडर लीडर को आगे बढ़ाना चाहिए जो संघ से आया हो। दूसरे दल से आए हैं उन्हें अवसर नहीं दें। सवाल: आपका 2019 से बीजेपी से गठबंधन है, आपकी मांगों को कितना पूरा किया गया जिनके लिए आपने निषाद समाज से बीजेपी को वोट देने की अपील की थी? संजय निषाद: यह भाजपा का खुद का मुद्दा है। मछुआ विजन 2014 में बनाया था। योगी जी खुद आवाज उठाते रहे हैं कि निषाद को एससी में आरक्षण मिलना चाहिए। आज जब भाजपा खुद सरकार में है, मैं तो वकील हूं अपनी मांग करूंगा। जवाब तो भाजपा को देना होगा। पहली बार है कि सीएम योगी ने आरजीआई को पत्र लिखा है। आरजीआई ने कह दिया है कि केवल, मल्लाह, माझी को एससी में आरक्षण दिया। सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय इसका नोडल विभाग है, भाजपा को इसे हल करना चाहिए। हमारा कहना है कि ओबीसी से हमारा नाम खारिज करो और अनुसूचित में जोड़ने का आदेश जारी करो। राज्यपाल और राष्ट्रपति ने भी आदेश दिया है, इसका पालन करना चाहिए। इससे 2027 की जीत आसान हो जाएगी। सवाल: बाहुबली धनंजय सिंह और ब्रजेश सिंह आपके संपर्क में हैं, क्या आपकी पार्टी उन्हें टिकट देगी? संजय निषाद: कांग्रेस, सपा का कितना आतंक था कि वह किसी दूसरे दल को खड़ा नहीं होने देते थे। हमारे लोगों पर मुकदमा दर्ज किया जाता था। यह लोग आपके लिए बाहुबली हो सकते हैं, लेकिन यह लोग उस समय हमारे संरक्षक रहे हैं, हमारी पार्टी को खड़ा-बड़ा करने में उनकी भूमिका है। हमारे समाज को संरक्षण दिया था। यदि उन लोगों ने साथ दिया है कि वह हमारे मित्र हैं। यदि न्यायालय रोकेगा तो रुक जाएंगे, लेकिन लोकतंत्र में मिलना-जुलना जारी रहना चाहिए। वह लोग सरकार के साथ हैं, हम भी सरकार के साथ हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… महिला बोली- कामदगिरि की परिक्रमा से दूर हुई गरीबी:जो मांगते हैं, मिलता है; दिवाली तक चित्रकूट 40 लाख श्रद्धालु आएंगे ‘हम पिछले 16 साल से रोज कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रहे हैं। यह हमारी आस्था का प्रतीक है। यहां आने के बाद हम एक विशेष ऊर्जा से भर जाते हैं। हम सामाजिक और जनहित में जो भी काम करते हैं। ऐसा लगता है कि उसमें हमें यहां की ईश्वरीय शक्ति सहयोग करती है। आगे हमेशा ऐसे ही करते रहेंगे।’ ये कहना है श्रद्धालु अक्षांश पंडित का। अक्षांश की ही तरह ही हजारों लोग चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रहे हैं। दीपावली तक इस परिक्रमा में शामिल होने वाले लोगों की संख्या 40 लाख तक पहुंच जाती है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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राजस्थान के लाखों सरकारी कर्मचारियों को झटका! OPS पर बड़ा फैसला लेने की तैयारी में सरकार
राजस्थान के लाखों सरकारी कर्मचारियों को झटका! OPS पर बड़ा फैसला लेने की तैयारी में सरकार <p style=”text-align: justify;”>राजस्थान में सवा पांच लाख से ज्यादा राज्य कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम पर एक बार फिर से खतरा मंडराने लगा है. सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर न्यू पेंशन स्कीम लागू करने की शुरुआत कर दी है. पहले फेज में घाटे में चल रहे हैं निगमों – बोर्डों और आयोगों के साथ ही कुछ यूनिवर्सिटीज को भी ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म करने की छूट दे दी है. प्रयोग के तौर पर अभी इस वहां लागू करने की कोशिश की जा रही है, जहां कर्मचारियों की संख्या बेहद सीमित है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस प्रयोग को लेकर कर्मचारियों और उनके संगठनों ने अभी से विरोध शुरू कर दिया है. उन्हें इस बात की आशंका सताने लगी है कि कुछ दिनों बाद इसे पूरे राजस्थान में लागू कर दिया जाएगा. कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि वह इसे वह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके से हर लड़ाई लड़ेंगे. </p>
<h3 style=”text-align: justify;”>गहलोत सरकार ने लागू की थी ओपीएस</h3>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने साल 2022 में यह ऐलान किया था कि जो भी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना में शामिल होना चाहते हैं वह इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. राज्य के तकरीबन सभी कर्मचारियों ने इसके बाद अपनी पेंशन योजना में बदलाव कर दिया था. 1 अप्रैल 2023 से राज्य के 5,24,822 कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा मिलना शुरू हो गया था. देश के दूसरे हिस्सों की तरह राजस्थान में भी 1 जनवरी 2004 से ओल्ड पेंशन स्कीम मिलनी बंद हो गई थी. हालांकि पुराने कर्मचारियों को यह लगातार मिल रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बात की छूट दे दी कि अगर वह चाहे तो अपने कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म कर उन्हें एनपीएस के दायरे में ला सकती हैं. हालांकि इसे लागू करने से पहले उन्हें सरकार से औपचारिक तौर पर मंजूरी लेनी होगी. जिन संस्थाओं को अभी ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म करने की छूट दी गई है, उनमें कर्मचारियों की संख्या बेहद सीमित है. ऐसे में वहां से विरोध की तेज आवाज नहीं निकल पा रही है. </p>
<h3 style=”text-align: justify;”>त्योहार के बाद तेज हो सकता है आंदोलन</h3>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के दूसरे कर्मचारियो और उनके संगठनों ने इसे लेकर विरोध शुरू कर दिया है. हालांकि विरोध के स्वर अभी धीमे हैं, लेकिन दीपावली और छठ के त्यौहार के बाद इसे धार देने की तैयारी की जा रही है. कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार एक तरह का प्रयोग कर रही है. संस्थाओं के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा और पांच लाख से ज्यादा कर्मचारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कर्मचारी फिलहाल अपने-अपने दफ्तरों या कार्य स्थलों पर ही प्रदर्शन और नारेबाजी कर अपना विरोध जाता रहे हैं, लेकिन उनका साफ तौर पर कहना है कि आने वाले दिनों में वह सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ने पर कामकाज ठप कर हड़ताल पर जाने को भी मजबूर होंगे. कर्मचारियों का कहना है कि अगर सांसद और विधायक खुद अपनी पेंशन योजना में बदलाव नहीं कर रहे हैं तो कर्मचारियों को इसका शिकार क्यों बनाया जा रहा है. वह इसे किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं करेंगे और हर स्तर पर इसका विरोध करेंगे. </p>
<h3 style=”text-align: justify;”>कर्मचारियों के साथ करेंगे आंदोलन- कांग्रेस</h3>
<p style=”text-align: justify;”>चूंकि मामला पांच लाख से ज्यादा कर्मचारियों के हितों से जुड़ा हुआ है, इसलिए सियासी पार्टियां भी इसमें कतई पीछे नहीं रहना चाहतीं. विपक्ष ने भी आंदोलन कर रहे कर्मचारियो का साथ देने की बात कही है. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि बीजेपी की मौजूदा सरकार किसी के हित के बारे में नहीं सोच रही है और वह सभी को परेशान करने में लगी हुई है. उनके मुताबिक कर्मचारी अगर इसे लेकर आवाज उठाएंगे तो कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी नजर आएगी. </p>
<h3 style=”text-align: justify;”>सरकारी कर्मचारियों से करेंगे बात</h3>
<p style=”text-align: justify;”>दूसरी तरफ बैकफुट पर आई राजस्थान सरकार का कहना है कि वह जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों से बातचीत करने को तैयार है. राज्य के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के मुताबिक सरकार कर्मचारियों से बातचीत करके ही कोई कदम उठाएगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दूसरी तरफ इस बारे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ का दावा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह नई पेंशन स्कीम लागू किए जाने को लेकर कर्मचारियों में कतई कोई नाराजगी नहीं है. अब देखना यह होगा किसी कर्मचारियों की नाराजगी के बाद राजस्थान सरकार अपने कदम वापस खींचती है या फिर ओल्ड पेंशन स्कीम को ही खत्म करती है.</p>
हरियाणा CET एग्जाम- नवंबर में रिजल्ट आने की संभावना:24 तक कैटेगरी करेक्शन का मौका; 14 जून से पहले सर्टिफिकेट आवेदन जरूरी
हरियाणा CET एग्जाम- नवंबर में रिजल्ट आने की संभावना:24 तक कैटेगरी करेक्शन का मौका; 14 जून से पहले सर्टिफिकेट आवेदन जरूरी हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) के अभ्यर्थियों के लिए करेक्शन पोर्टल खोला है। जिसके बाद अभ्यर्थी अपनी कैटेगरी का सर्टिफिकेट अपडेट करके करेक्शन करवा सकते हैं। सीईटी परीक्षा के दौरान चेयरमैन हिम्मत सिंह ने बयान दिया था करेक्शन पोर्टल खोलने की प्रक्रिया होने के करीब 15 दिन बाद रिजल्ट जारी किया जाएगा। जिसका अभ्यार्थियों को इंतजार है। बता दें कि, एचएसएससी ने प्रदेशभर के परीक्षा केंद्रों पर 26-27 जुलाई को सीईटी एग्जाम आयोजित कराया था। इस सीईटी परीक्षा में करीब 13.48 लाख अभ्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। वहीं इनमें से करीब 12.46 लाख अभ्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। सभी अभ्यार्थियों को रिजल्ट का इंतजार है। सीईटी का रिजल्ट नवंबर माह में आने का अनुमान है। युवा भी लगातार रिजल्ट को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। ताकि उनका इंतजार लंबा ना हो। हालांकि परीक्षा के वक्त चेयरमैन हिम्मत सिंह ने कहा था कि एक माह के अंदर रिजल्ट घोषित किया जाएगा, लेकिन अब तक इस बारे में कोई अधिकारी जानकारी अपडेट नहीं है। 24 अक्टूबर तक खोला करेक्शन पोर्टल
बता दें कि, अब एचएसएससी ने CET के अभ्यर्थियों के लिए करेक्शन पोर्टल 17 से 24 अक्टूबर तक खोला है। अभ्यर्थी 24 अक्टूबर को रात 11 बजकर 59 मिनट तक अपने फॉर्म में सुधार कर सकते हैं। आयोग ने एक पब्लिक नोटिस भी जारी किया है, जिसमें हाईकोर्ट के 1 जुलाई के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि CET ग्रुप-सी 2025 परीक्षा के लिए सुधार पोर्टल खोलने का निर्णय लिया गया है। नोटिस में उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे 17 से 24 अक्टूबर के बीच करेक्शन पोर्टल पर सुधार कर लें। इसको लेकर चेयरमैन हिम्मत सिंह ने युवाओं को जानकारी देते हुए निर्देश दिए कि जिस अभ्यर्थी को कैटेगरी करेक्शन करना है। उनका कैटेगरी सर्टिफिकेट 14 जून से पहले का आवेदन किया हुआ होना चाहिए। वे ही उम्मीदवार पोर्टल पर जाकर करेक्शन कर सकते हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि श्रेणी सुधार के किसी भी अनुरोध पर भौतिक रूप से विचार नहीं किया जाएगा।
