भारतीय रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.44 के स्तर पर गिर गया। ये पिछले चार महीनों का सबसे निचला स्तर है। मार्केट ओपनिंग में ही रुपया गिरकर इस पायदान पर पहुंचा। आखिरी बार रुपया 87 के पार 13 मार्च 2025 को खुला था।
रुपया क्यों गिरा?
इस गिरावट की कई बड़ी वजहें हैं, जो सीधा असर भारतीय इकोनॉमी और ट्रेड पर डाल रही हैं:
1. ट्रेड डील में अनिश्चितता –
अमेरिका और भारत के बीच चल रही ट्रेड डील अभी तक फाइनल नहीं हो पाई है। 29 जुलाई को स्कॉटलैंड से लौटते वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,
“India trade deal अभी फाइनल नहीं हुई।”
ट्रेड डील पर रुकावट ने मार्केट में टेंशन बढ़ा दी है और इसका सीधा असर रुपया पर पड़ा।
2. ‘Reciprocal Tariff’ का डर –
ट्रंप की नई ‘Reciprocal Tariff’ पॉलिसी 1 अगस्त से लागू होने वाली है। इस पॉलिसी के तहत अमेरिका उन्हीं दरों से टैरिफ लगाएगा, जितना भारत अमेरिकी सामान पर लगाता है।
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या अमेरिका भारत पर 20-25% टैरिफ लगाएगा, उन्होंने साफ कहा:
“Yeah, I think so. They (India) are my friend and he (PM Modi) is my friend… लेकिन India ने सालों से almost हर दूसरे देश से ज्यादा टैरिफ लगाए हैं… आप ऐसा नहीं कर सकते।”
यानी साफ है कि अगर भारत अपनी टैरिफ पॉलिसी में बदलाव नहीं करता, तो अमेरिका भारी टैक्स लगा सकता है।
3. डॉलर की डिमांड और विदेशी निवेश में कमी –
Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, इम्पोर्टर्स की तरफ से डॉलर की डिमांड बढ़ गई है। वहीं, फॉरेन पोर्टफोलियो फ्लो (विदेशी निवेश) कमजोर पड़ा है, जिसकी वजह से रुपया और दबाव में आ गया।
इसका असर क्या होगा?
- इम्पोर्ट महंगे होंगे – रुपया कमजोर होने से पेट्रोलियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फोन और दूसरे इम्पोर्टेड सामान महंगे होंगे।
- मार्केट में चिंता बढ़ेगी – अगर अमेरिका वाकई 20-25% टैरिफ लगाता है तो दोनों देशों के बीच ट्रेड टेंशन और बढ़ सकता है।
- रुपये पर दबाव जारी रह सकता है – जब तक ट्रेड डील पर क्लियरिटी नहीं आती, रुपया कमजोर रह सकता है।
क्यों अहम है ये खबर?
क्योंकि रुपया सिर्फ करेंसी का भाव नहीं बताता, बल्कि ये पूरी इकोनॉमी की हेल्थ दिखाता है। अगर रुपया गिरता है तो महंगाई बढ़ने का खतरा होता है और विदेशी निवेश भी हिचक सकता है।
कुल मिलाकर, भारतीय रुपया 87.44 तक गिरा, जो पिछले चार महीनों में सबसे निचला स्तर है। वजह है – ट्रेड डील की अनिश्चितता, ट्रंप की ‘Reciprocal Tariff’ पॉलिसी का डर, डॉलर की डिमांड और विदेशी निवेश में कमजोरी।
अब सबकी निगाहें 1 अगस्त पर हैं, जब ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी लागू होगी और ये तय होगा कि इंडिया-अमेरिका के बीच ट्रेड रिलेशन किस दिशा में जाएंगे।

