पठानकोट के सरना कस्बे में जहां एक परिवार की बेटी हरनूर कौर ने इंडियन एयरफोर्स में जगह पाने में सफलता हासिल की है। उसका सलेक्शन इंडियन एयरफोर्स में हुआ है। हरनूर सिंह कौर के बड़े भाई भी इंडियन एयरफोर्स में बतौर फ्लाइंग ऑफिसर अपनी सेवाएं निभा रहे हैं। हरनूर कौर ने बताया कि उनके पापा के हमेशा से यह सपना था कि, मैं देश के लिए कुछ करूं, जिसके लिए उन्होंने मुझे भी मेरे बड़े भाई के नक्शे कदमों पर चलने के लिए हमेशा प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि चूंकि मेरे पिता जी बतौर प्रिंसीपल, माता जी मेडिकल ऑफिसर जहां तक कि मेरे दादी भी हेड मिस्ट्रेस सेवा मुक्त हुए हैं, जिसके कारण शुरु से ही हमारे घर में पढ़ाई का माहौल रहा है। हरनूर ने कहा कि, कुछ ही दिनों के बाद वह ट्रेनिंग के लिए जाएंगी। वहीं, जब हरनूर कौर के पिता विक्रम सिंह बैंस से बात की तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। मुस्कराते हुए उन्होंने पहले परमात्मा का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी बेटी काफी समय से इस दिशा में प्रयास कर रही थी। इस बार मेरिट लिस्ट में नाम आने से उनकी बेटी का सपना पूरा हो गया है। हमें अपनी बेटी की सफलता पर गर्व है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी बेटी के नाम के पीछे जिस मकसद के लिए सिंह लगाया था, आज वो मकसद पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं अरदास करता हूं कि हरनूर जैसी बेटियां हर परिवार को मिले। वहीं हरनूर की माता भी अपनी बेटी की सफलता के लिए बेहद खुश हैं। पठानकोट के सरना कस्बे में जहां एक परिवार की बेटी हरनूर कौर ने इंडियन एयरफोर्स में जगह पाने में सफलता हासिल की है। उसका सलेक्शन इंडियन एयरफोर्स में हुआ है। हरनूर सिंह कौर के बड़े भाई भी इंडियन एयरफोर्स में बतौर फ्लाइंग ऑफिसर अपनी सेवाएं निभा रहे हैं। हरनूर कौर ने बताया कि उनके पापा के हमेशा से यह सपना था कि, मैं देश के लिए कुछ करूं, जिसके लिए उन्होंने मुझे भी मेरे बड़े भाई के नक्शे कदमों पर चलने के लिए हमेशा प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि चूंकि मेरे पिता जी बतौर प्रिंसीपल, माता जी मेडिकल ऑफिसर जहां तक कि मेरे दादी भी हेड मिस्ट्रेस सेवा मुक्त हुए हैं, जिसके कारण शुरु से ही हमारे घर में पढ़ाई का माहौल रहा है। हरनूर ने कहा कि, कुछ ही दिनों के बाद वह ट्रेनिंग के लिए जाएंगी। वहीं, जब हरनूर कौर के पिता विक्रम सिंह बैंस से बात की तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। मुस्कराते हुए उन्होंने पहले परमात्मा का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी बेटी काफी समय से इस दिशा में प्रयास कर रही थी। इस बार मेरिट लिस्ट में नाम आने से उनकी बेटी का सपना पूरा हो गया है। हमें अपनी बेटी की सफलता पर गर्व है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी बेटी के नाम के पीछे जिस मकसद के लिए सिंह लगाया था, आज वो मकसद पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं अरदास करता हूं कि हरनूर जैसी बेटियां हर परिवार को मिले। वहीं हरनूर की माता भी अपनी बेटी की सफलता के लिए बेहद खुश हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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प्राइवेट अस्पतालों में घट गए 80% मरीज, ये सरकारी में भी नहीं जा रहे
प्राइवेट अस्पतालों में घट गए 80% मरीज, ये सरकारी में भी नहीं जा रहे आयुष्मान स्कीम के तहत इलाज पिछले लगभग एक महीने से प्राइवेट हॉस्पिटल्स में नहीं मिल रहा है। इसके कारण जहां सरकारी में भी मरीज इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे हैं और प्राइवेट हॉस्पिटल में भी स्कीम के तहत इलाज करवाने वाले मरीज 80 फीसदी तक कम हो गए हैं। हॉस्पिटलों द्वारा इलाज के लिए मना करने के कारण लोग अब खुद भी हॉस्पिटलों में नहीं आ रहे हैं और इलाज की शुरुआत होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, सरकारी हॉस्पिटल में आयुष्मान स्कीम में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या उतनी है जितनी आम दिनों में रहती है। जिले के 17 सरकारी और 76 प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज मिलता है, लेकिन इन 76 प्राइवेट हॉस्पिटल में सिर्फ डायलिसिस के मरीजों और कीमोथैरेपी के मरीजों को ही इलाज दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य मरीज नहीं दाखिल किए जा रहे। सरकारी हॉस्पिटल में हर महीने 1600-1700 के तकरीबन मरीज इलाज हासिल करते हैं। जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल में हर महीने 3300-3400 मरीज इलाज हासिल करते थे। सिविल हॉस्पिटल में एक्सीडेंटल केस के तहत दाखिल मरीज के परिजन ने बताया कि पिछले दिनों उनके भाई का एक्सीडेंट हुआ था। खन्ना के प्राइवेट हॉस्पिटल में उन्हें फर्स्ट एड के बाद सिविल हॉस्पिटल में दाखिल कर दिया गया। इस हफ्ते ऑपरेशन की बात कही गई है, जिसमें घुटने से नीचे की टांग की सर्जरी होगी। जगराओं के एक मरीज ने बताया कि उनके बेटे का फ्रेक्चर हुआ था, जिसके लिए वो प्राइवेट हॉस्पिटल में गए तो पता चला कि कार्ड नहीं चलेगा। इस पर उन्होंने पहले पैसे जुटाना सही समझा, जिससे कि प्राइवेट में इलाज मिल सके। उन्होंने बताया कि वो प्राइवेट में ही इलाज करवाना चाहते हैं, जिससे कि उन्हें भी किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंग होम एसोसिएशन के सेक्रेटरी दिव्यांशु ने बताया कि अब तक 30 फीसदी ही पेमेंट हासिल हुई है। जो अदायगी हो रही है, वो बहुत ही कम है और गति भी धीमी है। हमें अब तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट हल नहीं मिला है। एक महीना होने को है, लेकिन क्लेम के लिए अब भी बस इंतजार ही करना पड़ रहा है। डिप्टी मेडिकल कमिशनर डॉ. रीमा गोगिया ने बताया कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स की पेमेंट धीरे-धीरे क्लियर की जा रही है। सरकारी हॉस्पिटल्स में जो भी मरीज आ रहा है उसे आयुष्मान के तहत हम इलाज उपलब्ध करवा रहे हैं। सेहत विभाग द्वारा पेमेंट जल्द अदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सिविल हॉस्पिटल में हर महीने 20 से ज्यादा मेजर सर्जरी सिविल हॉस्पिटल में हर महीने 20 से ज्यादा मरीजों की मेजर सर्जरी होती है। जबकि ऑर्थोपेडिक्स में भी एक हफ्ते में 1-4 तक ऑपरेशन होते हैं। सब डिविजनल हॉस्पिटल की बात की जाए तो यहां भी 10-12 मरीजों के मेजर ऑपरेशन होते हैं। सोमवार को सिविल हॉस्पिटल में 1300 के तकरीबन मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे। इनमें 300 के तकरीबन मरीज मेडिसिन, 100 से ज्यादा ऑर्थो के और सर्जरी के 70 के तकरीबन मरीज रहे।