<p style=”text-align: justify;”>पंजाब की खडूर साहिब सीट से सांसद बने अमृतपाल सिंह को झटका लगा है. उनकी एनएसए की अवधि को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है. अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है.</p> <p style=”text-align: justify;”>पंजाब की खडूर साहिब सीट से सांसद बने अमृतपाल सिंह को झटका लगा है. उनकी एनएसए की अवधि को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है. अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है.</p> पंजाब एमपी में भीषण गर्मी और बारिश के बीच अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या, डॉक्टर ने लोगों को दी ये सलाह
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हिमाचल के कुल्लू में भूकंप के झटके:रिएक्टर स्केल पर 3 आंकी गई तीव्रता; तीन बार महसूस किए गए
हिमाचल के कुल्लू में भूकंप के झटके:रिएक्टर स्केल पर 3 आंकी गई तीव्रता; तीन बार महसूस किए गए हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बीती रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3 मापी गई। इससे किसी भी प्रकार के जान व माल को नुकसान की सूचना नहीं है। जिन लोगों ने झटके महसूस किए वह रात में ही अपने घरों से बाहर निकल आए। यह झटके वीरवार रात 3 बजकर 39 मिनट पर महसूस किए गए। जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। भूकंप की दृष्टि से कुल्लू जिला अति संवेदनशील जोन 5 में आते हैं। यहां बार बार भूकंप आता रहता है।
हरियाणा की पूर्व महिला कप्तान का हॉकी से संन्यास:कुरुक्षेत्र के शाहाबाद से शुरू किया था सफर, पिता चलाते थे तांगा
हरियाणा की पूर्व महिला कप्तान का हॉकी से संन्यास:कुरुक्षेत्र के शाहाबाद से शुरू किया था सफर, पिता चलाते थे तांगा भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर संन्यास का ऐलान कर दिया है। रानी रामपाल हरियाणा राज्य के कुरूक्षेत्र जिले के शाहाबाद कस्बे की रहने वाली है। जिन्होंने देश का नाम महिला हॉकी में अंतरराष्ट्रीय पटल पर चमकाने का काम किया है। रानी रामपाल का हॉकी करियर करीब 16 साल का रहा है। इस दौरान उन्होंने हॉकी में कई बड़े मुकाम हासिल किए। रानी रामपाल लगातार दो बार ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तानी भी कर चुकी है। पिता की मेहनत, नया आयाम स्थापित रानी रामपाल का जन्म कुरूक्षेत्र जिले के शाहबाद में 1994 में हुआ था। रानी रामपाल गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता रामपाल घोड़ा तांगा चलाते थे और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। जब रानी ने हॉकी खेलने की जिद की, तो परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रानी की जरूरतें पूरी कर सकें। उनके पिता ने तांगा चलाकर किसी तरह परिवार का गुजारा किया। पिता की मेहनत की बदौलत उन्होंने हॉकी में एक नया आयाम स्थापित किया। रानी की जिद के आगे झुका परिवार रानी रामपाल 7 वर्ष की आयु में हॉकी खेलना शुरू किया था। महिला हॉकी में शाहबाद हॉकी नर्सरी ने एक अलग ही मुकाम हासिल किया है और रानी रामपाल ने भी वहीं से अपने जीवन की शुरुआत की थी। शुरुआत में घरवालों ने उसको मना किया, लेकिन रानी ने तो ठान लिया था कि हॉकी खेलनी है। रानी की इस जिद के आगे उनके पिता को झुकना पड़ा और उन्होंने रानी को का एडमिशन अकादमी में करा दिया। कोच और कुछ खिलाड़ियों की मदद से उन्हें किट मिली और उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी। जैसे-जैसे वह खेलती गई, उसके खेल में निखार आता गया और वह पहले जिला स्तर पर, स्टेट स्तर पर, नेशनल और इंटरनेशनल तक का सफर तय किया। पहली बार 2009 में हुआ था चयन रानी रामपाल का भारतीय हॉकी टीम में पहली बार 2009 में चयन हुआ था। उस समय उनकी उम्र करीब 15 साल थी, 2009 में जर्मनी में जूनियर विश्व कप खेला था। जिसमें भारत ने कांस्य पदक जीता था। रानी पहली बार भारतीय टीम में खेल रहीं थी। इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मुकाबले में रानी ने तीन गोल करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। वो इस प्रतियोगिता में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थीं। यहां के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रानी रामपाल ने इंटरनेशनल स्तर पर काफी लंबे समय तक खेला है। जिसके चलते उन्होंने 200 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेले है। पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित रानी रामपाल ने हॉकी में कहीं बड़े खिताब हासिल किए हैं। रानी को 2020 में पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से भारत सरकार द्वारा नवाजा गया था। रानी की अगुआई में भारतीय टीम ने एशियन गेम्स और एशिया कप में मेडल जीता था। रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलिंपिक में टीम चौथे नंबर पर रही। रानी रामपाल ने फर्ज से हर्ष का सफर तय किया है और भारतीय महिला हॉकी को विश्व के पटल पर एक नई पहचान देने का काम किया है।
MP: बुदनी में ट्रेन की चपेट में आने से घायल हुए बाघ शावकों की मौत, 15 दिन से भोपाल में चल रहा था इलाज
MP: बुदनी में ट्रेन की चपेट में आने से घायल हुए बाघ शावकों की मौत, 15 दिन से भोपाल में चल रहा था इलाज <p style=”text-align: justify;”><strong>Madhya Pradesh News:</strong> मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के बुदनी मिडघाट पर 15 दिन पहले तीन बाघ शावक ट्रेन की चपेट में आ गए थे. इस हादसे में एक बाघ शावक की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दो बाघ शावक गंभीर रूप से घायल थे. जिला प्रशासन के प्रयासों से दोनों बाघ शावकों को एक बोगी की स्पेशल ट्रेन से वन विहार अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां इलाज चल रहा था. यहां दोनों बाघ शावक की मौत हो गई.<br /> <br />बता दें 15 जुलाई को बुदनी क्षेत्र में ट्रेन की चपेट में आने से एक बाघ की मौत हो गई थी, जबकि उसके साथ दो शावक घायल हो गए थे. बुदनी के मिडघाट रेलवे टै्रक के खंभा नंबर 800/18 के पास तीन बाघ शावक ट्रेन की चपेट में आए थे. सीहोर जिला प्रशासन के प्रयासों की वजह से घायल बाघ शावकों को स्पेशल ट्रेन के एक बोगी से बुदनी से भोपाल वन विहार पहुंचाया गया था, वहां इनका इलाज चल रहा था.<br /> <br /><strong>पांच डॉक्टरों की टीम कर रही थी इलाज </strong><br />वन विहार नेशनल पार्क के संचालक अवधेश मीणा के अनुसार बाघ शावकों का मेडिकल परीक्षण वन विहार के डॉक्टर अतुल गुप्ता के साथ डॉक्टर सुनील तुमडिया, डॉक्टर रजत कुलकर्णी, डॉक्टर हमला नकवी और डॉक्टर वैभव शुक्ला की टीम द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, डॉक्टरों की टीम इनमें से दोनों बाघ शावक को नहीं बचा सकी.<br /> <br /><strong>रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर</strong><br />रेस्क्यू कर जब इन बाघ शावकों को वन विहार लाया गया था, तब इनका यहां एक्सरे किया गया था. एक्सरे में सामने आया था कि उनकी रीढ़ और कूल्हे की हड्डियों में कई फ्रैक्चर हुए हैं. इसी कारण इनका कमर के बाद का हिस्सा पैरालाइज हो गया. दोनों को आईवी फ्लूड दिया गया. इलाज के दौरान एक शावक शुरुआत से ही भोजन कर रहा था, जबकि दूसरा भोजन नहीं कर रहा था. <br /> <br /><strong>भोजन नहीं ले रहा था शावक</strong><br />वन विहार लाए गए दोनों बाघ शावकों में से एक शावक शुरुआत से ही कुछ भी भोजन नहीं ले रहा था, जिससे उसकी हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी. नतीजतन मंगलवार की रात उसकी मौत हो गई, वहीं दूसरे बाघ शावक की हालत भी नाजुक बनी हुई थी. हालांकि, वह कम मात्रा में भोजन ले रहा है. डॉक्टरों की टीम इस बाघ शावक पर नजर बनाए हुए थे, लेकिन बुधवार को उसकी भी मौत हो गई.</p>
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