उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय परिवहन निदेशालय ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर बुधवार को ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में एक सतत नगरीय परिवहन को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के अंतर्गत, यूएसएआईडी समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) परियोजना के तहत नगरीय परिवहन निदेशालय के मार्गदर्शन में तीन स्वतंत्र शोध अध्ययनों को भी प्रकाशित किया गया है। सीईईडब्ल्यू ने उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में 2031 तक आवश्यक बसों की संख्या, बस स्टॉप और फुटपाथ जैसे आधारभूत ढांचे और निवेश संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन के लाभों का आकलन किया है। 2031 तक 12 हजार नगरीय बसों की होगी जरूरत ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ कार्यक्रम में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2031 तक प्रतिदिन कम से कम 60 लाख यात्रियों को सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश में 12,000 से अधिक नगरीय बसों की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने से होने वाले लाभों को भी रेखांकित किया है। सीएनजी बसों की तुलना में ई-बसें 23 से 32 प्रतिशत तक सस्ती होंगी और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएंगी, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) में सुधार होगा। रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि उन्नत बस सेवाएं आने पर 40 लाख लोग दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जगह पर बसों को अपना सकते हैं, जिससे सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी। यह परिवर्तन 2031 तक 24 किलोटन पीएम 2.5 (PM 2.5), 3.38 मीट्रिक टन कार्बन मोनो-ऑक्साइड (CO) और 0.321 मीट्रिक टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रूदषणकारी तत्वों को घटाते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार लाएगा। सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाएगा कार्यक्रम डॉ. राजेंद्र पेंसिया, निदेशक, नगरीय परिवहन निदेशालय ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश आर्थिक विकास की अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए तीव्र नगरीकरण की दिशा में अग्रसर है। हमें विश्वास है कि आगामी वर्षों में, ‘मेरी बस मेरी सड़क’ कार्यक्रम बसों की संख्या में अधिकाधिक वृद्धि, बेहतर सेवाएं और सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभाएगा।” वहीं, सौमित्र दास, टीम लीड- एनवायरनमेंट, यूएसएआईडी/भारत ने कहा, “यूएसएआईडी समर्थित अध्ययनों से सामने आए निष्कर्ष बसों के बेड़े के विस्तार और इलेक्ट्रिफिकेशन में मौजूद परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करते हैं। वायु गुणवत्ता, भीड़-भाड़ और सुगम आवागमन जैसी प्रमुख चुनौतियां का समाधान करते हुए हम एक अधिक सतत और रहने योग्य शहरों का निर्माण कर सकते हैं और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को पाने में मदद कर सकते हैं।” क्या हैं विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्ष? इस कार्यक्रम में जारी किए गए अध्ययनों का आकलन है कि 2031 तक उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में दैनिक यात्रा की आवश्यकता पूरी करने के लिए आवश्यक बसों की खरीद के लिए 15,700 करोड़ रुपये का संयुक्त व्यय चाहिए होगा। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री और संभावित बस यात्री चाहते हैं कि उनके गंतव्य स्थल तक आवागमन की सुविधा में सुधार हो और वाहन मिलने में कम से कम समय लगे। अध्ययनों में पाया गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक वर्तमान बस यात्री अपनी यात्रा के शुरुआती या अंतिम हिस्से में पैदल चलते हैं, जो बस प्रणाली को एक बेहतर फुटपाथ नेटवर्क से जोड़ने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री ने बस सेवा के समय पर आने और निर्धारित समय-सारणी (शेड्यूल) के पालन को प्राथमिकता दी है और 40 प्रतिशत से अधिक बस यात्रियों ने वर्तमान बस सेवा के प्रतीक्षा समय को औसत से कम अंक दिए हैं, इसलिए यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाने और नए यात्रियों को जोड़ने के लिए समय पर सेवा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय परिवहन निदेशालय ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर बुधवार को ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में एक सतत नगरीय परिवहन को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के अंतर्गत, यूएसएआईडी समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) परियोजना के तहत नगरीय परिवहन निदेशालय के मार्गदर्शन में तीन स्वतंत्र शोध अध्ययनों को भी प्रकाशित किया गया है। सीईईडब्ल्यू ने उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में 2031 तक आवश्यक बसों की संख्या, बस स्टॉप और फुटपाथ जैसे आधारभूत ढांचे और निवेश संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन के लाभों का आकलन किया है। 2031 तक 12 हजार नगरीय बसों की होगी जरूरत ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ कार्यक्रम में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2031 तक प्रतिदिन कम से कम 60 लाख यात्रियों को सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश में 12,000 से अधिक नगरीय बसों की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने से होने वाले लाभों को भी रेखांकित किया है। सीएनजी बसों की तुलना में ई-बसें 23 से 32 प्रतिशत तक सस्ती होंगी और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएंगी, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) में सुधार होगा। रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि उन्नत बस सेवाएं आने पर 40 लाख लोग दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जगह पर बसों को अपना सकते हैं, जिससे सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी। यह परिवर्तन 2031 तक 24 किलोटन पीएम 2.5 (PM 2.5), 3.38 मीट्रिक टन कार्बन मोनो-ऑक्साइड (CO) और 0.321 मीट्रिक टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रूदषणकारी तत्वों को घटाते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार लाएगा। सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाएगा कार्यक्रम डॉ. राजेंद्र पेंसिया, निदेशक, नगरीय परिवहन निदेशालय ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश आर्थिक विकास की अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए तीव्र नगरीकरण की दिशा में अग्रसर है। हमें विश्वास है कि आगामी वर्षों में, ‘मेरी बस मेरी सड़क’ कार्यक्रम बसों की संख्या में अधिकाधिक वृद्धि, बेहतर सेवाएं और सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभाएगा।” वहीं, सौमित्र दास, टीम लीड- एनवायरनमेंट, यूएसएआईडी/भारत ने कहा, “यूएसएआईडी समर्थित अध्ययनों से सामने आए निष्कर्ष बसों के बेड़े के विस्तार और इलेक्ट्रिफिकेशन में मौजूद परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करते हैं। वायु गुणवत्ता, भीड़-भाड़ और सुगम आवागमन जैसी प्रमुख चुनौतियां का समाधान करते हुए हम एक अधिक सतत और रहने योग्य शहरों का निर्माण कर सकते हैं और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को पाने में मदद कर सकते हैं।” क्या हैं विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्ष? इस कार्यक्रम में जारी किए गए अध्ययनों का आकलन है कि 2031 तक उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में दैनिक यात्रा की आवश्यकता पूरी करने के लिए आवश्यक बसों की खरीद के लिए 15,700 करोड़ रुपये का संयुक्त व्यय चाहिए होगा। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री और संभावित बस यात्री चाहते हैं कि उनके गंतव्य स्थल तक आवागमन की सुविधा में सुधार हो और वाहन मिलने में कम से कम समय लगे। अध्ययनों में पाया गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक वर्तमान बस यात्री अपनी यात्रा के शुरुआती या अंतिम हिस्से में पैदल चलते हैं, जो बस प्रणाली को एक बेहतर फुटपाथ नेटवर्क से जोड़ने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री ने बस सेवा के समय पर आने और निर्धारित समय-सारणी (शेड्यूल) के पालन को प्राथमिकता दी है और 40 प्रतिशत से अधिक बस यात्रियों ने वर्तमान बस सेवा के प्रतीक्षा समय को औसत से कम अंक दिए हैं, इसलिए यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाने और नए यात्रियों को जोड़ने के लिए समय पर सेवा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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अमेठी में व्यापारी से लूट की कोशिश, विरोध पर फायरिंग:लोगों ने दौड़ाकर एक बदमाश को पकड़ा, जमकर पीटा; पिस्टल छोड़ 2 भाग निकले
अमेठी में व्यापारी से लूट की कोशिश, विरोध पर फायरिंग:लोगों ने दौड़ाकर एक बदमाश को पकड़ा, जमकर पीटा; पिस्टल छोड़ 2 भाग निकले अमेठी में दुकान बंद कर घर जा रहे किराना व्यापारी पर तीन बदमाशों ने हमला कर दिया। लूटने की कोशिश की। विरोध करने पर एक बदमाश ने फायर कर दिया, हालांकि व्यापारी बाल-बाल बच गया। व्यापारी का शोर सुनकर आसपास के लोग दौड़े। लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए एक बदमाश को दबोच लिया। जबकि दो बदमाश बाइक से फरार हो गए। क्राइम स्पॉट से एक पिस्टल भी बरामद हुई है। दबोचे गए बदमाश का वीडियो सामने आया है। उसकी लोगों ने पिटाई भी की है। इतना मारा कि कपड़े फट गए। वारदात के बाद व्यापारियों में आक्रोश है। बड़ी संख्या में लोग पुलिस चौकी पहुंचे हैं। पुलिस फरार बदमाशों के पीछे लगी है। देखिए 2 फोटो… घर के बाहर था व्यापारी, तभी पहुंचे बदमाश
मामला रामगंज थाना क्षेत्र में रामगंज बाजार का है। यहां अयोध्या-प्रयागराज हाईवे पर किराना के थोक व्यापारी खेमचंद्र अग्रहरि की दुकान है। दुकान के सामने हाईवे के दूसरी तरफ उनका मकान है। शाम करीब सवा आठ बजे खेमचंद्र दुकान बंद कर घर जा रहे थे। उनके हाथ में रुपए से भरा बैग था। वह जैसे ही गेट तक पहुंचे बदमाशों ने पिस्टल दिखाकर बैग छीनने की कोशिश की। खेमचंद्र ने शोर मचाते हुए विरोध किया। तभी एक बदमाश ने फायर कर दिया, लेकिन मिस हो गया। फायरिंग की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़ पड़े। व्यापारी खेमचंद्र ने साहस दिखाते हुए एक बदमाश को पकड़ लिया। यह देख दो अन्य बदमाश बाइक से भाग निकले। घटना का सीसीटीवी भी आया है, जिसमें हमला कर रहे भाग रहे बदमाश के पीछे कुछ लाेग दौड़ते दिखाई दे रहे हैं। बदमाश भागते हुए गिर जाता है। तभी लोग उसे दबोच लेते हैं। भीड़ जुट जाती है। बदमाशों की पिटाई शुरू हो जाती है। व्यापारियों ने वारदात की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पड़ताल की है। पकड़े गए बदमाश को पुलिस रामगंज चौकी लाई है। बस्ती का रहने वाला पकड़ा गया बदमाश
दबोचा गया बदमाश ने अपना नाम आदित्य सिंह बताया। वह बस्ती का रहने वाला है। उसने बताया कि फरार होने वाले दोनों बदमाश विनोबापुरी, सुलतानपुर के रहने वाले हैं। रामगंज चौकी में बदमाश आदित्य को बैठाया गया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि वह चौकी के अंदर जमीन पर बैठा है। लोग उससे पूछताछ करते हुए पीट रहे है। उसे थप्पड़ मार रहे हैं। प्रभारी निरीक्षक रामगंज अजयेंद्र पटेल ने बताया- व्यापारी को धमकाने के लिए बदमाशों ने हमला किया। एक बदमाश को पकड़ लिया गया है। फरार बदमाशों को पकड़ने के लिए पुलिस छापे मार रही है। जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यह भी पढ़ें:- योगी बोले-सारे माफिया अखिलेश के चचा जान:सपा के दरिंदे कुत्ते की पूंछ जैसे; सपाई लूटते थे, बबुआ 12 बजे तक सोता था सीएम योगी ने अयोध्या के मिल्कीपुर में जनसभा को संबोधित किया। अखिलेश यादव का नाम लिए बिना कहा- सपा सरकार में माफिया की पैरलर सरकार चलती थी। बबुआ अपने घर के बाहर नहीं निकलता था। दोपहर 12 बजे सोकर उठता था। सारे माफिया इनके चचा जान जैसे हैं। इनके अंदर औरंगजेब की आत्मा घुस गई है। पढ़ें पूरी खबर…
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अखिलेश बोले- बुलडोजर के पहिए खुले..स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ा:इसे चलाने वालों की पार्किंग का समय; भाजपा सरकार ने औजार के रूप में इस्तेमाल किया
अखिलेश बोले- बुलडोजर के पहिए खुले..स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ा:इसे चलाने वालों की पार्किंग का समय; भाजपा सरकार ने औजार के रूप में इस्तेमाल किया सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर कार्रवाई पर 1 अक्टूबर तक रोक लगाते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुशी जाहिर कर दी। उन्होंने कहा- बुलडोजर कार्रवाई असंवैधानिक है। हम सुप्रीम कोर्ट को बधाई देते हैं। आभार प्रकट करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उम्मीद है कि बुलडोजर कार्रवाई हमेशा के लिए बंद हो जाएगी। अखिलेश ने कहा- न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को ही नहीं, बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया। आज बुलडोजर के पहिए खुल गए और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया। यह उनके लिए पहचान का संकट है, जिन्होंने बुलडोजर को अपना प्रतीक बना लिया था। पढ़िए अखिलेश ने और क्या कहा बुलडोजर को चलवाने वालों की पार्किंग का समय आ गया
अखिलेश ने कहा- अब न बुलडोजर चल पाएगा, न उसको चलवाने वाले। दोनों के लिए पार्किंग का समय आ गया है। आज बुलडोजरी सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया। अब क्या वे बुलडोजर का भी नाम बदल कर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है। बुलडोजर को सरकार ने औजार बना दिया
उन्होंने कहा- लोकतंत्र में बुलडोजर की कार्रवाई से न्याय नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई की कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब कभी न्यायालय उन पर विचार करेगा तो उस पर सरकार के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्रदेश सरकार ने जानबूझकर लोगों को डराने के लिए जबरदस्ती बुलडोजर चलाया। भाजपा सरकार ने बुलडोजर का औजार के रूप में इस्तेमाल किया। विपक्ष और जनता की आवाज को दबाने के लिए दुरुपयोग किया गया। बुलडोजर न्याय का प्रतीक नहीं हो सकता
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, सरकार और भाजपा के लोग बुलडोजर को इतना महिमा मंडित कर रहे थे कि जैसे बुलडोजर ही न्याय है। ये अपने कार्यक्रमों में रैलियों में इतना बढ़ा-चढ़ाकर बात करते थे, जिससे लोगों में भय पैदा हो। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। तो बुलडोजर रुकेगा। न्यायालय से न्याय मिलेगा। बुलडोजर अन्याय का प्रतीक हो सकता है, न्याय का प्रतीक नहीं। बुलडोजर पर निशाना साधते रहे हैं अखिलेश यादव 3 सितंबर को कहा था- सरकार बनते ही बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की तरफ होगा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था- 2027 में सपा सरकार बनते ही पूरे प्रदेश के बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की तरफ होगा। हार के बाद मुख्यमंत्री न खुद चैन से सो पा रहे, न अधिकारियों को सोने दे रहे। जो लोग बुलडोजर से डराते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि मुख्यमंत्री आवास का नक्शा पास है क्या? बुलडोजर दिमाग से नहीं, स्टेयरिंग से चलता है। मुख्यमंत्री को सदमा लगा है। इसके अगले दिन 4 सितंबर को सीएम योगी ने जवाब दिया था- बुलडोजर पर हर आदमी का हाथ फिट नहीं हो सकता। इसके लिए दिल और दिमाग दोनों चाहिए। जिसमें बुलडोजर जैसी क्षमता और दृढ़ प्रतिज्ञा होगी, वही इसे चला सकता है। दंगाइयों के सामने नाक रगड़ने वाले लोग बुलडोजर के सामने पस्त हो जाएंगे। 4 सितंबर को कहा- मुख्यमंत्री अपनी पार्टी का नाम बदल दें
अखिलेश ने 4 सितंबर को कहा था- आज किसान, नौजवान और शिक्षक सबसे अधिक दुखी हैं। आज यूपी में कोई भी भर्ती हो, सब पर उंगली उठ जाती है। पुराने रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए। माफिया किसे कहा जाता था। 2017 से पहले लूट थी क्या? जो अधिकारी लूट करवा रहे हैं, वो सीएम के इर्द-गिर्द हैं। लखनऊ में एक होटल में आग लगी थी, उसमें कई जान गई थी। क्या बुलडोजर की चाभी खो गई थी? अखिलेश ने कहा- हम पहले दिन से कहते आ रहे हैं कि संविधान खतरे में है। अधिकार छीने जा रहे हैं। कोई कल्पना कर सकता था कि जाति और धर्म को देख कर तबादले किए जा रहे हैं। आज महिलाओं के उत्पीड़न में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। जब इतने ही नाम बदले जा रहे हैं तो मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) भाजपा पार्टी का भी नाम बदल दें, उसे भारतीय जोगी पार्टी बना दें। UP के 3 बुलडोजर एक्शन लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत यूपी के तीन जिलों मुरादाबाद, बरेली और प्रयागराज में हुए बुलडोजर एक्शन को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जमीयत ने कहा- बुलडोजर कार्रवाई से लोग डरे-सहमे हैं। जमीयत उन सभी लोगों के लिए न्याय चाहती है, जिनके घरों पर बुलडोजर चला। हमें उम्मीद है कि अंतिम निर्णय पीड़ितों के पक्ष में होगा। जमीयत ने 22 अगस्त को याचिका दाखिल की थी। इनमें पांचों राज्यों में बुलडोजर एक्शन की 128 घटनाओं की फैक्ट फाइंडिंग है। पहली बार 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। तब SC ने टिप्पणी करते हुए कहा- अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? हालांकि, SC ने ये भी कहा कि हम अवैध अतिक्रमण के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 17 सितंबर को हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर चलाने पर रोक लगा दी। बुलडोजर पर पीएम मोदी का भी पॉजिटिव रुख
बुलडोजर…2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में तो मुद्दा बना ही, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राजनीतिक विरोधियों को भरपूर निशाना बनाया। मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा- सपा और कांग्रेस वाले अगर सरकार में आए, तो रामलला को फिर से टेंट में भेज देंगे। राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे। हालांकि, उनकी इस बात का कोई असर नहीं हुआ। यहां तक कि भाजपा अयोध्या की सीट भी सपा से हार गई। अखिलेश ने बहुत सोच-समझकर बुलडोजर को मुद्दा बनाया
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम योगी को ‘बुलडोजर बाबा’ कह कर बुलाया जाने लगा था। यह काम सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया था। उन्होंने चुनावों से पहले बुलडोजर मसले को इतना तूल दे दिया कि यह मुद्दा बन गया। इससे पहले 2021 में अखिलेश ने कहा था- योगी जी के कहने पर पुलिस लोगों के घर पर बुलडोजर चला देती है। हमारी सरकार आएगी तो हम भी चलवाएंगे। एक बार फिर 3 सितंबर, 2024 को अखिलेश ने बिलकुल उसी लहजे में कहा- अगर 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो बुलडोजर का रुख गोरखपुर की ओर होगा। इतना ही नहीं, सीएम योगी को सलाह देते हुए अखिलेश ने सोशल मीडिया पर कहा, अगर आप और आपका बुलडोजर इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर बुलडोजर चुनाव निशान लेकर चुनाव लड़ जाइए… आपका भ्रम भी टूट जाएगा और घमंड भी। दरअसल, लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अब तक के सबसे अच्छे प्रदर्शन के बाद अखिलेश यादव आत्मविश्वास से लबालब हैं। इसके बाद वह जल्द होने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में भी वही दांव आजमा रहे हैं। लेकिन, सवाल यह है कि बुलडोजर पर ब्रेक से किसे फायदा, और नुकसान किसे हो सकता है? यह खबर भी पढ़ें बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक; केंद्र का एतराज, हमारे हाथ न बांधें; कोर्ट बोला-15 दिन में आसमान नहीं फट पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। हम स्पष्ट कर दें कि इस ऑर्डर में सड़क, रेलवे लाइन जैसी सार्वजनिक जगहों के अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं हैं। अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को है। यहां पढ़ें पूरी खबर