उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय परिवहन निदेशालय ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर बुधवार को ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में एक सतत नगरीय परिवहन को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के अंतर्गत, यूएसएआईडी समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) परियोजना के तहत नगरीय परिवहन निदेशालय के मार्गदर्शन में तीन स्वतंत्र शोध अध्ययनों को भी प्रकाशित किया गया है। सीईईडब्ल्यू ने उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में 2031 तक आवश्यक बसों की संख्या, बस स्टॉप और फुटपाथ जैसे आधारभूत ढांचे और निवेश संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन के लाभों का आकलन किया है। 2031 तक 12 हजार नगरीय बसों की होगी जरूरत ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ कार्यक्रम में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2031 तक प्रतिदिन कम से कम 60 लाख यात्रियों को सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश में 12,000 से अधिक नगरीय बसों की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने से होने वाले लाभों को भी रेखांकित किया है। सीएनजी बसों की तुलना में ई-बसें 23 से 32 प्रतिशत तक सस्ती होंगी और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएंगी, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) में सुधार होगा। रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि उन्नत बस सेवाएं आने पर 40 लाख लोग दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जगह पर बसों को अपना सकते हैं, जिससे सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी। यह परिवर्तन 2031 तक 24 किलोटन पीएम 2.5 (PM 2.5), 3.38 मीट्रिक टन कार्बन मोनो-ऑक्साइड (CO) और 0.321 मीट्रिक टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रूदषणकारी तत्वों को घटाते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार लाएगा। सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाएगा कार्यक्रम डॉ. राजेंद्र पेंसिया, निदेशक, नगरीय परिवहन निदेशालय ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश आर्थिक विकास की अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए तीव्र नगरीकरण की दिशा में अग्रसर है। हमें विश्वास है कि आगामी वर्षों में, ‘मेरी बस मेरी सड़क’ कार्यक्रम बसों की संख्या में अधिकाधिक वृद्धि, बेहतर सेवाएं और सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभाएगा।” वहीं, सौमित्र दास, टीम लीड- एनवायरनमेंट, यूएसएआईडी/भारत ने कहा, “यूएसएआईडी समर्थित अध्ययनों से सामने आए निष्कर्ष बसों के बेड़े के विस्तार और इलेक्ट्रिफिकेशन में मौजूद परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करते हैं। वायु गुणवत्ता, भीड़-भाड़ और सुगम आवागमन जैसी प्रमुख चुनौतियां का समाधान करते हुए हम एक अधिक सतत और रहने योग्य शहरों का निर्माण कर सकते हैं और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को पाने में मदद कर सकते हैं।” क्या हैं विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्ष? इस कार्यक्रम में जारी किए गए अध्ययनों का आकलन है कि 2031 तक उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में दैनिक यात्रा की आवश्यकता पूरी करने के लिए आवश्यक बसों की खरीद के लिए 15,700 करोड़ रुपये का संयुक्त व्यय चाहिए होगा। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री और संभावित बस यात्री चाहते हैं कि उनके गंतव्य स्थल तक आवागमन की सुविधा में सुधार हो और वाहन मिलने में कम से कम समय लगे। अध्ययनों में पाया गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक वर्तमान बस यात्री अपनी यात्रा के शुरुआती या अंतिम हिस्से में पैदल चलते हैं, जो बस प्रणाली को एक बेहतर फुटपाथ नेटवर्क से जोड़ने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री ने बस सेवा के समय पर आने और निर्धारित समय-सारणी (शेड्यूल) के पालन को प्राथमिकता दी है और 40 प्रतिशत से अधिक बस यात्रियों ने वर्तमान बस सेवा के प्रतीक्षा समय को औसत से कम अंक दिए हैं, इसलिए यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाने और नए यात्रियों को जोड़ने के लिए समय पर सेवा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय परिवहन निदेशालय ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर बुधवार को ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में एक सतत नगरीय परिवहन को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के अंतर्गत, यूएसएआईडी समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) परियोजना के तहत नगरीय परिवहन निदेशालय के मार्गदर्शन में तीन स्वतंत्र शोध अध्ययनों को भी प्रकाशित किया गया है। सीईईडब्ल्यू ने उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में 2031 तक आवश्यक बसों की संख्या, बस स्टॉप और फुटपाथ जैसे आधारभूत ढांचे और निवेश संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन के लाभों का आकलन किया है। 2031 तक 12 हजार नगरीय बसों की होगी जरूरत ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ कार्यक्रम में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2031 तक प्रतिदिन कम से कम 60 लाख यात्रियों को सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश में 12,000 से अधिक नगरीय बसों की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने से होने वाले लाभों को भी रेखांकित किया है। सीएनजी बसों की तुलना में ई-बसें 23 से 32 प्रतिशत तक सस्ती होंगी और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएंगी, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) में सुधार होगा। रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि उन्नत बस सेवाएं आने पर 40 लाख लोग दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जगह पर बसों को अपना सकते हैं, जिससे सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी। यह परिवर्तन 2031 तक 24 किलोटन पीएम 2.5 (PM 2.5), 3.38 मीट्रिक टन कार्बन मोनो-ऑक्साइड (CO) और 0.321 मीट्रिक टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रूदषणकारी तत्वों को घटाते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार लाएगा। सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाएगा कार्यक्रम डॉ. राजेंद्र पेंसिया, निदेशक, नगरीय परिवहन निदेशालय ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश आर्थिक विकास की अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए तीव्र नगरीकरण की दिशा में अग्रसर है। हमें विश्वास है कि आगामी वर्षों में, ‘मेरी बस मेरी सड़क’ कार्यक्रम बसों की संख्या में अधिकाधिक वृद्धि, बेहतर सेवाएं और सुव्यवस्थित नगर परिवहन प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभाएगा।” वहीं, सौमित्र दास, टीम लीड- एनवायरनमेंट, यूएसएआईडी/भारत ने कहा, “यूएसएआईडी समर्थित अध्ययनों से सामने आए निष्कर्ष बसों के बेड़े के विस्तार और इलेक्ट्रिफिकेशन में मौजूद परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करते हैं। वायु गुणवत्ता, भीड़-भाड़ और सुगम आवागमन जैसी प्रमुख चुनौतियां का समाधान करते हुए हम एक अधिक सतत और रहने योग्य शहरों का निर्माण कर सकते हैं और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को पाने में मदद कर सकते हैं।” क्या हैं विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्ष? इस कार्यक्रम में जारी किए गए अध्ययनों का आकलन है कि 2031 तक उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में दैनिक यात्रा की आवश्यकता पूरी करने के लिए आवश्यक बसों की खरीद के लिए 15,700 करोड़ रुपये का संयुक्त व्यय चाहिए होगा। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री और संभावित बस यात्री चाहते हैं कि उनके गंतव्य स्थल तक आवागमन की सुविधा में सुधार हो और वाहन मिलने में कम से कम समय लगे। अध्ययनों में पाया गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक वर्तमान बस यात्री अपनी यात्रा के शुरुआती या अंतिम हिस्से में पैदल चलते हैं, जो बस प्रणाली को एक बेहतर फुटपाथ नेटवर्क से जोड़ने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री ने बस सेवा के समय पर आने और निर्धारित समय-सारणी (शेड्यूल) के पालन को प्राथमिकता दी है और 40 प्रतिशत से अधिक बस यात्रियों ने वर्तमान बस सेवा के प्रतीक्षा समय को औसत से कम अंक दिए हैं, इसलिए यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाने और नए यात्रियों को जोड़ने के लिए समय पर सेवा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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यूपी में भ्रष्टाचार की डायरी:स्लाटर हाउस मालिक ने अफसरों के गिफ्ट, होटल, आने-जाने का खर्च उठाया, शराब पिलाई…ताकि हर दिन 600 जानवर कटते रहें यूपी में स्लाटर हाउस चलाने के लिए मालिक अफसरों पर रुपए लुटाता रहा। हर दिन 600 मवेशी कटते रहे। बदले में सब इंस्पेक्टर से लेकर बड़े अफसर मौज करते रहे। दो जिलों की पुलिस रिश्वत लेती रही। डीएम को 26 हजार की टेबल भेंट की गई तो एसएसपी पर 1 लाख रुपए खर्च किए गए। इसका खुलासा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT) को दिए लिखित स्टेटमेंट से हुआ है। स्टेटमेंट बरेली के स्लाटर हाउस मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शकील कुरैशी ने दिया। सर्चिंग के दौरान फाइल, कंप्यूटर में मौजूद डाटा के आधार पर कुरैशी से पूछताछ में जो सामने आया, वो काफी चौंकाने वाला है। मामला अब सुर्खियों में इसलिए आया, क्योंकि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (PCB) ने 4 जुलाई को मैसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को 12 लाख जुर्माने का नोटिस भेजा। नोटिस के बाद दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। इसमें आईटी डिपार्टमेंट की पूछताछ की फाइल मिली। कंपनी के मालिक शकील कुरैशी से सवाल-जवाब की पूरी लिस्ट थी। इसी फाइल में पता चला कि स्लाटर हाउस चलाने के लिए किस तरह कंपनी, अधिकारियों को रिश्वत देकर मैनेज करती थी। शकील कुरैशी के स्टेटमेंट की कॉपी हमारे पास है, सबसे पहले जानिए स्लाटर हाउस के बारे में… स्लाटर हाउस बरेली के शाहजहांपुर रोड यानी NH-24 पर मोहनपुर ठिरिया गांव में है। इसे मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाती है। इसी के मालिक हैं शकील कुरैशी। 21 दिसंबर, 2022 को कुरैशी के स्लाटर हाउस पर इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा। इसमें टैक्स चोरी पकड़ी गई। आयकर टीम ने 8 और 9 फरवरी, 2023 को कुरैशी को पूछताछ के लिए बुलाया। वहीं, मामले की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कमेटी ने 4 अप्रैल, 2024 को बूचड़खाने का निरीक्षण किया। जांच में सामने आया कि स्लाटर हाउस के बाहर बहने वाले नाले में बिना ट्रीटमेंट किए गंदा पानी छोड़ा जा रहा था, जो नरकटिया नाले से होते हुए 3 किमी बाद रामगंगा नदी को प्रदूषित कर रहा है। नतीजा- स्लाटर हाउस को सीज कर दिया गया। अब चलते हैं अफसरों की भ्रष्टाचार की कहानी पर… बहराइच से लेकर लखीमपुर पुलिस को बांटते रहे रुपए: आईटी टीम ने कंपनी का डिजिटल डाटा सीज किया था। इसमें मोबिलाइजेशन एक्सपेंस यानी एक जगह से दूसरे जगह आने-जाने के खर्चे और ऑफिस एक्सपेंस यानी ऑफिस में होने वाले खर्चे की फाइल मिली। उसमें दर्ज जो ब्यौरे सामने आए, उसमें कई जिलों के बड़े-बड़े अफसरों के नाम निकले। इसमें लखीमपुर जिले के डीओ ऑफिस, एडीएम ऑफिस के अलावा बहराइच के डीओ ऑफिस, चीफ एफएसओ, एसएचओ जरवल, फखरपुर, कैसरगंज, चांदपुरा और आरटीओ ऑफिस के नाम हैं। इन्हें अलग-अलग 10 हजार से लेकर 50,000 रुपए दिए गए हैं। ये पैसे दिसंबर 2020 में दिए गए थे। कुल मिलाकर सभी को 2 लाख 68 हजार 694 रुपए रिश्वत में दिए गए। बात यहीं खत्म नहीं होती…। दूसरी डाटा शीट में मार्च, 2021 में दी गई रिश्वत की डिटेल है। इसमें बताया गया है कि कब-कब किसको कितने रुपए दिए गए हैं। एसआई ननपारा को दो बार में नसीब नाम के व्यक्ति के हाथों 15-15 हजार रुपए दिए गए हैं। वहीं, चांदपुरा एसआई को वकील के माध्यम से 10 हजार रुपए दिए गए हैं। डीओ बहराइच विनोद शर्मा को डायरेक्ट 50 हजार रुपए दिए गए हैं। न्यू ईयर के मौके पर विनोद शर्मा ने 15 हजार रुपए की रिश्वत ली। शराब पार्टी पर 30 हजार से ज्यादा रुपए खर्च किए गए हैं। इस बारे में आयकर विभाग ने पूछा तो शकील कुरैशी ने लिखित जवाब में बताया कि इस फाइल में दर्ज सारे खर्चे एक अन्य कंपनी मेसर्स सारा से संबंधित हैं। इस प्रकार की लाइजनिंग का काम मेसर्स सारा कंपनी करती थी। डीएम के नाम 26 हजार की टेबल
‘Expense’ नाम की फाइल के अंदर बरेली शीट मिली है। इसमें डीएम सुरेंद्र के नाम पर हयात होटल में रुकने का 13 हजार 781 रुपए खर्च दर्ज है। डीएम विक्रम सिंह के नाम पर टेबल का 26 हजार 700 खर्च दिखाया गया है। एसएसपी के इंटीरियर के नाम पर एक लाख रुपए खर्च दिखाया गया है। हालांकि एसएसपी का नाम नहीं दिया गया है। डीएम के ड्राइवर का भी जिक्र है। ड्राइवर के नाम पर 47 हजार होटल का खर्च बताया गया है। किसी अफसर को एसआई के माध्यम से तो किसी SHO को ड्राइवर के माध्यम से पैसों की बांट
शकील कुरैशी की कंपनी से बरामद ‘ऑफिस एक्सपेंस’ नाम की शीट में एक नहीं, कई चौंकाने वाले नाम और किरदार दिखते हैं। किसी अफसर को पैसा कभी सीधे उनके खाते में दिया गया तो कभी ड्राइवर के माध्यम से। तो कभी एसआई के माध्यम से उन तक पहुंचाया गया। उदाहरण के लिए RTO ऑफिस बहराइच में दो बार पैसे दिए गए। एक बार 12 नवंबर, 2020 को तो दूसरी बार 19 दिसंबर, 2020 को। एक बार 18 हजार रुपए तो दूसरी बार 15 हजार रुपए। दोनों ही बार ये पैसे RTO ड्राइवर के माध्यम से अफसर तक पहुंचाए गए। इसी तरह SHO जरवाल को एसआई अफजल खान के माध्यम से 22 हजार रुपए दिए गए। SHO फखरपुर को एसआई अतीउल्लाह खान के माध्यम से 15 हजार रुपए दिए गए। कुछ अफसरों को डायरेक्ट पैसे देने की बात भी लिखी मिली। जैसे- DO ऑफिस बहराइच विनोद को सीधे उनके हाथ में 50 हजार रुपए दिए गए। अब इनकम टैक्स विभाग के सवाल और शकील कुरैशी के जवाब- आईटी अफसर: आपकी कमाई का जरिया क्या है?
शकील कुरैशी: मेरी आय का स्रोत कंपनी से मिलने वाली सैलरी और अचल संपत्तियों से मिलने वाला है। इसके अलावा मैं बकरी और भेड़ें पालकर बेचता हूं। आईटी अफसर: आप किन-किन फर्म में पार्टनर हैं। इन फर्म के व्यवसाय के तरीके भी बताएं?
शकील कुरैशी: मैं एक फर्म जिसका नाम मराठवाडा एग्रो फूड्स है, उसमें सरफराज अहमद अंसारी के साथ पार्टनर हूं। इस फर्म को खरीदने के लिए निवेश मराठावाडा एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से किया गया है। इस कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में जमीन खरीदी है। इसमें लगभग 50 से 60 लाख निवेश किए गए हैं। आईटी अफसर: 21 दिसंबर 2022 को हुई सर्चिंग के दौरान आपके प्रतिष्ठान से डिजिटल डाटा सीज किया गया था, जिसमें मोबिलाइजेशन एक्सपेंसेस नाम की फाइल मिली है। इन खर्चों का स्रोत और प्रवृत्ति बताएं। जिसका डाटा ये है- शकील कुरैशी: फाइल में दिया गया खर्च मेसर्स सारा कंपनी से संबंधित है। इस प्रकार की लाइजनिंग का काम मेसर्स सारा कंपनी द्वारा किया जाता है। आईटी अफसर: ऑफिस एक्सपेंस की फाइल क्या है? शकील कुरैशी: ऊपर दिया गया खर्चा मेसर्स सारा कंपनी से संबंधित है। ये खर्चे विभिन्न मौकों जैसे कि नए साल या किसी त्योहार पर दिए जाने वाले खर्चे से संबंधित हैं। आईटी अफसर: Expense नाम की फाइल के अंदर ‘बरेली शीट’ मिली है। इसके बारे में क्या कहना है? शकील कुरैशी: इस संबंध में मुझे कुछ याद नहीं है। इस विषय में मैं अपने रिकार्ड में देखकर सारी जानकारी आपको दे दूंगा। प्रथम दृष्टया यह सभी खर्चे लाइजनिंग से संबंधित हैं। भ्रष्टाचार के तीन बड़े किरदार, सूत्रधार बीमार
मामले में हमारे सामने तीन मुख्य सूत्रधार सामने आए। शकील कुरैशी, दो डीएम- सुरेंद्र और राघवेंद्र विक्रम सिंह। हमने तीनों से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की। बरेली से हमें शकील कुरैशी के तीन मोबाइल नंबर मिले, लेकिन तीनों ही काम नहीं कर रहे हैं। शकील कुरैशी की कंपनी के एक कर्मचारी इशान अहमद से जब बात हुई। उन्होंने बताया, 4 जुलाई को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नोटिस के खिलाफ हम हाईकोर्ट गए थे। जहां से उस ऑर्डर पर रोक लगा दी गई है। वर्तमान में फैक्ट्री बंद है। जहां तक शकील कुरैशी की बात है तो उनकी तबीयत खराब है, इस वजह से किसी से बात नहीं कर रहे हैं। वहीं, बरेली शीट में डीएम सुरेंद्र का नाम सामने आया। इसके बाद जब हमने बरेली के डीएम की लिस्ट देखी तो उसमें 21 जनवरी, 2017 से 27 अप्रैल, 2017 तक आईएएस सुरेंद्र सिंह की तैनाती दिखी। वहीं, राघवेंद्र विक्रम सिंह भी जुलाई, 2017 से मार्च 2018 तक डीएम रहे। फिलहाल, इन्होंने वीआरएस ले लिया है। इस समय यह आउल वाइज रियल स्टेट कंपनी चला रहे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के शकील कुरैशी से पूछताछ में इनके नाम का भी जिक्र है। हालांकि, दोनों अफसरों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी।
Ramen Deka: कौन हैं छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल रामेन डेका? लोकसभा अध्यक्ष के पैनल में रह चुके हैं शामिल
Ramen Deka: कौन हैं छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल रामेन डेका? लोकसभा अध्यक्ष के पैनल में रह चुके हैं शामिल <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News:</strong> देश की राष्ट्रपति <a title=”द्रौपदी मुर्मू” href=”https://www.abplive.com/topic/droupadi-murmu” data-type=”interlinkingkeywords”>द्रौपदी मुर्मू</a> ने शनिवार को 10 राज्यों के राज्यपालों की नई नियुक्ति की है. असम,पंजाब, झारखंड,राजस्थान, तेलंगाना, सिक्किम, छत्तीसगढ़,मेघालय में नए राज्यपालों की नियुक्ति की गई है. बात करें छतीसगढ़ की तो यहां विश्व भूषण हरिचंदन की जगह रामेन डेका को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया है. वहीं छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रहे विश्व भूषण हरिचंदन को फिलहाल किसी भी राज्य का प्रभार नहीं मिला है. उन्हें 23 फरवरी 2023 को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कौन है रामेन डेका?</strong><br />रामेन डेका का जन्म 1 मार्च 1954 को हुआ था. 70 वर्षीय रमन डेका अभी वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव हैं. असम के रहने वाले रामेन डेका की गिनती बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में होती है. वे 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं. वे दो बार बीजेपी की टिकट पर सांसद बन चुके हैं. 2009 में वे पहली बार असम की मंगलदोई सीट से सांसद चुने गए थे. इसके बाद 2014 में दोबारा सांसद बने.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वे लोकसभा में अध्यक्षों के पैनल के सदस्य भी थे. साथ ही डेका परामर्श समिति के सदस्य, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे. साथ ही वे विदेश मंत्रालय और विदेश एवं प्रवासी भारतीय मामलों के सदस्य भी रहे. 2006 में रमन डेका असम बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके है. राष्ट्रीय स्तर पर भी वे कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. राजनीति के साथ-साथ वे सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में भी रूचि रखते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन राज्यों के भी बदले राज्यपाल</strong><br />छत्तीसगढ़ के अलावा असम के राज्यपाल को भी बदला गया है लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को असम का राज्यपाल बनाया गया है साथ ही उन्हें मणिपुर का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है. वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है. झारखंड के राज्यपाल रहे सीपी राधाकृष्णन को अब महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है. इसी तरह पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की जगह गुलाब चंद कटारिया को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”बस्तर की देसी बिरयानी ‘चाउर भाजा’ के लिए शाम में उमड़ती है भीड़, टेस्ट के दीवाने हैं लोग” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/bastar-unique-dish-chaur-bhaja-called-desi-biryani-local-and-tourists-crazy-about-taste-ann-2747463″ target=”_blank” rel=”noopener”>बस्तर की देसी बिरयानी ‘चाउर भाजा’ के लिए शाम में उमड़ती है भीड़, टेस्ट के दीवाने हैं लोग</a></strong></p>
करनाल से संदिग्ध परिस्थितियों में युवक लापता:हरिद्वार कांवड़ लेने गया था, आखिरी बार 17 जुलाई को हुई थी पत्नी से बात
करनाल से संदिग्ध परिस्थितियों में युवक लापता:हरिद्वार कांवड़ लेने गया था, आखिरी बार 17 जुलाई को हुई थी पत्नी से बात हरियाणा के करनाल के नीलोखेड़ी स्थित डाबरथला गांव का एक व्यक्ति संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गया है। व्यक्ति कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा। इस घटना से परिजनों की चिंता बढ़ गई और उन्होंने मामले की शिकायत बुटाना थाना पुलिस को दी है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता रामेश्वर ने नीलोखेड़ी थाने में अपने 37 वर्षीय बेटे प्रदीप के रहस्यमय ढंग से लापता होने की शिकायत दर्ज कराई है। प्रदीप 16 जुलाई 2024 को सुबह 10 बजे बिना बताए घर से निकल गया और अभी तक वापस नहीं लौटा है। रामेश्वर ने बताया कि प्रदीप ने आखिरी बार 17 जुलाई को अपनी पत्नी से बात की थी। उसके बाद से प्रदीप का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। कांवड़ लेने गया था हरिद्वार परिवार का मानना था कि प्रदीप हरिद्वार कांवड़ लेने गया है, लेकिन उसके अब तक वापस न लौटने से परिजन बेहद चिंतित हैं। प्रदीप का हुलिया सावला रंग, गोल चेहरा, मजबूत शरीर और कद 5.7 फीट है। वह ब्लैक लोअर, ब्लैक टी-शर्ट और सफेद जूते पहने हुए था। रामेश्वर ने अपने बेटे की तलाश में मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि हमने प्रदीप की हर संभव जगह तलाश की है, लेकिन अब तक उसका कोई पता नहीं चल पाया है। उन्होंने प्रदीप के मोबाइल नंबर पर भी कॉल किया लेकिन वह नहीं मिला। पुलिस जुटी तलाश में बुटाना थाना के हेड कांस्टेबल अमरीक सिंह ने रामेश्वर की दरखास्त पर तत्काल कार्रवाई की। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है अमरीक सिंह ने बताया कि प्रदीप की तलाश जारी है और मामले की तफ्तीश में पुलिस टीम पूरी तत्परता से जुटी हुई है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वे प्रदीप को जल्द से जल्द खोजने का हर संभव प्रयास करेंगे।