हिमाचल के क़ुल्लू की पीज पैराग्लाइडिंग साइट से एक बड़ा हादसा होते हुए टल गया है। यहां एक पैराग्लाइडर अपनी दिशा भटक गया, जिस कारण वह बस्ती की और चला गया और एक मकान की छत पर लैंडिंग की। जिस कारण पॉयलट और पर्यटक की जान बच गई है। दरअसल, पीज की पैराग्लाइडिंग साइट से एक पैराग्लाइडर ने पर्यटक के साथ उड़ान भरी। जिसे ढालपुर के मैदान में लैंडिंग करनी थी, लेकिन हवा का रुख तेज होने के कारण पैराग्लाइडर दिशा भटक गया और शीशामाटी की और जा घुसा। जिसके चलते यहां एक मकान की छत पर लेंडिंग की, जिस कारण पॉयलट और पर्यटक की जान बच गई है। घटना के दौरान आसपास के लोग एकत्रित हो गए। घटना के बाद पैराग्लाइडर पायलट और अन्य लोगों के पैराग्लाइडर को समेटा और वहां से निकले। उधर, जिला पर्यटन अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे डीटीडीओ मंडी मनोज कुमार का कहना है कि उनकी संज्ञान में मामला नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ है, तो हादसा कैसे हुआ इसका पता किया जाएगा और ऑपरेटर को नोटिस भेजा जाएगा। हिमाचल के क़ुल्लू की पीज पैराग्लाइडिंग साइट से एक बड़ा हादसा होते हुए टल गया है। यहां एक पैराग्लाइडर अपनी दिशा भटक गया, जिस कारण वह बस्ती की और चला गया और एक मकान की छत पर लैंडिंग की। जिस कारण पॉयलट और पर्यटक की जान बच गई है। दरअसल, पीज की पैराग्लाइडिंग साइट से एक पैराग्लाइडर ने पर्यटक के साथ उड़ान भरी। जिसे ढालपुर के मैदान में लैंडिंग करनी थी, लेकिन हवा का रुख तेज होने के कारण पैराग्लाइडर दिशा भटक गया और शीशामाटी की और जा घुसा। जिसके चलते यहां एक मकान की छत पर लेंडिंग की, जिस कारण पॉयलट और पर्यटक की जान बच गई है। घटना के दौरान आसपास के लोग एकत्रित हो गए। घटना के बाद पैराग्लाइडर पायलट और अन्य लोगों के पैराग्लाइडर को समेटा और वहां से निकले। उधर, जिला पर्यटन अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे डीटीडीओ मंडी मनोज कुमार का कहना है कि उनकी संज्ञान में मामला नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ है, तो हादसा कैसे हुआ इसका पता किया जाएगा और ऑपरेटर को नोटिस भेजा जाएगा। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी के पराशर में ऋषि पंचमी मेला शुरू:रात्रि को होगा जागहोम; अंगारों के बीच गुर करेंगे दैवीय शक्ति का प्रदर्शन
मंडी के पराशर में ऋषि पंचमी मेला शुरू:रात्रि को होगा जागहोम; अंगारों के बीच गुर करेंगे दैवीय शक्ति का प्रदर्शन मंडी के विख्यात पर्यटन एवं धार्मिक स्थल पराशर ऋषि मंदिर में ऋषि पंचमी के अवसर पर दो दिवसीय मेला रविवार को धूमधाम से शुरू हो गया। मेले में शामिल होने के लिए स्नोर घाटी के आराध्य देव वरनाग ऋषि और देव गणपति भटवाड़ी भी लाव लश्कर सहित निकल पड़े हैं। जबकि देवता पराशर ऋषि का खारा मुख्य मंदिर बांधी से पराशर के लिए निकल चुका है। सभी देवता दोपहर बाद पराशर घाटी पहुंचेंगे। जहां भव्य देव मिलन होगा। इसके बाद विधिवत रूप से मेले की शुरुआत होगी। ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर तीनों देवता पवित्र पराशर झील की परिक्रमा करते हुए डुबकी लगाएंगे। रात्रि में होगा जागहोम का आयोजन रात्रि को मंदिर में जागहोम का आयोजन होगा। जहां देव वरनाग ऋषि और गणपति के गुर आग के दहकते अंगारों के बीच देवखेल करते हुए दैवीय शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। साथ ही क्षेत्र की सुख, समृद्धि और खुशहाली को लेकर रक्षा कवच भी बांधेंगे। श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन ने चलाई दो बसें रात्रि जागरण को लेकर स्नोर, बदार और उत्तरशाल के साथ-साथ कुल्लू जिले से हजारों श्रद्धालु भी यहां पहुंचेंगे। जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को यातायात सुविधा को लेकर निगम की दो बसें यहां आज चलाई गई हैं। सोमवार को देवी-देवताओं की रवानगी के साथ ही मेला संपन्न होगा। आराध्य देव पराशर ऋषि के भंडारी अमर चंद, देव वरनाग के गुर नितिन ठाकुर और देव गणपति के गुर ईश्वर दास जागहोम में मुख्य भूमिका निभाएंगे। यह है ऋषि पराशर मंदिर का इतिहास.. देवभूमि हिमाचल सदियों से ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। ऋषि-मुनियों की तपस्या के कारण ही यहां कई धार्मिक स्थल हैं। इनमें से एक तपोस्थल मंडी में ऋषि पराशर का भी है। जिसे अब पराशर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि ऋषि पराशर अपने अध्यात्म के लिए उचित स्थान तलाश रहे थे। पहले उन्होंने ब्यास नदी के तट पर भ्यूली नामक स्थान पर तपस्या करनी चाही, लेकिन स्थान उपयुक्त नहीं होने से वे स्थान छोड़ गांव नसलोह पहुंचे। वहां के शांत वातावरण में तपस्या करनी चाही, लेकिन वहां भी उनकी तपस्या में विघ्न पड़ने से ऋषि वहां से उठकर आगे चल पड़े। कहा जाता है कि जहां ऋषि तपस्या करने बैठते, पहले वहां पानी निकालते थे। नसलोह गांव से निकलकर ऋषि उस स्थान पर पहुंचे, जिसे अब पराशर कहते हैं। जहां ऋषि ने एक स्थान पर बैठ कर अपना चिमटा मारा, वहां जमीन से पानी निकला, धीरे-धीरे वह पानी बढ़ता गया और झील का रूप धारण कर लिया। इसी तपस्या स्थल पर बाद में मंदिर निर्माण किया गया। मंदिर बनाने में लगे 12 वर्ष जनश्रुति अनुसार पराशर ऋषि मंदिर को बनाने में 12 वर्ष लगे हैं। यह मंदिर देवदार के एक विशाल वृक्ष से ही तैयार हुआ है। यह मंदिर तीन मंजिला है और पैगोड़ा शैली में बना है। पराशर मंदिर और झील समुद्र तल से 9,000 फीट की ऊंचाई पर हैं। यह स्थान मंडी से 48 किलोमीटर दूर है। पराशर ऋषि का दूसरा मुख्य मंदिर बांधी में स्थित है।
HRTC कंडक्टर की बड़ी लापरवाही:भैया दूज पर महिलाओं का काट दिया टिकट; MD बोले- दोषियों के खिलाफ करेंगे कार्रवाई
HRTC कंडक्टर की बड़ी लापरवाही:भैया दूज पर महिलाओं का काट दिया टिकट; MD बोले- दोषियों के खिलाफ करेंगे कार्रवाई शिमला में सरकारी उपक्रम HRTC (हिमाचल पथ परिवहन निगम) बस कंडक्टर की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आई है। कंडक्टर ने भैया दूज पर महिला यात्रियों से किराया वसूल लिया, जबकि हिमाचल सरकार ने रक्षा बंधन और भैया दूज पर महिलाओं को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दे रखी है। HRTC प्रबंधन ने इस पर कंडा संज्ञान लिया है। आज उसे नोटिस जारी कर इसकी जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। आरोप है कि सोलन डिपो की शिमला से पुलवाहल रूट पर जा रही बस के चालक ने महिला यात्रियों के बोलने के बावजूद उनसे किराया वसूल लिया। शिमला के चलौंठी में बस से उतरी महिला विद्या देवी के अनुसार, वह और उसकी बेटी बीते रविवार सुबह सरी पुलवाहल बस में शिमला के लिए आए। कंडक्टर ने मां-बेटी दोनों का 202 रुपए किराया वसूल लिया। विद्या देवी ने बताया, उन्होंने कंडक्टर को बताया कि आज भैया दूज है। आज के दिन महिलाओं की यात्रा निशुल्क है। इस पर कंडक्टर ने जवाब दिया उन्हें अभी ऐसी कोई अधिसूचना नहीं मिली है। फिर महिला ने कहा, आप अपने उच्च अधिकारियों से इस बारे बात कीजिए। मगर कंडक्टर नहीं माना और उसने मां-बेटी का पूरा किराया काट दिया। महिला ने आरोप लगाया कि कंडस्कटर ने बस में बैठी दूसरी महिलाओं का भी किराया काटा है। ठियोग पहुंचने के बाद कंडक्टर ने महिलाओं से किराया लेना बंद किया। लापरवाह कंडक्टर के खिलाफ लेंगे एक्शन: एमडी HRTC के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि भैया दू पर महिला से किराया लेना गलत है। इसमें लापरवाह कर्मचारियों व अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और दोषी पर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि हिमाचल में भैया दूज और रक्षा बंधन दो ऐसे पर्व है, जिस दिन महिलाओं को प्रदेश में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई है। इस दिन सरकारी बसों में महिलाओं से किराया नहीं लिया जाता है। इसलिए कंडक्टर के रवैये को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं।
हिमाचल के मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब:8.50 लाख श्रद्धालु नवा चुके शीश, आज भी सुबह 4 बजे से मंदिरों में लंबी-लंबी कतारे
हिमाचल के मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब:8.50 लाख श्रद्धालु नवा चुके शीश, आज भी सुबह 4 बजे से मंदिरों में लंबी-लंबी कतारे हिमाचल के मंदिरों में नवरात्र पर आस्था का सैलाब उमड़ आया है। शारदीय नवरात्र पर 5 शक्तिपीठों समेत 10 बड़े मंदिरों में 8.50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अपना शीश नवा चुके हैं। आज व कल श्रद्धालुओं की संख्या में और इजाफा होगा। मां के मंदिरों में सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी लंबी लाइनें लगी हुई है। श्रद्धालु लाइनों में लगकर पूजा के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। हिमाचल के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में धार्मिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शिमला के कालीबाड़ी में पश्चिम बंगाल से भी काफी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इससे देवभूमि हिमाचल में मां के सभी मंदिरों में एक हफ्ते से उत्सव जैसा माहौल है। इन मंदिरों में ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ बिलासपुर के नयना देवी मंदिर, कांगड़ा के ज्वालाजी मंदिर, सिरमौर के माता बाला सुंदरी मंदिर, कांगड़ा के ब्रजेश्वरी, चामुंडा देवी और ऊना के चिंतपूर्णी मंदिर में उमड़ा है। प्रदेश के सभी शक्तिपीठों और मंदिरों को नवरात्र के लिए आकर्षक ढंग से सजाया गया है। क्यों मशहूर है हिमाचल के शक्तिपीठ… नैना देवी में गिरे थे माता सती के नेत्र बिलासपुर जिला स्थित मां नैना देवी का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां माता सती की आंख गिरी थी। इसके बाद से यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। यहां पर भी सालभर भक्तों का आना लगा रहता है। ज्वालाजी 51 शक्तिपीठों में से 1 शक्ति पीठ कांगड़ा स्थित मां ज्वालाजी का मंदिर भी देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां भगवती सती की जीभ भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कट कर गिरी थी। मंदिर में भगवती के दर्शन नवज्योति रूपों में होते हैं। उत्तर भारत की प्रसिद्ध नौ देवियों के दर्शन के दौरान चौथा दर्शन मां ज्वाला जी का ही होता है। मां चिंतपूर्णी मंदिर में गिरे थे मां के पांव ऊना के मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक मां चिंतपूर्णी का मंदिर छिन्नमस्तिका के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां मां सती के पांव गिरे थे। माता चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट में नवरात्र पर दर्शनों के लिए पर्ची सिस्टम लागू रहेगा। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट ने काउंटर स्थापित किए हैं। चामुंडा मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हिमाचल की एक और मशहूर शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी का मंदिर कांगड़ा के पालमपुर में स्थित है। यह मंदिर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में काफी विकसित है। नवरात्र पर यहां विशेष पूजा की जाती है। सुबह के समय यहां सप्तचंडी का पाठ किया जाता है। बृजेश्वरी मंदिर में गिरा था मां सती का बायां वक्षस्थल बृजेश्वरी देवी मंदिर को कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भी सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र पर्व पर यहां मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां मां सती का बांया वक्ष गिरा था, इसलिए यह स्थान मां बृजेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इन मंदिरों में भक्त खुले दिल से चढ़ावा चढ़ाते हैं। भले ही सोना-चांदी की कीमतें आसमान छू रही हों। कालीबाड़ी मंदिर में भी खास इंतजाम शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर में भी नवरात्र के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। यहां न केवल स्थानीय लोग बल्कि देशभर से आने वाले धार्मिक पर्यटक नवरात्रि पर पूजा करने पहुंचते हैं। खासकर पश्चिम बंगाल के पर्यटक कालीबाड़ी में नवरात्रि पर पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्र पर सभी शक्तिपीठों व मां के मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था के भी खास इंतजाम किए गए है। सभी मंदिरों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है। यही नहीं सभी शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए अतिरिक्त बसे चलाई गई है।