एयर-इंडिया 182 की 39वीं बरसी:आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि देने इकट्‌ठा हुए लोग; कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थकों ने डाला खलल

एयर-इंडिया 182 की 39वीं बरसी:आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि देने इकट्‌ठा हुए लोग; कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थकों ने डाला खलल

पंजाब में आतंकवाद के दौर में खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा की तरफ से बम से उड़ाए गए एयर-इंडिया फ्लाइट 182 की रविवार 39वीं बरसी रही। कनाडा के होलोकॉस्ट स्मारक पर लोग श्रद्धांजिल देने पहुंचे। लेकिन खालिस्तान समर्थकों ने यहां आकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्मारक पर एकत्रित भारतीय व कनाडाइयों की तरफ से विरोध के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा। मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां उनके पारिवारिक सदस्य व कुछ सामाजिक संगठन पहुंचे थे। लेकिन खालिस्तानी समर्थक यहां पहुंच गए और आतंकी निज्जर की तस्वीरों के साथ भारत के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोगों के कहने पर भी स्थानीय पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों को वहां से खदेड़ने का प्रयास नहीं किया। जिसके बाद माहौल गर्मा गया।ये देख श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे कनाडाई व भारतीय भड़क गए। उन्होंने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और अंत में खालिस्तान समर्थकों को वहां से जाना पड़ा। एकता व एकजुटता के लिए एकत्रित हुए लोग श्रद्धांजिल देने पहुंचे लोगों ने कहा- हमें कनाडा के इतिहास का सबसे भयानक आतंकवादी हमला याद है। 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 पर हुए बम विस्फोट में 329 निर्दोष लोगों की जान चली गई। हम अपनी एकता और एकजुटता दिखाने के लिए क्वींस पार्क स्मारक के सामने एकत्र हुए। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। ईरान में इस्लामी शासन ने उड़ान PS752 के साथ भी ऐसा ही किया है। कनाडा को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना होगा। क्या हुआ था 23 जून 1985 को एयर इंडिया फ्लाइट 182 मॉन्ट्रियल – लंदन – दिल्ली – बॉम्बे के बीच चलती थी। 23 जून 1985 को ये फ्लाइट अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भर रही थी। इसमें अचानक बम ब्लास्ट हुआ, जिसे बब्बर खालसा के कनाडाई खालिस्तान आतंकियों द्वारा किया गया। मॉन्ट्रियल से लंदन के रास्ते में 31,000 फीट की ऊंचाई पर हुए हमले के बाद विमान व मृतकों के अवशेष आयरलैंड के तट से लगभग 190 किलोमीटर दूर समुद्र में गिरे। फ्लाइट में सवार 329 लोग मारे गए। इनमें 268 कनाडाई, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक थो। बब्बर खालसा ने इसकी जिम्मेदारी ली। इस मामले में कुछ लोगों को ही गिरफ्तार किया गया। लेकिन मुकदमे के बाद एकमात्र व्यक्ति इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया। जिसे पंद्रह साल जेल की सजा सुनाई गई थी। पंजाब में आतंकवाद के दौर में खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा की तरफ से बम से उड़ाए गए एयर-इंडिया फ्लाइट 182 की रविवार 39वीं बरसी रही। कनाडा के होलोकॉस्ट स्मारक पर लोग श्रद्धांजिल देने पहुंचे। लेकिन खालिस्तान समर्थकों ने यहां आकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्मारक पर एकत्रित भारतीय व कनाडाइयों की तरफ से विरोध के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा। मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां उनके पारिवारिक सदस्य व कुछ सामाजिक संगठन पहुंचे थे। लेकिन खालिस्तानी समर्थक यहां पहुंच गए और आतंकी निज्जर की तस्वीरों के साथ भारत के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोगों के कहने पर भी स्थानीय पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों को वहां से खदेड़ने का प्रयास नहीं किया। जिसके बाद माहौल गर्मा गया।ये देख श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे कनाडाई व भारतीय भड़क गए। उन्होंने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और अंत में खालिस्तान समर्थकों को वहां से जाना पड़ा। एकता व एकजुटता के लिए एकत्रित हुए लोग श्रद्धांजिल देने पहुंचे लोगों ने कहा- हमें कनाडा के इतिहास का सबसे भयानक आतंकवादी हमला याद है। 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 पर हुए बम विस्फोट में 329 निर्दोष लोगों की जान चली गई। हम अपनी एकता और एकजुटता दिखाने के लिए क्वींस पार्क स्मारक के सामने एकत्र हुए। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। ईरान में इस्लामी शासन ने उड़ान PS752 के साथ भी ऐसा ही किया है। कनाडा को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना होगा। क्या हुआ था 23 जून 1985 को एयर इंडिया फ्लाइट 182 मॉन्ट्रियल – लंदन – दिल्ली – बॉम्बे के बीच चलती थी। 23 जून 1985 को ये फ्लाइट अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भर रही थी। इसमें अचानक बम ब्लास्ट हुआ, जिसे बब्बर खालसा के कनाडाई खालिस्तान आतंकियों द्वारा किया गया। मॉन्ट्रियल से लंदन के रास्ते में 31,000 फीट की ऊंचाई पर हुए हमले के बाद विमान व मृतकों के अवशेष आयरलैंड के तट से लगभग 190 किलोमीटर दूर समुद्र में गिरे। फ्लाइट में सवार 329 लोग मारे गए। इनमें 268 कनाडाई, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक थो। बब्बर खालसा ने इसकी जिम्मेदारी ली। इस मामले में कुछ लोगों को ही गिरफ्तार किया गया। लेकिन मुकदमे के बाद एकमात्र व्यक्ति इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया। जिसे पंद्रह साल जेल की सजा सुनाई गई थी।   पंजाब | दैनिक भास्कर