हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) तीसरी बार सत्ता तक पहुंचना चाहती है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को 3 महीने का समय बचा है। ऐसे में भाजपा जल्द ही चुनावी शंखनाद फूंकने वाली है। अबकी बार हरियाणा में चुनाव जीतने की रणनीति गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथों में ले ली है। वह 29 जून को हरियाणा के कुरूक्षेत्र आ रहे हैं। कुरूक्षेत्र में वह भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक लेंगे। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित प्रदेश भाजपा की कोर टीम के सदस्य ओपी धनखड़, सुधा यादव, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और रामबिलास शर्मा मौजूद रहेंगे। इसके साथ-साथ हरियाणा के सभी मंत्री, विधायक और सांसद बैठक में भाग लेंगे। इतना ही नहीं करीब 2500 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता इस बैठक में हिस्सा लेंगे। हरियाणा में तीसरी बाद सत्ता तक पहुंचना चाहती है भाजपा हरियाणा में 2014 से ही भाजपा की सरकार है। केंद्र में 2014 को नरेंद्र मोदी के सामान्तर ही हरियाणा में खट्टर सरकार बनी थी। 2019 में भी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और भाजपा जजपा के सहयोग से सत्ता तक पहुंची। मगर अबकी बार खट्टर सांसद का चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन गए हैं और उनकी जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बन गए। ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं है। खट्टर के जाने के बाद भाजपा के पास प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसलिए चुनाव के रण में उतरने से पहले अमित शाह कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे। भाजपा की राह आसान नहीं 2019 में जहां भाजपा ने लोकसभा में हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीती थीं वहीं बार इस बार लोकसभा में भाजपा 5 सीटें कांग्रेस से हार गई। कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मजबूत बनकर उभरी है और हरियाणा की 90 विधानसभा में से कांग्रेस ने गठबंधन में रहते हुए 46 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाकर उभरी वहीं भाजपा 42 विधानसभा सीटों पर आगे रही। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार मुकाबला टफ है। इन कारणों से भाजपा के सामने कड़ी चुनौती 1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों वर्गों को साधने की है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं। अब यहां पढ़िए लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 11.06% वोट शेयर घटा हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं। जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर देखें तो इस चुनाव में 43.73% वोट शेयर लेकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 28.42% वोट शेयर मिला था। 5 साल में कांग्रेस के वोट शेयर में 15.31% वोट शेयर की बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व सीटों पर BJP का बुरा हाल हरियाणा में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। इनमें से मात्र 4 सीटों पर ही BJP को जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस को 11, आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए भी बेहतर नतीजे आए हैं। AAP ने 2 सीटों पर लीड ली है। ये दोनों आरक्षित सीटें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में आती हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेस ने मुलाना, सढौरा, खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, रतिया, नरवाना और होडल सीटें जीती हैं। AAP ने शाहाबाद और गुहला चीका, जबकि BJP ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी और बावल सीटें जीती हैं। इन मंत्रियों के गढ़ में पिछड़ी पार्टी भाजपा विधायकों के अंबाला शहर से असीम गोयल (परिवहन मंत्री), जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर (कृषि मंत्री), पिहोवा से संदीप सिंह (पूर्व खेल मंत्री), कलायत से कमलेश ढांडा (पूर्व मंत्री), आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि (राज्य मंत्री), फतेहाबाद से दूडाराम, रतिया से लक्ष्मण नापा, लोहारू से जेपी दलाल (कृषि मंत्री), कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश नागर के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई। विधानसभा चुनाव में पुराने फॉर्मूले पर लौटेगी BJP… माइक्रो मैनेजमेंट पर करेगी फोकस विधानसभा चुनाव में हरियाणा भाजपा ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ के फॉर्मूले पर चलेगी और बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता के घर तक पहुंचेगी। यानी इस बार भाजपा हरियाणा जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। विपक्ष के लिए ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया जाएगा, जिसे भेदना आसान नहीं होगा। भाजपा ने अपने पहले कार्यक्रम में ही संकेत दिए हैं कि इस बार किसी भी दूसरे दल के लिए भाजपा को टक्कर देना इतना आसान नहीं होगा। जिस तरह केंद्रीय नेताओं ने हर कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री कहा है, उससे साफ है कि इस बार विधानसभा चुनाव में हर कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। कार्यकर्ताओं को मिलेगी तवज्जो रविवार को हरियाणा दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि नेता में जो भी कमी हो, वह कमी कार्यकर्ता बताएंगे। कार्यकर्ता के कहने पर फीडबैक लेने के बाद उस कमी को ठीक किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर बड़ा बदलाव करने से भी भाजपा पीछे नही हटेगी। इसका सीधा-सीधा मतलब ये है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा लंगर-लंगोट कसकर मैदान में उतर चुकी है। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मिले फीडबैक के बाद हरियाणा भाजपा में बड़े बदलाव होने तय माने जा रहे हैं। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) तीसरी बार सत्ता तक पहुंचना चाहती है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को 3 महीने का समय बचा है। ऐसे में भाजपा जल्द ही चुनावी शंखनाद फूंकने वाली है। अबकी बार हरियाणा में चुनाव जीतने की रणनीति गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथों में ले ली है। वह 29 जून को हरियाणा के कुरूक्षेत्र आ रहे हैं। कुरूक्षेत्र में वह भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक लेंगे। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित प्रदेश भाजपा की कोर टीम के सदस्य ओपी धनखड़, सुधा यादव, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और रामबिलास शर्मा मौजूद रहेंगे। इसके साथ-साथ हरियाणा के सभी मंत्री, विधायक और सांसद बैठक में भाग लेंगे। इतना ही नहीं करीब 2500 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता इस बैठक में हिस्सा लेंगे। हरियाणा में तीसरी बाद सत्ता तक पहुंचना चाहती है भाजपा हरियाणा में 2014 से ही भाजपा की सरकार है। केंद्र में 2014 को नरेंद्र मोदी के सामान्तर ही हरियाणा में खट्टर सरकार बनी थी। 2019 में भी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और भाजपा जजपा के सहयोग से सत्ता तक पहुंची। मगर अबकी बार खट्टर सांसद का चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन गए हैं और उनकी जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बन गए। ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं है। खट्टर के जाने के बाद भाजपा के पास प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसलिए चुनाव के रण में उतरने से पहले अमित शाह कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे। भाजपा की राह आसान नहीं 2019 में जहां भाजपा ने लोकसभा में हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीती थीं वहीं बार इस बार लोकसभा में भाजपा 5 सीटें कांग्रेस से हार गई। कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मजबूत बनकर उभरी है और हरियाणा की 90 विधानसभा में से कांग्रेस ने गठबंधन में रहते हुए 46 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाकर उभरी वहीं भाजपा 42 विधानसभा सीटों पर आगे रही। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार मुकाबला टफ है। इन कारणों से भाजपा के सामने कड़ी चुनौती 1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों वर्गों को साधने की है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं। अब यहां पढ़िए लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 11.06% वोट शेयर घटा हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं। जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर देखें तो इस चुनाव में 43.73% वोट शेयर लेकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 28.42% वोट शेयर मिला था। 5 साल में कांग्रेस के वोट शेयर में 15.31% वोट शेयर की बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व सीटों पर BJP का बुरा हाल हरियाणा में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। इनमें से मात्र 4 सीटों पर ही BJP को जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस को 11, आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए भी बेहतर नतीजे आए हैं। AAP ने 2 सीटों पर लीड ली है। ये दोनों आरक्षित सीटें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में आती हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेस ने मुलाना, सढौरा, खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, रतिया, नरवाना और होडल सीटें जीती हैं। AAP ने शाहाबाद और गुहला चीका, जबकि BJP ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी और बावल सीटें जीती हैं। इन मंत्रियों के गढ़ में पिछड़ी पार्टी भाजपा विधायकों के अंबाला शहर से असीम गोयल (परिवहन मंत्री), जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर (कृषि मंत्री), पिहोवा से संदीप सिंह (पूर्व खेल मंत्री), कलायत से कमलेश ढांडा (पूर्व मंत्री), आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि (राज्य मंत्री), फतेहाबाद से दूडाराम, रतिया से लक्ष्मण नापा, लोहारू से जेपी दलाल (कृषि मंत्री), कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश नागर के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई। विधानसभा चुनाव में पुराने फॉर्मूले पर लौटेगी BJP… माइक्रो मैनेजमेंट पर करेगी फोकस विधानसभा चुनाव में हरियाणा भाजपा ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ के फॉर्मूले पर चलेगी और बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता के घर तक पहुंचेगी। यानी इस बार भाजपा हरियाणा जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। विपक्ष के लिए ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया जाएगा, जिसे भेदना आसान नहीं होगा। भाजपा ने अपने पहले कार्यक्रम में ही संकेत दिए हैं कि इस बार किसी भी दूसरे दल के लिए भाजपा को टक्कर देना इतना आसान नहीं होगा। जिस तरह केंद्रीय नेताओं ने हर कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री कहा है, उससे साफ है कि इस बार विधानसभा चुनाव में हर कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। कार्यकर्ताओं को मिलेगी तवज्जो रविवार को हरियाणा दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि नेता में जो भी कमी हो, वह कमी कार्यकर्ता बताएंगे। कार्यकर्ता के कहने पर फीडबैक लेने के बाद उस कमी को ठीक किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर बड़ा बदलाव करने से भी भाजपा पीछे नही हटेगी। इसका सीधा-सीधा मतलब ये है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा लंगर-लंगोट कसकर मैदान में उतर चुकी है। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मिले फीडबैक के बाद हरियाणा भाजपा में बड़े बदलाव होने तय माने जा रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में पोस्टल बैलेट गिनती पर ECI की कड़ी नजर:10 स्कैनर पर एक RO लगाया; ECI ने मॉनिटरिंग के लिए ऑब्जर्वर लगाए हरियाणा में लोकसभा आम चुनाव (2024) के लिए मतगणना 4 जून यानी कल सुबह 8 बजे शुरू होगी। इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। काउंटिंग के लिए सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए 90 काउंटिंग सेंटर बनाए गए हैं। करनाल विधानसभा उप चुनाव के लिए अलग से काउंटिंग सेंटर बनाए गए हैं। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने काउंटिंग की मॉनिटरिंग के लिए सभी काउंटिंग सेंटरों पर ऑब्जर्वर की नियुक्ति की है। इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) व पोस्टल बैलट की काउंटिंग के लिए रिटर्निंग ऑफिसर (RO) को लगाया गया है। इनकी गिनती के लिए हर 10 स्कैनर पर एक सहायक आरओ की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा, हर काउंटिंग टेबल पर अलग से असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर (ARO) तैनात किया गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) अनुराग अग्रवाल ने बताया कि काउंटिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। काउंटिंग का LIVE रिजल्ट दिखेगा सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी काउंटिंग सेंटरों पर हाई क्वालिटी वाली 100 मेगा बाइट पर सेकेंड (MBPS) की कम से कम 2 लीज लाइन की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रदेश में 10 लोकसभा क्षेत्रों तथा करनाल विधानसभा (21) उप चुनाव के लिए 44 स्थानों पर मतगणना केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों में ईटीपीबीएस व पोस्टल बैलेट स्केनिंग के लिए 237 स्केनिंग टेबल लगाई जाएंगी। एक टेबल पर 500 पोस्टल बैलेट की गणना की जाएगी। मतगणना के लिए एक सहायक रिटर्निंग अधिकारी, एक काउंटिंग सुपरवाइजर, 2 काउंटिंग सहायक तथा एक माइक्रो ऑब्जर्वर डयूटी पर रहेंगे। हरियाणा 1 लाख 11 हजार 58 सर्विस वोटर हरियाणा में सर्विस मतदाताओं की कुल संख्या 1 लाख 11 हजार 58 है। इसके तहत सर्विस वोटर मतगणना ड्यूटी पर तैनात मतदाता व अन्य कर्मचारी तथा गैरहाजिर मतदाता की गणना की जाती है। इसलिए अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। हरियाणा CEO अनुराग अग्रवाल की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि पोस्टल बैलेट एक अति महत्वपूर्ण दस्तावेज है। EVM-पोस्टल बैलेट की नहीं खिचेगा फोटो हरियाणा में मतगणना केंद्र का पूरा कंट्रोल ARO के पास रहेगा। उसकी अनुमति के बिना कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति मतगणना केंद्र में प्रवेश नहीं कर सकेगा। ईवीएम व पोस्टल बैलेट की गणना की कोई भी व्यक्ति फोटो नहीं खींच सकता। स्ट्रॉंग रूम से जब ईवीएम मतगणना हॉल में ले जाई जाती है तो उसकी वीडियोग्राफी करवाई जाए और स्ट्रॉंग रूम से हॉल तक पूरी तरह बैरिकेडिंग होगी। उम्मीदवार को भी इस बात की जानकारी होनी चाहिए और उसका चुनाव एजेंट या वे स्वयं इस प्रक्रिया को देख सकते हैं। यहां पढ़िए किस लोकसभा कितने वोट पड़े… अंबाला (01) लोकसभा यहां 13 लाख 44 हजार 503 वोट पड़े। यहां मतदान प्रतिशत 67.43 दर्ज किया गया, जिनमें 7 लाख 23 हजार 622 पुरुष तथा 6 लाख 20 हजार 875 महिला और 6 अन्य श्रेणी के मतदाता शामिल हैं। जबकि अंबाला में मतदाताओं की कुल संख्या 19 लाख 96 हजार 708 है। कुरुक्षेत्र (02) लोकसभा इस लोकसभा में मतदान प्रतिशत 67.01 रहा, जिनमें 6 लाख 36 हजार 532 पुरुष, 5 लाख 65 हजार 857 महिला तथा 12 अन्य श्रेणी के मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। जबकि यहां कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 94 हजार 300 थी। सिरसा (03) लोकसभा यहां सबसे अधिक 69.77 वोट पड़े। इसमें 13 लाख 51 हजार 932 लोगों ने वोट डाले। जिनमें 7 लाख 29 हजार 125 पुरुष, 6 लाख 22 हजार 786 महिला तथा 21 अन्य श्रेणी के मतदाता शामिल हैं। जबकि सिरसा में कुल वोटर 19 लाख 37 हजार 689 हैं। हिसार (04) लोकसभा यहां मतदान प्रतिशत 65.27 रहा, जिनमें 6 लाख 36 हजार 644 पुरुष तथा 5 लाख 32 हजार 137 महिला मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। हिसार में 11 लाख 68 हजार 784 वोट पड़े। जबकि मतदाताओं की कुल संख्या 17 लाख 90 हजार 722 हैं। करनाल (05) लोकसभा यहां कुल संख्या 21 लाख 4 हजार 229 वोटर हैं, जिनमें से 13 लाख 41 हजार 174 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान प्रतिशत 63.74 रहा। करनाल में 7 लाख 21 हजार 745 पुरुष व 6 लाख 19 हजार 410 महिला मतदाताओं ने वोट किया। सोनीपत (06) लोकसभा यहां मतदान प्रतिशत 63.44 दर्ज हुआ और कुल 11 लाख 20 हजार 791 मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया, जिनमें 6 लाख 10 हजार 295 पुरुष, 5 लाख 10 हजार 488 महिला तथा 8 अन्य श्रेणी के मतदाता शामिल हैं। जबकि यहां मतदाताओं की कुल संख्या 17 लाख 66 हजार 624 थी। रोहतक (07) लोकसभा यहां 12 लाख 41 हजार 201 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया, जिनमें 6 लाख 68 हजार 815 पुरुष, 5 लाख 72 हजार 384 महिला व अन्य श्रेणी के दो मतदाता शामिल हैं। यहां मतदान प्रतिशत 65.68 रहा। जबकि यहां मतदाताओं की कुल संख्या 18 लाख 89 हजार 844 थी। भिवानी-महेंद्रगढ़ (08) लोकसभा यहां मतदान प्रतिशत 65.39 रहा और 11 लाख 72 हजार 526 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया, जिनमें 6 लाख 27 हजार 622 पुरुष, 5 लाख 44 हजार 903 महिला तथा एक अन्य श्रेणी का मतदाता शामिल है। जबकि यहां पर मतदाताओं की कुल संख्या 17 लाख 93 हजार 29 थी। गुरुग्राम (09) लोकसभा यहां सर्वाधिक 15 लाख 96 हजार 240 मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया, हालांकि यहां मतदान प्रतिशत 62.03 रहा। यहां 8 लाख 58 हजार 499 पुरुष, 7 लाख 37 हजार 734 महिला तथा 7 अन्य श्रेणी के मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया। जबकि यहां पर मतदाताओं की कुल संख्या सर्वाधिक 25 लाख 73 हजार 411 थी। फरीदाबाद (10) लोकसभा लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 24 लाख 30 हजार 212 थी। यहां मतदान प्रतिशत 60.52 रहा। यहां 14 लाख 70 हजार 649 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया, जिनमें 8 लाख 14 हजार 402 पुरुष, 6 लाख 56 हजार 241 महिला तथा 6 अन्य श्रेणी के मतदाता शामिल हैं।
चरखी दादरी में ट्रैक्टर ने बाइक को टक्कर मारी:बेटे की मौत, पति-पत्नी घायल; ओवरटेक करते हुए चपेट में आए
चरखी दादरी में ट्रैक्टर ने बाइक को टक्कर मारी:बेटे की मौत, पति-पत्नी घायल; ओवरटेक करते हुए चपेट में आए हरियाणा के चरखी दादरी में मंगलवार को ट्रैक्टर-ट्रॉली की चपेट में आने से बाइक सवार दंपती घायल हो गए, जबकि उनके बेटे की मौत हो गई। घायल व्यक्ति को रोहतक PGI रेफर किया गया है। हादसा नेशनल हाईवे 334-B पर पांडवान गांव के पास हुआ। पुलिस ने घायल महिला की शिकायत पर अज्ञात ट्रैक्टर ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। द्वारका गांव निवासी मोनिका ने बताया कि मंगलवार को वह पति प्रदीप और 12 साल के बेटे मोहित के साथ बाइक पर सवार होकर किसी काम से चरखी दादरी जा रहे थे। पति प्रदीप बाइक चला रहा था। मोहित बीच और वह पीछे बैठी हुई थी। पांडवान गांव के पास उनके आगे-आगे एक ट्रैक्टर-ट्रॉली चल रहा था। ड्राइवर ने अचानक मोड़ा ट्रैक्टर जब उसके पति ट्रैक्टर को ओवरटेक करने लगे तो ट्रैक्टर चालक ने अपने ट्रैक्टर एक दम से दाहिने घुसा दिया। जिसकी चपेट में आने से वे तीनों बाइक सहित सड़क पर गिर गए। जिससे तीनों को काफी चोटें आई। राहगीरों ने डायल 112 पर घटना की जानकारी दी। जिसके बाद ईआरवी टीम व एंबुलेंस मौके पर पहुंची और उन्हें चरखी दादरी सिविल अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने उसके बेटे मोहित को मृत घोषित कर दिया। उसके पति की गंभीर हालत को देखते हुए रोहतक PGI रेफर कर दिया, जबकि उसका यहीं इलाज चल रहा है।
करनाल में नर्स और जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर:ऑपरेशन और अन्य सेवाएं बाधित, मरीज परेशान, कोलकाता रेप कांड पर भड़के
करनाल में नर्स और जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर:ऑपरेशन और अन्य सेवाएं बाधित, मरीज परेशान, कोलकाता रेप कांड पर भड़के कोलकाता में महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज की नर्सों के बाद अब जूनियर डॉक्टर भी 2 दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण ओटी, ओपीडी, वार्ड, लैब, फील्ड, टीचिंग ड्यूटी समेत अन्य सेवाएं बाधित हुई हैं। मेडिकल कॉलेज में हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि पिछले दिनों कोलकाता के अस्पताल के उस हिस्से में अज्ञात हथियारबंद लोगों ने तोड़फोड़ की, जहां पिछले हफ्ते महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद डॉक्टरों का गुस्सा और बढ़ गया है। सुरक्षा की मांग
डॉक्टर अब संस्थानों और अस्पतालों में सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। डॉक्टर हड़ताल पर हैं और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले असर का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है। सबसे ज्यादा असर ओपीडी और सर्जरी के मरीजों पर पड़ सकता है। क्या है मामला
गौरतलब है कि 9 अगस्त की सुबह कोलकाता मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन की एक युवा पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा के साथ बेरहमी से बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना ने मेडिकल बिरादरी और पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इसके बाद से ही रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं। आईएमए की ओर से देशभर में विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च भी निकाले गए हैं। डॉक्टरों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने अपराध की स्थिति को बहुत खराब तरीके से संभाला और पहले दिन के बाद पुलिस जांच ठप हो गई। जांच सीबीआई को सौंपने की मांग
डॉ. मंदीप व अन्य ने बताया कि 13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अब तक की जांच पर असंतोष जताते हुए राज्य पुलिस से मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य पुलिस अपनी जांच जारी रखती है तो सबूत नष्ट हो सकते हैं। 15 अगस्त को एक बड़ी भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की और अस्पताल के कई हिस्सों को नष्ट कर दिया, जिसमें पीड़िता का शव मिलने वाला क्षेत्र भी शामिल है। प्रदर्शनकारी मेडिकल छात्रों पर भी हमला किया गया। डॉक्टरों की मांगें
1. प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग है कि ऐसे अपराधों की जांच प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और न्याय के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए। 2. ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर की सुरक्षा में अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहने वाले प्रिंसिपल, एमएसवीपी, डीन, पल्मोनरी मेडिसिन के एचओडी, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पुलिस चौकी के एसीपी समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों का इस्तीफा लिया जाए। 3. पीड़िता के शोक संतप्त परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। 4. कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। (जिसमें 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी और पर्याप्त संख्या में पुरुष और महिला सुरक्षा गार्डों की तैनाती शामिल है)।