हरियाणा में विधानसभा चुनाव को महज 3 महीने का ही समय बचा है। चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार खुलकर कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं और अपने आपको दावेदार बता रहे हैं। मगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह ही सर्वे के आधार पर टिकट इस बार देखा। ऐसे में नेताओं ने फिल्ड में रहना शुरू कर दिया है ताकि सर्वे में उनकी रिपोर्ट अच्छी आए। वहीं कुछ नेता ऑनलाइन सर्वे करवाकर खुद को बाकि की तुलना में अधिक असरदार व मजबूत कैंडिडेट बता रहे हैं। खास बात है कि इस बार कांग्रेस का टिकट लेने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी रहने के आसार हैं। कांग्रेस के हर विधानसभा में 10 से लेकर 15 दावेदार हैं। ऐसे में यह दावेदार कांग्रेस हाईकमान का सिर दर्द बढ़ाएंगे। कांग्रेस इन दावेदारों से अगले महीने आवेदन मांगना शुरू कर सकती है। कांग्रेस का पहला सर्वे अभी चल रहा है। दूसरा सर्वे शुरू होते ही कांग्रेस आवेदन मांगना शुरू करेगी। जल्द ही कांग्रेस आवेदन के लिए घोषणा करने वाली है। ऐसे में टिकट पाने वालों ने बायोडाटा बनवाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस न्यायपत्र बनाने की भी तैयारियों में लगी है। राहुल की मीटिंग के बाद बयानबाजी थमी हरियाणा कांग्रेस की हाईकमान के साथ बैठक के बाद बयानबाजी थम गई है। हुड्डा खेमे और SRK गुट की तरफ से कोई बयानबाजी राहुल गांधी की नसीहत के बाद सामने नहीं आई है। मगर वहीं जनता के सामने कांग्रेस की गुटबाजी जगजाहिर है। ऊपर से चाहे कितना भी एक होने का संदेश देगी मगर धरातल पर दोनों गुटों के नेताओं के कार्यकर्ता एक दूसरे के आमने-सामने रहते हैं। कांग्रेस के सम्मेलनों में गुटबाजी देखने को मिल रही है। जींद में हुए सम्मेलन में चौधरी बीरेंद्र सिंह ग़ैरमौजूद रहे। वहीं उचाना में जयप्रकाश के कार्यक्रमों से बृजेंद्र सिंह गायब दिखे। विधानसभा में कांग्रेस के पास 3 बड़े ऐज 1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं। कांग्रेस को इन चुनौतियों से पारा पाना होगा 1. गुटबाजी हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान कम से कम 2 सीटें गवांकर चुकाया। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई। इसी तरह हिसार सीट पर2 गुटबाजी देखने को मिली। सैजला समर्थकों ने जयप्रकाश के प्रचार से दूरी बनाए रखी। इससे हिसार में जीत का मार्जिन कम हो गया। अगर विधानसभा वाइस सीटें देखें तो कांग्रेस को हिसार, कैथल, जींद, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा लोकसभा जैसी विधानसभाओं में गुटबाजी से पार पाना होगा। 2. पार्टी के भीतर चौधर की लड़ाई लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेताओं के बीच चलने वाली चौधर की लड़ाई भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी को नीचा दिखाने की कोशिश करते नजर आए। हालांकि चुनाव नतीजों में जेपी को सबसे बड़ी लीड बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से ही मिली। जयप्रकाश जेपी के हुड्डा कैंप से जुड़े होने के कारण सैलजा रणदीप सुरजेवाला ने हिसार में एक सभा तक नहीं की। सैलजा सिरसा तक सिमटी रही तो रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र एरिया में एक्टिव रहे। 3. कुरुक्षेत्र में गठबंधन को सीट दी विधानसभा में पड़ेगा असर कांग्रेस ने I.N.D.I.A. अलायंस के तहत कुरूक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी (AAP) को दी थी। इसलिए यहां कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गायब रहा। इसका असर विधानसभा में भी पड़ना तय है। अगर यहां कांग्रेस और आप के बीच वोट बंटे तो इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। आप यहां मजबूती से चुनाव लड़ने का विचार मन बना रही है। पंजाब के साथ लगती हरियाणा की बेल्ट में आप कांग्रेस को चुनौती देगी। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को महज 3 महीने का ही समय बचा है। चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार खुलकर कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं और अपने आपको दावेदार बता रहे हैं। मगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह ही सर्वे के आधार पर टिकट इस बार देखा। ऐसे में नेताओं ने फिल्ड में रहना शुरू कर दिया है ताकि सर्वे में उनकी रिपोर्ट अच्छी आए। वहीं कुछ नेता ऑनलाइन सर्वे करवाकर खुद को बाकि की तुलना में अधिक असरदार व मजबूत कैंडिडेट बता रहे हैं। खास बात है कि इस बार कांग्रेस का टिकट लेने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी रहने के आसार हैं। कांग्रेस के हर विधानसभा में 10 से लेकर 15 दावेदार हैं। ऐसे में यह दावेदार कांग्रेस हाईकमान का सिर दर्द बढ़ाएंगे। कांग्रेस इन दावेदारों से अगले महीने आवेदन मांगना शुरू कर सकती है। कांग्रेस का पहला सर्वे अभी चल रहा है। दूसरा सर्वे शुरू होते ही कांग्रेस आवेदन मांगना शुरू करेगी। जल्द ही कांग्रेस आवेदन के लिए घोषणा करने वाली है। ऐसे में टिकट पाने वालों ने बायोडाटा बनवाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस न्यायपत्र बनाने की भी तैयारियों में लगी है। राहुल की मीटिंग के बाद बयानबाजी थमी हरियाणा कांग्रेस की हाईकमान के साथ बैठक के बाद बयानबाजी थम गई है। हुड्डा खेमे और SRK गुट की तरफ से कोई बयानबाजी राहुल गांधी की नसीहत के बाद सामने नहीं आई है। मगर वहीं जनता के सामने कांग्रेस की गुटबाजी जगजाहिर है। ऊपर से चाहे कितना भी एक होने का संदेश देगी मगर धरातल पर दोनों गुटों के नेताओं के कार्यकर्ता एक दूसरे के आमने-सामने रहते हैं। कांग्रेस के सम्मेलनों में गुटबाजी देखने को मिल रही है। जींद में हुए सम्मेलन में चौधरी बीरेंद्र सिंह ग़ैरमौजूद रहे। वहीं उचाना में जयप्रकाश के कार्यक्रमों से बृजेंद्र सिंह गायब दिखे। विधानसभा में कांग्रेस के पास 3 बड़े ऐज 1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं। कांग्रेस को इन चुनौतियों से पारा पाना होगा 1. गुटबाजी हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान कम से कम 2 सीटें गवांकर चुकाया। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई। इसी तरह हिसार सीट पर2 गुटबाजी देखने को मिली। सैजला समर्थकों ने जयप्रकाश के प्रचार से दूरी बनाए रखी। इससे हिसार में जीत का मार्जिन कम हो गया। अगर विधानसभा वाइस सीटें देखें तो कांग्रेस को हिसार, कैथल, जींद, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा लोकसभा जैसी विधानसभाओं में गुटबाजी से पार पाना होगा। 2. पार्टी के भीतर चौधर की लड़ाई लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेताओं के बीच चलने वाली चौधर की लड़ाई भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी को नीचा दिखाने की कोशिश करते नजर आए। हालांकि चुनाव नतीजों में जेपी को सबसे बड़ी लीड बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से ही मिली। जयप्रकाश जेपी के हुड्डा कैंप से जुड़े होने के कारण सैलजा रणदीप सुरजेवाला ने हिसार में एक सभा तक नहीं की। सैलजा सिरसा तक सिमटी रही तो रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र एरिया में एक्टिव रहे। 3. कुरुक्षेत्र में गठबंधन को सीट दी विधानसभा में पड़ेगा असर कांग्रेस ने I.N.D.I.A. अलायंस के तहत कुरूक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी (AAP) को दी थी। इसलिए यहां कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गायब रहा। इसका असर विधानसभा में भी पड़ना तय है। अगर यहां कांग्रेस और आप के बीच वोट बंटे तो इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। आप यहां मजबूती से चुनाव लड़ने का विचार मन बना रही है। पंजाब के साथ लगती हरियाणा की बेल्ट में आप कांग्रेस को चुनौती देगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पानीपत में हनीट्रैप आरोपी महिला की जेल में बिगड़ी तबीयत:दौरे से हुई बेहोश, सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों को बोली- मेरे साथ गैंगरेप हुआ हरियाणा के पानीपत में करनाल के सरपंच के सरपंच से हनीट्रैप केस में साढ़े 3 लाख रुपए लेती हुई रंगे हाथ पकड़ी गई महिला सिवाह जेल में बंद है। यहां जेल में उसकी तबीयत बिगड़ गई। पहले उसे जेल में प्राथमिक उपचार दिया गया। यहां ठीक न होने पर उसे सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार दिया। सेहत में सुधार न होने के चलते उसे अस्पताल में ही भर्ती कर लिया गया। यहां भर्ती होने के दौरान महिला ने डॉक्टरों को आपबीती बताई। महिला ने कहा कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है। लेकिन पुलिस उसका मेडिकल नहीं करवा रही है। वह अपना मेडिकल करवाना चाहती है। उसने फिर से अपनी कहानी बताते हुए कहा कि पुलिस ने उसे जबरन रुपए देकर फंसाया है। उसके साथ जिस युवक को उसका दलाल बताकर गिरफ्तार किया था, उसे वह जानती तक नहीं है। लेकिन पुलिस उसके साथ अन्याय कर रही है। वह बार-बार यही कहती रही कि उसके साथ गुरुग्राम में गैंगरेप हुआ है, लेकिन पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है। उसे ही आरोपी साबित कर रही है। जब डॉक्टरों ने इस बारे में पुलिस से बातचीत की, तो पुलिस ने मेडिकल करने से मना कर दिया। पुलिस का कहना था कि महिला की ओर से कभी कोई शिकायत नहीं दी गई। उसे पुलिस ने सबूतों के साथ हनीट्रैप में पकड़ा है। हालांकि पेट दर्द होने के चलते महिला अभी सिविल अस्पताल में ही भर्ती है। जेल में वह दोरे आने के बाद बेहोश हो गई थी। सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें पूरी कहानी… 2 महीने की फ्रेंडशिप, पानीपत के रेस्टोरेंट में मिले पुलिस को दी शिकायत में पीड़ित ने बताया कि वह करनाल में घरौंडा का रहने वाला है और मौजूदा सरपंच है। इंस्टाग्राम पर करीब 2 महीने पहले उसकी दोस्ती एक युवती से हुई थी। कुछ ही दिन बाद वह पानीपत के सेक्टर-18 स्थित एक रेस्टोरेंट में मिले, जहां उन्होंने चाय पी। इसके बाद युवती ने कहा कि उसे कहीं बाहर ले चलो। वह बार-बार ऑफर देती रही। गुरुग्राम साथ चलने की जिद कर आई 21 दिसंबर को सरपंच पानीपत के रहने वाले अपने एक दोस्त के साथ कार से गुरुग्राम जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में उसे युवती का फोन आया। युवती कह रही थी कि वह भी गुरुग्राम घूमना चाहती है। इसके बाद उसने युवती को पानीपत के सेक्टर 11-12 जीटी रोड कट पर बुलाया। वहां मिलने के बाद वे कार से गुरुग्राम चले गए। क्लब बंद थे तो किराए पर कमरा लिया, रात भर रुके गुरुग्राम पहुंचने में उन्हें समय लग गया और क्लब बंद हो गए। सरपंच ने अपने एक अन्य दोस्त को बुलाया और मेदांता के पास किराए के कमरे में रात काटने युवती के साथ चला गया। वहां उन्होंने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। लड़कों को फोन कर पानीपत टोल प्लाजा बुलाया इसके बाद 22 दिसंबर की सुबह वे गुरुग्राम से पानीपत के लिए निकले। वापस आते समय उसने गाड़ी में CNG भराई। तभी युवती ने मौका पाकर अपनी एक सहेली और एक युवक को पानीपत टोल प्लाजा पर बुला लिया। सुबह करीब 11 बजे उनकी गाड़ी पानीपत टोल प्लाजा पहुंची। कार अड़ाकर रोका, सहेली को साथ बैठाया, चाभी छीनी सरपंच ने बताया कि जब वे टोल पर पहुंचे तो युवती के साथी 2 लड़कों ने उनकी कार के आगे अपनी कार अड़ा दी। युवती ने अपनी सहेली को उसकी कार में बैठा लिया। दोनों लड़कों ने उसकी कार की चाभी छीन ली। इसके बाद वे उसे मॉडल टाउन थाने ले गए, जहां युवती ने एक अन्य युवक को फोन किया। थाने में रेप केस की धमकी देकर 10 लाख मांगे इसके बाद उन युवकों ने सरपंच के खिलाफ रेप केस दर्ज कराने की धमकी दी। ऐसा न करने के बदले में 10 लाख रुपए की मांग की। सरपंच ने डर से अपने 2 दोस्तों को वहां बुलाया। फिर युवती के दोस्त ने उसके दोस्तों से 10 लाख रुपए की डिमांड की। उनके बीच 8 लाख रुपए में समझौता हुआ। 5 लाख मिलते ही युवती सहेली संग थाने से भागी सरपंच के दोस्त ने युवती के दोस्त के नंबर पर 1 लाख रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। साथ ही युवती और उसकी सहेली को 4 लाख रुपए कैश दे दिए। रुपए लेते ही दोनों युवतियां बिना किसी तरह की शिकायत या रिपोर्ट दर्ज कराए थाने से भाग गईं। इसके बाद सरपंच को लगा कि उसे हनीट्रैप में फंसाया गया है। आरोपियों ने उससे 5 लाख रुपए ले लिए थे। बाकी 3 लाख रुपए 22 दिसंबर को देने का इकरारनामा हुआ था। उससे पहले सरपंच ने पुलिस को शिकायत दे दी। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा पुराना औद्यौगिक थाने के SHO इंस्पेक्टर देवेंद्र ने बताया है कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। आरोपी युवती और उसका दोस्त सरपंच से बकाया पैसे लेने पुराना औद्यौगिक थाना क्षेत्र में आने वाले थे। सरपंच ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस कर्मी क्षेत्र में तैनात कर दिए गए। जैसे ही आरोपी रुपए लेने पहुंचे तो पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। वारदात में शामिल अन्य 3 आरोपियों को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
हरियाणा में हार पर कांग्रेस की रिपोर्ट:गुटबाजी-भीतरघात मेन कारण, नेताओं में तालमेल नहीं; 53 हारे नेताओं से कमेटी की वन टु वन मीटिंग
हरियाणा में हार पर कांग्रेस की रिपोर्ट:गुटबाजी-भीतरघात मेन कारण, नेताओं में तालमेल नहीं; 53 हारे नेताओं से कमेटी की वन टु वन मीटिंग हरियाणा विधानसभा चुनाव में अच्छे माहौल के बावजूद हारी कांग्रेस ने इसके कारण तलाशने शुरू कर दिए हैं। शुरुआत में कांग्रेस हाईकमान ने इसके लिए 2 मेंबरी फैक्ट फाइडिंग कमेटी बनाई। जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और राजस्थान के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी शामिल हैं। दोनों नेताओं ने खुद बैठकर जूम मीटिंग के जरिए एक-एक नेता से वन टु वन बात की। किसी उम्मीदवार को इसकी रिकॉर्डिंग नहीं करने दी गई। प्रदेश के 90 में से चुनाव हारे 53 नेताओं से उनकी बातचीत हुई। कमेटी ने चुनाव हारे उम्मीदवारों से 4 तरह के सवाल पूछे।जिसके बाद कमेटी ने इसकी लिखित रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें EVM से ज्यादा चुनाव के बीच तालमेल की कमी और गुटबाजी की वजह सामने आई है। हालांकि कमेटी मेंबर इसके बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को हिसार के 3 उम्मीदवारों ने क्या कहा 1. रामनिवास घोड़ेला- भीतरघात से चुनाव हारे
बरवाला से कांग्रेस उम्मीदवार रहे रामनिवास घोड़ेला ने कहा कि गुटबाजी के कारण कांग्रेस चुनाव हार गई। मेरी विधानसभा में राहुल गांधी का दौरा रहा, मगर कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने रैली के तुरंत बाद बयान दिया कि होर्डिंग्स पर मेरी फोटो नहीं लगाई, जनता इसका बदला लेगी। उस बयान का भी असर रहा। कांग्रेस नेताओं ने खुलकर बगावत की। इनेलो नेता संजना सातरोड़ को वोट डलवाए। कार्यकर्ताओं को फोन कर कहा गया कि रामनिवास को वोट नहीं देने। भीतरघात के कारण चुनाव हारे। 2. रामनिवास राड़ा- कांग्रेस ने ही कांग्रेस को हराया
हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास राड़ा ने कहा कि कांग्रेस ने ही कांग्रेस को हराने का काम किया। हिसार के 7-8 नेताओं ने भीतरघात किया। यह नेता हरियाणा के एक गुट से जुड़े नेता हैं। मेरी मदद सिर्फ कुमारी सैलजा ने की। मैं उन नेताओं के घर 2 से 3 बार मदद मांगने गया, मगर मेरा टाइम खराब किया। 3, 4 और 5 अक्टूबर को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खूब टेलिफोन घुमाए और उनका एक ही इशारा था कि रामनिवास राड़ा को हराओ। सावित्री जिंदल को जिताओ। मैंने प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अशोक गहलोत के दौरे के लिए अप्लाई किया था, मगर यहां के सीनियर नेताओं ने किसी स्टार प्रचारक का दौरा नहीं होने दिया। 6 EVM ऐसी मिलीं जिनकी बैटरी 99% चार्ज थी। 3. अनिल मान : भीतरघात से चुनाव हारे
नलवा विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार अनिल मान ने बताया कि भीतरघात के कारण चुनाव हारे। संपत सिंह जैसे सीनियर नेताओं ने टिकट न मिलने के कारण भीतरघात किया। संपत सिंह ने भाजपा उम्मीदवार रणधीर पनिहार को वोट डलवाए। EVM का भी बड़ा रोल रहा। कई EVM ऐसी थीं, जिनकी बैटरी 99 प्रतिशत चार्ज थी। अगर यह सब चीजें न रही होतीं तो चुनाव जीत सकते थे। एक उम्मीदवार ने कहा- जाट विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण हुआ
एक उम्मीदवार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हरियाणा चुनाव में जाटों के विरोध में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है। भाजपा ने जाटों को लेकर ऐसा माहौल बना दिया, जो दूसरी जगहों पर मुसलमानों के खिलाफ होता है। दूसरी जातियों को कहा गया कि अगर कांग्रेस जीती तो सब कुछ जाटों के हाथ में चला जाएगा। मैं इससे प्रभावित हुआ। ज्यादा नुकसान तब और हुआ, जब राहुल गांधी के मंच पर रहते हुए भी भूपेंद्र हुड्डा ने मेरे लिए वोट नहीं मांगे। इससे जाटों में यह मैसेज गया कि हुड्डा मेरे समर्थन में नहीं हैं। उन्होंने मुझे वोट नहीं दिए। दूसरे समुदाय ने ध्रुवीकरण की वजह से मुझे वोट नहीं दिए और मैं हार गया। बड़े नेताओं के दौरे का पता नहीं होता था
एक उम्मीदवार ने कमेटी को बताया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दौरे के बारे में हमें पता ही नहीं होता था। हम समय पर उनके दौरे के बारे में लोगों तक बात ही नहीं पहुंचा पाते थे। इस वजह से कांग्रेस के हक में जो माहौल बनना चाहिए था, वह नहीं बन पाता था। इस बारे में लालू यादव के समधी और रेवाड़ी से उम्मीदवार चिरंजीव राव के पिता पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव भी कह चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेता संपर्क से बाहर थे
एक उम्मीदवार ने बताया कि चुनाव के बीच हरियाणा की प्रदेश कांग्रेस कमेटी से संपर्क ही नहीं हो पा रहा था। वह न तो आम वर्करों के लिए पहुंच में थे और न ही उनसे फोन पर बात हो पा रही थी। उम्मीदवार ने प्रदेश कांग्रेस को हार का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उनकी तुलना में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं से बात करना आसान था। राहुल गांधी ने कहा था- नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गए
हरियाणा चुनाव में हुई हार के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में समीक्षा मीटिंग बुलाई थी। मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हुई इस मीटिंग में राहुल गांधी भी मौजूद थे। यहां राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव हारने की वजह ये है कि हरियाणा के नेताओं के इंटरेस्ट (हित) पार्टी इंटरेस्ट से ऊपर हो गए थे। इसके बाद वे मीटिंग से चले गए। हुड्डा-उदयभान ने EVM को जिम्मेदार ठहराया
चुनाव में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस से चुनाव हारने वाले अध्यक्ष उदयभान और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि EVM की वजह से कांग्रेस की हार हुई। 99% चार्ज EVM से भाजपा जीत रही थी। इसके उलट जो कम चार्ज थीं, उनमें कांग्रेस को बढ़त मिली। ऐसी 20 सीटों की लिखित शिकायत उन्होंने चुनाव आयोग को दी थी। हार के बाद बाबरिया ने इस्तीफे की पेशकश की
हरियाणा में हार के बावजूद अभी तक किसी कांग्रेस नेता ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। होडल से चुनाव हारने वाले उदयभान भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। हालांकि प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने राहुल गांधी को फोन कर इस्तीफे की पेशकश की है। मगर, इसके पीछे उन्होंने खराब सेहत का हवाला दिया है। नेता विपक्ष पद के लिए दावेदारी चल रही
कांग्रेस 37 सीटें जीतकर प्रमुख विपक्षी दल बन चुकी है। ऐसे में अब विपक्षी दल नेता के पद के लिए दावेदारी चल रही है। हुड्डा गुट इस पर भूपेंद्र हुड्डा को ही चाहता है। उनको न बनाने पर झज्जर से विधायक गीता भुक्कल और थानेसर से अशोक अरोड़ा को दावेदार बनाया जा रहा है। सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के गुट से पंचकूला के विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे किया गया है। कल (18 अक्टूबर) को इसको लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। जिसमें सारे अधिकार हाईकमान को दिए गए। जिसके बाद 4 ऑब्जर्वरों ने विधायकों से वन टु वन मीटिंग की और वापस रवाना हो गए।
हरियाणा में संगठन बनाएगी कांग्रेस, प्रधान-प्रभारी की छुट्टी तय:राहुल गांधी के करीबी को कमान; हुड्डा-सैलजा को सख्त मैसेज, पहले जिला लेवल पर नियुक्तियां
हरियाणा में संगठन बनाएगी कांग्रेस, प्रधान-प्रभारी की छुट्टी तय:राहुल गांधी के करीबी को कमान; हुड्डा-सैलजा को सख्त मैसेज, पहले जिला लेवल पर नियुक्तियां हरियाणा में कांग्रेस चुनाव में हार के बाद अब संगठन पर काम करेगी। कांग्रेस जिले से प्रदेश स्तर का नया संगठन खड़ा करेगी, ताकि नए छोटे कार्यकर्ताओं को मौका मिले और वह आगे आ सकें। पद संभालने के बाद नए सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने इस काम शुरू कर दिया है। बघेल की गुपचुप तरीके से हरियाणा में एंट्री हुई है। इससे पहले हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया की छुट्टी हो सकती है। गुरुवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उदयभान ने बाबरिया पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी ने हरियाणा में संगठन नहीं बनने दिया। वहीं, गुटबाजी पर लगाम कसने के लिए हाईकमान ने पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा को सख्त मैसेज दिया है। इन्हें कहा गया है कि मीडिया में एक-दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी न करें। अब हरियाणा में संगठन में नियुक्ति नीचे से ऊपर की ओर की जाएंगी। सबसे पहले जिलाध्यक्षों की नियुक्ति संगठन कर सकता है। इसके बाद दूसरे स्तर पर नियुक्तियां होंगी। हरियाणा में 10 साल से नहीं संगठन
हरियाणा में कांग्रेस 10 साल से संगठन खड़ा नहीं पाई है। कांग्रेस हाईकमान की ओर से हरियाणा के लगाए गए सह प्रभारी जितेंद्र बघेल का भी मानना है कि हरियाणा में सभी नेताओं को साथ लेकर चलना और संगठन बनाना बड़ी चुनौती होगी। पिछले 10 साल से कांग्रेस में न तो संगठन बन पाया है और न ही पार्टी की गुटबाजी खत्म हो पाई है। बल्कि, अब विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी में धड़ेबाजी और बढ़ गई है। नेता एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं। चंडीगढ़ में उदयभान ने बाबरिया पर ठीकरा फोड़ा
गुरुवार को चंडीगढ़ में उदयभान कहा है कि राज्य में कांग्रेस का संगठन न बन पाने और विधानसभा में हार के लिए पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया जिम्मेदार हैं। उदयभान ने कहा कि हमने कई बार पार्टी पदाधिकारियों की सूचियां प्रभारी को सौंपी, लेकिन वह इन्हें कांग्रेस हाईकमान के पास भेजने के बजाय स्वयं दबाए बैठे रहे। उदयभान ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण EVM की हैकिंग तो है ही, राज्य में संगठन का न बन पाना भी एक वजह है। राहुल गांधी के सामने 7 अगस्त 2023 को हुई मीटिंग में बाबरिया ने वादा किया था कि 10 सितंबर 2023 तक संगठन बना दिया जाएगा, लेकिन फिर भी वह संगठन तैयार नहीं करवा सके। ऐसे आरोपों के बीच हरियाणा के लिए कांग्रेस ने जितेंद्र बघेल को बड़ी जिम्मेदारी दी है। हरियाणा के प्रभारी दीपक बाबरिया पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं और वह फिलहाल बीमार चल रहे हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और प्रभारी की हो सकती है छुट्टी
हरियाणा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान की छुट्टी हो सकती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान ने इसके संकेत दे दिए हैं। इसके अलावा पार्टी की हार के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। वहीं, नेता विपक्ष रह चुके भूपेंद्र हुड्डा से भी हार पर जवाबतलबी की गई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में अच्छे माहौल के बावजूद हुए उलटफेर को कांग्रेस हाईकमान ने बड़ी गंभीरता से लिया है। इसके बाद यहां संगठन को लेकर बड़े फेरबदल किए जा रहे हैं। मौजूदा अध्यक्ष चौधरी उदयभान हुड्डा के करीबी हैं। चुनाव में संगठन को संभालने की जगह उन्होंने खुद चुनाव लड़ा। हालांकि, वह होडल सीट से हार गए। कांग्रेस हाईकमान के आगे इसे लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं, क्योंकि भाजपा के अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने राई से विधायक होते हुए भी संगठन की जिम्मेदारी बता चुनाव नहीं लड़ा था। राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं पर ठीकरा फोड़ा
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर समीक्षा मीटिंग हुई थी, जिसमें राहुल गांधी ने हार को लेकर कहा कि हमारी पार्टी के नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गए, इसी वजह से हार हुई। इसके बाद यहां तय हुआ कि हार के कारण जानने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी हरियाणा में जाकर नेताओं से चर्चा कर रिपोर्ट हाईकमान को सौपेंगी। हालांकि, कमेटी ने जांच के बाद हाई कमान को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें हार की वजह गुटबाजी, कमजोर नेतृत्व सहित कई कारण रहे। यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। सैलजा ने भी कहा था- संगठन होना जरूरी
वहीं, इससे पहले सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा रोहतक में बयान दे चुकी हैं कि कांग्रेस संगठन न बना पाने के कारण हारी। सैलजा ने कहा कि संगठन से कार्यकर्ताओं की पहचान होती है। कांग्रेस का राज्य स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक संगठन नहीं था। संगठन से पार्टी का काम होता है। हरियाणा में हार से कार्यकर्ताओं में निराशा हुई है। 10 साल विपक्ष में बैठना आसान नहीं होता। सैलजा ने कहा कि हाईकमान को इन सब बातों की जानकारी है।