हरियाणा पुलिस में SC-OBC अधिकारियों की कमी:इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में राज्य कानूनी मदद में थर्ड; पंजाब पुलिस की रैंकिंग सुधरी हरियाणा पुलिस में SC और OBC के अधिकारियों की कमी है। यही नहीं, कोर्ट में भी OBC जजों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। इसका खुलासा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR)-2025 में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक कानूनी मदद में हरियाणा पूरे देश में तीसरे नंबर पर है। न्यायपालिका में हरियाणा को 10वां और पुलिस-जेल में 14वां स्थान मिला है। ओवरऑल हरियाणा 12वें स्थान पर है। रिपोर्ट में हरियाणा को लेकर कहा गया है कि न्याय व्यवस्था में तुरंत और बड़े बदलाव की जरूरत है। इसके लिए खाली पदों को जल्दी भरने और सभी तरह के लोगों को न्याय व्यवस्था में शामिल करने पर जोर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि असली बदलाव लाने के लिए न्याय देना एक आवश्यक सेवा होना चाहिए। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब पुलिस ने इस साल 13वें से 7वें स्थान पर आ गई है। राज्य में सभी बड़े राज्यों में पुलिस पर प्रति व्यक्ति सबसे अधिक खर्च (₹2604) किया जाता है। यहां के सभी पुलिस थानों में अब महिला हेल्पडेस्क की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा, राज्य के नागरिक पोर्टल द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं में भी सुधार हुआ है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की हरियाणा को लेकर अहम बातें 1. जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी, कर्मचारियों की कमी
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने दावा किया है कि हरियाणा की जेलों में क्षमता से 22% अधिक कैदी हैं। जेलों में कुल 35 प्रतिशत कर्मचारियों की भी कमी है। जेल कर्मचारियों में डॉक्टरों की 47% और आधे चिकित्सा कर्मचारियों की कमी है। 11 सुधार कर्मचारियों के स्वीकृत पदों के बावजूद कोई नहीं है। 2. हाईकोर्ट में 40% पद खाली
साल 2025 तक प्रदेश में हाईकोर्ट में 40% और जिला जज के पदों में 29 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जजों के पदों के लिहाज से 18 बड़े राज्यों में ये सबसे अधिक है। जिला अदालतों में हर 3 में से 1 जज की कमी है, जो बड़े राज्यों में सबसे अधिक में से एक है। रिपोर्ट के मुताबिक उच्च न्यायालय में महिलाओं की हिस्सेदारी 26% है, जो तेलंगाना (33%) के बाद सबसे अधिक है। जिला अदालतों में 41% जज महिलाएं हैं। पुलिस अधिकारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 12% है, जो 8% राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 3. हरियाणा में अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई आरक्षण नहीं
हरियाणा में अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई आरक्षण नहीं है। पुलिस में अनुसूचित जाति अधिकारियों और कांस्टेबलों में 20% और ओबीसी में 30% कमी है। जिला न्यायपालिका में 27% आरक्षण के बावजूद ओबीसी जजों में 60% पद खाली पड़े हैं। 4. हरियाणा ने कानूनी मदद पर प्रति व्यक्ति 16 रुपए खर्चे
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2022-23 में हरियाणा ने प्रति व्यक्ति 16 रुपए कानूनी सहायता पर खर्च किए, जो 18 बड़े राज्यों में सबसे अधिक है। इसने NALSA फंड का 83% उपयोग किया, जो सबसे अधिक में से एक है। 2019 से 2024 के बीच पैरालीगल वालंटियर्स की संख्या में 27% की कमी आई और कानूनी सहायता क्लिनिक 321 से घटकर जीरो पर आ गए। पंजाब से जुड़ी 3 अहम बातें 1. कानूनी मदद में दूसरे स्थान पर
पंजाब ने इस साल कानूनी सहायता में दूसरे स्थान पर अपनी स्थिति सुधार ली है। इसके पीछे प्रमुख कारण राज्य के अधिकतर संकेतकों में सुधार है। राज्य में महिलाओं की हिस्सेदारी पैनल वकीलों (24%), पैरालीगल वॉलंटियर्स (39%) और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिवों (64%) में काफी बढ़ी है। राज्य ने नाल्सा (NALSA) फंड्स का सबसे अधिक उपयोग भी किया है। 2. हाईकोर्ट के जजों के खाली पद चिंताजनक
रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट के जजों के खाली पद 2022 में 22% के मुकाबले 2025 में बढ़कर 40% हो गए हैं। हाईकोर्ट के स्टाफ के खाली पद भी 23% से बढ़कर 35% हो गए हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 67% मामले 3 साल से अधिक समय से पेंडिंग हैं। जिला स्तर पर कोर्ट हॉल की कमी भी 15% से बढ़कर 24% हो गई है। जजों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ है, उच्च न्यायालय में 25% और जिला अदालतों में 52% महिला न्यायाधीश हैं। 3. पंजाब की जेलों में सुधारक स्टाफ ही नहीं
पंजाब की जेलों में कैडर और मेडिकल स्टाफ के खाली पदों में थोड़ा-बहुत सुधार हुआ है, लेकिन करेक्शनल स्टाफ की कमी अभी भी पूरी नहीं हुई है। पिछले 6 सालों से जेलें भीड़-भाड़ से बची हुई थीं। लेकिन अब जेलों में फिर से जरूरत से ज्यादा भीड़ हो गई है। राज्य की जेलों में 23% से अधिक कैदी हैं। पंजाब में प्रति कैदी सालाना केवल 17 हजार 821 रुपए का खर्चा है, जो सभी बड़े राज्यों में महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे कम खर्चा है।