UP PCS-J मेंस -2022 की एक नहीं 50 कॉपियां बदली गई थीं। कॉपियों के कोडिंग में भी हेरफेर हुआ था। एक अभ्यर्थी के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद हुई जांच में खुलासा हुआ। यूपी लोकसेवा आयोग (UPPSC) ने समीक्षा अधिकारी समेत 5 अधिकारियों को दोषी करार देते हुए 3 को सस्पेंड कर दिया है। पर्यवेक्षणीय अधिकारी उपसचिव सतीश चंद्र मिश्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई, जबकि एक रिटायर्ड महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से परमिशन मांगी गई है। 3 हजार अभ्यर्थियों ने दिया था मेंस एग्जाम
3019 अभ्यर्थियों ने मेंस परीक्षा दी थी। अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि कॉपी पर उनकी हैंड राइटिंग नहीं है। इसके बाद हाईकोर्ट ने आयोग से जवाब-तलब किया था। जांच में पता चला कि 1 नहीं, बल्कि 25-25 कॉपियों के 2 बंडल बदले गए। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत ने प्रदेश अनुभाग अधिकारी शिव शंकर, समीक्षा अधिकारी नीलम शुक्ला और सहायक समीक्षा अधिकारी भगवती देवी को निलंबित कर दिया। लोकसेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार ने कहा- मानवीय भूल के कारण कॉपियों के बंडल में गलत कोडिंग हो गई थी। आयोग ने इस पर सख्त कदम उठाया। दोषी अफसरों पर कार्रवाई की। भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे। अंग्रेजी विषय की बदली गई थी सभी कॉपियां
आयोग के अनुसार, गलत कोडिंग के कारण बदली गई सभी कॉपियां अंग्रेजी विषय की थीं। अंग्रेजी का प्रश्नपत्र 100 अंकों का था। इसके बदले जाने से एग्जाम का रिजल्ट भी प्रभावित हो सकता है। फिलहाल, अभी इसकी जांच चल रही है। PCS-J परीक्षा- 2022 के तहत 302 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जिन्हें नियुक्ति भी मिल चुकी है। परिणाम प्रभावित होता है, तो आयोग को कुछ नए अभ्यर्थियों के इंटरव्यू अलग से कराने पड़ सकते हैं। अब जानिए, क्या था मामला
UPPCS-J 2022 की मेंस परीक्षा में असफल अभ्यर्थी श्रवण कुमार ने अपनी कॉपी देखने के लिए RTI लगाई। कॉपी देखने के बाद श्रवण कुमार ने आरोप लगाया था कि उनकी अंग्रेजी विषय की कॉपी में हैंड राइटिंग बदली गई। साथ ही एक अन्य उत्तर पुस्तिका के पन्ने फाड़े गए हैं। इस वजह से अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाया था। फिर अभ्यर्थी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। आयोग ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया और बताया कि मुख्य परीक्षा में शामिल सभी 3019 अभ्यर्थियों की 18042 कॉपियों की जांच कराई जा रही है। रेंडम जांच भी होती तो नहीं बदलती कॉपियां
अगर पर्यवेक्षणीय अधिकारी हर बंडल से सिर्फ एक-एक कॉपी की रेंडम जांच कर लेते तो पता चल जाता कि कोडिंग गलत हो गई है। कोडिंग के बाद किसी भी स्तर पर इसकी जांच नहीं की गई और कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेज दी गईं। इसी का नतीजा है कि अभ्यर्थियों की कॉपियां आपस में बदल गईं। याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई को
श्रवण पांडेय की याचिका की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले को गंभीर माना और लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी। PCS-2015 में भी बदली थी कॉपी, लेकिन दबा दिया गया मामला
PCS-2015 में महिला अभ्यर्थी सुहासिनी वाजपेयी की कॉपी भी बदल गई थी। सूचना के अधिकार के तहत कॉपी देखने पर इसका खुलासा हुआ था। बाद में उसे इंटरव्यू के लिए मेंस एग्जाम में पास कर दिया गया। हालांकि, इंटरव्यू में वह असफल हो गई और चयन नहीं हो सका था। आयोग के सूत्रों का कहना है कि उस वक्त भी गलत कोडिंग के कारण ही ऐसा हुआ था। तब भी एक बंडल में रखी कई कॉपियां बदली होंगी, लेकिन मामले को रफा-दफा कर दिया गया। अगर तभी सख्त कदम उठाया गया होता तो दोबारा गलती होने की आशंका घट जाती। हालांकि, बाद में CBI ने जांच के दौरान पीसीएस-2015 में कई गड़बड़ियों सामने आने पर मुकदमा भी दर्ज किया था। UP PCS-J मेंस -2022 की एक नहीं 50 कॉपियां बदली गई थीं। कॉपियों के कोडिंग में भी हेरफेर हुआ था। एक अभ्यर्थी के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद हुई जांच में खुलासा हुआ। यूपी लोकसेवा आयोग (UPPSC) ने समीक्षा अधिकारी समेत 5 अधिकारियों को दोषी करार देते हुए 3 को सस्पेंड कर दिया है। पर्यवेक्षणीय अधिकारी उपसचिव सतीश चंद्र मिश्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई, जबकि एक रिटायर्ड महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से परमिशन मांगी गई है। 3 हजार अभ्यर्थियों ने दिया था मेंस एग्जाम
3019 अभ्यर्थियों ने मेंस परीक्षा दी थी। अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि कॉपी पर उनकी हैंड राइटिंग नहीं है। इसके बाद हाईकोर्ट ने आयोग से जवाब-तलब किया था। जांच में पता चला कि 1 नहीं, बल्कि 25-25 कॉपियों के 2 बंडल बदले गए। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत ने प्रदेश अनुभाग अधिकारी शिव शंकर, समीक्षा अधिकारी नीलम शुक्ला और सहायक समीक्षा अधिकारी भगवती देवी को निलंबित कर दिया। लोकसेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार ने कहा- मानवीय भूल के कारण कॉपियों के बंडल में गलत कोडिंग हो गई थी। आयोग ने इस पर सख्त कदम उठाया। दोषी अफसरों पर कार्रवाई की। भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे। अंग्रेजी विषय की बदली गई थी सभी कॉपियां
आयोग के अनुसार, गलत कोडिंग के कारण बदली गई सभी कॉपियां अंग्रेजी विषय की थीं। अंग्रेजी का प्रश्नपत्र 100 अंकों का था। इसके बदले जाने से एग्जाम का रिजल्ट भी प्रभावित हो सकता है। फिलहाल, अभी इसकी जांच चल रही है। PCS-J परीक्षा- 2022 के तहत 302 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जिन्हें नियुक्ति भी मिल चुकी है। परिणाम प्रभावित होता है, तो आयोग को कुछ नए अभ्यर्थियों के इंटरव्यू अलग से कराने पड़ सकते हैं। अब जानिए, क्या था मामला
UPPCS-J 2022 की मेंस परीक्षा में असफल अभ्यर्थी श्रवण कुमार ने अपनी कॉपी देखने के लिए RTI लगाई। कॉपी देखने के बाद श्रवण कुमार ने आरोप लगाया था कि उनकी अंग्रेजी विषय की कॉपी में हैंड राइटिंग बदली गई। साथ ही एक अन्य उत्तर पुस्तिका के पन्ने फाड़े गए हैं। इस वजह से अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाया था। फिर अभ्यर्थी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। आयोग ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया और बताया कि मुख्य परीक्षा में शामिल सभी 3019 अभ्यर्थियों की 18042 कॉपियों की जांच कराई जा रही है। रेंडम जांच भी होती तो नहीं बदलती कॉपियां
अगर पर्यवेक्षणीय अधिकारी हर बंडल से सिर्फ एक-एक कॉपी की रेंडम जांच कर लेते तो पता चल जाता कि कोडिंग गलत हो गई है। कोडिंग के बाद किसी भी स्तर पर इसकी जांच नहीं की गई और कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेज दी गईं। इसी का नतीजा है कि अभ्यर्थियों की कॉपियां आपस में बदल गईं। याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई को
श्रवण पांडेय की याचिका की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले को गंभीर माना और लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी। PCS-2015 में भी बदली थी कॉपी, लेकिन दबा दिया गया मामला
PCS-2015 में महिला अभ्यर्थी सुहासिनी वाजपेयी की कॉपी भी बदल गई थी। सूचना के अधिकार के तहत कॉपी देखने पर इसका खुलासा हुआ था। बाद में उसे इंटरव्यू के लिए मेंस एग्जाम में पास कर दिया गया। हालांकि, इंटरव्यू में वह असफल हो गई और चयन नहीं हो सका था। आयोग के सूत्रों का कहना है कि उस वक्त भी गलत कोडिंग के कारण ही ऐसा हुआ था। तब भी एक बंडल में रखी कई कॉपियां बदली होंगी, लेकिन मामले को रफा-दफा कर दिया गया। अगर तभी सख्त कदम उठाया गया होता तो दोबारा गलती होने की आशंका घट जाती। हालांकि, बाद में CBI ने जांच के दौरान पीसीएस-2015 में कई गड़बड़ियों सामने आने पर मुकदमा भी दर्ज किया था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर